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नहीं थम रही बिजली चोरी ! मोदी के ‘उदय’ का टारगेट हो रहा है फेल

18 राज्‍यों में नहीं थमी बिजली चोरी, मोदी के ‘उदय’ का टारगेट हो रहा है फेलदेश में बिजली की स्थिति में सुधार के लिए मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई उदय (उज्‍जवल डिस्‍कॉम्‍स एश्‍योरेंस योजना) का टारगेट अचीव होता नहीं दिख रहा है। खासकर बिजली चोरी के मामले में 18 राज्‍य अपने टारगेट से कोसों दूर हैं। उदय स्‍कीम को शुरू हुए दो साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन अब तक उदय के खास परिणाम देखने को नहीं मिले हैं। डिस्‍कॉम्‍स ( बिजली वितरण करने वाली सरकारी – गैर सरकारी कंपनी) के लॉस का बड़ा कारण बिजली चोरी (एटीएंडसी लॉस) को माना जाता है, लेकिन राज्‍यों में इस पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है। एक्‍सपर्ट्स का कहना है‍ कि राजनीतिक हस्‍तक्षेप और स्‍टेट डिस्‍कॉम्‍स की इंस्टिट्यूशनल कैपेसिटी की कमी की वजह से एटीएंडसी लॉस में कमी नहीं आ रही है।
क्‍या है उदय का टारगेट
18 राज्यों  में नहीं थमी बिजली चोरी, मोदी के ‘उदय’ का टारगेट हो रहा है फेल (फाइल)उज्‍जवल डिस्‍कॉम्‍स एश्‍योरेंस योजना (उदय) की शुरुआत मोदी सरकार नवंबर 2015 में की थी। इसका मकसद बिजली सप्‍लाई करने वाली कं‍पनियों ( डिस्‍कॉम्‍स) की फाइनेंशियल पॉ‍जिशन में सुधार करना है। सरकार के मुताबिक डिस्‍कॉम्‍स लगभग 3.8 लाख करोड़ रुपए के लॉस में हैं, जबकि उन पर 4 लाख करोड़ रुपए से अधिक कर्ज है।.मोदी सरकार के मुताबिक डिसकॉम्‍स के घाटे की एक बड़ी वजह एटीएंडसी लॉस है, जिसमें आम भाषा में बिजली चोरी कहा जाता है। पिछले साल जब उदय की शुरुआत हुई तो उस समय कहा गया कि देश में एवरेज एटीएंडसी लॉस का प्रतिशत 25 है, जबकि यूके-यूएस में 6 और 7 फीसदी है। सरकार ने टारगेट रखा है कि मार्च 2019 तक देश का औसत एटीएंडसी लॉस 15 फीसदी तक पहुंचा दिया जाएगा।
2 राज्‍यों ने अचीव किया टारगेट
मिनिस्‍ट्री ऑफ पावर द्वारा संचालित उदय पोर्टल के मुताबिक, अब तक 27 राज्‍यों और केंद्र के बीच उदय को लेकर समझौता हुआ है। इसमें से 20 राज्‍यों का एटीएंडसी लॉस का डाटा पोर्टल पर उपलब्‍ध है। इनमें केवल दो राज्‍यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश ने एटीएंडसी लॉस का टारगेट हासिल किया है।
टारगेट से कितनी दूर है राज्‍य
उदय पोर्टल के मुताबिक, कई राज्‍य टारगेट से काफी दूर हैं। इनमें से 12 राज्‍यों के आंकड़ें इस प्रकार है। 
राज्‍य            टारगेट (फीसदी में)    वर्तमान एंटीएंडसी लॉस (फीसदी में) 
बिहार               35                         44.35 
झारखंड            30                         43.3 
जम्‍मू कश्‍मीर     45                         58.1 
छतीसगढ़         19                         44.22 
उत्‍तर प्रदेश       28                         34.36 
हरियाणा          24.02                    28.42 
राजस्‍थान        20                         28.86 
मध्‍यप्रदेश       21.15                    31.52 
उत्‍तराखंड      16                          39.48 
महाराष्‍ट्र        16.74                     28.54 
पंजाब           15.30                     19.22 
गुजरात         15                          14.22 
*स्‍त्रोत : उदय पोर्टल से 30 सितंबर 2017 को शाम 7 बजे लिए गए आंकड़ें 
सरकार हुई सक्रिय
 एटीएंडसी लॉस के मामले में राज्‍यों के पिछड़ने के चलते केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है। मिनिस्‍ट्री ऑफ पावर के अधीन काम कर रही पावर फाइनेंस कंपनी पीएफसी लिमिटेड की ओर से 20 सितंबर को उदय में शामिल सभी राज्‍यों की डिस्‍कॉम्‍स को पत्र लिखा गया है। जिसमें एटीएंडसी लॉस का टारगेट अचीव न होने पर नाराजगी जताते हुए कहा गया है‍ कि वे इसकी स्‍टडी करें कि एटीएंडसी लॉस का टारगेट हासिल करने में क्‍या दिक्‍कतें आ रही हैं।
कैसे हो सकता है टारगेट अचीव 
क्रिसिल इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर एडवाइजरी के सीनियर डायरेक्‍टर विवेक शर्मा ने moneybhaskar.com को बताया कि‍ सबसे पहले सरकार को 100 फीसदी मीटरिंग का टारगेट हासिल करनाकरना होगा। इससे बिजली चोरी के साथ रेवेन्‍यू लीकेज रुकेगी और डिस्‍कॉम्‍स के पास पैसा आएगा।
शर्मा ने कहा कि‍ लोगों को मीटर लगाने के लिए रूरल एरिया में सस्‍ती बिजली देनी होगी। इसके लिए राज्‍य सरकारों को नए रूरल कंज्‍यमूर्स के लिए नए मीटर लगाने पर सस्‍ता पावर टैरिफ की पॉलिसी बनानी होगी, ताकि लोग मीटर लगाने के लिए प्रेरित हों। इसके अलावा उन रूरल कंज्‍यूमर्स को सब्सिडी दी जानी चाहिए, जिनके घरों घरों में मीटर लगे हैं, लेकिन वे अधिक बिल नहीं दे सकते।
उन्‍होंने कहा केंद्र सरकार की एजेंसियों और प्राइवेट प्‍लेयर्स द्वारा डिसकॉम्‍स को मैनेजमेंट कंट्रोल या डिस्ट्रिब्‍यूशन फ्रेंचाइजी या पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत एक्टिव सपोर्ट दिया जाना चाहिए।
मोदी को लांछित करते कोई थकता कि "अच्छे दिनों का सब्जबाग दिखाने वाले मोदी अच्छे दिन कब आएंगे?" लेकिन मोदी की जनहित योजनाओं को क्रियाविन्त करने में कितने लोग तत्पर रहते हैं? सड़क पर आकर नारेबाजी करना, सोशल मीडिया पर योजनाओं का प्रचार करने से कहीं अधिक जटिल काम है, उनको क्रियाविन्त करने में हो रही कठिनाइयों और लापरवाहियों को सम्बन्धित अधिकारियों और नेताओं के सम्मुख प्रस्तुत करें, और यदि दोनों अनदेखा करें, उस स्थिति में प्रदर्शन करें। तब भी बात न बने केवल तभी उसकी शिकायत मोदी से करें। यह बात व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कह रहा हूँ। जब किसी स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हुई, सीधे मोदी से अनुरोध करवा दिया। समस्या का निपटारण ही नहीं लाखों रूपए भी मिल गए, जिसकी उम्मीद भी नहीं थी।   
moneybhaskar.com द्वारा प्रकाशित उपरोक्त रपट बिजली समस्या पर मोदी सरकार की गंभीरता को दर्शा रही है। लेकिन कहीं भी बिजली कम्पनियों को बिजली चोरी को रोकने के लिए बाध्य नहीं किया गया है। जो चिंता का विषय है। कोई बिजली अधिकारी अथवा नेता अपने दायित्व से बच नहीं सकता। सबको मालूम है, कि किस अधिकारी अथवा नेता के क्षेत्र में कितनी बिजली चोरी हो रही है। लेकिन अपनी नौकरी बचाने के लिए अधिकतर बेकसूरों को बलि का बकरा बनाया जाता है। सरकार को चाहिए सर्वप्रथम नेताओं द्वारा लगाए जाने वाले "बिजली चोरी एवं मीटर टेम्परिंग के मोटे बिलों के  निपटारण हेतु कैम्पों" पर पाबन्दी लगनी चाहिए। लोगों ने अपने घर एवं कार्यालय वातानुकूलित तो कर रखे हैं, लेकिन बिजली चोरी करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है।

उदाहरण: प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं। जामा मस्जिद स्थित इंद्रप्रस्थ स्कूल आइए। स्कूल के आगे मोड़ पर रोड लाइट से सड़क के बीच में लगी 8/10 लगी लाइटों का कनेक्शन कहाँ से है? यह रोड लाइट चालू होने पर ही जलती हैं और रोड लाइट बंद होने पर बंद होती है। जिसे एक सूरदास भी देख सकता है। तार भी पीली है, मतलब बिजली विभाग का आशीर्वाद। लेकिन न किसी अधिकारी को चिंता और न ही नेता को। और यह लाइट रौनक बढ़ा रही है, एक होटल की। जो होटल में पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है कि "होटल में कितनी लाइट नंबर एक में है और कितनी नंबर दो में।" यह तो उच्च स्तरीय गम्भीर जाँच ही कुछ रहस्य खोल पाएगी। 
दूसरा उदाहरण, इस चित्र में देखिए दो तार नज़र आ रहे हैं, इनमे से एक तो हट गया, दूसरा रहस्मय है। क्योकि जब घरों में कनेक्शन पोल से हैं और रोड लाइट भी पोल से, फिर ये तार कहाँ जा रही है? मजे की बात इन दो तारों में से एक तार तो पड़ी रात्रि के लगभग 12 बजे। और जब इन दो तारों में से एक तार उतारी गयी, तब तार पर चिन्हित तारीख को भी नोट किया गया था। तार भी 60/70 मीटर लम्बी थी। विभाग से इतनी लम्बी तार कैसे बाहर आयी? 
बिजली चोरी क्यों होती है?
दिल्ली में, और प्रदेशों का कहता नहीं, जब से बिजली का निजीकरण हुआ है, भ्रष्टाचार  बहुत बढ़ गया है। पीली तार जब घरों में पड़ी, क्रमिक चाय-पानी के लिए रूपए  मांगे, मीटर बदले गए, तब भी। किसी कारणवश घर की लाइट नहीं आ रही, ठीक करने आए क्रमिक को फिर चाय-पानी और यह चाय-पानी कम से कम 500 रूपए होती है। पुराने कर्मचारियों का भी मानना है कि "आज बिजली विभाग में हमारे कार्यकाल से कहीं अधिक भ्रष्टाचार है। और सारे नेता चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे लगता है, नेताओं की मिलीभगत से बिजली कंपनी में भ्रष्टाचार फलफूल रहा है।" जैसे-जैसे चुनाव निकट आते हैं, समस्त राजनीतिक दल तेज भागते मीटरों का रोना रोने लग जाते हैं, लेकिन चुनाव सम्पन्न होते ही सब तेज भागते मीटरों को भूल जाते हैं। बिजली चोरी रोकने के लिए सर्वप्रथम बिजली टेर्रिफ कम हो और तेज भागते मीटर बदले जाएँ। उसके बाद भी जो बिजली चोरी या मीटर में छेड़छाड़ का दोषी हो, पूरा हर्जाना वसूल किया जाए, किसी कैंप की इजाजत नहीं दी जाए। हर उपभोक्ता बिल देना चाहता है, चोरी से दूर भागता है। लेकिन बिजली चोरी करने वालों के कारण जब टेर्रिफ बढ़ता है, उसका हर्जाना ईमानदारी से इस्तेमाल कर रहे बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है।   
इसमें कोई दो राय नहीं कि लाल बहादुर शास्त्री के बाद यदि देश को सख्त प्रशासक मिला है, तो उसका नाम नरेन्द्र दामोदर दास मोदी है। शास्त्री जी के नाम लेवा केवल चुटकी भर हैं, क्योकि उनके सख्त कदमों से उन्ही की पार्टी नाराज थी। काश, ताशकंत से जीवित आ गए होते ! उन्होंने अपने 18 माह के शासन से नेहरू के 18 वर्षों को भुलवा दिया था। जिस तरह शास्त्री तुष्टिकरण को त्याग "सबका साथ, सबका विकास" की ओर अग्रसर थे, मोदी की भी कार्यशैली लगभग वही है।      

    
   








  

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