भास्कर इन्वेस्टिगेशन: जो विभाग है ही नहीं, उसमें नौकरी के नाम पर 9 राज्यों के 1000 से ज्यादा लोगों से करोड़ों ठगे
अखबार में विज्ञापन देकर करते ठगी करते थे जालसाज
आलम यह है कि इस मामले में ठगी के शिकार सैकड़ों लोग ग्रामीण विकास मंत्रालय के दिल्ली स्थित निर्माण भवन कार्यालय में फोन करके शिकायत भी कर चुके हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए अक्टूबर 2017 में सीबीआई में मामला भी दर्ज हुआ। इसके बाद भी जालसाज कार्यालय का पता और अपना नाम बदल-बदल कर सक्रिय हैं।
भास्कर ने पड़ताल की तब पता चला कि ये जालसाज अपना नाम और नंबर बदलकर इस बार ग्रेटर नोएडा का पता देकर पिछले एक महीने से उत्तराखंड के नैनीताल के आसपास के ग्रामीण इलाकों में अखबार में विज्ञापन देकर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। पिछले कुछ समय में ये सिर्फ एक जिले के ग्रामीण इलाके से 5 लाख रु. से ज्यादा की ठगी कर चुके हैं।
जालसाजी के इस मामले पर नोएडा एसएसपी डॉ अजयपाल शर्मा ने कहा है कि ग्रेटर नोएडा के पते पर भूमि सर्वेक्षण विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा किए जाने के बारे में भास्कर के जरिए जानकारी मिली है। इसके आधार पर जालसाजों के बारे में पता लगाया जा रहा है।
2015 से चल रही है ठगी
सबसे पहले जून 2015 में ही यूपी के बरेली, सुल्तानपुर एरिया में अखबार में विज्ञापन देकर भूमि सर्वेक्षण विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की शुरुआत हुई थी।
इस मामले में बरेली के रहने वाले अमित ने तत्कालीन डीएम से शिकायत की थी। मगर पुलिस ने गुड़गांव का पता देखकर जांच पूरी नहीं की।
ऐसे सामने आया खेल:भास्कर ने पीड़ित और जालसाज की बातचीत फोन पर सुनी,ऑडियो स्टिंग से पता चला खुद को सरकारी कर्मचारी बताकर लोगों को ठग रहे थे
अभी मार्च 2018 में भूमि सर्वेक्षण विभाग के नाम पर ही उत्तराखंड के रामनगर में ठगी हो रही है। पीड़ित चंदन सिंह रावत ने जब विभाग पर ग्रेटर नोएडा का पता देखा तब उन्होंने खुद ऑफिस आने का फैसला किया। इस संबंध में जालसाज उन्हें बार-बार फोन पर ही ऑफिस आने से रोकने के लिए टालमटोल करते रहे। जालसाजी के बारे में स्थानीय पुलिस को बताया तब भी कोई एक्शन नहीं लिया गया। इसके बाद नोएडा में आकर उन्होंने खुद ही फर्जीवाड़े को लेकर दैनिक भास्कर से संपर्क किया।
पुलिस भी एक्शन नहीं लेती...कहती है- 15 हजार रुपए की ठगी जांचने के लिए दिल्ली कौन जाए?
जून 2016 में महाराष्ट्र के बुलवाणा जिले में रहने वाले शरद हिवाले से भूमि सर्वेक्षण विभाग में नौकरी के नाम पर 15 हजार 600 रुपए ठगे गए थे। शिकायत के लिए वे कई बार बुलवाणा पुलिस के पास गए। मगर हर बार यह कहकर लौटा दिया गया कि सिर्फ 15 हजार के लिए कोई पुलिस दिल्ली या गुड़गांव के चक्कर नहीं लगा सकती। फिर उन्होंने ऑनलाइन पोर्टल पर अपना नंबर देते हुए लोगों को जागरूक किया। तब पता चला कि जालसाजों का यह गैंग कईलोगों से ठगी कर चुका है।
इस मामले में जालसाजी के शिकार हुए चंदन रावत और भास्कर रिपोर्टर ने फोन पर कॉन्फ्रेंस में लेकर एक जालसाज से बात की। इसके लिए जानबूझकर रात 8 बजे फोन किया गया। जालसाज ने फोन उठा लिया।
सवाल : आप सरकारी कर्मचारी होकर रात में भी हेल्पलाइन नंबर उठा रहे हैं, ऐसा क्यों?
जवाब :जालसाज ने कहा कि अब नई सरकार में रोजाना का काम पूरा करके दिल्ली के मंत्रालय में रिपोर्ट देनी होती है इसलिए रात तक रुकना पड़ रहा है।
सवाल : सरकारी नौकरी के लिए प्रोसेसिंग फीस के बारे में नहीं सुना, फिर क्यों ले रहे हैं?
जवाब : यह फाइल तैयार करने को लेकर प्रोसेसिंग फीस है। आपको दी जाने वाली नौकरी पूरी तरह से सरकारी नहीं है बल्कि 25 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर है। इसलिए यह प्रोसेसिंग फीस ली गई है।
सवाल : अभी सिक्योरिटी मनी के तौर पर 5000 दे चुके हैं मगर बाकी करीब 10 हजार का इंतजाम नहीं हो रहा, आप वेरिफिकेशन के लिए पहले अधिकारी भेजें?
जवाब : (नाराजगी जताते हुए) अरे, ऐसा कैसे हो सकता है। आप समझ नहीं रहे हैं। यह सरकारी काम है। आपने पहले कहा था कि 5 हजार देेने के अगले दिन बाकी पैसे जमा कर देंगे। इसलिए भरोसा करके फाइल आगे भेज दी। इस पर तो मेरी नौकरी ही खतरे में आ जाएगी। चाहे तो आप अपना अकाउंट नंबर दीजिए, आपके पैसे लौटा देंगे लेकिन बिना बकाया जमा कराए कोई अधिकारी वेरिफिकेशन व ट्रेनिंग किट लेकर नहीं ले आएगा।
सीबीआई में भी 7 महीने पहले दर्ज हो चुकी है रिपोर्ट, लेकिन शिकायतों का सिलसिला जारी
ठगी के मामले में 5 अक्टूबर 2017 को सीबीआई ने रिपोर्टदर्ज की थी। जिस नेशनल डेवलपमेंट ऑफ लैंड रिफार्म इंडिया की वेबसाइट www.ndlri.com) के नाम से लोगों से ठगी हुई थी उसमें भी नोएडा सेक्टर 50, एफ-ब्लॉक का पता दिया गया था।
ठगी के इस मामले में 1108 पद पर इंटरव्यू के लिए आवेदन मिलने के बाद ही सेलेक्ट भी कर लिया गया था। सभी से इंटरव्यू के लिए 3-3 हजार मांगे गए थे। इस संबंध में अल्का उपाध्याय की शिकायत पर सीबीआई में मामला दर्ज हुआ था।
ऐसे खोला फर्जीवाड़ा
मंत्रालय से लेकर ऑफिस के पते तक... सबकुछ खंगाल डाला
1. भूमि सर्वेक्षण विभाग:मंत्रालय के सचिव ने कहा- ऐसा विभाग नहीं
ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव से बात की तो उन्होंने भूमि संसाधन विभाग के अंडर सेक्रेटरी करम चंद से बात कराई। उन्होंने बताया कि देश में कोई भूमि सर्वेक्षण विभाग ही नहीं है।
मंत्रालय के अंतर्गत जो विभाग है, उसका नाम भूमि संसाधन विभाग है। इसमें भर्ती सिर्फ एसएससी और यूपीएससी के जरिए होती है।
उसके लिए जो फीस निर्धारित है, बस वही परीक्षा करने वाली एजेंसी लेती है। भूमि संसाधन विभाग और मंत्रालय के कार्यालय भी निर्माण भवन में हैं, न कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा या गुड़गांव में, जहां के पते से फर्जीवाड़ा हो रहा है।
2. लेटर हेड: सरकारी लोगों फर्जी, अलग अलग जगह से उठाए गए
जालसाज जिस लेटर हेड पर ऑफर लेटर देते हैं, उसमें अशोक स्तंभ और एक और कृषि से जुड़ा लोगो दिखा।
अशोक स्तंभ तो भारत सरकार के नाम पर कहीं से ले सकते हैं लेकिन दूसरा कृषि वाला लोगो ग्रामीण विकास मंत्रालय के किसी डॉक्युमेंट या वेबसाइट पर नहीं होता।
इस लोगो की पड़ताल शुरू की तो वह उत्तर प्रदेश भूमि सुधार निगम की वेबसाइट पर मिला। यह विभाग 1978 में यूपी सरकार के एक उपक्रम के रूप में गठित हुआ था।
इसलिए दो अलग-अलग जगह से लोगो उठाकर लेटर हेड में इस्तेमाल किया गया है।
3. वेबसाइट : ऐसी कोई वेबसाइट बनी ही नहीं
ऑफर लेटर में वेबसाइट www.sarvekshan.in लिखी है । यह वेबसाइट ही नहीं बनाई गई है। इस नाम से वेबसाइट का कहीं रजिस्ट्रेशन ही नहीं किया गया।
जालसाजों के दिए हेल्पलाइन नंबर पर जब वेबसाइट ओपन नहीं होने की वजह पूछी तो जवाब मिला कि सर्वर डाउन है।
4. पता: आम्रपाली बिल्डिंग के नाम से तो यहां कुछ है ही नहीं
ऑफर लेटर पर लिखा पता है- आम्रपाली बिल्डिंग नंबर-5, एच-260, स्पोर्ट सिटी सेंटर, गलगोटिया यूनिवर्सिटी रोड, ग्रेटर नोएडा, यूपी-201306।
इस पते की तलाश में पूरे दिन भटकते रहे, 20 से ज्यादा लोगों से बात की मगर नहीं मिला। दरअसल, गलगोटिया यूनिवर्सिटी रोड और स्पोर्ट सिटी सेंटर दोनों अलग-अलग दिशा में हैं।
दूसरी बात, नोएडा-ग्रेटर नोएडा दोनों शहरों में आम्रपाली बिल्डिंग नाम से कोई प्रोजेक्ट ही नहीं है।
यही नहीं Amrapali को Amarpali लिखा है और University को Univercity लिखा गया है। जबकि सरकारी विभाग में स्पेलिंग की गड़बड़ी न के बराबर होती है।
5. बैंक अकाउंट: फर्जी शख्स के नाम से खुलवाए गए बैंक खाते
सरकारी बैंक एकाउंट बताकर भूमि सर्वेक्षण विभाग के दो ठेकेदार बताकर उनके अकाउंट नंबर में आवेदनकर्ताओं से पैसे मंगाए गए थे।
दोनों पंजाब नेशनल बैंक के अकाउंट नंबर थे। पहला-0127000101399395। यह एकाउंट हितेश यादव के नाम पर है। इसका पता दिल्ली के फतेहपुरी, क्लोथ मार्केट, राम बाजार की दुकान नंबर-4843 पर है।
सबसे पहले जालसाज ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत भारतीय भूमि सर्वेक्षण विभाग में भूमि सर्वेयर की आवश्यकता बताकर किसी नामी अखबार में विज्ञापन निकाल देते हैं।
फिर पद के लिए 20,550 रुपए मासिक वेतन बताते हैं। इसके लिए उम्मीदवार को अपने निवास स्थान से 60 किमी के दायरे में कार्यरत होना पड़ेगा।
इसके बाद उसे सभी सर्टिफिकेट को स्कैन करके, चरित्र प्रमाण-पत्र बनवाकर ईमेल करने के लिए कहते हैं। इसके बाद आवेदक उस ईमेल पर अपने कागजात भेज देते हैं।
सर्टिफिकेट मिलने के 10 दिनों के भीतर ही ईमेल आईडी पर भूमि सर्वेक्षण विभाग के अशोक स्तंभ वाले लेटर पैड पर 5 पेज का जॉब ऑफर का लेटर मिल जाता है।
फिर जालसाज कॉल करके बधाई देते हैं कि आपके 10वीं की मार्कशीट और चरित्र सर्टिफिकेट को देखकर हमारी कमेटी ने आपका चयन कर लिया है।
फिर वे फाइल तैयार करने के लिए प्रोसेसिंग फीस के नाम पर अपने अकाउंट में 750 रुपए मंगवाते हैं।
वे कहते हैं कि फाइल पर मंत्रालय के सचिव की मुहर लगवाकर इसे आपके क्षेत्र के संबंधित अधिकारियों के पास भेज दिया जाएगा।
इस काम के लिए ही यह प्रोसेसिंग फीस ली जा रही है।
प्रोसेसिंग फीस लेने के दो-तीन के अंदर ये फोन करते हैं। कहते हैं कि अधिकारी घर आकर वेरिफिकेशन करेंगे। ट्रेनिंग भी देंगे।
लैपटॉप समेत पूरी किट भी दी जाएगी लेकिन उससे पहले आपके 15500 रुपए पंजाब नेशनल बैंक के अकाउंट में जमा कराने होंगे।
जब तक आप पैसे नहीं जमा करेंगे, अधिकारी नहीं आएंगे।
आवेदक 15500 रुपए जमा कराने के बाद जब इनसे संपर्क करता है तो कहते हैं कि दो से तीन दिन में अधिकारी आ जाएंगे।
- जब अधिकारी नहीं पहुंचता तो आवेदक फिर पूछते हैं, तब ये झांसा देते हैं कि अधिकारी दूसरे आवेदकों के वेरिफिकेशन में व्यस्त हैं। कुछ दिन और लगेंगे। इसके बाद अपना नंबर बंद कर देते हैं। (साभार)
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