आर.बी.एल.निगम, फिल्म समीक्षक
साल 1967 में सुनील दत्त और राजकुमार की बेहतरीन फिल्म आई थी ‘हमराज’। इसके गाने बहुत पॉपुलर हुए थे। ‘नीले गगन के तले, धरती का प्यार पले’ या ‘तुम अगर साथ देने का वादा करो’। इस फिल्म की अदाकारा थी विमी। ऐसी बेइंतहा खूबसूरत एक्ट्रेस, जिसने सबको दीवाना बना दिया। 60 और 70 के दशक में उनके चारों ओर फैंस की भीड़ रहती थी, लेकिन जब जिंदगी का आखिरी पल आया तो उनकी लाश को ठेले से शमशान पहुंचाया गया। वैसे इस तरह लावारिस की भाँति मृत्यु को अपनानी वाली फ़िल्मी चकाचौंध दुनियाँ की विमी पहली अभिनेत्री नहीं, यह भी कहना असम्भव है कि इसका कभी अंत भी हो पाएगा? फ़िल्मी दुनियाँ है ही, लेकिन इस मतलबी दुनियाँ में जिसे मित्र मिल जाएं, वास्तव वह किस्मत का धनी ही होगा, जैसाकि 50 दशक के चर्चित फिल्म वितरक मेरे पिताश्री एम.बी.एल. निगम।
विमी बीआर चोपड़ा की खोज थीं। कहने वाले उसे अप्सरा जैसी सुंदर बताते हैं। फिल्मों में आने से पहले ही विमी शादीशुदा थीं और उनकी पहली फिल्म रही ‘हमराज’। पहली ही फिल्म से विमी स्टार बन गईं। डायरेक्टर, प्रोड्यूसर उनके घर के चक्कर काटने लगे। लेकिन उनके पति शिव अग्रवाल की वजह से उनका करियर नहीं चल पाया।
पति ने चौपट किया कैरियर
बताया जाता है कि विमी के पति शिव उन्हें काफी परेशान करते थे। कौन सी फिल्म करनी चाहिए या नहीं, ये सब विमी के पति तय करते थे। घरेलू झगड़ों का असर पर्दे पर दिखने लगा। स्टाडम कम होने लगा। तंग आकर विमी ने शिव से अलग होने का फैसला किया, तब तक एक्ट्रेस की इमेज पर बुरा असर पड़ चुका था।
फिल्ममेकर विमी को फिल्म में लेने से कतराने लगे। वजह यह थी शिव शूटिंग पर आकर हंगामा करते। फिल्में मिलना बंद हो गईं, लिहाजा विमी के आर्थिक तंगी की शिकार हो गईं। इससे भी बुरा तो तब हुआ जब डूबते करियर को सहारे के लिए विमी ने कई प्रोड्यूसरों से आर्थिक मदद मांगी, लेकिन सभी ने इनकार कर दिया।
अवलोकन करें :--
अपने करियर में विमी ने सिर्फ 9 फिल्में कीं। लेकिन दौर था, जब उनकी फिल्म आते ही हिट हो जाती थी। उनकी बाद की बची-खुची फिल्में रिलीज तो हुईं, लेकिन फ्लॉप भी हो गईं। पैसों की कमी के कारण उन्हें अपना बंगला भी छोड़ना पड़ा।
डिप्प्रेशन और शराब की शिकार
मीडिया रिपोर्ट्स तो यहां तक कहते हैं कि महंगे कपड़े पहनने वाली, महंगी गाड़ियों में घूमने वाली और लाखों रुपये कमाने वाली हीरोइन गुमनामी के दौर में चली गई। विमी डिप्रेशन का शिकार हो गईं और खुद को शराब के हवाले कर दिया।
स्टारडम से वैश्यावृति तक
उस समय इस बात की बहुत चर्चा थी कि आर्थिक तंगी की वजह से विमी ने खुद को वेश्यावृति के हवाले कर दिया था और इससे उनका बचा हुआ करियर भी बर्बाद हो गया। वैसे विमी पहली और आखरी अभिनेत्री नहीं है जिसने इस पेशे को गले लगाया। कहावत है, जो पकड़ा गया चोर, वरना साहूकार। यदि इनके पति ने सेट पर जा-जाकर हंगामा नहीं किया होता, विमी के पास फिल्मों की कमी नहीं थी, निर्माता-निर्देशक इनके घर के चक्कर काटते थे। अभिनय क्षमता और खूबसूरती की वह धनी थी। लेकिन इनके पति ने सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को असमय मौत की गोद में इतना बेइज्जत कर जाने को मजबूर कर दिया।
ठेले पर शमशान ले गए शव
मुंबई के नानावती अस्पातल में 22 अगस्त 1977, विमी की जिंदगी का आखिरी दिन। बीमार विमी जनरल वार्ड में बिस्तर पर पड़ी थीं। वहीं उन्होंने आखिरी सांसें लीं। कहा जाता है कि आखिरी दिनों में उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि उनकी शव यात्रा निकाली जाए। कोई मदद को आगे नहीं आया तो आखिर में उनकी लाश को एक ठेले पर डालकर ले जाना पड़ा। यही नहीं, उनकी अंतिम यात्रा में बस चार-पांच लोग ही थे।
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