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2जी का असली चोर कौन? फैसले में जज ने बताया नाम

सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद अब
 पीएम मोदी पर दबाव है कि वो इस
 केस की अपील ऊपरी अदालत में करवाएं और
 सोनिया गांधी और उनके करीबियों की जांच के आदेश दें।

 Courtesy: HT
राजनीति शतरंज खेल से भी अधिक रहस्मयी खेल है। कौन कब किसे मात दे दे कुछ नहीं पता। 2जी स्पेक्ट्रम पर आये निर्णय से कांग्रेस में एक ख़ुशी की लहर जरूर आई और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया, जिससे आम नागरिक भ्रमित हो गया। लेकिन निर्णय की प्रति हाथ में आने उपरांत सब ओर ख़ामोशी, सन्नाटा और बचने के नए आयामों की तलाश शुरू हो चुकी है। 
मनोज कुमार मिश्रा की फेसबुक वॉल से साभार  निम्न लेख कांग्रेस और तत्कालीन अध्यक्षा सोनिया गाँधी, भूतपूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह पर खतरे के बादल छाए जाने के स्पष्ट संकेत दे रहा है। 
यूपीए के कार्यकाल से सोशल मीडिया पर सोनिया गाँधी के पास अटूट धन होने के समाचार चल रहे थे। यहाँ तक चर्चा थी कि "आखिर सोनिया ऐसा क्या व्यापार करती हैं कि ब्रिटेन की महारानी से अधिक दौलत है। 
सोनिया द्वारा अध्यक्ष पद किसी अन्य को बनाने की बजाए राहुल को बनाए जाने के पीछे भी बहुत बड़ा षड्यंत्र है, जिसे आम जनमानस तो क्या, कांग्रेसी भी समझने में भूल कर रहे हैं। शहज़ाद पूनावाला के विरोध को किसी ने गंभीरता से लेने का प्रयास तक नहीं किया। क्योकि परिवार को डर था कि कहीं परिवार का पार्टी के अध्यक्ष पद पर बने रहने का राज की गोपनीयता का पर्दाफाश न हो जाए। यही कारण है कि घोटालों की वास्तविकता जगजाहिर होने में रुकावटें आ रही हैं।   
सत्ता के गलियारों में काफी समय से चर्चा है कि सोनिया गाँधी भारत छोड़ इटली जाने का मन बना चुकी है, क्योकि सत्ता में रहते घोटाले पर अब उजागर होने की कगार पर हैं, जिन पर अधिक  तक पर्दा डाला नहीं जा सकता। बीमारी या किसी अन्य कारण से भारत छोड़ जाने की फ़िराक में हैं और राहुल एवं प्रियंका भी कब छोड़ चले जाएं, कहा नहीं जा सकता।  
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कोई घोटाला नहीं हुआ था इस बात को देश स्वीकार नहीं कर सकता। विशेष सीबीआई कोर्ट के जज ओपी सैनी के फैसले पर उंगली उठाने से पहले इस फैसले के पीछे के कारणों पर जाना होगा। जज ने जांच की गलतियों का जिक्र करते हुए सभी आरोपियों को छोड़ दिया, लेकिन उसी फैसले में उन्होंने असली घोटालेबाज का नाम भी लिखा है। इस लेख में आगे हम आपको उनके नाम बताएंगे, लेकिन इसके साथ ही आपको कांग्रेस के दौरान हुए घोटालों के पीछे के खेल को भी समझना होगा। कांग्रेस के शासनकाल मे जो भी भारी-भरकम घोटाले हुए वो सभी नेहरू-फिरोज जहांगीर गांधी परिवार की क्षत्रछाया में हुए ये अलग बात है कि उन घोटालों का ठीकरा किसी और पर फोड़ हमेशा से परिवार को बचाने की कोशिश होती रही है। जिसका सबसे ज्वलंत उदाहरण बोफोर्स घोटाला है, जिसमें पहले अमिताभ बच्चन, फिर कभी विन चड्ढा तो कभी हिंदुजा बंधुओं पर दोष मढ़ने की कोशिश होती रही जबकि सत्ता के गलियारों में सभी को पता था कि इसमें क्वात्रोकी भूमिका थी जिस पर सोनिया और राजीव गांधी का हाथ था।

घोटाले और बलि के बकरे

70,000 करोड़ के कॉमनवेल्थ खेल घोटाले में रॉबर्ट वाड्रा का नाम उभरा था, पर गाज गिरी सुरेश कलमाडी पर। वाड्रा को बचाने की सौदेबाजी में शातिर शीला दीक्षित भी खुद को बचाने में कामयाब रहीं। हथियारों के सभी सौदे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नाक के नीचे 10 जनपथ के इशारे पर पीएमओ करता रहा पर जब घोटाले उजागर होने शुरू हुए तो बलि के बकरे ढूंढे गए। पीएमओ के अधीन आने वाले नेवी वॉर रूम से हुए लीक मामले में जिसमे स्कार्पियन पनडुब्बी और अन्य हथियारों से से संबंधित संवेदनशील जानकारियां हथियार डीलर अभिषेक वर्मा को 10 जनपथ के ही इशारे पर पीएमओ के अफसर देते रहे। जब सौदा होने और कमीशन पहुंचने के काफी समय बाद खुलासा हुआ तो शिकंजा सिर्फ अभिषेक वर्मा पर कसा। ऑगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे में भी यही हुआ इटली की अदालत में सोनिया गांधी तक कमीशन पहुंचने के तथ्य सामने आए पर गाज सिर्फ पूर्व वायुसेना अध्यक्ष एयर मार्शल एसपी त्यागी पर ही गिरी।

पीएमओ के 2 अफसरों का खेल

ये तस्वीर पुलक चटर्जी की है,
जो 2011 से 2014 तक पीएम मनमोहन सिंह के
 प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहे थे। वो राजीव और
सोनिया गांधी के बेहद करीबी माने जाते हैं।
 2जी केस में कोर्ट ने फैसले में इन्हीं के नाम
का जिक्र किया है।
ऐसा ही कुछ 2जी घोटाले में हुआ, स्पेक्ट्रम नीलामी की सारी व्यूह रचना राजीव गांधी फाउंडेशन से लंबे समय तक जुड़े रहे गांधी परिवार के करीबी और मनमोहन सिंह के पीएमओ में तैनात नौकरशाह पुलक चटर्जी और टीकेए नायर ने रची। इस बात का जिक्र जज ने अपने फैसले में साफ-साफ किया है। सारे घपले में मनमोहन सिंह की मौन सहमति थी। यह समझा जा सकता है कि ऐसा क्यों और किसके इशारे पर हुआ होगा। कनिमोझी और ए राजा के कंधों का बखूबी इस्तेमाल हुआ। फिर एक बार पर्दे के पीछे से सौदेबाजी करने वाले इस गिरोह को बचाने की कोशिश में कनिमोझी और ए राजा को भी बचना पड़ा।
ये सही है कि 2जी मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सीधे सरकारी वकील नियुक्त किया था और सरकारी दखलंदाजी की भी सख्त मनाही की थी। लेकिन फिलहाल स्थिति यह है कि विशेष सीबीआई अदालत के फैसले से देश मे निराशा और रोष का माहौल है। प्रधानमंत्री मोदी की विश्वसनीयता, समर्पण और ईमानदारी पर कभी उंगली नही उठ सकती, पर देश ये जानना चाहता है कि जब लालू प्रसाद यादव एवं उनके परिवार पर अदालती निगरानी में केंद्रीय एजेंसियां शिकंजा कस सकती हैं तो फिर फिरोज जहांगीर गांधी परिवार, वाड्रा परिवार और अहमद पटेल के साथ ढिलाई क्यों?

2जी में अब आगे क्या होगा?

सरकार को चाहिए कि वो आम लोगों को यह बात बताए कि 2जी घोटाला केस सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहा था और इसमें सरकारी वकील की नियुक्ति से लेकर दूसरे कई मामलों में सरकारी दखलंदाजी की कोई गुंजाइश नहीं थी। हालांकि यह बात भी उतनी ही सही है कि मोदी सरकार के वित्त, गृह और कानून मंत्रियों ने अगर जांच में मनमोहन सिंह के पीएमओ के अफसरों की भूमिका को भी संज्ञान में लाया होता और इस बात के तथ्य कोर्ट के आगे रखे होते कि यह सब कांग्रेस हाईकमान और डीएमके के बड़े नेताओं के इशारे पर हुआ, तो ये शर्मिंदगी न झेलनी पड़ती। जहां तक कांग्रेस और डीएमके की बात है उनके नेता भले ही कह रहे हों कि कोई घोटाला नहीं हुआ, लेकिन जनता अब इतनी मूर्ख भी नहीं कि वो उन पर यकीन कर ले। सच यही है कि अदालती फैसले के बहाने लोगों को उस दौर की याद ताजा हो गई, जब देश के खजाने को कांग्रेस और उसके साथी आपस में मिलकर दोनों हाथ से लूट रहे थे।
देखिए जज ओपी सैनी के फैसले का वो हिस्सा, जिसमें उन्होंने सीधे-सीधे घोटालेबाज अफसर पुलक चटर्जी और टीकेए नायर का नाम लिखा है। हर किसी को पता है कि पुलक चटर्जी गांधी परिवार के घरेलू नौकर की तरह काम किया करते थे।

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