
हिन्दी में मुहावरा है "बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से होए", जो आज ब्रिटेन में चरितार्थ हो रहा है। ये वही ब्रिटेन है,जिसने भारत के कुछ भारतीय नेताओं को बहकावे में लेकर तुष्टिकरण के पेड़ का वृक्षारोपण किया था। आज वही वृक्ष इतना अधिक विशाल हो गया है कि उसकी जड़ें सात समुद्र पार ब्रिटेन तक पहुँच, उसी को बर्बाद करने को तत्पर है। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने कुछ भारतीय छद्दम धर्म-निरपेक्ष नेताओं और इतिहासकारों के माध्यम से भारत के वास्तविक इतिहास को ही बदल कर, मुस्लिम समाज को भी मुख्यधारा से न जुड़ पाने के लिए विवश कर दिया, उन बेचारों को सन्देह के घेरे में खड़ा कर दिया है। भारतीय मुस्लिम तो आज मुख्यधारा से जुड़ने का सफल प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आज ब्रिटेन उसी आग में जलने की ओर अग्रसर है।
ब्रिटेन की पुलिस ने आखिरकार माना है कि उनके देश में कई इलाके ऐसे हैं जहां उसकी एंट्री पर बैन है। इन इलाकों को उन्होंने ‘नो-गो ज़ोन’ कहा है। एक बड़े ब्रिटिश पुलिस अफसर ने कहा है कि इन इलाकों में पैट्रोलिंग के लिए भी उन्हें मुस्लिम नेताओं से अनुमति लेनी पड़ती है। अखबार डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक लैंकशर पुलिस डिपार्टमेंट के इस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर माना है कि प्रेस्टन और ऐसे कई मुस्लिम इलाके हैं, जहां पुलिस भी घुसने से डरती है। इस रिपोर्ट के बाद से ब्रिटिश पुलिस के कई अफसरों ने अपनी-अपनी आपबीती सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से बताई है। कुछ पुलिस अफसरों ने यहां तक बताया है कि अगर मुस्लिम इलाकों में उनके साथ मारपीट होती है और वो वापस आकर शिकायत करते हैं तो ये उलटा उन्हीं की गलती मानी जाती है। मल्टीकल्चरिज्म के नाम पर बीते कुछ साल में ब्रिटेन की सरकारों ने मुस्लिम कट्टरपंथियों को खूब बढ़ावा दिया है।
खौफ के साये में है ब्रिटिश पुलिस
उत्तरी इंग्लैंड में यॉर्कशर के एक पुलिस अफसर ने विभाग के वेब फोरम पर लिखा है कि “यूनीफॉर्म पहनकर मैं मुस्लिम इलाकों में नहीं जा सकता हूं। यहां तक कि अपनी पर्सनल कार में भी नहीं। मैं ही नहीं, सारे पुलिसवालों पर इन इलाकों में हमले का खतरा रहता है। इस मामले में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप जो कहते हैं वो गलत नहीं है। अफसोस है कि ब्रिटेन के राजनीतिक नेता इन हालात की तरफ ध्यान नहीं दे रहे। या तो उन्हें पता ही नहीं है या वो जानना ही नहीं चाहते। कोई भी देश इस स्थिति को कैसे बर्दाश्त कर सकता है? क्या कोई कल्पना कर सकता है कि अमेरिका में पुलिस विभाग अपने ही अफसरों को कहे कि वो फलां-फलां इलाकों में जाने से पहले अपनी यूनीफॉर्म पर मोटा जैकेट या कोट पहन लें? क्यों वहां पर उन्हें पहचान लिया गया तो मार दिया जाएगा।”
पुलिसवालों की नहीं होती सुनवाई!
एक महिला पुलिस अधिकारी ने लिखा है कि “अगर हमें पुलिस वैन से खींचने की कोशिश हो या हमारी हत्या हो जाए तो भी इसे आम अपराध की तरह दर्ज किया जाता है। क्योंकि ब्रिटिश सरकार और पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी मानते हैं कि अगर यह लिख दिया गया कि हमलावर मुसलमान हैं और वो लगातार खतरा बने हुए हैं तो हमारे देश का मानवाधिकार का रिकॉर्ड खराब हो जाएगा।” इसी साल वॉलेंटरी रिटायरमेंट लेने वाले एक पुलिस अधिकारी ने इस डेली मेल से बातचीत में कहा है कि “मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा था। पुलिस की वर्दी पहनने वाला कानून का प्रतिनिधि होता है। अगर वो डरा हुआ है तो ऐसी वर्दी का क्या फायदा?” यह बात अक्सर सामने आती रही है कि मुस्लिम इलाकों में पुलिस वर्दी के बजाय टी-शर्ट पहनती है, ताकि खुद को बचा सके। स्कॉटलैंड यार्ड की तरफ से उन्हें ऐसे आदेश मिले हुए हैं।
इस्लामी देश बनता जा रहा है ब्रिटेन
ये हैरान करने वाली बात है कि ब्रिटेन का तेज़ी से इस्लामीकरण हो रहा है और वहां की सरकारें इस ओर से आंखें मूंदे हुए हैं। वहां के इतिहास में पहली बार ईसाइयों की आबादी 60 फीसदी से भी कम हो चुकी है। जबकि मुसलमानों की संख्या 5 फीसदी के करीब है। ये वो आबादी है जो वैध तरीके से रहती है। माना जाता है कि बड़ी संख्या में अवैध तौर पर रह रहे मुसलमान भी कुछ इलाकों में हैं। ईसाइयों के बाद सबसे ज्यादा 26 फीसदी लोग ऐसे हैं जो किसी धर्म को नहीं मानते। इनमें भी ज्यादातर वो लोग हैं जो मूलत: ईसाई या हिंदू धर्म से ताल्लुक रखते थे।
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