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8 राज्यों में हिंदुओं को मिल सकता है अल्पसंख्यक का दर्जा

8 राज्यों में हिंदुओं को मिल सकता है अल्पसंख्यक का दर्जा, अल्पसंख्यक आयोग जल्द करेगा फैसलाआठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा मिल सकता है. मिली जानकारी के अनुसार, 14 जून को होने जा रही राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की बैठक में इस बात पर फैसला लिया जा सकता है. आपको बता दें कि और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर आठ राज्यों को हिंदू अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने की मांग की थी. इन राज्यों में लक्षद्वीप, जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और पंजाब शामिल हैं.
अवलोकन करें:--


अखंड भारत की पूरी कहानी आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की बीते 2500 सालों में हिंदुस्त.....
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याचिकाकर्ता और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने कहा था कि इन आठ राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं. ऐसे में इन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यकों वाले अधिकार मिलने चाहिए. आपको बता दें कि, साल 2011 की में हुई जनगणना के अनुसार लक्षद्वीप में 2.5, मिजोरम में 2.75, नागालैंड में 8.75, मेघालय में 11.53, जम्मू-कश्मीर में 28.44, अरुणाचल प्रदेश में29, मणिपुर में 31.39 और पंजाब में 38.40 प्रतिशत हिंदू हैं. 
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 यह जो दो मानचित्र आप देख रहे हैं इनमें एक मानचित्र मौर्य वंश से संबंधित है, जो उसके साम्राज्य की सीमाओं को दर्शाता है। जबकि दूसरा मानचित्र अकबर बादशाह के साम्राज्य को दर्शाने वाला है। देखने से ही स्पष्ट हो जाता है कि मौर्य साम्राज्य अकबर के साम्राज्य से लगभग 2 गुना है, किंतु इसके उपरांत भी अकबर हमारे लिए महान शासक के रूप में स्थापित किया गया है। और मौर्यो जैसे भारत के कितने ही साम्राज्यों के बारे में हमारे विद्यार्थियों को या शोधार्थियों को कुछ भी न बताने की लगभग सौगंध उठा ली गई है। यह एक षड्यंत्र है जो इस देश में 1947 की 15 अगस्त को ही प्रारंभ हो गया था। जब इस देश का पहला शिक्षा मंत्री पंडित नेहरु जी ने मौलाना अबुल कलाम आजाद को बनाया था। जी हां, यह वही मौलाना अबुल कलाम आजाद थे जिन्हें रामपुर से पराजित हो जाने के उपरांत भी हिंदू महासभा के विशन सेठ जी के सामने नेहरू जी द्वारा विजयी घोषित कराया गया था। जबकि सच यह था विशन सेठ जी को उक्त सीट से विजयी भी घोषित किया जा चुका था। नेहरू जी को चिंता थी कि यदि मौलाना आजाद संसद में नहीं पहुंच सके तो देश को मुगलिस्तान बनाने का उनका सपना साकार नहीं हो पाएगा, इसलिए मौलाना आजाद को संसद में लाया गया। इन मौलाना आजाद ने देश के इतिहास के साथ गंभीर छेड़छाड़ करनी आरंभ की। जिसमें उन्हें सहयोग मिला कम्युनिस्ट इतिहासकारों का। जिन्होंने भारत, भारतीयता और भारत की संस्कृति को मिटाने का हर संभव प्रयास किया है। यह लोग आर्य, आर्यभाषा और आर्यावर्त के या भारत, भारतीय और भारती के विरोधी हैं। इसलिए इन्हें इन सब को बोलने में अपराध सा जान पड़ता है। जबकि हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान कहने में इन्हें सांप्रदायिकता दिखाई देती है। 
यहां पर यह भी उल्लेखनीय है कि अकबर के साम्राज्य में कितने ही विद्रोह होते रहे और वह आजीवन हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान का विरोध ही रहा और इन्हें मिटाने का प्रयास करता रहा। जबकि हमारे मौर्य कालीन शासक या उससे पूर्व के आर्य राजा सदा इस देश के लिए और इस देश की संस्कृति के लिए काम करते रहे। यह खेद का विषय है कि हमारे शोधार्थी पीएचडी की डिग्री लेने के लिए अपने इन महान शासकों पर शोध करते नहीं पाए जाते। उन्हे शोध का विषय अकबर की राजपूत नीति और दूसरे मुगलिया तुर्क शासकों या ब्रिटिश शासकों की भारत विरोधी नीतियों को भारत के हितों के अनुकूल सिद्ध करने के लिए दे दिए जाते हैं। जिससे विदेशी सत्ताधीश और उनका शासन भारत के हितों के अनुकूल जान पड़े। यही कारण है कि हमारे देश का युवा अपने अतीत से कटकर इन्हीं इतिहासकारों की भूल भुलाइयों में भटकता जा रहा है, जो कि चिंता का विषय है। हमें अपने अतीत के लिए और भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए जागरूक होना होगा और अपने आप को मिटाने के चल रहे षड्यंत्रों के प्रति आंख खोलकर चलने के लिए कृतसंकल्प होना होगा। यदि अभी नहीं जगे तो कभी नहीं जाग पाएंगे। षड्यंत्रों को समझो और भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए वैचारिक क्रांति के हमारे संकल्प के साथ जुड़ने का संकल्प लीजिए यह समय की आवश्यकता है। यदि समय हाथ से निकल गया तो फिर हाथ नहीं आएगा। 
आपका 
राकेश आर्य
संपादक उगता भारत
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अल्पसंख्यक आयोग ने याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय को चिट्ठी लिखकर जानकारी दी है कि 14 जून को होने वाली बैठक में आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने की मांग पर चर्चा की जाएगी. आयोग ने अश्विनी कुमार से इस दिन अल्पसंख्यक आयोग के दफ्तर में दोपहर 3:30 बजे होने वाली बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया है. 
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 23 अक्टूबर 1993 में नोटिफिकेशन जारी कर मुस्लिम समेत अन्य समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यकों का दर्जा दिया गया था. उपाध्याय ने 2011 के जनगणना के आंकड़ों का हवाले देते हुए कहा था कि लक्षद्वीप, जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और पंजाब में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उन्हें इन राज्यों में यह दर्जा अभी तक नहीं मिला है. उन्होंने मांग की थी कि इन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यकों को मिलने वाले अधिकार भी दिए जाएं। 

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