हैदराबाद पुलिस ने नवम्बर 10 को शादी की आड़ में लड़कियों की तस्करी के मामले में दो बहरीन नागरिकों को गिरफ्तार किया है। इनके साथ दो स्थानीय धर्मगुरुओं और एक लॉज के मालिक को भी गिरफ्तार किया गया है।
गिरफ्तार बहरीन नागरिकों की पहचान मोहम्मद महमूद अब्दुल रहमान महमूद और उनके भाई यूसुफ महमूद अब्दुल रहमान महमूद खैरी के रूप में हुई है। साथ ही पुलिस ने 5 अन्य तस्करों को भी 14 साल की एक लड़की के साथ बलात्कार के मामले में गिरफ्तार किया है।
पुलिस के अनुसार, कुलसूम बेगम ने पुराने शहर में भवानी नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि मोहम्मद महमूद अब्दुल रहमान महमूद ने उनकी 29 बर्षीय बेटी से 24 मई को शादी कर ली थी।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि कुलसूम बेगम की बेटी को शादी के बाद बहरीन नागरिक दासी बनाकर अपने साथ ले गए। और अपनी यौन इच्छा को पूरी करने के बाद उसे वापस भेज दिया।
हैदराबाद में लड़कियों के शोषण और उन्हें सेक्स ट्रैफिकिंग में झोके जाने का खतरनाक ट्रेंड सामने आया है। पिछले कुछ समय में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जब लड़कियों को विदेश में बेचा गया है।
कई रिपोर्ट में सामने आया है कि देश के अलग-अलग हिस्सों से लड़कियों को यहां लाया जाता है, फिर उनकी तस्करी की जाती है। बीते साल यहां सबसे ज्यादा मानव तस्करी के मामले पकड़ा गया था।
वैसे अगर पिछले कुछ वर्षों की हैदराबाद के घटनाक्रम की जाँच की जाए तो आभास होता होता है, कि वहां इस तरह की घटनाएं आम बात है, शायद इसी कारण वहां की एवं केन्द्र सरकारों ने कभी इस मुद्दे को गम्भीरता से नहीं लिया। किसी भी सरकार ने और न ही मुस्लिम समाज ने आज तक महिलाओं की सुरक्षा एवं मान-सम्मान को वह स्थान नहीं दिया, जिसकी वह अधिकारी है। 1947 से आज वर्तमान सरकार तक महिला सुरक्षा के नाम पर स्थानीय सदन से लेकर लोकसभा तक इतनी बहसों पर देश का धन बर्बाद करते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं होता। कुछ नहीं से स्पष्ट मतलब है कि देश में जो भी कानून बनता है, उसे हिन्दुओं पर लागू कर केवल खानापूर्ति कर प्रशंसा के पात्र बन जाते हैं। वही कानून मुस्लिम समाज पर आकर घुटने टेक देता है, क्यों? क्या मुस्लिम महिला केवल पुरुषों की वासना तृप्ति कर बच्चे पैदा करने की मशीन है? या मुग़ल सल्तनत में चल रही हरम की परम्परा को चालू रखने में अपनी आन, बान और शान समझते है।
किसी हिन्दू धर्म गुरु द्वारा किसी महिला को छूने पर तिल का ताड बनाकर मीडिया द्वारा खूब प्रसारित किया जाता है, चौबीस घंटे हिन्दू धर्म को कलंकित करने एक से बढ़कर एक खोजी पत्रकार निकल समस्त साधु समाज को कलंकित करने में व्यस्त हो जाता है, लेकिन मुस्लिम मुद्दे पर सबको साँप सूंघ जाता है। हैदराबाद में कोई पहली घटना नहीं है, वहाँ इस तरह की घटना आम बात है, किसी मीडिया में चर्चा तक नहीं होती। क्यों? क्या नेताओं, सरकारों और मीडिया को सारी कमियाँ हिन्दू में ही नज़र आती है? हवस के भूखे मुस्लिम देशो से आते हैं, और दलालों से मिल भारतीय नारी--चाहे वह किसी भी धर्म से हो-- को अपनी वासना की तृप्ति कर छोड़ देते हैं, क्या भारतीय महिला -- चाहे वह किसी भी धर्म से हो-- क्या भोग की वस्तु है? भारतीय नारी को इस जघंन्य हवस से कब मुक्ति मिलेगी?


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