दीपावली आ गयी है। दिल्ली और आस पास पटाखे नहीं बिकेंगे। प्रदूषण होता है। होता ही है, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन प्रदूषण तो डीज़ल वाली गाड़ियों से भी होता है! जिन पर रोक लगाने की कोई भी मुहिम कार लॉबी के दबाव में दम तोड़ जाती है। न्याय की देवी की आँख पे पट्टी बंधी रहती है। उसे कुछ दिखायी नहीं देता। लिहाज़ा फ़ैसला तर्कों और सुनी गयी दलीलों के आधार पर होता है। लेकिन जल्लीकट्टू के घायल बैलों की चीख़ पुकार सुन लेने वाली देवी, बक़रीद पर बलि चढ़ने वाले बकरों की करूण पुकार क्यों नहीं सुन पाती? न्यायमूर्ति के आँखों की पट्टियाँ खुलने पर अदालत का आदेश भी आ गया है।
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अब तो पटाखों का भी धर्म पता लग गया मिलार्ड,
आतंकवाद का धर्म कब पता करोगे ?
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दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक के नौ अक्टूबर को दिए गए फैसले में बदलाव की मांग को लेकर व्यवसायियों का एक समूह अक्टूबर 11 को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. उक्त फैसले में पटाखों की बिक्री पर एक नवंबर तक रोक लगा दी गई थी. व्यवसायियों ने सुप्रीम कर्ट को बताया कि 12 सितंबर को दिए गए शीर्ष अदालत के फैसले के मद्देनजर उनके लाइसेंस बहाल हो गए थे और उन्होंने दीपावली के दौरान बिक्री के लिए पटाखों की खरीद कर ली थी।
जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एएम सप्रे और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने उनकी अंतरिम याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए रखते हुए व्यवसायियों के वकील को आश्वासन दिया कि वह आदेश पारित करने वाले संबद्ध न्यायाधीश से इस बारे में विमर्श करेंगे.
व्यवसायी राजेश कालिया और अन्य की ओर से पेश वकील दीपक चौहान ने कहा कि व्यवसायियों ने लाइसेंस बहाल होने के बाद इसमें बड़ी राशि का निवेश किया, ऐसे में शीर्ष अदालत के हालिया आदेश से उन्हें बहुत अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा.
शीर्ष अदालत ने पटाखों की बिक्री पर एक नवंबर तक रोक लगाते हुए कहा था कि रोक को अस्थायी तौर पर हटाने वाला और पटाखों की बिक्री की मंजूरी देने वाला 12 सितंबर का उसका आदेश एक नवंबर से प्रभावी होगा.
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दीपावली तो हिन्दू त्यौहार है, देश में 25% मुस्लिम, 6% ईसाई, 30% सेक्युलर, 10% वामपंथी आबादी है भाई यानि कुल मिलाकर 71-75% जनता तो दीपावली मनाती ही नहीं है, दीपावली 71-75% जनता का धार्मिक त्यौहार थोड़े ही है। यानि बहुसंख्यक जनता का तो दीपवाली धार्मिक त्यौहार है ही नहीं, बस कुछ 20-22% हिन्दू है। इस देश में वो ही दीपवाली को अपना धार्मिक त्यौहार मानकर मनाते है और घबराने की बिलकुल जरुरत नहीं है क्योकि पटाखों पर बैन सिर्फ 1 नवंबर तक ही है। अब आज से लेकर 1 नवंबर तक, सिर्फ दीपावली, छठ जैसे हिन्दू त्यौहार ही तो है 1 नवंबर के बाद आप पटाखे दिल्ली में खरीद भी सकते हो और फोड़ भी सकते हो। 20-22% हिन्दू तो अल्पसंख्यक है, सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला 71-75% बहुसंख्यकों के लिए थोड़ी है। 1 नवंबर के बाद आप क्रिसमस आएगी, नया साल आएगा, आपकी निजी पार्टियां होंगी, शादियां होंगी सब मे पटाखे जलाइयेगा। प्रदुषण तो सिर्फ 20-22% हिन्दुओ के धार्मिक त्यौहार दीपावली से होती है, दिल्ली में पटाखा बैन का असर सिर्फ दीपावली पर ही है।क्रिसमस, पार्टियों और 31 दिसंबर पर इस बैन का कोई असर नहीं है, 71-75% लोगों को इस फैसले से घबराने की बिलकुल भी जरुरत नहीं है। अब तो पटाखों का भी धर्म पता लग गया मिलार्ड,
आतंकवाद का धर्म कब पता करोगे ?
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को गलत बताया है। शीला दीक्षित ने कहा है की, अगर दीपावली पर ही पटाखों पर बैन लगाया जायेगा, तो लोग बहुत निराश होंगे और ये फैसला काफी गलत है। बहुत से कांग्रेस नेता सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बहुत खुश है
चूँकि निशाने पर हिन्दू त्यौहार है पर शीला दीक्षित ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण और गलत बताया है।
शीला दीक्षित दिल्ली की पूर्व मंत्री रही है, और अभी लगभग रिटायर कांग्रेस नेता हैं
दलीलों को तराज़ू पर तौलने वाली इंसाफ़ की देवी को दही हांडी के उत्सव में बच्चों को लगने वाली चोट तो महसूस होती है, लेकिन मुहर्रम के जुलूसों में ख़ून बहाते लोगों पर, उसका दिल क्यों नहीं पसीजता? होली आते ही पानी बर्बाद ना करने की क़समें देने वाले लोग आइपीएल के मैच तो चाव से देख आते हैं जिसके चौव्वन मैच हरी घास पर खेले जाएँ इसके लिए अरबों लीटर पानी बहा दिया जाता है। देश में कहीं दुर्गा पूजा मनाने के लिए अदालत से दख़ल माँगना पड़ रहा है। कहीं सरस्वती पूजा मनाने के लिए। ऐसे में लोग ये सवाल तो पूछेंगे ही कि संविधान ने तो सबको अपना अपना धर्म मानने और तीज त्यौहार मनाने की छूट दी थी, हमारी आज़ादी कहाँ है?
चेतन भगत सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हैं। उन्होंने अपनी नाराजगी ट्विटर पर जाहिर की है। चेतन भगत ने कहा है पटाखों की बिक्री पर बैन लगाना गैर-जरूरी है। उन्होंने सवाल उठाए हैं कि आखिर किस आधार पर किसी की परंपरा पर बैन लगाया जा रहा है। बिना पटाखों की बच्चों की दिवाली का क्या मतलब रह जाएगा। उन्होंने कहा ये बैन परंपरा पर चोट है। बैन की जगह रेगुलेशन ज्यादा बेहतर होता।
अवलोकन करें:--
यदि यह पोस्ट सही है तो पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने की साजिश भी कांग्रेसियों की ही है।
राम मंदिर के निर्माण के विरुद्ध लड़ने वाले बड़े वकील भी कांग्रेसी ही है।
3 तलाक के विरुद्ध केस लड़ने वाले वकील भी कांग्रेसी ही थे।
प्रायः सभी आतंकियों/अपराधियों/भ्रष्टों के तरफ से केस लड़ने वाले वकील भी कांग्रेसिया ही रहते हैं।
इस केस का लिंक भी अभिषेक मनु सिंघवी के जूनियर तक जाता है।
वही अभिषेक मनु सिंघवी जिनकी तस्वीर एक महिला वकील को जज बनाने के लिये लीक हुई थी।
उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई सुझाव भी दिये हैं। उन्होंने कहा पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत में सुधार कर भी प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। नए विचारों के साथ आइये, बैन के साथ नहीं। चेतन भगत ने दिल्ली की आबो हवा में सुधार के लिए एक हफ्ते के लिए बिजली और गाड़ी का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह भी दी है।राम मंदिर के निर्माण के विरुद्ध लड़ने वाले बड़े वकील भी कांग्रेसी ही है।
3 तलाक के विरुद्ध केस लड़ने वाले वकील भी कांग्रेसी ही थे।
प्रायः सभी आतंकियों/अपराधियों/भ्रष्टों के तरफ से केस लड़ने वाले वकील भी कांग्रेसिया ही रहते हैं।
इस केस का लिंक भी अभिषेक मनु सिंघवी के जूनियर तक जाता है।
वही अभिषेक मनु सिंघवी जिनकी तस्वीर एक महिला वकील को जज बनाने के लिये लीक हुई थी।
चेतन भगत ने सवाल किया है कि केवल हिंदुओं के त्योहार पर बैन लगाने की हिम्मत ही क्यों दिखाई जाती है। क्या जल्द ही बकरीद पर बलि और मुहर्रम के खून खराबे पर भी रोक लगेगी। जो लोग दिवाली की त्योहार में सुधार लाना चाहते हैं मैं उनसे यही शिद्दत खून खराबे वाले त्योहार में सुधार के लिए भी देखना चाहता हूं।
चेतन भगत सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हैं। उन्होंने अपनी नाराजगी ट्विटर पर जाहिर की है। चेतन भगत ने कहा है पटाखों की बिक्री पर बैन लगाना गैर-जरूरी है। उन्होंने सवाल उठाए हैं कि आखिर किस आधार पर किसी की परंपरा पर बैन लगाया जा रहा है। बिना पटाखों की बच्चों की दिवाली का क्या मतलब रह जाएगा। उन्होंने कहा ये बैन परंपरा पर चोट है। बैन की जगह रेगुलेशन ज्यादा बेहतर होता।
उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई सुझाव भी दिये हैं। उन्होंने कहा पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत में सुधार कर भी प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। नए विचारों के साथ आइये, बैन के साथ नहीं। चेतन भगत ने दिल्ली की आबो हवा में सुधार के लिए एक हफ्ते के लिए बिजली और गाड़ी का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह भी दी है।
चेतन भगत ने सवाल किया है कि केवल हिंदुओं के त्योहार पर बैन लगाने की हिम्मत ही क्यों दिखाई जाती है। क्या जल्द ही बकरीद पर बलि और मुहर्रम के खून खराबे पर भी रोक लगेगी। जो लोग दिवाली की त्योहार में सुधार लाना चाहते हैं मैं उनसे यही शिद्दत खून खराबे वाले त्योहार में सुधार के लिए भी देखना चाहता हूं।


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