आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
अभी जनता पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों से उभर भी नहीं पायी कि सरकार ने बिजली के दाम बढ़ाने की घोषणा कर दी। इन बढ़ी दरों से सबसे अधिक प्रभावित केवल वही उपभोक्ता होगा, जो ईमानदारी से बिजली उपयोग कर निश्चित तिथि पर भुगतान कर रहा है। बिजली की चोरी करने वालों की तरफ से चाहें जितने दाम बढ़ जाएं, उन्हें चिंता नहीं।
भारत में बिजली की दरें राजनीतिक तौर पर बेहद संवेदनशील मुद्दा है। देश में लगभग तीन-चौथाई बिजली कोयला बेस्ड पावर प्लांट्स से पैदा होती है। भारत में बिजली की औसत दरें लगभग 5 रुपए प्रति किलोवाट हैं।
रॉयटर्स की नवंबर की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार बिजली कंपनियों इमिशन में कमी लाने वाले इक्विपमेंट लगाने की कॉस्ट का बोझ कंज्यूमर्स पर डालने की अनुमति देने पर विचार कर रही है।
भारत सरकार पहले से ही अपने स्वामित्व वाले फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के माध्यम से पावर प्रोड्यूसर्स को लोन उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है। सेंट्रल इलेक्ट्रिकल अथॉरिटी (सीईए) के चेयरमैन रविंद्र कुमार वर्मा ने एक महीने पहले एक रिपोर्ट में कहा था कि अब उसका लक्ष्य 2022 तक देश के सभी कोयला बेस्ड पावर प्लांट्स में इमिशन कटिंग नॉर्म्स लागू करना है।
पेट्रोल और डीजल दामों में वृद्धि दिल्ली में डीजल की कीमतों ने एक नया रिकॉर्ड बना दिया है। जनवरी 2 को दिल्ली में डीजल के दाम 59.76 रुपए प्रति लीटर पहुंच गए। डीजल के ये दाम अब तक दिल्ली में सबसे ज्यादा है।वहीं, पेट्रोल के दाम भी 69.97 रुपए प्रति लीटर पहुंच चुके है। जानकारों का मानना है कि इसी रफ्तार से दाम बढ़ते रहे तो पेट्रोल भी जल्द नया रिकॉर्ड कायम करेगा। नोमुरा जैसी एजेंसी भी पहले ही आशंका जता चुकी हैं कि पेट्रोल के दाम 80 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच सकते है। आपको बता दें इससे पहले सोमवार को डीजल की कीमत 59.70 रुपए प्रति लीटर थी और पेट्रोल के दाम 69.97 रुपए प्रति लीटर रहे थी। कोलकाता और चेन्नई में डीजल सितंबर 2014 में सबसे महंगा था।
विपक्ष में रहते, भाजपा किसी भी मूल्य वृद्धि की आलोचना करने वाली आज मूल्यों में वृद्धि कर रही है। जबकि अपने चुनाव अभियान में काले धन, भ्रष्टाचार के साथ-साथ जनता के मासिक बजट को ख़राब करने वाली महँगाई पर लगाम लगाने पर चर्चा होती थी। लेकिन दैनिक प्रयोग में आने प्याज, आलू, और अन्य सब्जियों के दामों में विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। और अब पेट्रोल, डीजल आदि के दाम बढ़ने से महँगाई निश्चित रूप से काबू से बाहर होगी। अब व्यापारियों के पास पेट्रोल और डीजल के दामों में हुई वृद्धि का बहाना है। एलपीजी के मूल्यों में यदाकदा वृद्धि होती ही रहती है।
GST में कब आएगा पेट्रोल-डीजल
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 28 दिसंबर 2017 को राज्यों से पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने को कहा था। धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक, कई राज्यों ने पिछले कुछ महीनों में वैट में कटौती भी की है। लेकिन, जिन राज्यों में वैट अधिक है उन्हें और वैट कटौती के लिए कहा है। धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक, राज्यों के बीच सहमति बनने के बाद ही पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। सरकार ने अक्टूबर में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 21.48 रुपए से घटाकर 19.48 रुपए की थी। वहीं, डीजल पर भी एक्साइज ड्यूटी 17.33 रुपए से घटाकर 15.33 रुपए प्रति लीटर की गई थी।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 28 दिसंबर 2017 को राज्यों से पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने को कहा था। धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक, कई राज्यों ने पिछले कुछ महीनों में वैट में कटौती भी की है। लेकिन, जिन राज्यों में वैट अधिक है उन्हें और वैट कटौती के लिए कहा है। धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक, राज्यों के बीच सहमति बनने के बाद ही पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। सरकार ने अक्टूबर में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 21.48 रुपए से घटाकर 19.48 रुपए की थी। वहीं, डीजल पर भी एक्साइज ड्यूटी 17.33 रुपए से घटाकर 15.33 रुपए प्रति लीटर की गई थी।
कच्चे तेल की वजह से भी बढ़ेंगे दाम
कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। फिलहाल कच्चा तेल 3 साल की ऊंचाई पर है। ब्रेंट क्रूड के दाम 67 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच चुके है। इससे पहले जनवरी 2015 में कच्चा तेल 65 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचा था। लेकिन, पिछले दो महीने से कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। जून 2017 के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में 38 फीसदी का इजाफा हो चुका है। डब्ल्यूटीआई क्रूड (यूएस वैस्ट टैक्सास इंटरमीडिएट) की कीमत भी इन दिनों 60.59 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है। जून के बाद से डब्ल्यूटीआई क्रूड 30 फीसदी महंगा हुआ है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती के बजाए बढ़ने की उम्मीद है।
कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। फिलहाल कच्चा तेल 3 साल की ऊंचाई पर है। ब्रेंट क्रूड के दाम 67 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच चुके है। इससे पहले जनवरी 2015 में कच्चा तेल 65 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचा था। लेकिन, पिछले दो महीने से कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। जून 2017 के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में 38 फीसदी का इजाफा हो चुका है। डब्ल्यूटीआई क्रूड (यूएस वैस्ट टैक्सास इंटरमीडिएट) की कीमत भी इन दिनों 60.59 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है। जून के बाद से डब्ल्यूटीआई क्रूड 30 फीसदी महंगा हुआ है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती के बजाए बढ़ने की उम्मीद है।
तनाव बढ़ने से क्रूड होगा महंगा
मिडल ईस्ट में तनाव बढ़ने से ग्लोबल क्रूड की कीमतों में तेजी आने की संभावना है और इसका असर वैश्विक महंगाई पर पड़ेगा। अगर ब्रेंट क्रूड की कीमतें मौजूदा स्तर से 30 पर्सेंट बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल पर जाती हैं तो इससे 2018 में अमेरिका और यूरोप में इन्फ्लेशन 0.4-0.9 पर्सेंट बढ़ेगी। जापान में कोर इन्फ्लेशन 1.5 पर्सेंट को पार कर सकती है। अगर क्रूड ऑइल के दाम बढ़ते हैं तो इससे रूस, कंबोडिया, मलयेशिया और ब्राजील को सबसे अधिक फायदा होगा। इससे भारत, चीन, इंडोनेशिया, थाईलैंड, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की को नुकसान उठाना पड़ेगा।
मिडल ईस्ट में तनाव बढ़ने से ग्लोबल क्रूड की कीमतों में तेजी आने की संभावना है और इसका असर वैश्विक महंगाई पर पड़ेगा। अगर ब्रेंट क्रूड की कीमतें मौजूदा स्तर से 30 पर्सेंट बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल पर जाती हैं तो इससे 2018 में अमेरिका और यूरोप में इन्फ्लेशन 0.4-0.9 पर्सेंट बढ़ेगी। जापान में कोर इन्फ्लेशन 1.5 पर्सेंट को पार कर सकती है। अगर क्रूड ऑइल के दाम बढ़ते हैं तो इससे रूस, कंबोडिया, मलयेशिया और ब्राजील को सबसे अधिक फायदा होगा। इससे भारत, चीन, इंडोनेशिया, थाईलैंड, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की को नुकसान उठाना पड़ेगा।
देश भर में बिजली 62 से 93 पैसे प्रति किलोवाट यानी 20 फीसदी महंगी हो सकती है। पावर मिनिस्टर आर. के सिंह ने मंगलवार को पार्लियामेंट में एक सवाल के जवाब में कहा कि कोल फायर्ड पावर प्लांट्स को अपग्रेडिंग के दौरान पहले साल में बिदली की दरें बढ़ाई जा सकती हैं।
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