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2जी स्पेक्ट्रम : बच गए आरोपी पर नहीं बच पाई सीबीआई

सुब्रमण्यम स्वामी
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपियों को बरी क्या किया, राजनीति में भूचाल आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उन्हीं की पार्टी के नेता ने सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही चेतावनी भरे लहजे में उनसे कार्रवाई करने को कहा है।
2जी मामले पर अदालत की ओर से दिए गए फैसले के बाद कांग्रेस ने इस फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला है।  वहीं इस पूरे मामले में अहम कड़ी भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि वो इस फैसले से निराश नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जाएं। 
स्वामी ने एक ट्वीट कर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं दिवंगत जयलललिता के मामले का उदाहरण दिया। उन्होंने लिखा है कि जयललिता के हाईकोर्ट से बरी होने के बाद कांग्रेस और सहयोगियों ने जश्न मनाया था और फिर सुप्रीम कोर्ट में हार गए। ऐसा ही यहां भी होगा। 
बहुत बुरा निर्णय स्वामी ने फैसले पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आज का फैसला बहुत बुरा निर्णय है, इसे उच्च न्यायालय में ले जाना चाहिए. स्वामी ने कहाकि न्यायाधीश ने कहा है कि पहले बहुत उत्साह था, लेकिन बाद में यह बदतर और बदतर हो गया. न्यायाधीश ने यह भी कहा कि वकील निराश हो गए थे। 
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि कोर्ट का फैसला बेहद खराब रहा। सवाल किया कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि सीबीआई अदालत ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया। मोदी सरकार को फौरन हाईकोर्ट में अपील करनी चाहिए।
इस मामले में सीबीआई ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। मेरी पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में उत्साहित नहीं दिखी, जिसके चलते मामले के आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया।
उन्होंने केंद्र सरकार को नसीहत दी कि यह खराब फैसला मेरे लिए कोई झटका नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि अगर हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के तौर तरीके नहीं बदले, तो साल 2019 में तगड़ा झटका लगेगा। 2019 में लोग हमसे सवाल करेंगे।

रोहतगी पर टिप्पणी

स्वामी ने कहा कि पूर्व एजी मुकुल रोहतगी ने इस फैसले का स्वागत किया है, मैंने प्रधानमंत्री को एजी के रूप में उनकी नियुक्ति का विरोध करने के लिए लिखा था। रोहतगी कुछ आरोपी कंपनियों के लिए अदालत में उपस्थित थे। 
उन्होंने कहा कि यह कोई झटका नहीं है, यह एक भ्रम है क्योंकि कानूनी अधिकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने पर गंभीर नहीं थे. इसलिए मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री इससे सबक लेंगे. स्वामी ने कहा कि इसे पटरी से उतार दिया गया है, लेकिन इसे फिर से ट्रैक पर वापस लाया जा सकता है क्योंकि हमारे पास ईमानदार कानून अधिकारी और वकील हैं जो मंत्रियों के ‘चमचागिरी’ नहीं करते है। 
सीबीआई सन्देह के घेरे में 
सीबीआई के अनुसार राजा ने 13 लाइसेंस देने के लिए 200 करोड़ की रिश्वत ली. 2जी घोटाले के बाद राजा को मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने के बाद काफी दिन जेल में रहना पड़ा. डीएमके सांसद और करुणानिधि की बेटी कनिमोझी को जज सैनी ने जमानत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि ताकतवर राजनेता गवाह और सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं. 2जी घोटाले में बड़े राजनेता और उद्योगपति आरोपी थे और उन सभी को क्लीन चिट मिलने से क्या सीबीआई, सरकार और न्यायिक व्यवस्था कटघरे में नहीं आ गए?
सीबीआई ने बाद में सही पैरवी क्यों नहीं की
जज सैनी के अनुसार नयी सरकार के दौर में सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले में लापरवाही बरती। शुरू में मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता यू.यू.ललित को सीबीआई का वकील बनाया गया था जो की बाद में सुप्रीम कोर्ट के जज बन गए।  उनके बाद इस मामले में सीबीआई की एप्लीकेशन्स और कागजों पर वरिष्ठ अधिकारियों ने दस्तखत करना बंद कर दिया और कई बार सीबीआई इंस्पेक्टर ने अदालत में लिखित जवाब दायर किया। कोल स्कैम मामले में सीबीआई के हलफनामे को पीएमओ की ओर से बदलाव करने पर तत्कालीन कानून मंत्री अश्विनी कुमार की किरकिरी हुई थी, फिर 2जी घोटाले पर सीबीआई के कनिष्ट अधिकारियों से पैरवी क्यों कराई गयी?
जज ओपी सैनी इससे पहले लाल किला में आतंकी घटना, नाल्को घोटाला और कॉमनवेल्थ घोटाले में दोषियों को सख्त सजा दे चुके हैं, जिस कारण उन्हें 2जी मामले में विशेष जज बनाया गया। उनके बाद इस मामले में सीबीआई की एप्लीकेशन्स और कागजों पर वरिष्ठ अधिकारियों ने दस्तखत करना बंद कर दिया और कई बार सीबीआई इंस्पेक्टर ने अदालत में लिखित जवाब दायर किया। कोल स्कैम मामले में सीबीआई के हलफनामे को पीएमओ की ओर से बदलाव करने पर तत्कालीन कानून मंत्री अश्विनी कुमार की किरकिरी हुई थी, फिर 2जी घोटाले पर सीबीआई के कनिष्ट अधिकारियों से पैरवी क्यों कराई गयी? अदालत ने आरोपियों को जमानती बांड देने  का आदेश दिया है, जिससे सीबीआई की ओर से मामले में अपील होने पर सभी आरोपी हाईकोर्ट के सामने पेश हो सकें। इस आदेश से देश के सभी संस्थानों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े हो गये हैं?
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले के आरोप से ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपी भले ही बरी हो गए हों, कोर्ट के सवालों से देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई नहीं बच पाई। अपने फैसले में सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां की हैं।
स्पेशल कोर्ट की इन टिप्पणियों से इस पूरे मामले में जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं। स्पेशल कोर्ट में सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ओपी सैनी ने सीबीआई पर कई गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े किए हैं।

अभियोजन पक्ष की दलीलें रहीं बेतुकी

उन्होंने कहा है कि जैसे-जैसे कोर्ट में 2जी स्पेक्ट्रम मामला आगे बढ़ता रहा, अभियोग पक्ष बेहद सजग रहा और बहस में सतर्कता के साथ दलीलें रखता पाया गया। वहीं, पूरी सुनवाई के दौरान यह समझना मुश्किल था कि अभियोजन पक्ष अपनी दलीलों से कोर्ट में क्या साबित करना चाह रहा था।

सरकारी वकीलों में नहीं था कोई भी तालमेल

अभियोजन पक्ष बेहद कमजोर दलील पेश कर रहा था और मामले में सुनवाई पूरी होते तक कोर्ट को यह साफ हो गया कि अभियोजन पक्ष पूरी तरह दिशाहीन हो गया था। और तो और स्पेशल सरकारी वकील और सामान्य सरकारी वकील बिना किसी तालमेल के दलील देते पाए गए।

ऐसे खींचा मामला कि समझना ही मुश्किल हो गया

जज ने कहा कि टेलीकॉम मंत्रालय द्वारा पेश ज्यादातर दस्तावेज असंगठित थे और मंत्रालय के नीतिगत मुद्दे पूरे मामले को और पेचीदा कर रहे थे। मंत्रालय के अव्यवस्थित दस्तावेजों और नीतियों से संदेह पैदा होता है कि किसी ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले को घोटाले का स्वरूप देने के लिए कुछ अहम तथ्यों को खास तरह पेश किया और कई तथ्यों को ऐसे स्तर तक खींचा गया कि मामले को समझ पाना नामुमकिन हो गया।

ऐसे आया था 1.76 लाख करोड़ रुपए के घोटाले का आंकड़ा, कैग ने लगाया था ये फॉर्म्युला

ऐसे आया था 1.76 लाख करोड़ रुपए के घोटाले का आंकड़ा, कैग ने लगाया था ये फॉर्म्युला
पूर्व कैग विनोद राय
2G स्पेक्ट्रम आवंटन में घोटाले को लेकर शुरू हुआ केस अंत में किसी को भी दोषी साबित करने में नाकाम रहा। दरअसल, यह विवाद नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपए के सरकार के राजस्‍व नुकसान के आंकलन के बाद शुरू हुआ था। हालांकि सीबीआई का मानना था कि इसमें करीब 31 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। दोनों संस्‍थाओं के अनुमान में इस अंतर का कारण टेलीकॉम कंपनियों की आय को अलग अलग नजरिए से देखना था।
कैग ने तैयार की थी 77 पेज की रिपोर्ट
कैग की 16 नवबंर 2010 को रिपोर्ट संसद में रखी गई थी। यह रिपोर्ट 77 पेज की थी, जिसमें 2G  स्पेक्ट्रम आवंटन से सरकार को 57 हजार करोड़ रुपए से लेकर 1.76 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की संभावना जताई गई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि स्‍पेक्‍ट्रम आवंटन को लेकर नियम कायदों का पूरी तरह से पालन नहीं हुआ। ट्राई ने कई सुझाव दिए थे, जिनको पूरी तरह से नहीं माना गया। कैग ने संभावित रेवेन्‍यू का लॉस का फॉर्म्युला  इस गणना के लिए लागू किया था।
कैग के नुकसान का आकलन

किस हेड में कितने नुकसान का आकलन
कितने नुकसान का आकलन
न्‍यू लाइसेंस
102498 करोड़ रुपए
ड्यूल टेक्‍नॉलाजी
37154  करोड़ रुपए
6.2 MHz से ज्‍यादा दिया स्‍पैक्‍ट्रम
36993 करोड़ रुपए
टोटल
176645 करोड़ रुपए
CBI की अलग थी राय
हालांकि सीबीआई ने पूरे मामले की जांच में अपने हिसाब से गणना की थी। सीबीआई की गणना का आधार एडजेस्‍टेड ग्रॉस रेवेन्‍यू था। इस अाधार पर गणना करने पर सीबीआई का कहना था कि इस मामले में 30984 करोड़ रुपए का घपला हुआ है।
122 यूनिफाइड एक्‍सेस सर्विस लाइसेंस हुए थे जारी
2007-08 में 122 नए यूनिफाइड एक्‍सेस सर्विस (UAS) लाइसेंस जारी किए गए थे। यह 2G के लिए थे। इसके अलावा 35 ड्यूल टेक्‍नॉलाजी लाइसेंस और कुछ कंपनियों को अतिरिक्‍त स्‍पेक्‍ट्रम जारी किया गया था। इन्‍हीं लाइसेंस देने की प्रक्रिया और रेवेन्‍यू का कैग ने ऑडिट किया था।
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मनमाना, दोषपूर्ण और भ्रष्ट: मनोज सिन्हा
Image result for manoj sinha bjpसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि 2जी मुद्दे पर अगला कदम क्या होगा इसका निर्णय जांच एजेंसियां करेंगी। उन्होंने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मनमाना, दोषपूर्ण और भ्रष्ट था। उन्होंने यह भी कहा कि राजग सरकार के कार्यकाल में स्पेक्ट्रम आवंटन से जबरदस्त प्राप्ति हुई है।

यह पूछने पर कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फरवरी 2012 में 122 लाइसेंसों को रद्द करने के फैसले पर सरकार क्या करेगी, इस पर सिन्हा ने कहा, “सरकार अभी अदालत के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती है। जांच एजेंसियां तय करेंगी कि अगला कदम क्या होगा। सरकार उस फैसले पर सोच विचार करेगी। सर्वोच्च न्यायालय अपना फैसला दे चुकी है। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मनमाना, दोषपूर्ण और भ्रष्ट था।
सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा सात साल बाद सभी आरोपियों को बरी किए जाने के बाद सिन्हा दूरसंचार मंत्रालय में संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि 2001 में सरकार ने स्पेक्ट्रम का आवंटन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर तय किया था। लेकिन 2008 में संप्रग सरकार ने स्पेक्ट्रम आवंटन पहले आओ पहले चुकाओ के तहत आवंटित किया
सिन्हा ने कहा कि सीवीसी ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर पहले की संप्रग सरकार की आलोचना की थी जबकि उन्होंने राजग सरकार द्वारा 2015, 16 के आवंटन की सराहना की थी।(इनपुट समाचार एजेन्सीज़)

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