पंजाब नेशनल बैंक में कारोबारी नीरव मोदी के घोटाले में अब तक कुल 3 नेताओं के नाम सामने आ चुके हैं। लेकिन इन तीनों के सवाल पर ज्यादातर चैनल और अखबारों ने चुप्पी साध रखी है।
पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में लगातार गिरफ्तारी हो रही है। सीबीआई ने फरवरी 20 को पंजाब नेशनल बैंक के जनरल मैनेजर रैंक के अधिकारी राजेश जिंदल को गिरफ्तार किया। जिंदल पीएनबी की ब्रेडी हाउस ब्रांच का अगस्त 2009 से मई 2011 के बीच प्रमुख था। इससे पहले सीबीआई ने फायरस्टार इंटरनेशनल डायमंड ग्रुप के फाइनेंस अधिकारी विपुल अंबानी को भी गिरफ्तार कर लिया। इसके अलावा मामले से जुड़ी कविता मनकीकर, फायरस्टार के अर्जुन पाटील, नक्षत्र के सीएफओ कपिल खंडेलवाल और गीतांजलि के मैनेजर नीतिन शाह को भी गिरफ्तार कर लिया है।
इससे पहले आल इंडिया बैंक आफिसर्स एसोसिएशन ने मांग की है कि पीएनबी धोखाधड़ी मामले में इस बैंक के बोर्ड व केंद्रीय बैंक आरबीआई की भूमिकाओं की भी जांच होनी चाहिए।
एसोसिएशन ने यहां जारी बयान में कहा है कि पीएनबी मामले में घपला इतने साल तक निर्बाध कैसे चलता रहा यह पता लगाने के लिए पीएनबी के बोर्ड व आरबीआई के स्तर पर संभावित चूकों की जांच भी होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि पीएनबी इस समय नीरव मोदी के 11400 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी मामले के कारण चर्चा में है। अनेक एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं।
आम तौर पर जब भी कोई आर्थिक घोटाला होता है तो सबसे पहले मन में यह प्रश्न आता है कि घोटालेबाजों के पीछे की राजनीतिक ताकत कौन है। पीएनबी घोटाले पर मीडिया खूब खबरें तो दिखा रहा है लेकिन बड़ी सफाई से उन तीन नेताओं का जिक्र गायब है जिनकी नीरव मोदी से करीबी की बात सामने आई है। ये महज संयोग नहीं कि ये तीनों ही नेता कांग्रेस के हैं। इनके नाम हैं- राहुल गांधी, अभिषेक मनु सिंघवी और कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया।1. राहुल गांधी
नीरव मोदी से करीबी के मामले में सबसे पहले जिस नेता का नाम सामने आया वो थे राहुल गांधी। कांग्रेस पार्टी के नेता रहे शहजाद पूनावाला ने ट्वीट करके बताया कि राहुल गांधी 2013 तक फाइवस्टार होटलों में नीरव मोदी के प्रचार इवेंट्स में जाया करते थे। उन्होंने चुनौती दी है कि कोई चाहे तो इस बात की जांच दिल्ली के इंपीरियल होटल और राहुल गांधी को सुरक्षा देने वाले एसपीजी के रिकॉर्ड्स से कर सकता है। शहजाद पूनावाला का कहना है कि 2010 से 2014 तक कम से कम 6 बार सरकार को औपचारिक तौर पर घोटाले की जानकारी दी गई। लेकिन उलटा शिकायत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई। जाहिर है ऐसे में राहुल गांधी को नीरव से रिश्तों पर सफाई देनी चाहिए।
Challenge to @OfficeOfRG - was he not at Nirav Modi's event in Delhi's Imperial Hotel in 2013-SPG details will leave no doubt if made public- #PNBScam started in 2011;Nirav hobnobs with Rahul (whose govt in power) in 2013 ;Rahul had interest in women's jewellery?Or something else twitter.com/officeofrg/sta…
2. अभिषेक मनु सिंघवी
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी का भी नाम सीधे तौर पर नीरव मोदी से जुड़ा है। छापे में मिले दस्तावेजों के मुताबिक नीरव मोदी ने अभिषेक मनु सिंघवी की पत्नी अनीता सिंघवी को करोड़ों के जेवरात बेहद कम कीमतों पर बेचे। 20 मई, 21 अगस्त 2014 और 17 जनवरी 2015 को अनीता सिंघवी ने करीब 1.5 करोड़ के गहने खरीदे हैं। इस पर टैक्स भी दिया गया है और बिल पर पैन नंबर भी दर्ज है। ये भुगतान चेक के जरिए किया गया। लेकिन एक और डायरी मिली है जिसमें उसी तारीख पर बेचे गए उसी सामान की सही कीमत दर्ज की गई है। इसके मुताबिक गहनों की कीमत 5 करोड़ के करीब है। टाइम्स नाऊ चैनल ने इस बात पर सवाल उठाया है कि आखिर 5 करोड़ रुपये के गहने 1.5 करोड़ में क्यों दिए गए? कहीं ये रिश्वत देने का तरीका तो नहीं था?
3. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया
नीरव मोदी के मामा मेहुल चोक्सी के खिलाफ कर्नाटक में 2016 में एक गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। टाइम्स नाऊ ने खुलासा किया है कि कर्नाटक हाई कोर्ट से जारी इस गैर-जमानती वारंट को कांग्रेस की सिद्धारमैया ने दबा दिया था और इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। लेकिन मीडिया में कर्नाटक सरकार से मिली इस मदद का भी कोई जिक्र आपको नहीं मिलेगा।
घोटाले के पीछे का खेल
यह बात लगातार सामने आ रही है कि पीएनबी घोटाले और आरोपी नीरव मोदी को भगाने के पीछे कांग्रेस का हाथ है। कांग्रेस के बड़े नेताओं को 2014 के पहले से पता था कि बैंक में ये घोटाला चल रहा है। सरकारी तंत्र में अपने कुछ मददगार अफसरों की मदद से उन्होंने इस घोटाले को 2017 तक होने दिया। कांग्रेस के रणनीतिकारों को पता था कि नीरव मोदी के भागने पर उसका नाम सीधे पीएम नरेंद्र मोदी से जुड़ जाएगा। इसकी तैयारी काफी समय से चल रही थी। दावोस में भारतीय कारोबारियों के प्रतिनिधिमंडल में नीरव मोदी को घुसाने के पीछे भी यही रणनीति थी। क्योंकि यह तथ्य सामने आ चुका है कि नीरव मोदी भारत से गए कारोबारी प्रतिनिधिमंडल का सदस्य नहीं था। नीरव मोदी को कुछ समय पहले अलर्ट कर दिया गया था कि वो कारोबार समेट कर विदेश भाग जाए और उसने ऐसा ही किया। इसके बाद घोटाला खुला और सरकार के पास ज्यादा कुछ करने को बचा नहीं। बाकी का काम मीडिया कर रही है, जो पूरी घटना का ठीकरा बड़ी सफाई पर मोदी सरकार पर फोड़ रही है।
PNB SCAM को लेकर लालू ने किया पीएम मोदी पर एकदम धांसू ट्विट
देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाला (पीएनबी घोटाला) को लेकर केंद्र की पीएम मोदी सरकार पर विपक्ष हमला कर रही है। इस घोटाले के कारण बिहार की सियासत भी गरमाई हुई है. इस घोटाले को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर नरेंद्र मोदी पर तंज कसे हैं। होटवार जेल में कैद लालू प्रसाद यादव के लिए उनके ट्विटर हैंडल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला किया गया है। इस घोटाले को लेकर लालू यादव ने सवाल करते हुए कहा है कि अगर आपके घर का चौकीदार अपने लुटेरों से आपके घर में ही चोरी-डकैती करवाने लगे तो उसे बदलना चाहिए कि नहीं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शैली में भी लिखा है, ”बदलना चायै कि नहीं? बताओ मित्रों।”
इसी मुद्दे पर किये गए अन्य ट्विट भी देखें….
घोटाले में सीबीआई ने विपुल अम्बानी को किया गिरफ्तार
सीबीआई ने पंजाब नेशनल बैंक में 11,384 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के सिलसिले में मुख्य आरोपी नीरव मोदी की फाइव स्टार डायमंड कंपनी के अध्यक्ष (वित्त) विपुल अंबानी को फरवरी 20 को गिरफ्तार कर लिया।अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले में यह पहली बड़ी गिरफ्तारी है। मामले के दो मुख्य आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी देश छोड़ कर जा चुके हैं. सीबीआई अब तक इनका सुराग नहीं लगा पाई है। हालांकि, नीरव मोदी ने पीएनबी को एक पत्र लिखकर ये जरूर बताया है कि उसके मामले को सार्वजनिक कर बैंक ने कर्ज वापसी के रास्ते बंद कर दिए है।
अधिकारियों ने बताया कि इस घोटाले में दर्ज अपनी दो एफआईआर के सिलसिले में जांच एजेंसी ने चार अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी गिरफ्तार किया। अंबानी को कार्यपालक सहायक कविता मानकीकर और वरिष्ठ कार्यपालक अधिकारी अर्जुन पाटिल के साथ, सीबीआई द्वारा दर्ज पहली प्राथमिकी के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया। इस प्राथमिकी के तहत, 6,498 करोड़ रुपये मूल्य के 150 लैटर्स ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) की जांच की जा रही है।
एलओयू वह गारंटी होता है जो जारीकर्ता बैंक उन भारतीय बैंकों को आवेदक को अल्पकालिक कर्ज देने के लिए देता है जिनकी विदेशों में शाखाएं है। मानकीकर तीन कंपनियों डायमंड आर यूएस, स्टेलर डायमंड, सोलर एक्सपोर्ट्स में भी महत्वपूर्ण पदाधिकारी है। तीनों कंपनियां 31 जनवरी को जांच एजेंसी द्वारा दर्ज प्राथमिकी में आरोपी के तौर पर सूचीबद्ध है।
नीरव-मेहुल का सुराग नहीं
अधिकारियों ने बताया कि एफआईआर में हीरा व्यापारी नीरव मोदी, उसकी पत्नी एमी, भाई निशाल और उसके रिश्तेदार मेहुल चोकसी के नाम बतौर आरोपी है। ये सभी लोग जनवरी के पहले सप्ताह में देश छोड़ कर जा चुके है। सूत्रों ने बताया कि बाकी दो व्यक्ति कपिल खंडेलवाल और नितेन शाही को जांच एजेंसी द्वारा दर्ज दूसरी एफआईआर के सिलसिले में फरवरी 20 को गिरफ्तार किया गया। दूसरी प्राथमिकी जांच एजेंसी ने 15 फरवरी को चोकसी और उसकी तीन कंपनियों के खिलाफ दर्ज की थी।
इस मामले में जांच 4,886 करोड़ रुपये के 143 एलओयू पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से जारी किए जाने को लेकर की जा रही है। खंडेलवाल नक्षत्र समूह और गीतांजलि समूह के सीएफओ और शाही गीतांजलि समूह के मैनेजर है। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने आज पंजाब नेशनल बैंक के एक कार्यकारी निदेशक और नौ अन्य अधिकारियों से 11,400 करोड़ रुपये मूल्य की गारंटी मोदी और चोकसी को जारी किए जाने के सिलसिले में पूछताछ की।
नीरव मोदी ने पल्ला झाड़ा
इस बीच नीरव मोदी का 15-16 फरवरी को पीएनबी को लिखा पत्र जरूर सामने आया जिसमें उसने कहा है कि बैंक ने उसके मामले को सार्वजनिक कर कर्ज देने के रास्ते सीमित कर दिए है। मामला उछलने के बाद उसकी कंपनियों पर ताले लग गए हैं, एकाउंट फ्रीज हो चुके हैं, ऐसे में वह कैसे कर्ज को चुका पाएगा। एक तरह से नीरव मोदी ने सीनाजोरी करते हुए कहा कि अब उससे पैसे निकलवा पाना बैंक के लिए संभव नहीं होगा।
आज जनता के दिल-ओ-दिमाग में प्रश्न यह भी उत्पन्न हो रहा है कि अपने घोषणा-पत्र के अनुसार मोदी सरकार पिछली सरकारों के कार्यकाल में हुए घोटालों को उजागर कर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का प्रयत्न करती जरूर दिख रही है, क्योकि भ्रष्टाचार ही किसी घोटाले की नींव होती है। परन्तु इन घोटालों पर परवान चढ़ा खरबों-अरबों रूपए की वसूली किस प्रकार होगी? सिर्फ घोटालेबाज़ों को गिरफ्तार कर जेल में डालने से कोई लाभ नहीं, असली मुद्दा घोटाले की रकम का है। घोटाला चाहे विजय माल्या ने किया, ललित मोदी या किसी भी अन्य ने,चारा घोटाला हो या कोई और अन्य घोटाला, बिना किसी भी राजनीतिक संरक्षण के कोई घोटाला सम्भव नहीं। क्योकि जब कोई जनमानस किसी बैंक से अपने बच्चों की शिक्षा या किसी अन्य काम के लिए बैंक से ऋण लेने पर अपनी वित्तीय स्थिति की जानकारी देनी पड़ती है, लेकिन इन घोटालेबाज़ों से ऋण वसूली के लिए कौन-से दस्तावेज़ लिए थे?
आखिर किन नेताओं के कहने पर इन घोटालेबाज़ों को इतना धन दिया गया? बैंक अधिकारीयों को मोहरा बनाकर क्यों नेताओं को संरक्षण दिया जा रहा है? बैंक कर्मी एक वेतनभोगी होता है, जिसे आदेश का पालन करना होता है। जैसाकि सर्वविदित है, कि "हाँ की नौकरी होती है और न की निकासी", बैंक कर्मी का भी परिवार होता है, जिसका घोटालेबाज़ और नेता समाज भरपूर लाभ उठाकर वेतनभोगियों के कन्धे पर सवार होकर इतने घोटाले किये जाते हैं।
सरकारी बैंकों की फ्रॉड रिपोर्टिंग पर RBI ने पहले भी किया था अलर्ट, बच सकता था PNB
जेटली ने भी बैंक मैनेजमेंट पर साधा निशाना
11400 करोड़ के PNB फ्रॉड मामले पर पहली बार फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने बयान देते हुए बैंक मैनेजमेंट पर निशाना साधा है। जेटली ने कहा है कि इतना बड़ा बैंक घोटाला बैंक मैनेजमेंट का फेलियर है। फिलहाल इस मामले में जो भी दोषी हैं, उन्हें सजा मिलेगी। उनका कहना है कि बैंकों का पैसा लूटकर देश छोड़ चुके लोगों को सजा देकर ऐसे मामले में उदाहरण पेश करने की जरूरत है। जेटली ने कहा कि सुपरवाइजरी एजेंसियों को इस मामले में आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों बिना बैंक मैनेजमेंट की लापवाही के नही हो सकते हैं। यह ऑडीटर्स और मैनेजमेंट का फेलियर है। बता दें कि हीरा कमारोबारी नीरव मोदी और गीतांजलि जेम्स के एमडी मेहुल चौकसी पर मिली-भगत से पंजाब नेशनल बैंक के 11500 करोड़ के घोटाले का आरोप है, जो मामला सार्वजनिक होने के बाद देश छोड़कर भाग चुके हैं।
पब्लिक सेक्टर बैंकों का रुख ढीला
आरबीआई का वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार फ्रॉड रिपोर्टिंग के मामले में पब्लिक सेक्टर बैंकों का रवैया उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है। इस मामले में बैंकर जी.एस.बिंद्रा का कहना है कि रिपोर्टिंग का मैकेनिज्म अभी एक साल पुराना है। बैंकिंग सेक्टर इसके जरिए फ्रॉड की टाइम पर रिपोर्टिंग कर सकता है। जिसका फायदा किसी बड़े फ्रॉड को समय से पहले डिटेक्ट करना आसान होगा।
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