आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कहावत है "सियासत के हमाम में सारे नेता नंगे", गलत नहीं, बल्कि आज तक समस्त नेता इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
दिल्ली मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल प्रारम्भ से ही "Hit & Run" नीति अपनाते हुए, एक-दूसरे पर आरोप लगा कर जनता को भ्रमित करते रहे हैं। लेकिन किसी ने नकेल डालने का प्रयास नहीं किया। ऐसा नहीं है, कि प्रयास नहीं हुए, वर्तमान सरकार के कुछ नेताओं ने जो मानहानि आदि के केस दर्ज कर, अंकुश लगाने का प्रयास किया, वह किसी ऊंट के मुँह में जीरे के समान ही रहा। क्योकि दो-तीन पेशियों उपरान्त नेता के घर जाकर बंद कमरे में माफ़ी माँग मसले को रफा-दफा करवाने में सफल रहे। किसी भी नेता ने सार्वजानिक रूप से माफ़ी मंगवाने का प्रयास नहीं किया। यदि ऐसा किया होता, "थप्पड़ काण्ड" नहीं होता। क्योकि जो मुख्यमन्त्री अपने राज्य के मुख्य सचिव को बेइज्जत कर सकता हो, उसके आगे अन्य अधिकारी के अलावा, आम जनता क्या चीज़ है। और मूर्ख जनता इस पार्टी को वोट देकर इस पार्टी के हौंसले बुलंद करती रहेगी।
लेकिन जो काम कोई नेता नहीं कर पाया, उसे आईएएस जॉइंट फोरम अंजाम देने को तत्पर है। यदि फोरम अपने इसी इरादे पर कायम रही, कोई किसी अधिकारी को इस तरह अपमानित नहीं कर पायेगा। बल्कि आईएएस फोरम ने केजरीवाल एंड पार्टी के लिए "आगे कुआँ पीछे खाई" वाली स्थिति उत्पन्न कर दी है।
केजरीवाल एंड पार्टी को बेनकाब करने को तत्पर
दिल्ली में थप्पड़कांड में नया मोड़ आ गया है. आईएएस ज्वाइंट फोरम की मांग है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री इस मामले में लिखित तौर पर माफी माँगे। आईएएस ज्वाइंट फोरम ने मांग की है कि दिल्ली के सीएम और डिप्टी सीएम इस घटना पर केवल दुख जता रहे हैं, जो उनकी भूमिका को शक के घेरे में लाता है.
कहावत है "सियासत के हमाम में सारे नेता नंगे", गलत नहीं, बल्कि आज तक समस्त नेता इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
दिल्ली मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल प्रारम्भ से ही "Hit & Run" नीति अपनाते हुए, एक-दूसरे पर आरोप लगा कर जनता को भ्रमित करते रहे हैं। लेकिन किसी ने नकेल डालने का प्रयास नहीं किया। ऐसा नहीं है, कि प्रयास नहीं हुए, वर्तमान सरकार के कुछ नेताओं ने जो मानहानि आदि के केस दर्ज कर, अंकुश लगाने का प्रयास किया, वह किसी ऊंट के मुँह में जीरे के समान ही रहा। क्योकि दो-तीन पेशियों उपरान्त नेता के घर जाकर बंद कमरे में माफ़ी माँग मसले को रफा-दफा करवाने में सफल रहे। किसी भी नेता ने सार्वजानिक रूप से माफ़ी मंगवाने का प्रयास नहीं किया। यदि ऐसा किया होता, "थप्पड़ काण्ड" नहीं होता। क्योकि जो मुख्यमन्त्री अपने राज्य के मुख्य सचिव को बेइज्जत कर सकता हो, उसके आगे अन्य अधिकारी के अलावा, आम जनता क्या चीज़ है। और मूर्ख जनता इस पार्टी को वोट देकर इस पार्टी के हौंसले बुलंद करती रहेगी।
लेकिन जो काम कोई नेता नहीं कर पाया, उसे आईएएस जॉइंट फोरम अंजाम देने को तत्पर है। यदि फोरम अपने इसी इरादे पर कायम रही, कोई किसी अधिकारी को इस तरह अपमानित नहीं कर पायेगा। बल्कि आईएएस फोरम ने केजरीवाल एंड पार्टी के लिए "आगे कुआँ पीछे खाई" वाली स्थिति उत्पन्न कर दी है।
केजरीवाल एंड पार्टी को बेनकाब करने को तत्पर
दिल्ली में थप्पड़कांड में नया मोड़ आ गया है. आईएएस ज्वाइंट फोरम की मांग है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री इस मामले में लिखित तौर पर माफी माँगे। आईएएस ज्वाइंट फोरम ने मांग की है कि दिल्ली के सीएम और डिप्टी सीएम इस घटना पर केवल दुख जता रहे हैं, जो उनकी भूमिका को शक के घेरे में लाता है.
न्यायिक हिरासत में हैं विधायक
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्य सचिव से हाथापाई के मामले में गिरफ्तार आप विधायकों को दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने पहले ही 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया है. बुधवार को इनकी जमानत याचिका पर सुनवाई एक दिन के लिए टल गई थी. गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. प्रकाश जारवाल को मंगलवार रात जबकि अमानतुल्ला खान को बुधवार को गिरफ्तार किया गया था. इन दोनों पर मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट का आरोप है.
क्या है मामला
दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की शिकायत के बाद पुलिस ने आप विधायक अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जारवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. विधायकों के खिलाफ सरकारी कर्मचारी को काम करने से रोकने और आपराधिक साजिश के आरोप में केस दर्ज हुआ था. अंशु प्रकाश ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस से अपने साथ हुई मारपीट की शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने अपनी शिकायत में उस रात की पूरी घटना का विवरण दिया था. उन्होंने बताया कि कैसे उनके साथ आप विधायकों ने बदसलूकी और मारपीट की.
मेडिकल में हुई थी पुष्टि
दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, अंशु प्रकाश के निचले होंठ पर चोट के निशान थे और कानों के पिछले हिस्सों पर सूजन थी. दिल्ली पुलिस ने उनकी चिकित्सा रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारी दी थी. एमएलसी रिपोर्ट में मुख्य सचिव की चोट की स्थिति का जिक्र है. यह चोट उन्हें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर हुई एक बैठक के दौरान लगी थी, जब आप के कुछ विधायकों ने कथित रूप से उनके साथ मारपीट की थी.
मुख्य सचिव पिटाई में बुरी तरह फंसती जा रही है केजरीवाल की AAP
दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट के मामले में अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार बड़ी मुश्किल में फंसती दिखाई दे रही है। मुख्य सचिव की पिटाई मामले में आम आदमी पार्टी को जल्द ही तगड़ा झटका लगने वाला है। दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास लगे सीसीटीवी कैमरों में टेम्परिंग (छेड़छाड़) की बात सामने आ रही है।
सोमवार तो सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के एडिशनल डीसीपी हरेंद्र सिंह ने कोर्ट में कहा कि AAP विधायकों और मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के बीच मीटिंग कैंप ऑफिस में नहीं, बल्कि सीएम केजरीवाल के आवास के ड्राइंग रूम में आयोजित थी। पुलिस ने कोर्ट को यह भी बताया है कि सीसीटीवी का समय अलग-अलग है, ऐसे में आशंका है कि टैंपरिंग की गई है। साथ ही पुलिस ने कहा कि टैंपरिंग की जांच फॉरेंसिक साइंस लैबोर्टरी (FSL) करेगी। इस पर कोर्ट ने अपना फैसला कल यानी मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया है।
दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की पिटाई के मामले में अब तक की जांच से पता चलता है यह पूर्व नियोजित था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास में घटना वाले कमरे की जांच करने पहुंची पुलिस को वहां हैरान करने वाली जानकारी मिली है। यहां लगे सभी 14 सीसीटीवी कैमरे को समय से 40 मिनट 42 सेकेंड पीछे कर दिया गया था। पुलिस मुख्यमंत्री आवास से कैमरे का एक डीवीआर जब्त कर जांच के लिए अपने साथ ले गई है। उस डीवीआर में पूरे एक माह की रिकॉर्डिंग है।
एडिशनल डीसीपी उत्तरी जिला हरेंद्र कुमार पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें शक है कि कैमरे के डीवीआर में छेड़छाड़ की गई है। जांच में इसकी पुष्टि होने पर केस में सुबूत मिटाने की धारा 201 भी जोड़ दी जाएगी। केजरीवाल के आवास में कुल 21 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिसमें से महत्वपूर्ण जगहों पर लगे सात कैमरे बंद पाए गए। वहीं मुख्यमंत्री आवास के गेट पर लगे सबसे अहम मूविंग कैमरे के खराब पाए जाने के मामले ने पुुलिस को और हैरान कर दिया है।
सीएम हाउस के ड्राइंग रूम में हुई थी मीटिंग
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, एडिशनल डीसीपी हरेंद्र सिंह ने कोर्ट में कहा, ''जिस मीटिंग में चीफ सेक्रेटरी के साथ मारपीट हुई, वो मुख्यमंत्री के बंगले के कैंप ऑफिस में नहीं बल्कि ड्रॉइंग रूम में हुई थी। जांच के दौरान सीएम हाउस से जब्त किए गए सीसीटीवी के साथ छेड़छाड़ की गई थी, उनकी टाइमिंग अलग थी।''
सीएम भी हैं इस साजिश का हिस्सा
- आईएएस ज्वाइंट फोरम ने सोमवार को काली पट्टी बांध कर इस घटना का विरोध जताया।
- आईएएस ज्वाइंट फोरम की मेंबर पूजा जोशी ने कहा, "हम यही चाहते हैं कि सीएम इस मामले पर लिखित माफी मांगे, बजाय इसके सीएम और डिप्टी सीएम माफी मांगने से इंकार कर रहे हैं। इससे यह साफ होता है कि वे भी इस साजिश का हिस्सा हैं।''
- आईएएस ज्वाइंट फोरम ने सोमवार को काली पट्टी बांध कर इस घटना का विरोध जताया।
- आईएएस ज्वाइंट फोरम की मेंबर पूजा जोशी ने कहा, "हम यही चाहते हैं कि सीएम इस मामले पर लिखित माफी मांगे, बजाय इसके सीएम और डिप्टी सीएम माफी मांगने से इंकार कर रहे हैं। इससे यह साफ होता है कि वे भी इस साजिश का हिस्सा हैं।''
केजरीवाल के घर से जब्त हुए थे 21 कैमरे
- कुछ दिन पहले दिल्ली पुलिस की एक टीम ने केजरीवाल के बंगले में एक घंटे तक छानबीन और पूछताछ की थी।
- पुलिस के मुताबिक, सीएम हाउस में 21 कैमरे लगे थे, जिनमें से 14 काम कर रहे थे और 7 में रिकॉर्डिंग बंद मिली। चीफ सेक्रेटरी से जिस जगह मारपीट हुई, वहां कोई कैमरा नहीं लगा था। 21 सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग और हार्ड डिस्क जब्त की गई। सभी कैमरों के टाइमर 40 मिनट पीछे थे।
हरेंद्र कुमार का कहना है कि घटना की गंभीरता को देखते हुए 20 फरवरी को ही पुलिस ने मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क कर जांच के लिए डीवीआर देने की मांग की थी। मगर न तो केजरीवाल और न ही उनके कार्यालय से जुड़े किसी भी व्यक्ति ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर की। इसलिए शुक्रवार को पुलिस को डीवीआर लेने वहां आना पड़ा। जिस वक्त जांच की जा रही थी केजरीवाल अंदर मौजूद थे। कुछ देर बाद जब वे बाहर निकले तो मीडियाकर्मियों से कहा कि उन्हें खुशी है कि जांच हो रही है।
आ रही साजिश की बू
घटना के अगले दिन 20 फरवरी को मीडिया में जब यह मामला तूल पकड़ा तब मुख्यमंत्री आवास से एक फुटेज लीक कर यह दर्शाने की कोशिश की गई कि मुख्य सचिव के आरोप झूठे हैं। दरअसल वह फुटेज रात 12 बजे की ही थी। कैमरे का समय 40 मिनट 42 सेकेंड पीछे सेट होने के कारण आरोप के समय में अंतर था। मुख्यमंत्री आवास से कुछ विश्वस्त चैनलकर्मियों को ही यह फुटेज उपलब्ध कराई गई। इस फुटेज में दिख रहा है कि घटना के बाद अंशु प्रकाश पैदल ही बाहर निकल गए। पीछे से उनकी कार जब बाहर आई तब वह बैठकर वहां से भागे।
उधर सीएम आवास में मौजूद कर्मचारियों से जब पूछताछ की जा रही थी उसी दौरान आम आदमी पार्टी के नेताओं ने ट्वीट कर यह आरोप लगाना शुरू कर दिया कि पुलिस प्रताड़ित करने के मकसद से जांच कर रही है। ईंट, पेंट व प्लास्टर के बारे में पूछताछ कर रही है। दोपहर 1.36 बजे पुलिस टीम जांच कर बाहर निकली। करीब दो घंटे तक मुख्यमंत्री आवास की जांच की गई। पुलिसकर्मियों ने घटनाक्रम का रिक्रिएशन किया।
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