
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
जब से केन्द्र में भाजपा शासित हुई है और उसके बाद प्रदेशों में बनने वाली भाजपा की सरकारों के बनने से भाजपा विरोधी विरोध के नए-नए आयाम खोजने में व्यस्त हैं, और भाजपा मुख्यमंत्री अपने विरोधियों की नींद हराम करने में कोई मौका नहीं चूक रहे।जिसमे उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबसे अग्रणी हैं।
जिस तरह प्रदेश में गुण्डागर्दी और भ्रष्टाचार पर नकेल लगा रहे हैं, विरोधी उतने ही परेशान हो रहे हैं। जो सिद्ध करता है कि इस मुख्यमंत्री को अपने प्रदेश की जनता की कितनी चिन्ता है। एक के बाद एक मुस्लिम उद्धार के नाम पर हो रहे घोटालों के उजागर होने पर समस्त मुस्लिम समाज को आँखें खोलनी चाहिए कि किस तरह अपने आपको मुस्लिम हितैषी बताने वाले नेता और इस्लाम के वफादार उनके नाम पर सरकारी धन को अपनी तिजोरियों में भर रहे थे।
उत्तर प्रदेश में वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य किये जाने के बाद मदरसों के नाम पर जालसाजी का खुलासा हुआ है. उत्तर प्रदेश सरकार का ओर से यह जानकारी दी गयी है कि राज्य सरकार के राजस्व से हर साल इन जाली मदरसों से 100 करोड़ रुपये की ठगी की जाती रही है. यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि अल्पसंख्यक संस्थानों को ऑनलाइन रजिस्टर कराना अनिवार्य किये जाने पर इस जालसाजी का पर्दाफास हुआ है.
अवलोकन करें:--
मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने मदरसों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिये पिछले साल सभी मदरसों के प्रबंधन से उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के वेब पोर्टल पर अपने बारे में पूरी जानकारी अपलोड करने को कहा था. रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होने के बाद इस फर्जीवाड़े का खुलासा हो पाया है. ऐसे दो हजार से ज्यादा मान्यता प्राप्त मदरसों पर सालाना 100 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किये जाते थे. मंत्री के अनुसार अंतिम तारीख कई बार बढ़ाए जाने के बावजूद मदरसों की तरफ से संचालित 140 आईटीआई में से 20 ने अपनी जानकारी सार्वजनिक नहीं की.
मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने मदरसों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिये पिछले साल सभी मदरसों के प्रबंधन से उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के वेब पोर्टल पर अपने बारे में पूरी जानकारी अपलोड करने को कहा था. रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होने के बाद इस फर्जीवाड़े का खुलासा हो पाया है. ऐसे दो हजार से ज्यादा मान्यता प्राप्त मदरसों पर सालाना 100 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किये जाते थे. मंत्री के अनुसार अंतिम तारीख कई बार बढ़ाए जाने के बावजूद मदरसों की तरफ से संचालित 140 आईटीआई में से 20 ने अपनी जानकारी सार्वजनिक नहीं की.
उन्होंने बताया कि करीब 2300 मदरसों ने भी पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया. इन सभी पर अब तक हर साल करीब 100 करोड़ रुपये खर्च किए जाते थे. ऐसा लगता है कि वे मदरसे और आईटीआई फर्जी हैं, जिन्होंने अभी तक अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है. मंत्री के अनुसार उत्तर प्रदेश में 19 हजार 108 मदरसे राज्य मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं. उनमें से 16 हजार 808 मदरसों ने पोर्टल पर अपना ब्योरा फीड किया है. वहीं, करीब 2300 मदरसों ने अपना विवरण नहीं दिया है. उन्हें हम फर्जी मान रहे हैं. इन मदरसों में बच्चों को गणित, विज्ञान, हिंदी और अंग्रेजी पढ़ाने के लिए सरकार शिक्षकों को वेतन देती है.
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