
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान की मौजूदा कूटनीति की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि पाकिंस्तान की निष्क्रिय कूटनीति के कारण ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चढ़े हुए हैं। मुशर्रफ ने लश्कर-ए-तैयबा को आतंकी संगठन के तौर पर स्वीकार करने के फैसले की भी बेतुका बताया है। पूर्व सैन्य शासक ने कहा कि वह पाकिस्तान वापस जाकर मुकदमों का सामना करेंगे। मुशर्रफ ने इससे पहले हाफिज सईद की तारीफ की थी।
परवेज मुशर्रफ ने एक साक्षात्कार में इस्लामाबाद की मौजूदा कूटनीति की आलोचना की है। उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान का सम्मान नहीं किया जा रहा है। आप बताइए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी कोई इज्जत है? वैश्विक कूटनीति में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान पर पूरी तरह हावी हैं। वह हमारे सिर पर चढ़े हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गया है। पाकिस्तानी नेता लगातार निष्क्रिय कूटनीति कर रहे हैं। भारत ने लश्कर को संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका से आतंकी संगठन घोषित करवा दिया है, लेकिन पाकिस्तान उसे ऐसा क्यों कहे? हम इसे क्यों मानें? हम तो इस तरह निष्क्रिय हैं कि बस लेट जाते हैं। हम तो छोटे हैं!’ मुशर्रफ ने कुलभूषण जाधव और जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने पाकिस्तानी नेतृत्व को आक्रामक कूटनीति अपनाने की नसीहत भी दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में लोक हक्कानी नेटर्क की बात करते हैं न कि लश्कर की।
प्रतिबंधित जमात-उद-दावा को देशभक्त संगठन
मुशर्रफ ने आतंकी संगठन लश्कर के मुखौटा प्रतिबंधित जमात-उद-दावा को ‘देशभक्त’ संगठन करार दिया है। उन्होंने कहा, ‘लश्कर और जमात के लोग देशभक्त हैं। वे सबसे बड़े देशभक्त हैं। उन्होंने कश्मीर के लिए बलिदान किया है।’ पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति 26/11 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का समर्थन कर चुके हैं। अमेरिका वर्ष 2014 में जमात-उद-दावा को आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। मालूम हो कि लश्कर सरगना राजनीतिक दल बनाकर पाकिस्तान की राजनीति में शामिल होने की जुगत में जुटा है। अंतरराष्ट्रीय दबावों के चलते पाकिस्तान हाफिज सईद को राजनीति में आने से रोकने की कोशिश में जुटा है।
‘मैं लश्कर का सबसे बड़ा समर्थक, हाफिज सईद भी पसंद है’
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने आंतकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का खुद को सबसे बड़ा समर्थक बताया है। साथ ही कहा है कि वो आतंकी हाफिज सईद को भी बहुत पसंद करते हैं। पाकिस्तान टीवी एआरवाई टीवी के एक कार्यक्रम में मुशर्रफ ने यही भी माना है कि सईद भी उन्हें बहुत पंसद करता है। 26/11 मुंबई के गुनाहगार पर बात करते हुए पू्र्व राष्ट्रपति ने आगे कहा कि कश्मीर में सईद की घुसपैठ को वो समर्थन करते हैं। जमात-उद-दावा संगठन भी उन्हें पसंद करता है।
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं हाफिज सईद से मिल चुका हूं। हाल के दिनों में मेरी और उनकी (सईद) मुलाकात हुई थी। मैं कश्मीर में कार्यवाई का समर्थन में रहा है। मैं हमेशा से उनके एक्शन के समर्थन में रहा हूं। क्योंकि भारतीय सेना को हमें दबाना है। यहीं सबसे बड़ा दबाव है। अमेरिका के साथ मिलकर भारत ने हाफिज सईद को आंतकी घोषित करवा दिया।’ मुशर्रफ ने इस दौरान कहा कि हां मुझे पता है कि सईद कश्मीर में सक्रिय रहते हैं। कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच में है। एंकर द्वारा पूछे जाने पर कि क्या लश्कर मुंबई आतंकी हमले में शामिल था? इसपर मुशर्रफ ने कहा, नहीं हाफिज मुंबई में हमलों में शामिल नहीं थे।
गौरतलब है कि बीते दिनों पाकिस्तान में नजरबंद आतंकी हाफिज सईद को रिहा किया गया था। नजरबंदी से रिहाई के कुछ ही देर बाद मुंबई हमले के मास्टर माइंड और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद ने कहा था कि वह कश्मीर के लिए पूरे पाकिस्तान से लोगों को जुटाएगा और ‘आजादी’ पाने में कश्मीरियों की मदद करेगा। आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के कारण जमात-उद-दावा प्रमुख पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया है। पाकिस्तान सरकार ने मुंबई हमला मामले में सईद को और अधिक दिनों तक हिरासत में नहीं रखने का फैसला लिया, जिसके बाद आतंकवादी संगठन के प्रमुख को रिहा कर दिया गया।
वह इस वर्ष जनवरी से हिरासत में था। रिहाई की खुशी में अपने आवास के बाहर जमा हुए समर्थकों से सईद ने कहा, ‘मुझे सिर्फ कश्मीर पर मेरी आवाज को दबाने के लिए 10 महीने तक हिरासत में रखा गया।’ पंजाब प्रांत के न्यायिक समीक्षा बोर्ड ने सईद की 30 दिनों की नजरबंदी की अवधि पूरी होने के बाद आम सहमति से उसकी रिहाई का आदेश दिया था। इस बोर्ड में लाहौर हाई कोर्ट के न्यायाधीश भी शामिल हैं।
गनीमत है, कम से कम परवेज़ मुशर्रफ हाफिज सईद और उसके आतंकी संगठन को समर्थन देने की बात स्वीकार तो करते हैं, जबकि पाकिस्तान का कोई भी शासक इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं।
गनीमत है, कम से कम परवेज़ मुशर्रफ हाफिज सईद और उसके आतंकी संगठन को समर्थन देने की बात स्वीकार तो करते हैं, जबकि पाकिस्तान का कोई भी शासक इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं।
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