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सूत्रों के मुताबिक, दंगाइयों ने उन्हें उठा लिया था। बाद में सिबतुल्ला का शव बुधवार देर रात को मिला, जिसकी पहचान गुरुवार को की गई। शक है कि उसकी पीट-पीटकर हत्या की गई थी। 48 साल के इम्दादुल रशीदी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जब वह बाहर निकला तो वहां अराजकता थी। अराजक तत्वों ने उसे उठा लिया। रशीद ने आगे कहा, “मेरे बड़े बेटे ने पुलिस इसकी सूचना दी, लेकिन पुलिस स्टेशन में उसे प्रतीक्षा करने को कहा गया। बाद में सूचना दी गई कि पुलिस ने एक शव बरामद किया है, जिसकी शिनाश्त अगले दिन सुबह की गई।”
सिबतुल्ला को दफनाने के बाद क्षेत्र के ईदगाह मैदान में हजारों लोग इकट्ठा हुए थे, जहां रशीदी ने भीड़ से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने लोगों से कहा, “मैं शांति चाहता हूं। मेरा बेटा तो जा चुका है। मैं नहीं चाहता कि कोई परिवार अपने चहेते को खोए। मैं नहीं चाहता कि कोई और घर जले। मैं पहले ही कह चुका हूं कि बदला लिया गया तो आसनसोल छोड़ दूंगा। अगर मुझसे प्यार करते हैं तो एक उंगली भी नहीं उठाएंगे।”
वहीं, इमाम रशीदी ने इंडियन एक्सप्रेस से आगे कहा है कि वह पिछले तीस सालों से मस्जिद के इमाम रहे हैं। यह जरूरी है कि वह लोगों को सही संदेश दें, शांति का संदेश।
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