आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनवरी 18 की सुबह अचानक ही पूर्वी दिल्ली के जीटीबी सरकारी अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान केजरीवाल अपने पुराने अन्दाज में नजर आये। केजरीवाल ने इमरजेंसी वार्ड से लेकर जनरल वार्ड तक हर जगह जाकर मरीजों का हाल जाना। उनके साथ दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन भी मौजूद थे। मरीजों ने अपनी समस्या बताई। कहा लाइन में तीन चार घंटे तक खड़ा रहना पड़ता है। एक दिन के बाद भी नंबर नहीं आता।
हर मरीज परेशान
अस्पताल में मौजूद लगभग हर मरीज ने शिकायत अस्पताल की अव्यवस्था और बदहाली को लेकर शिकायत किया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी को शिकायतों पर कार्यवाई करने का भरोसा दिलाया।
केजरीवाल ने मरीजों से हेल्प लाइन नंबरों का इस्तेमाल करने की सलाह दी। इस पर मरीजों ने कहा कि हेल्पलाइन नंबर पर की गई शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं होती है। वैसे केजरीवाल को हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज़ करने पर कोई कार्यवाही न किए जाने की पूर्व में भी कई बार जनता द्वारा जानकारी दी जा चुकी है, लेकिन आज भी समस्या वही की वही है।
अस्पताल में चलती है रिश्वत
जीटीबी अस्पताल में इलाज करा रहे महिंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि यहां रिश्वत लेकर अस्पताल में मरीजों को भर्ती कराया जाता है. केजरीवाल ने उनकी बात सुनी और कहा कि उनकी समस्या का निपटारा किया जाएगा।
महिंद्रा कुमार शर्मा ने दिल्ली सरकार द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन उस पर कार्यवाही नहीं हुई।
ऐसे और भी हॉस्पिटल हैं जहाँ रिश्वत का बोलबाला है। जिसे रोक पाना शायद ही संभव हो। और इस रिश्वतखोरी से कोई पार्टी बच नहीं सकती। लेकिन आवाज़ उठाने का साहस कोई पार्टी नहीं कर पायी। चुनावों में जनता को लुभावने नारों से गुमराह किया जाता रहा है, और जनता भी उन लुभावने वायदों और नारों के चक्रव्यूह में फँस जाते हैं। वैसे भ्रष्टाचार की बातें जनता को लेशमात्र भी प्रभावित नहीं करती। अभी कल ही, भाजपा के एक पदाधिकारी ने पारस्परिक वार्ता में स्वीकार किया कि भ्रष्टाचार भारत से समाप्त नहीं हो सकता। यह तो निरन्तर बढ़ रही है।
डॉक्टरों को सरकार की स्कीम के बारे में पता ही नहीं
जब अरविंद केजरीवाल ने मीडिया से बात की तो उनका कहना था कि यहां लोगों को समय पर दवाइयां नहीं मिल रही हैं. इस समस्या को दूर करेंगे. वहीं जब हमने मरीजों के निजी अस्पताल में इलाज को लेकर सवाल किया तो उनका कहना था कि इस स्कीम के बारे में डॉक्टरों को पता ही नहीं है.
मगर ये जवाब लोगों के गले नहीं उतर रहा है. क्योंकि अस्पताल में भी बड़े-बड़े पोस्टर इस योजना के लगाए गए हैं. ऐसा कैसे हो सकता है कि डॉक्टर को पता ना हो.
Comments