मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश दौरे से लौटते ही कैबिनेट की बैठक बुला ली। प्रधानमंत्री आवास पर करीब ढाई घंटे तक चली बैठक में पॉक्सो ऐक्ट में संशोधन पर सहमति बनी। सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी की बढ़ती घटनाओं से देशभर में गुस्सा फूट रखा है।
कठुआ गैंगरेप, सूरत और अब इंदौर की घटनाओं के बाद ऐसे गुनहगारों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की जा रही है। सख्त कानून न होने की बात करते हुए केंद्र सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। देश में कई जगहों पर इसको लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। बता दें कि हाल ही में केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बलात्कारियों को कठोरतम दंड देने की बात कहते हुए पोक्सो एक्ट में संशोधन की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि हम कोशिश कर रहे हैं कि ऐसे मामलों में सख्त से सख्त सजा का प्रावधान किया जाए।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में सरकार बाल यौन अपराध निरोधक कानून (पॉस्को एक्ट) में संशोधन का अध्यादेश ला सकती है। इसमें 12 साल तक की नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को फांसी की सजा का प्रावधान जोड़ा जाएगा। अभी पॉक्सो में अधिकतम ताउम्र कैद और कम से कम सात साल कैद की सजा का प्रावधान है।
इन राज्यों में कानून को मिल चुकी है मंजूरी
राजस्थान सरकार ने इसी साल मार्च में 12 साल तक की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा वाले कानून को मंजूरी दी थी।
इससे पहले मध्यप्रदेश ऐसा कानून बनाने वाला पहला राज्य था। वहीं, हरियाणा में इससे जुड़े प्रावधान को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
सरकार ने अप्रैल 20 को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि 12 साल तक की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले में अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान करेगी। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका लंबित है जिसमें छोटे बच्चों के साथ दुष्कर्म पर चिंता जताते हुए कानून को कड़ा किये जाने की मांग की गई है। ये याचिका वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने दाखिल की है।कोर्ट ने इस याचिका पर सरकार से जवाब मांगा था। सरकार की ओर से अप्रैल 20 को एडीशनल सालिसिटर जनरल के जरिये एक नोट पेश कर बताया गया कि सरकार POCSO कानून में संशोधन कर 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से दुष्कर्म के दोषी के लिए मृत्युदंड का प्रावधान करने पर विचार कर रही है।
हाल ही में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा था, 'हम पॉक्सो एक्ट में संशोधन पर विचार कर रहे हैं। इस तरह के जुर्म में मौत की सजा पर विचार किया जा रहा है। बच्चों के साथ गलत करने वालों में कानून का डर होना चाहिए। राजस्थान सरकार ने इसी साल मार्च में 12 साल तक की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा वाले कानून को मंजूरी दी थी।' इससे पहले मध्यप्रदेश ऐसा कानून बनाने वाला पहला राज्य था।
गौरतलब है कि कठुआ गैंगरेप के बाद हत्या का मुद्दा देश भर में सुर्खियों में है। पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं वहीं उन्नाव में भाजपा के विधायक पर युवती के साथ गैंगरेप के आरोप हैं इस मामले में सीबीआई जांच कर रही है।
एससी/एसटी एक्ट में बदलाव पर भी अध्यादेश
वहीं, दूसरा अध्यादेश एससी-एसटी एक्ट से जुड़ा है। यह अध्यादेश भी तैयार है। इससे एससी-एसटी एक्ट को पुराने स्वरूप में लाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा कानून में बदलाव करते हुए इसमें जेल भेजने से पहले कुछ शर्तें लगा दी थीं। इसके बाद पूरे देश में दलित आंदोलन हुआ था।
कानून मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, ''इस तरह के मामलों से निपटने के लिए आज एक अध्यादेश सबसे अच्छा तरीका है। इस संसोधन बिल के लिए मानसून सत्र शुरू (जुलाई) होने तक का इंतजार करना पड़ेगा।"
महिला से दुष्कर्म पर सजा:सजा 7 साल से बढ़ाकर 10 साल की जाएगी। इस सजा को उम्र कैद में भी तब्दील किया जा सकता है।
निर्भय केस के बाद क्रिमिनल एक्ट में हुआ था बदलाव
2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप मामले के बाद क्रिमिनल एक्ट में को अध्यादेश लाकर परिवर्तन किया गया था। इसके मुताबिक, दुष्कर्म मामले में महिला की मौत होने या न होने दोनों स्थितियों में दोषी को मौत की सजा का प्रावधान जोड़ा गया है। इसे आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम के नाम से जाना जाता है।
यूपीए-2 सरकार से ज्यादा अध्यादेश मोदी सरकार के कार्यकाल में
| साल | अध्यादेश |
| 2017 | 08 |
| 2016 | 10 |
| 2015 | 09 |
| 2014 (मई से) | 07 |
| कुल | 34 |
| औसत | 8.25 अध्यादेश सालाना |
- 2009 से 2014 के बीच यूपीए-2 सरकार चुनाव से एक साल पहले 2013 में रिकॉर्ड 11 अध्यादेश लाई थी। हालांकि, पांच साल में वह 23 अध्यादेश लाई।
2004 से 2009 के बीच यूपीए-1 सरकार के वक्त 36 अध्यादेश लाए गए थे।
2004 से 2009 के बीच यूपीए-1 सरकार के वक्त 36 अध्यादेश लाए गए थे।

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