आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
एक कहावत है "जाको राखो साईयाँ, मार सके न कोय" नरेन्द्र मोदी पर शत-प्रतिशत चरितार्थ होती है। इनके मुख्यमन्त्री कार्यकाल से लेकर आज तक इनकी जीवन लीला पर पूर्णविराम लगाने की पता नहीं, कितनी योजनाएँ बनी, परमपिता परमेश्वर की कृपा से समस्त योजनाएँ निष्फल होती जा रही हैं। 2014 चुनाव पूर्व बिहार रैली के दौरान गाँधी मैदान में किस तरह से बम पटाखों की भांति फोड़े जा रहे थे। सुरक्षाकर्मियों ने मोदी को रोकने का प्रयास किया, लेकिन मोदी ने यह कहकर "लाखों में जनता मुझे सुनने आयी है", रैली स्थल की ओर चल दिए। शायद वही पहली रैली थी, जिसमे अपना भाषण समाप्त कर, दुबारा माइक पर आकर जनता से आराम से घर जाने का अनुरोध किया था। अब जो आदमी बारूद ढेर पर भाषण देने की क्षमता हो, तब इसे क्या कहा जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने वाला लश्कर-ए-तयैबा से जुड़े व्यक्ति को पुलिस ने एक बार फिर से गिरफ्तार कर लिया है। गुरुवार को मुरादाबाद पुलिस ने आरोपी को फर्जी कागजात रखने के आरोप में गिरफ्तार किया है, जिनमें नकली पासपोर्ट भी शामिल है। बता दें कि आरोपी हथियार रखने और आरडीएक्स रखने के मामले में बेल पर बाहर था। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार पुलिस ने बताया कि 48 वर्षीय फरहान अहमद अली ने 2011 में कुवैत का सफर किया था जब्कि बेल पर बाहर आने के बावजूद किसी भी आरोपी को देश या शहर से बाहर जाने की इजाजत नहीं होती। अली ने इस कानून को तोड़ा।
मुरादाबाद पुलिस ने अली को मुगलपुरा पुलिस थाना क्षेत्र के बाराबलां इलाके से गिरफ्तार किया। पुलिस ने जब अली के घर की तलाशी ली तो उन्हें वहां पर नकली आईडी मिलीं जिनमें, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, आधार कार्ड और फर्जी पासपोर्ट शामिल थे। जब पुलिस ने अली के पिछले रिकोर्ड खंगाले तो उन्हें उसकी सच्चाई पता चली और उन्होंने एटीएस, आईबी और अन्य सिक्यूरिटी एजंसी को अलर्ट जारी किया, जिसके बाद जांच अधिकारी अली से पूछताछ कर रहे हैं।
गौरतलब है कि अली समेत अन्य लश्कर-ए-तयैबा के व्यक्ति शाहिद अहमद बक्शी को नई दिल्ली स्थित निजामुद्दीन स्टेशन से 4 किलो आरडीएक्स, पिस्टल, भारी मात्रा में बारुद के साथ 28 अगस्त, 2002 में गिरफ्तार किया था। 2002 गुजरात दंगे के मामले में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेताओं की हत्या करने की योजना बनाने का इन्हें दोषी पाया गया था, जिसके बाद से अली व शाहिद जेल में बंद थे।

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