भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जिन्हे बच्चे चाचा नेहरू के नाम से पुकारते थे, और फिर प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्री को "मामा" के नाम से पुकारते थे, उसी तर्ज़ पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उनके समर्थक "मामा" के नाम से पुकारने लगे। लेकिन उसी "मामा" के राज में उन्ही की पार्टी के प्रत्याक्षी को अपने चुनाव अभियान के दौरानं जूतों की माला पहनायी जाए, मुँह का स्वाद ही ख़राब कर रहा है।
वैसे इस तरह की बातें होना कोई नई बात नहीं है, देखिए अरविन्द केजरीवाल और इनकी पार्टी के पदाधिकारियों पर स्याही, जूते, थप्पड़ और न जाने क्या-क्या बरसाए। कुछ वर्ष पूर्व उत्तराखंड से राज्य सभा सांसद वरिष्ठ सम्पादक तरुण विजय पर हुआ। इतना ही नहीं, थोड़ा पीछे जाने पर देखते हैं कि "लौह नारी" प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी पर टमाटर और पत्थर भी फेंके जा चुके हैं, 1972 में हुए दिल्ली की तत्कालीन महानगर परिषद्, जिसे आज विधानसभा कहा जाता है, के मतदान वाले दिन दिल्ली के मुख्यकार्यकारी पार्षद, वर्तमान मुख्यमंत्री, रहे प्रो विजय कुमार मल्होत्रा पर उन्ही के क्षेत्र पटेल नगर में जानलेवा हमला हुआ था। और इसका सारा श्रेय या आरोप कहिए सब विपक्ष के ऊपर डाला जाता रहा है, जो अभी भी हुआ। भाजपा ने कांग्रेस के सर आरोप मढ़ दिया। जबकि मुख्यकारी पार्षद रहते दिल्ली को विकास की राह पर लाने का श्रेय इन्ही को जाता है। दिल्ली में सबसे पहला फ्लाईओवर (शादीपुर रेलवे लाइन) देने वाले भी प्रो मल्होत्रा को जाता है।
अब प्रश्न यह होता है कि आखिर इस तरह की घिनौनी हरकतें क्यों होती हैं? इतना तो तय है, कि कोई आम नागरिक इतनी बड़ी हरकत करने का साहस नहीं कर सकता। वास्तव में किसी न किसी राजनीतिक पार्टी की छत्रसाये में इतना साहसिक काम किया जा सकता है।
इन सभी हरकतों पर गीतकार, निर्माता और निर्देशक गुलज़ार की फिल्म "आँधी" स्मरण हो जाती है कि किस तरह सहानुभूति लेने के लिए चुनावों में हर तरह की ओछी हरकतों का सहारा लिया जाता है।
मध्य प्रदेश के धार जिले के धामनौद में हो रहे नगरीय निकाय के चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार दिनेश शर्मा को रविवार को प्रचार के दौरान उस समय अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा, जब एक बुजुर्ग ने उन्हें जूते चप्पल की माला पहना दी। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के मुताबिक, भाजपा के धामनौद नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार दिनेश शर्मा रविवार को वार्ड क्रमांक एक के गुलझरा इलाके में जनसंपर्क कर रहे थे। कई लोग उन्हें फूल-मालाएं पहना रहे थे, तभी एक बुजुर्ग ने उनके गले में जूते-चप्पल की माला डाल दी। वह अपने वार्ड की पानी संबंधी समस्या का निदान न होने से नाराज था।
| हार पहनाने के बहाने केजरीवाल के थप्पड़ |
| 1967 में चुनाव प्रचार के दौरान उड़ीसा में फेंके पत्थर से घायल तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी |
| प्रो विजय कुमार मल्होत्रा |
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| दलितों को मन्दिर में प्रवेश करवाने पर हुए हमले में घायल तत्कालीन सांसद तरुण विजय |
अब प्रश्न यह होता है कि आखिर इस तरह की घिनौनी हरकतें क्यों होती हैं? इतना तो तय है, कि कोई आम नागरिक इतनी बड़ी हरकत करने का साहस नहीं कर सकता। वास्तव में किसी न किसी राजनीतिक पार्टी की छत्रसाये में इतना साहसिक काम किया जा सकता है।
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| फिल्म "आँधी" में अपनी ही पार्टी द्वारा करवाए गए हमले में घायल |
मध्य प्रदेश के धार जिले के धामनौद में हो रहे नगरीय निकाय के चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार दिनेश शर्मा को रविवार को प्रचार के दौरान उस समय अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा, जब एक बुजुर्ग ने उन्हें जूते चप्पल की माला पहना दी। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के मुताबिक, भाजपा के धामनौद नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार दिनेश शर्मा रविवार को वार्ड क्रमांक एक के गुलझरा इलाके में जनसंपर्क कर रहे थे। कई लोग उन्हें फूल-मालाएं पहना रहे थे, तभी एक बुजुर्ग ने उनके गले में जूते-चप्पल की माला डाल दी। वह अपने वार्ड की पानी संबंधी समस्या का निदान न होने से नाराज था।
शर्मा को जूते-चप्पल की माला पहनाने वाले परशुराम का दावा है कि वह वर्ष 1955 से भाजपा की विचारधारा से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछली परिषद भाजपा की थी, तब वार्ड की महिलाएं पानी की समस्या को लेकर अध्यक्ष के निवास पर गई थीं तो उन महिलाओं के खिलाफ मामला दर्ज हो गया था। इन महिलाओं में परशुराम की पत्नी भी थीं। उन्हें रात 11 बजे धरमपुरी थाने जाना पड़ा था। इससे वे नाराज थे।
वहीं भाजपा के प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय ने बुजुर्ग की इस हरकत का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ते हुए आईएएनएस से कहा, “जब कांग्रेस में हताशा व निराशा होती है, तो उसके लोग ऐसी ही साजिश रचते हैं।”
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