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संघ की ‘निगरानी’ में गुजरा योगी सरकार का एक साल


आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
योगी आदित्यनाथ ने कट्टर हिंदूवादी नेता के तौर पर अपनी सियासत की शुरुआत की और मौजूदा दौर में यूपी की सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हैं. योगी सरकार का सियासी सफर का एक साल पूरा हो रहा है. ऐसे में उनके काम-काज से लेकर उनके द्वारा उठाए गए कदम का मूल्यांकन किया जा रहा है. सीएम बनने के बाद से योगी ने एक के बाद एक ऐसे कदम उठाए हैं, जो उनकी परंपरागत छवि के बिल्कुल विपरीत है.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के एक साल का सियासी सफर संघ की ‘निगरानी’ के बीच गुजरा. पिछले 12 महीनों में संघ और योगी सरकार के बीच कई बार समन्वय बैठकों के दौर भी देखने को मिले. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खुद भी संघ के कई प्रमुख नेताओं के साथ-साथ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात का सिलसिला भी चलता रहा.
योगी आदित्यनाथ यूपी में कट्टर हिंदुत्व के सबसे  बड़े चेहरे के तौर पर पहचाने जाते हैं. सीएम बनने के पहले मुसलमानों को लेकर उनके विवादित बयान जगजाहिर हैं. अब सूबे के मुखिया हैं तो योगी मस्जिद भी जाने के लिए तैयार हैं. एक कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने कहा,’अगर मुझे मस्जिद से आमंत्रण मिलता है तो मैं वहां भी जाऊंगा. मुझे बतौर मुख्यमंत्री कहीं जाने में कोई दिक्कत नहीं. वैसे मैं हिंदू हूं और मेरी आस्था के अनुसार पूजा पद्धति की मुझे स्वतंत्रता है. मैं प्रदेश के हर धर्म-मत के नागरिक का मुख्यमंत्री हूं और सबको अपनी आस्था का अनुसरण करने के लिए सरकार पूरी सुरक्षा देगी.’
यूपी में बीजेपी 14 साल का सत्ता का वनवास खत्म
राममंदिर आंदोलन पर सवार होकर पहली बार 1991 में बीजेपी की यूपी में सरकार बनी थी. सत्ता की कमान कल्याण सिंह के हाथों में थी, लेकिन राममंदिर के लिए 6 दिसंबर 1992 को उन्होंने अपनी सत्ता की बलि चढ़ा दी. इसके बाद बीजेपी ने 1997 में बसपा की बैसाखी पर सत्ता में वापसी की, लेकिन ये गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चल सका. यूपी में 2002 से 2017 तक करीब 14 साल बीजेपी के लिए सत्ता का वनवास रहा.
संघ के तीन मुद्दे अयोध्या, मथुरा और काशी
बीजेपी ने पिछले साल 2017 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की और सूबे में मुख्यमंत्री का ताज योगी आदित्यनाथ के सर सजा. योगी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के कामकाज पर आरएसएस की पैनी नजर है. संघ निगरानी के कारण भी हैं. बीजेपी और संघ जिन मुद्दों को उठाती रही है. वो सभी यूपी से जुड़े हैं. चाहे आयोध्या में राम मंदिर हो या फिर मथुरा-काशी में विवादित धार्मिक स्थल का.
योगी सरकार के एक महीने बाद संघ की पहली बैठक
यूपी में बीजेपी के सत्ता में आने के एक महीने बाद ही अप्रैल 2017 में संघ ने योगी सरकार के साथ समन्वय बैठक की. ये बैठक संघ और सरकार के बीच सेतु बनाने की लिए की गई थी. बीजेपी और आरएसएस की समन्वय बैठक ढेड़ घंटे तक सीएम के सरकारी आवास पर हुई थी. संघ की ओर से दत्तात्रेय होसबोले थे. बैठक में तय हुआ था कि संघ और संगठन के पदाधिकारियों का सरकार में अनादर किसी भी सूरत में न होने पाए. इसके अलावा संघ और संगठन से आने वाली जनहित की शिकायतों का विशेष ख्याल रखें.
योगी सरकार के साथ संघ की दूसरी बैठक
संघ ने योगी के सरकार के साथ दूसरी बैठक मई 2017 में की. ये योगी सरकार बनने के बाद दूसरी बैठक थी. संघ और योगी सरकार की ये बैठक लखनऊ के गोमती नगर के एक गेस्ट हाउस में की गई थी. इसमें प्रदेश के सभी प्रान्त प्रचारकों संग योगी की बैठक हुई थी. संघ के कृष्णगोपाल और बीजेपी के प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल भी इस बैठक में थे.
संघ और योगी सरकार के साथ तीसरी बैठक
योगी सरकार बनने के बाद संघ के साथ तीसरी समन्वय बैठक जनवरी 2018 में हुई. ये बैठक सीएम योगी के सरकारी आवास पर हुई. इस समन्वय बैठक में संघ ने साफ तौर पर कहा था कि सरकार और पार्टी में मतभेद सही नहीं हैं. अधिकारियों की मनमानी सरकार के लिए उचित नहीं है. संघ की ओर से बीजेपी संगठन और योगी सरकार दोनों को कई सुझाव दिए गए थे.
संघ, बीजेपी कार्यकर्ताओं में बढ़ती नाराजगी, पार्टी नेताओं के बीच के मनमुटाव, योगी सरकार के कुछ मंत्रियों की लचर कार्यशैली के साथ−साथ दलितों को लेकर जो मैसेज जनता के बीच जा रहा है उस पर आरएसएस ने चिंता जाहिर की थी. इसके अलावा निकाय चुनाव में बीजेपी का उम्मीद के मुताबिक नतीजे न आने पर भी संघ ने योगी सरकार को चेताया था.
योगी सरकार के 6 महीने बाद मथुरा में संघ
योगी सरकार बनने के 6 महीने बाद ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मथुरा में तीन दिवसीय समन्वय बैठक की थी. इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत,भैय्याजी जोशी, दत्तात्रेय होसबोले और कृष्ण गोपाल सरीखे आरएसएस के कद्दावर नेता उपस्थित थे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सहित केंद्रीय मंत्री भी पहुंचे थे. इसके अलावा मथुरा में मोहन भागवत के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ,डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा की मीटिंग हुई थी. संघ प्रमुख ने योगी के तीनों दिग्गज नेताओं के साथ मिशन-2019 के रोड मैप पर भी चर्चा की थी.
यूपी में भागवत ने गुजारे दस दिन
हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यूपी के राजनीतिक मिजाज को समझने और संघ की सक्रियता की थाह लेने की कवायद की है. उन्होंने सूबे में दस दिन गुजारे और  पूर्वांचल-अवध क्षेत्र के लिए काशी, ब्रज-बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए आगरा और पश्चिमी यूपी के लिए मेरठ में बैठक की. भागवत ने आरएसएस के नेताओं, स्वयंसेवकों के साथ-साथ बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ भी विचार-विमर्श किया था.
मदरसे और संस्कृत स्कूल
योगी आदित्यनाथ एक दौर में मदरसों के विरोध में थे. सीएम बनने से पहले तक योगी मदरसों को लेकर तरह तरह आरोप लगाते रहते थे. लेकिन अब मदरसों को लेकर उनके तेवर बदल गए हैं. योगी कह रहे हैं कि मदरसों को बंद करना हल नहीं है, बल्कि मदरसों और संस्कृत विद्यालय का आधुनिकीकरण करना चाहिए. उन्होंने कहा कि संस्कृत विद्यालयों को भी अन्य विषयों को अपनाना चाहिए, तभी फायदा होगा. मदरसा और संस्कृत विद्यालय की बात एक साथ करना योगी की परपंरागत छवि के विपरीत है.
ताज के आगे झाड़ू लगा रहे हैं
उत्तर प्रदेश में बीजेपी नेता जिस समय ताजमहल को लेकर बयानबाजी कर रहे थे. बीजेपी नेता ताजमहल को शिवमंदिर बताने में लगे थे. इन सबके बीच योगी आदित्यनाथ ने स्वच्छता अभियान का आगाज के लिए ताजमहल के परिसर में जाकर झाड़ू लगाई. झाड़ू लगाने के बाद सीएम योगी शाहजहां पार्क के पुनरुद्धार व आगरा किला- ताज महल के मध्य पैदल पथ के विकास योजना का शिलान्यास किया. योगी का ताज परिसर में झाड़ू लगाना और ताज परिसर को सुंदर बनाने की लिए शुरू की गई योजनाएं उनके ही पार्टी के कई नेताओं को बहुत खली थीं. लेकिन योगी का ये कदम उनकी छवि के विपरीत था.

पद्मावत पर नो बैन
पद्मावत फिल्म को लेकर बीजेपी शासित राज्य के सीएम जिस तरह से सख्त रवैया अख्तियार किए हुए थे, वैसा रुख यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नहीं रहा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा फिल्म पर लगी रोक हटाए जाने के बाद योगी ने पद्मावती फिल्म को लेकर कोई बयान नहीं दिया है और न ही फिल्म को सूबे में बैन करने की बात कही है. जबकि राजपूत समाज इस फिल्म को लेकर गुस्से में है. इन सबके बावजूद योगी का फिल्म पर बैन न लगाना कहीं न कहीं उनके छवि के विपरीत है. हालांकि योगी खुद भी राजपूत समाज से आते हैं.
नोएडा का टोटका ख़त्म किया
यूपी की सियासी जमात के बीच अनकही मान्यता है कि मुख्यमंत्री रहते हुए जो भी शख्स नोएडा पहुंचेगा, उसकी सत्ता छिन जाएगी. अपशकुन का ये चक्रव्यूह इतना खतरनाक माना जाता है कि 19 सालों में सिर्फ मायावती ने ही बतौर सीएम नोएडा का दौरा किया था. उसके बाद वो भी सत्ता में वापस नहीं आ सकीं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा आकर इस मिथक को तोड़ा है. सीएम पद संभालने के बाद से योगी तीन बार नोएडा का दौरा करके टोटके को खत्म कर रहे हैं.
मिडिल क्लास के दिलों में जगह बनाने की जुगत
योगी आदित्यनाथ की हिंदुत्व छवि के चलते उनकी पकड़ समाज के एक क्लास में है. सीएम बनने के बाद अब अपना दायरा बढ़ाना चाहते हैं. समाज के मिडिल क्लास के दिलों में अपनी जगह बनाने की दिशा में उन्होंने कदम बढ़ाया है. इसी के मद्देनजर उन्होंने बिल्डर्स से होम बायर्स को आवास दिलाने का बीड़ा उठाया.
बिल्डरों की तानाशाह रवैये से एक दशक से सूबे में होम बायर्स परेशान थे. बिल्डर्स होम बायर्स को आवास का कब्जा देने को तैयार नहीं थे. सूबे में सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन होम बायर्स की परेशानियां जस की तस बनी रहीं. योगी के सत्ता में आते ही 40 हजार से ज्यादा बायर्स को घर उपलब्ध कराया. होम बायर्स में बड़ा तबका मिडिल क्लास से आता है. इसी तरह मिडिल क्लास के लिए कई कदम उठाए हैं.
मिशन 2019 के लिए भागवत ने दस दिनों तक घूम-घूम कर स्वयंसेवकों के मन की बात जानने की कोशिश करते रहे. इसके अलावा आगरा में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ एक बंद कमरे में मीटिंग की गई. सूत्रों के मुताबिक योगी के साथ भागवत ने राममंदिर मामले पर भी बात की थी. पिछले दिनों नागपुर में संघ की बैठक हुई और चौथी बार सरकार्यवाह बने भैय्याजी जोशी ने कहा कि अयोध्या में तो राममंदिर ही बनेगा.

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