
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि सरकारी पैसे से चलने वाले केंद्रीय विद्यालयों में हिंदू धर्म से संबंधित प्रार्थना क्यों करवाई जाती है? जबकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है? कोई सुप्रीम कोर्ट से ही पूछें कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने अपना ध्येय वाक्य "यतो धर्मस्ततो जयः। "क्यों चुना है? ये वाक्य तो महाभारत महाकाव्य में प्रयोग हुआ है जोकि सनातन धर्म का और दुनियाँ का सबसे बड़ा महाकाव्य माना जाता है।अर्थात भारत संवैधानिक रूप से भले ही धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, लेकिन भारत की रग रग में हिंदुत्व के संस्कार बसे हुए है जिसके बिना सुप्रीम कोर्ट भी नहीं चल सकती। और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का अर्थ यह नहीं है कि आप किसी भी धर्म को नहीं माने, बल्कि हर धर्म का सम्मान हो यही धर्मनिरपेक्षता है। और भारत में यह सब हो रहा है और इसीलिए हो रहा है क्योंकि यहाँ हिंदुत्व की विचारधारा पर चलने वाले लोग हैं। अतः जज साहब हिंदुत्व के इस प्राचीन सिस्टम को खत्म करने का प्रयास न करें और धर्म के नाम पर लंबे समय से जो अन्य विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं उन्हें शीघ्र सुलझाने का प्रयास करें जिससे देश में सौहार्दपूर्ण माहौल बन सके।
सुप्रीम कोर्ट क्या उस माननीय वकील महोदय से यह भी प्रश्न करेगी कि "क्या सिख स्कूलों में गुरुवाणी और ईसाई मिशनरी स्कूल में उनके धर्म के अनुसार प्रार्थना नहीं होती?" फिर क्या जनहित याचिका दायर करने वाले वकील साहब ने मुस्लिम संगठनो द्वारा संचालित स्कूलों का कार्य पद्धति देखी है? वास्तव में किसी भी स्तर पर हिन्दू पद्धति या हिन्दू धर्म की बात होने पर छद्दम धर्म-निर्पेक्षों को साम्प्रदायिकता नज़र आती है, लेकिन अन्य धर्मों पर सूरदास बन जाते हैं।
जनहित याचिका दायर करने वाले वकील साहब की योग्यता पर सन्देह नहीं किया जा सकता। सम्भव है, इस आड़ में सरकार और कोर्ट का ध्यान दूसरे धर्मों द्वारा संचालित स्कूलों की ओर केन्द्रित करने की मंशा हो। क्योकि वकालत कभी सीधे नहीं की जाती, राह कही जाती सीधी है, लेकिन होता है "कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना।"
क्या केंद्रीय विद्यालय हिंदुत्व को बढ़ावा दे रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा
केंद्रीय विद्यालयों द्वारा देश भर में अपने स्कूलों के माध्यम से हिंदू धर्म को बढ़ावा दिए जाने का आरोप लगाती एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. न्यायालय ने जनवरी 10 को केंद्री को जारी करते हुए जवाब तलब किया है।
एक वकील द्वारा दायर की गई है जनहित याचिका
जनहित याचिका में कहा गया है कि देशभर में स्थित केंद्रीय विद्यालय के स्कूलों की हिंदी प्रार्थना के गीतों में हिंदू धर्म को बढ़ावा दिया जा रहा है और सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में ऐसा नहीं होना चाहिए। यह याचिका एक वकील द्वारा दायर की गई है, जिनके बच्चे केंद्रीय विद्यालयों से पास हुए है। वकील ने याचिका में कहा है कि ये संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 के खिलाफ है और इसे इजाजत नहीं दी जा सकती है। कानूनन राज्यों के फंड से चलने वाले संस्थानों में किसी धर्म विशेष को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता।
जनहित याचिका में कहा गया है कि देशभर में स्थित केंद्रीय विद्यालय के स्कूलों की हिंदी प्रार्थना के गीतों में हिंदू धर्म को बढ़ावा दिया जा रहा है और सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में ऐसा नहीं होना चाहिए। यह याचिका एक वकील द्वारा दायर की गई है, जिनके बच्चे केंद्रीय विद्यालयों से पास हुए है। वकील ने याचिका में कहा है कि ये संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 के खिलाफ है और इसे इजाजत नहीं दी जा सकती है। कानूनन राज्यों के फंड से चलने वाले संस्थानों में किसी धर्म विशेष को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता।
अब इन वकील साहब से कोई पूछे जब देश में हिन्दू सम्राटों के इतिहास को धूमिल कर, मुगलों के इतिहास को पढ़ाया जा रहा था, तब कहाँ थे?
सोचिये किसी हिन्दू के स्कूल में ,ईसा मसीह के क्रॉस या चित्र पहने छात्र को अगर स्कुल से बाहर फेंक दिया जाता तो इसकी गूंज कहाँ तक जाती, पर भारत में हिन्दू बच्चे को ईसाई स्कुल ने बाहर सिर्फ इसलिए फेंक दिया क्यूंकि वो भगवान् का लॉकेट पहनकर स्कुल गया था I
स्कुल में एग्जाम था, और बच्चे को स्कूल ने एग्जाम भी लिखने नहीं दिया, उसे बाहर कर दिया, बच्चा रोता रहा, और हिन्दू बच्चे पर ईसाई स्कुल की इस बर्बरता की खबर मीडिया ने दबाकर रख दिया, मामला है सेंट एडम्स हाई स्कूल, चिक्कडापल्ली का जो की हैदराबाद में है, स्कुल के प्रधानाचार्य ने स्कूल परिसर से एक हिंदू बच्चे को फेंक दिया क्यूंकि वो 'अय्यप्पा माला' पहनकर आया था, और उसे एग्जाम भी लिखने नहीं दिया सेंट एडम्स हाई स्कूल, चिक्कडापल्ली प्रधानाचार्य ने स्कूल परिसर से एक हिंदू बच्चे को फेंक दिया और 'अय्यप्पा माला' पहनने पर परीक्षा में लिखने की अनुमति नहीं दी।
कोई समाचार/बहस?
यदि कोई मुस्लिम/ईसाई को टोपी/क्रॉस पहनने से परीक्षा लिखने से रोका होता तो धर्मनिरपेक्षता खतरे में आती है I
स्कुल में एग्जाम था, और बच्चे को स्कूल ने एग्जाम भी लिखने नहीं दिया, उसे बाहर कर दिया, बच्चा रोता रहा, और हिन्दू बच्चे पर ईसाई स्कुल की इस बर्बरता की खबर मीडिया ने दबाकर रख दिया, मामला है सेंट एडम्स हाई स्कूल, चिक्कडापल्ली का जो की हैदराबाद में है, स्कुल के प्रधानाचार्य ने स्कूल परिसर से एक हिंदू बच्चे को फेंक दिया क्यूंकि वो 'अय्यप्पा माला' पहनकर आया था, और उसे एग्जाम भी लिखने नहीं दिया सेंट एडम्स हाई स्कूल, चिक्कडापल्ली प्रधानाचार्य ने स्कूल परिसर से एक हिंदू बच्चे को फेंक दिया और 'अय्यप्पा माला' पहनने पर परीक्षा में लिखने की अनुमति नहीं दी।
कोई समाचार/बहस?
यदि कोई मुस्लिम/ईसाई को टोपी/क्रॉस पहनने से परीक्षा लिखने से रोका होता तो धर्मनिरपेक्षता खतरे में आती है I
ये अपने आप में कोई पहला मामला नहीं है, ईसाई मिशनरी स्कुल, कान्वेंट स्कूलों से इस तरह की खबरे लगभग रोज ही आती है, जिनमे भारतीय मीडिया बड़ी ख़ामोशी से दबा देती है, हिन्दू बच्चों पर तरह तरह के अत्याचार होते है, कभी रक्षाबंधन की राखी काटकर फेंकी जाती है, बच्चे की पिटाई की जाती है, कभी किसी बच्ची को इसलिए मारा जाता है क्यूंकि वो हिन्दू त्यौहार के दिन मेहँदी लगाती है और अगले दिन स्कुल आ जाती है I
कान्वेंट स्कूलों में, मिशनरी स्कूलों में ये घटनाएं आम सी बात है, बच्चों पर जबरन जीजस और ईसाइयत तो थोपा जाता है, पर हिन्दू धर्म को मानने पर अत्याचार किया जाता है, और इसपर देश में कभी कोई चर्चा भी नहीं की जाती, इस मजहबी कट्टरपंथ के खिलाफ बोलने वाला कोई नहीं ।
कान्वेंट स्कूलों में, मिशनरी स्कूलों में ये घटनाएं आम सी बात है, बच्चों पर जबरन जीजस और ईसाइयत तो थोपा जाता है, पर हिन्दू धर्म को मानने पर अत्याचार किया जाता है, और इसपर देश में कभी कोई चर्चा भी नहीं की जाती, इस मजहबी कट्टरपंथ के खिलाफ बोलने वाला कोई नहीं ।
खेर मुख्य गलती तो सेक्युलर माँ बाप की हे जो ऐसे स्कूलो में बच्चों को भेजते ही क्यों हे?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह एक गंभीर संवैधानिक मामला
केंद्र से जवाब मांगते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह एक गंभीर संवैधानिक मामला है. सर्वोच्च न्यायालय यह फैसला करेगा कि क्या वास्तव में देशभर में स्थित 1100 केंद्रीय विद्यालयों में की जाने हिंदी प्रार्थना एक विशिष्ट धर्म को बढ़ावा देती है और क्या यह संविधान का उल्लंघन करती है.
------------------------------------------------------
IIT कानपुर में हिन्दू धर्म ग्रंथों पर शिक्षा
उत्तर प्रदेश सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि अब कानपुर IIT में हिन्दू धर्म ग्रंथों पर आधारित शिक्षा देने पर विचार चल रहा है। यदि इस योजना को लागू कर दिया गया, उस स्थिति में न जाने और कितनी जनहित याचिकाएँ दायर होंगी, कहा नहीं जा सकता।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर पहला ऐसा इंजीनियरिंग कॉलेज ने एक बड़ा कदम उठाया है। इस कदम के तहत IIT कॉलेज हिन्दू ग्रंथों से संबंधित टेक्स्ट और ऑडियो सेवा देगा। बता दें कि इस सेवा का फायदा आईआईटी के आधिकारिक पोर्टल पर उपलब्ध लिंक www.gitasupersite.iitk.ac.n. पर ले सकते है। इस साइड पर अपलोड किए नौ पवित्र ग्रंथों में श्रीमद भगवद्गीता, रामचरितमानस, ब्रह्मा सूत्र, योगसूत्र, श्री राम मंगल दासजी और नारद भक्ति सूत्र शामिल है।
खबरों के मुताबिक, हाल ही में इस लिंक पर वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में लिखी रामायण के सुंदरकांड और बालककांड का अनुवाद भी जोड़ा गया है। हालांकि, आईआईटी स्वत: संचालित संस्थान है, लेकिन अक्सर उन्हें फंड देने वाला मानव संसाधन विकास मंत्रालय उनके चार्टर को विवादास्पद रूप में देखता है।
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर टीवी प्रभाकर ने बताया, ”हमने समय-समय पर इस परियोजन पर आईआईटी के और बाहर के विद्वानों की मदद लेते हुए काम किया है, ताकि पवित्र ग्रंथों को उपलब्ध करवाया जा सके।यह भारत और दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रयास है, जिसका सम्मान किया जाना चाहिए।”
आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर महेंद्र अग्रवाल और यहां कम्प्यूटर साइंस ऐंड इंजिनियरिंग के प्रफेसर टी वी प्रभाकर ने कॉलेज में हिंदू धार्मिक ग्रंथों की पढ़ाई पर विवाद की बात को खारिज कर दिया। प्रोफेसर प्रभाकर ने कहा, ‘सभी अच्छी चीजों की आलोचना होती है। इतने महान और धार्मिक कार्य के लिए धर्मनिरपेक्षता पर सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं।’
लेकिन हिंदुत्व का विरोध करने को वालों को इस बात का बोध होना चाहिए कि विश्व में हिन्दुत्व ही प्राचीनतम धर्म है, जिसे नेस्ताबूत करने वाले पता नहीं कितने आए और कितने गए। हिन्दू धर्म आज भी कायम है,बल्कि नेस्ताबूत करने वाले स्वयं ही नेस्ताबूत हो गए।
IIT कानपुर द्वारा हिन्दू धर्म ग्रंथों पर आधारित शिक्षा देने पर स्मरण आती हैं दो बातें। समय केबल टीवी का था, सुबह के समय केबल संचालक धार्मिक कैसेट लगा देता था। देवी जागरण में महन्त जो प्रवचन देते हैं, "हर प्राणी को उनका अनुसरण करना चाहिए। एक, जिस प्रेम भाव से भक्तगण माता के श्रीचरणों में चुनरी, फल, फूल, और रूपए अर्पित किए हैं, क्या अपने माता-पिता को भी इसी प्रेम भाव से वस्त्र, भोजन, फल आदि देते हैं? यदि नहीं, माता के श्रीचरणों में अर्पित किया यह सब व्यर्थ है।"
दूसरे यह कि " आज कहते हैं कि हमारे वैज्ञानिकों ने ये मिसाइल बनाई और वह मिसाइल बनाई। भाई रामायण और महाभारत को पढ़ो तो ज्ञात होगा कि यह तो हमारे पास पहले से ही विराजमान है। महाभारत युद्ध के दौरान युद्ध प्रारम्भ करने से पूर्व अर्जुन ने भीष्म पितामह और अपने समस्त गुरुओं से आशीर्वाद लेने के लिए जो तीर छोड़े थे, वह उन्ही के चरणों में गिरे, जिनके नाम लेकर छोड़े गए थे। उन तीरों से कोई आहत नहीं हुआ था, उसी निशाने पर गिरे जहाँ का लक्ष्य साधा गया था। फिर राजा दशरथ के शब्द भेदी बाण चलाने की विशेषता थी। और वही गुण हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान में था, जिसने मौहम्मद गोरी द्वारा चौहान की आंखे फोड़े जाने के बाद अपनी कला से शब्द भेदी बाण से गोरी को मौत के घाट उतार दिया था।"
एक बात और, 786 के लिए कहा जाता है कि इसका इस्लाम से सम्बन्ध है, लेकिन शायद हिन्दू विरोधियों ने कभी इसकी गहराई में जाने का प्रयास ही नहीं किया। उन्हें तो बस हिन्दुत्व का विरोध करना है। इस 786 पर भी लेखन कर चूका हूँ। देखिए 786 का हिन्दुत्व और भगवान श्रीकृष्ण से सम्बन्ध :--
7 ----संगीत के सात सुर होते हैं
8 ----देवकी की आठवें पुत्र श्रीकृष्ण
6 ----उँगलियाँ (बाँसुरी हमेशा 6 ही उँगलियों से बजाई जाती है)
और बाँसुरी हिन्दुओं का कौनसा भगवान बजाता है।
अगर कुर्सी के भूखे और लोगों के खून की कीमत से अपनी तिजोरी भरने वाले हिन्दू-मुसलमान में नफरत के बीज न बोएँ और ये लोग हाथ में कटोरा लेकर सड़क पर बैठ जाएँ, शायद ही कोई अनजाने में एक कंकरी भी डाले। हिन्दू के प्रति जहर फ़ैलाने वाले अपनी दुकान चलाने और जीविका चलाने के लिए इस तरह नफरत के बीज बोते रहते हैं, और साम्प्रदायिक पूंजीपति इनकी तिजोरियाँ भरते रहते हैं।
अवलोकन करें:--
फिर कुछ ही समय पूर्व, भूतपूर्व महामहिम डॉ अबुल कलाम के जीवनकाल में एक मुस्लिम नेता ने DRDO से प्रश्न किया था कि जो भी शस्त्र बनाया जाता है उसे हिन्दू ही नाम क्यों दिया जाता है? उस नेता को DRDO ने उत्तर दिया "यह डॉ कलाम साहब से ही पूछिए। नाम वही देते है।" इसकी पुष्टि उस मुस्लिम नेता और DRDO से की जा सकती है। यानि कहने का मतलब है कि हिन्दू विरोधियों को हिन्दू नाम से ही चिढ़ है। और उसका कोई इलाज नहीं। ये लोग ऐसे ही PIL दायर कर कोर्ट कर कोर्ट का समय बर्बाद कर अपना वोट बैंक सुरक्षित करने में व्यस्त हो जाते हैं।
आज समय बहुत तेजी से बदल रहा है। कल तक जो चैनल हिन्दू पर कोई बहस करने को तैयार नहीं थे, आज वही चैनल हिन्दुत्व के पक्ष में चर्चा कर रहे हैं।
केंद्र से जवाब मांगते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह एक गंभीर संवैधानिक मामला है. सर्वोच्च न्यायालय यह फैसला करेगा कि क्या वास्तव में देशभर में स्थित 1100 केंद्रीय विद्यालयों में की जाने हिंदी प्रार्थना एक विशिष्ट धर्म को बढ़ावा देती है और क्या यह संविधान का उल्लंघन करती है.
------------------------------------------------------
कल अखबारों के माध्यम से पता चला कि केंद्रीय विद्यालयों मे होने वाले प्रार्थना पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए कहा है।...सुनकर अवाक रह गया क्या इससे बढकर भी विकृत धर्मनिरपेक्षता का उदाहरण हो सकता है ?
...मै इंदौर नौलखा में स्थित केंद्रीय विद्यालय का एक साल तक छात्र रहा हुं जो चिङियांघर के नजदीक है वहां की हिंदी पढाने वाली एक मैम मुझे बहुत प्यार करती थी वह मेरे अस्त-व्यस्त बालों को रोज अपने हाथो से संवार दिया करती थी साथ ही कभी-कभी अपने लंच बाक्स से मुझे खाना भी खिला देती थी।मै उन्ही मैम के बगल में खङा होकर रोज प्रार्थना गाया करता था। इसलिए मुझे आज भी गाये जाना वह वाला प्रार्थना अक्षर-अक्षर याद है।पहले हिंदी में प्रार्थना गाया जाता था उसके बाद उपनिषदों के दो मंत्र संस्कृत में गाया जाता था।आज मै सभी तीनों प्रार्थनाओं को लिखकर माननीय सुप्रीम कोर्ट से पूछना चाहता हुं कि माय लार्ड आप बताइये इन तीनों में साम्प्रदायिकता से भरा कौन सा शब्द है ?
प्रार्थना--1
दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना।
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना।
हमारे ध्यान में आओ, प्रभु आंखों में बस जाओ
अंधेरे दिल में आकर के परम ज्योति जगा देना
बहा दो प्रेम की गंगा, दिलों में प्रेम का सागर,
हमें आपस में मिलजुल के प्रभु रहना सिखा देना
हमारा कर्म हो सेवा, हमारा धर्म हो सेवा,
सदा ईमान हो सेवा, वो सेवक चर बना देना।
वतन के वास्ते जीना, वतन के वास्ते मरना,
वतन पे जां फ़िदा करना, प्रभु हमको सिखा देना।
दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना,
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना।
दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना।
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना।
हमारे ध्यान में आओ, प्रभु आंखों में बस जाओ
अंधेरे दिल में आकर के परम ज्योति जगा देना
बहा दो प्रेम की गंगा, दिलों में प्रेम का सागर,
हमें आपस में मिलजुल के प्रभु रहना सिखा देना
हमारा कर्म हो सेवा, हमारा धर्म हो सेवा,
सदा ईमान हो सेवा, वो सेवक चर बना देना।
वतन के वास्ते जीना, वतन के वास्ते मरना,
वतन पे जां फ़िदा करना, प्रभु हमको सिखा देना।
दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना,
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना।
प्रार्थना --2
असतो मा सदगमय॥
तमसो मा ज्योतिर्गमय॥
मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
अर्था--: हमको असत्य से सत्य की ओर ले चलो। अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चलो।
असतो मा सदगमय॥
तमसो मा ज्योतिर्गमय॥
मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
अर्था--: हमको असत्य से सत्य की ओर ले चलो। अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चलो।
प्रार्थना --3
ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै।
अर्थ-- : हे प्रभो हम गुरू और दोनों की साथ-साथ रक्षा करें, हम दोनों को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए, हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें, हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो, हम दोनों परस्पर द्वेष न करें।
ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै।
अर्थ-- : हे प्रभो हम गुरू और दोनों की साथ-साथ रक्षा करें, हम दोनों को साथ-साथ विद्या के फल का भोग कराए, हम दोनों एकसाथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामर्थ्य प्राप्त करें, हम दोनों का पढ़ा हुआ तेजस्वी हो, हम दोनों परस्पर द्वेष न करें।
यह तीनों प्रार्थना इंदौर के हमारे केंद्रीय विद्यालय में गाया जाता था यही तीन प्रार्थना मैनें अपने मामा घर बिहार के गया शहर के केंद्रीय विद्यालय में भी सुनी है यानी कहने के मतलब यह प्रार्थना पुरे हिंदी राज्यों मे गाया जाता है।
....अब आप तीनो प्रार्थना के लाइनों पर गौर किजीए पहली प्रार्थना जो हिंदी की है।उसके पहले के चार लाइनों में ईश्वर से विद्या और ज्ञाण के लिए प्रार्थना किया जा रहा है।फिर उसके बाद के दो लाइनों में आपसी प्रेम के लिए विनती की जा रही है फिर उसके बाद के दो लाइनों में अच्छे कर्म,सेवा और ईमानदारी का गुण मांगा जा रहा है और सबसे अंत के दो पंक्ति में भगवान से देशभक्ति का गुण मांगा जा रहा है।क्या ईश्वर से विद्या, ज्ञाण , सेवा, कर्म,ईमानदारी और देशभक्ति का गुण मांगना साम्प्रदायिकता है ?
.....अब दुसरा प्रार्थना असतो मा सदगमय एक उपनिषद का है वह मंत्र तो सक्सेस लाइफ मंत्र की तरह है यह मंत्र खुद को पहचानने का है।भला इस सक्सेस लाइफ मंत्र में कौन सी साम्प्रदायिकता छिपी हुई है ?
......तीसरा मंत्र भी उपनिषद का ही है जिसमें गुरू और शिष्य दोनों ही सामुहिक रूप से भगवान से यह प्रार्थना कर रहे हैं कि हमें विद्या दो।गुरू शिष्य को पढाने के लिए विद्या मांग रहा है तो शिष्य गुरू के माध्यम से भगवान से विद्या मांग रहा है।दोनों न सिर्फ विद्या की मांग कर रहे हैं ब्लकि गुरू और शिष्य में आपसी प्रेम के लिए भी विनती की जा रही है।अब आप बताएं इसमें प्रेम और विद्या की मांग में साम्प्रदायिकता वाली कौन सी पंक्ति हैं?
.......जब इन तीनों के तीनों प्रार्थना में साम्प्रदायिकता और उन्माद का एक छंद और एक शब्द तक नही है तो सुप्रीम कोर्ट ने क्या समझकर केंद्र सरकार से इसपर जवाब देने के लिए कहा है?
......सुप्रीम कोर्ट के मंशा पर यह सवाल उठता है कहीं इसने पुरे हिंदू धर्म और उसके सभी प्रतीकों को साम्प्रदायिक नही समझ लिया है यदि ऐसा है तो माय लार्ड अब इस तरह की घटिया साम्प्रदायिकता हमसें बर्दाश्त नही होता।
साभार
Sanjeet Singh( कमल बक्शी की फेसबुक वाल से)
-------------------------------------------------------साभार
Sanjeet Singh( कमल बक्शी की फेसबुक वाल से)
IIT कानपुर में हिन्दू धर्म ग्रंथों पर शिक्षा
उत्तर प्रदेश सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि अब कानपुर IIT में हिन्दू धर्म ग्रंथों पर आधारित शिक्षा देने पर विचार चल रहा है। यदि इस योजना को लागू कर दिया गया, उस स्थिति में न जाने और कितनी जनहित याचिकाएँ दायर होंगी, कहा नहीं जा सकता।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर पहला ऐसा इंजीनियरिंग कॉलेज ने एक बड़ा कदम उठाया है। इस कदम के तहत IIT कॉलेज हिन्दू ग्रंथों से संबंधित टेक्स्ट और ऑडियो सेवा देगा। बता दें कि इस सेवा का फायदा आईआईटी के आधिकारिक पोर्टल पर उपलब्ध लिंक www.gitasupersite.iitk.ac.n. पर ले सकते है। इस साइड पर अपलोड किए नौ पवित्र ग्रंथों में श्रीमद भगवद्गीता, रामचरितमानस, ब्रह्मा सूत्र, योगसूत्र, श्री राम मंगल दासजी और नारद भक्ति सूत्र शामिल है।
खबरों के मुताबिक, हाल ही में इस लिंक पर वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में लिखी रामायण के सुंदरकांड और बालककांड का अनुवाद भी जोड़ा गया है। हालांकि, आईआईटी स्वत: संचालित संस्थान है, लेकिन अक्सर उन्हें फंड देने वाला मानव संसाधन विकास मंत्रालय उनके चार्टर को विवादास्पद रूप में देखता है।
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर टीवी प्रभाकर ने बताया, ”हमने समय-समय पर इस परियोजन पर आईआईटी के और बाहर के विद्वानों की मदद लेते हुए काम किया है, ताकि पवित्र ग्रंथों को उपलब्ध करवाया जा सके।यह भारत और दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रयास है, जिसका सम्मान किया जाना चाहिए।”
आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर महेंद्र अग्रवाल और यहां कम्प्यूटर साइंस ऐंड इंजिनियरिंग के प्रफेसर टी वी प्रभाकर ने कॉलेज में हिंदू धार्मिक ग्रंथों की पढ़ाई पर विवाद की बात को खारिज कर दिया। प्रोफेसर प्रभाकर ने कहा, ‘सभी अच्छी चीजों की आलोचना होती है। इतने महान और धार्मिक कार्य के लिए धर्मनिरपेक्षता पर सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं।’
लेकिन हिंदुत्व का विरोध करने को वालों को इस बात का बोध होना चाहिए कि विश्व में हिन्दुत्व ही प्राचीनतम धर्म है, जिसे नेस्ताबूत करने वाले पता नहीं कितने आए और कितने गए। हिन्दू धर्म आज भी कायम है,बल्कि नेस्ताबूत करने वाले स्वयं ही नेस्ताबूत हो गए।
IIT कानपुर द्वारा हिन्दू धर्म ग्रंथों पर आधारित शिक्षा देने पर स्मरण आती हैं दो बातें। समय केबल टीवी का था, सुबह के समय केबल संचालक धार्मिक कैसेट लगा देता था। देवी जागरण में महन्त जो प्रवचन देते हैं, "हर प्राणी को उनका अनुसरण करना चाहिए। एक, जिस प्रेम भाव से भक्तगण माता के श्रीचरणों में चुनरी, फल, फूल, और रूपए अर्पित किए हैं, क्या अपने माता-पिता को भी इसी प्रेम भाव से वस्त्र, भोजन, फल आदि देते हैं? यदि नहीं, माता के श्रीचरणों में अर्पित किया यह सब व्यर्थ है।"
दूसरे यह कि " आज कहते हैं कि हमारे वैज्ञानिकों ने ये मिसाइल बनाई और वह मिसाइल बनाई। भाई रामायण और महाभारत को पढ़ो तो ज्ञात होगा कि यह तो हमारे पास पहले से ही विराजमान है। महाभारत युद्ध के दौरान युद्ध प्रारम्भ करने से पूर्व अर्जुन ने भीष्म पितामह और अपने समस्त गुरुओं से आशीर्वाद लेने के लिए जो तीर छोड़े थे, वह उन्ही के चरणों में गिरे, जिनके नाम लेकर छोड़े गए थे। उन तीरों से कोई आहत नहीं हुआ था, उसी निशाने पर गिरे जहाँ का लक्ष्य साधा गया था। फिर राजा दशरथ के शब्द भेदी बाण चलाने की विशेषता थी। और वही गुण हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान में था, जिसने मौहम्मद गोरी द्वारा चौहान की आंखे फोड़े जाने के बाद अपनी कला से शब्द भेदी बाण से गोरी को मौत के घाट उतार दिया था।"
एक बात और, 786 के लिए कहा जाता है कि इसका इस्लाम से सम्बन्ध है, लेकिन शायद हिन्दू विरोधियों ने कभी इसकी गहराई में जाने का प्रयास ही नहीं किया। उन्हें तो बस हिन्दुत्व का विरोध करना है। इस 786 पर भी लेखन कर चूका हूँ। देखिए 786 का हिन्दुत्व और भगवान श्रीकृष्ण से सम्बन्ध :--
7 ----संगीत के सात सुर होते हैं
8 ----देवकी की आठवें पुत्र श्रीकृष्ण
6 ----उँगलियाँ (बाँसुरी हमेशा 6 ही उँगलियों से बजाई जाती है)
और बाँसुरी हिन्दुओं का कौनसा भगवान बजाता है।
अगर कुर्सी के भूखे और लोगों के खून की कीमत से अपनी तिजोरी भरने वाले हिन्दू-मुसलमान में नफरत के बीज न बोएँ और ये लोग हाथ में कटोरा लेकर सड़क पर बैठ जाएँ, शायद ही कोई अनजाने में एक कंकरी भी डाले। हिन्दू के प्रति जहर फ़ैलाने वाले अपनी दुकान चलाने और जीविका चलाने के लिए इस तरह नफरत के बीज बोते रहते हैं, और साम्प्रदायिक पूंजीपति इनकी तिजोरियाँ भरते रहते हैं।
अवलोकन करें:--
आज समय बहुत तेजी से बदल रहा है। कल तक जो चैनल हिन्दू पर कोई बहस करने को तैयार नहीं थे, आज वही चैनल हिन्दुत्व के पक्ष में चर्चा कर रहे हैं।


Comments