राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का 7 जून को नागपुर में कार्यक्रम होना है। इसमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शामिल होने जा रहे हैं। इस पर कांग्रेस ने सवाल उठाए तो भाजपा ने उसका जवाब दिया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मई 29 को कहा कि आरएसएस कोई पाकिस्तानी आतंकी संगठन नहीं है, ऐसे में उसके कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति के शामिल होने पर किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
आरएसएस को घटिया संगठन बताते थे प्रणब दा- कांग्रेस
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, "कांग्रेस नेता होने के नाते प्रणब दा ने कई बार आरएसएस के बारे में बात की। उनकी नजर में आरएसएस से घटिया और गंदी संस्था देश में कोई नहीं है। उन्होंने संस्था के भ्रष्टाचार के बारे में बताया। उनका कहना था कि इसे देश से बाहर फेंकना चाहिए। आरएसएस अगर ऐसी विचारधारा के अतिथि को बुला रहा है, इसका मतलब वह अब उनके विचारों से सहमत हो गया है।"
दूसरी विचारधारा के लोगों से मिलने में कोई बुराई नहीं
नितिन गडकरी ने कहा, "आरएसएस ने प्रणब मुखर्जी को न्योता भेजा, उन्होंने इसे स्वीकार किया। यह व्यक्तिगत है। देश में कोई राजनीतिक अस्पृश्यता नहीं होनी चाहिए। हमें हर तरह की विचारधारा के लोगों से मिलना चाहिए। उन्हें सुनना चाहिए। इसमें कोई बुराई नहीं है। प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस का न्योता स्वीकार किया है, यह अच्छा फैसला है। इसमें किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए। आरएसएस राष्ट्रवादी संगठन है, आईएसआईएस का नहीं।
उन्होंने कहा, "जब मैं भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना था तो कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्यालय गया था। यहां नागपुर के एबी बर्धन रहते थे, जिन्हें मैं राजनीतिक गुरु मानता था। उनसे आशीर्वाद लेने गया था। ये व्यक्तिगत था।
इंदिरा गांधी ने भी की थी आरएसएस की तारीफ
राज्यसभा सांसद और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि प्रणब मुखर्जी रिटायर हो गए हैं, वे पहले कांग्रेस में रहे हैं, लेकिन क्या वे बदल नहीं सकते। ऐसा नहीं है। परिस्थितियां बदल जाती हैं। क्या जवाहर लाल नेहरू ने गणतंत्र दिवस में आरएसएस की एक टोली भेजने को नहीं कहा था? लाल बहादुर शास्त्री ने भी ऐसा किया था। मोरबी में बाढ़ और भूकंप में जो आरएसएस ने काम किया उसकी तारीफ इंदिरा गांधी ने की थी।
प्रमुख लोगों को मुख्य अतिथि बनाना हमारी परंपरा
आरएसएस के पदाधिकारी के मुताबिक, "हमारे यहां परंपरा है कि हम देश के ऐसे प्रमुख लोगों को कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बुलाते हैं, जिन्होंने अपना जीवन लोगों की सेवा में बिताया हो। इसी के चलते पूर्व राष्ट्रपति को न्योता भेजा गया था। इसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।"
उन्होंने बताया कि 7 जून को होने वाले समापन सत्र में प्रणब मुखर्जी के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी होंगे। 25 दिनों के इस कार्यक्रम में 700 स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया है।
आरएसएस को घटिया संगठन बताते थे प्रणब दा- कांग्रेस
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, "कांग्रेस नेता होने के नाते प्रणब दा ने कई बार आरएसएस के बारे में बात की। उनकी नजर में आरएसएस से घटिया और गंदी संस्था देश में कोई नहीं है। उन्होंने संस्था के भ्रष्टाचार के बारे में बताया। उनका कहना था कि इसे देश से बाहर फेंकना चाहिए। आरएसएस अगर ऐसी विचारधारा के अतिथि को बुला रहा है, इसका मतलब वह अब उनके विचारों से सहमत हो गया है।"
दूसरी विचारधारा के लोगों से मिलने में कोई बुराई नहीं
नितिन गडकरी ने कहा, "आरएसएस ने प्रणब मुखर्जी को न्योता भेजा, उन्होंने इसे स्वीकार किया। यह व्यक्तिगत है। देश में कोई राजनीतिक अस्पृश्यता नहीं होनी चाहिए। हमें हर तरह की विचारधारा के लोगों से मिलना चाहिए। उन्हें सुनना चाहिए। इसमें कोई बुराई नहीं है। प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस का न्योता स्वीकार किया है, यह अच्छा फैसला है। इसमें किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए। आरएसएस राष्ट्रवादी संगठन है, आईएसआईएस का नहीं।
उन्होंने कहा, "जब मैं भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना था तो कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्यालय गया था। यहां नागपुर के एबी बर्धन रहते थे, जिन्हें मैं राजनीतिक गुरु मानता था। उनसे आशीर्वाद लेने गया था। ये व्यक्तिगत था।
इंदिरा गांधी ने भी की थी आरएसएस की तारीफ
राज्यसभा सांसद और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि प्रणब मुखर्जी रिटायर हो गए हैं, वे पहले कांग्रेस में रहे हैं, लेकिन क्या वे बदल नहीं सकते। ऐसा नहीं है। परिस्थितियां बदल जाती हैं। क्या जवाहर लाल नेहरू ने गणतंत्र दिवस में आरएसएस की एक टोली भेजने को नहीं कहा था? लाल बहादुर शास्त्री ने भी ऐसा किया था। मोरबी में बाढ़ और भूकंप में जो आरएसएस ने काम किया उसकी तारीफ इंदिरा गांधी ने की थी।
प्रमुख लोगों को मुख्य अतिथि बनाना हमारी परंपरा
आरएसएस के पदाधिकारी के मुताबिक, "हमारे यहां परंपरा है कि हम देश के ऐसे प्रमुख लोगों को कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बुलाते हैं, जिन्होंने अपना जीवन लोगों की सेवा में बिताया हो। इसी के चलते पूर्व राष्ट्रपति को न्योता भेजा गया था। इसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।"
उन्होंने बताया कि 7 जून को होने वाले समापन सत्र में प्रणब मुखर्जी के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी होंगे। 25 दिनों के इस कार्यक्रम में 700 स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया है।
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