| वृन्दावन की बैठक में मौजूद संघ प्रमुख मोहन भागवत और सर कार्यवाह भैयाजी जोशी |
वैसे प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी किसी भी आलोचना से कभी डगमगाते नहीं, बल्कि उस पर चिन्तन करने से पीछे भी नहीं हटते। लेकिन आलोचना का आधार होना चाहिए, निराधार नहीं। अपनी इस बैठक में संघ ने जितनी भी आलोचना की है, मोदी उसका संज्ञान जरूर लेंगे। और लेना भी चाहिए। चीनी उत्पात से देश को और देश की जनता को कितना नुकसान हो रहा है, किसी से छुपा नहीं। चीनी उत्पात के आगे Consumer Forum भी असफल है। वास्तव में चीनी उत्पात की कोई गारण्टी नहीं होती, वह तो Use and Throw पद्द्ति अपनाए अपने उत्पात को बनाते और बेचते हैं।
इस कार्यक्रम में स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय मजदूर संघ (BMS) और भारतीय किसान संघ (BKS) भी शामिल थे। स्वदेशी जागरण मंच ने नीति आयोग की नीतियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वे निर्धनों के लिए ठीक नहीं थीं। मंच ने कहा कि चीन से सस्ता माल आने की वजह से भी लोगों को नुकसान हुआ। उन्होंने चीनी सामान का बहिष्कार करने के लिए कहा था। मंच ने कहा कि नवंबर में एक रैली रखी जाएगी। इस रैली में मजदूरों को हो रही परेशानी और उनकी मांगों को उठाया जाएगा। स्वंयसेवक बैठक साल में दो बार होती है। इसमें RSS से जुड़ी 40 संगठन शामिल होते हैं।
इस बार मीटिंग में संघ संचालक मोहन भागवत, संघ कार्यवाहक भय्याजी जोशी, दत्तात्रेय होशबोले, सुरेश सोनी, कृष्ण गोपाल और कई सीनियर नेता शामिल हुए थे। पहले दिन देश आंतरिक सुरक्षा पर चर्चा हुई थी। जिसमें जम्मू कश्मीर, केरल और बंगाल राज्यों की चर्चा हुई । बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। योगी आदित्य नाथ, केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा भी वहां गए थे।
सीनियर बीजेपी नेता भी वहां होते लेकिन कैबिनेट बदलाव को लेकर हो रही हलचल की वजह से उनका जाना कैंसल हो गया।
अमित शाह को अग्रिम नहीं बल्कि पीछे की पंक्ति में मिला स्थान
भारत की वर्तमान राजनीति में वो पावर हाउस बने हुए हैं। सत्ता उनके इर्द-गिर्द घुमती है। पीएम नेरन्द्र मोदी के वो सबसे बड़े विश्वासपात्र हैं। देश पर शासन करने वाली भारतीय जनता पार्टी उनके नेतृत्व में वर्चस्व के शिखर पर है। आज बीजेपी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के नाम से जानी जाती है। अमित शाह की दोस्ती की ख्वाहिश आपकी राजनीतिक महात्वाकांक्षा के लिए मजबूत सीढ़ी साबित हो सकती है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की शख्सियत के चित्रण का मकसद उनके राजनीतिक आभामंडल को दर्शाना है। लेकिन नीचे की इस तस्वीर को देखिए। वृन्दावन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक चल रही है। आरएसएस की इस मीटिंग में संघ और उसके अनुसांगिक संगठनों के पदाधिकारी देश के सम-सामयिक मुद्दों पर चर्चा करने इकट्ठा हुए हैं। तस्वीर के एकदम बायीं ओर अपनी नजरों को ले जाइए। कई चेहरों के बीच आपको दिखेंगे भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह। पीछे से तीसरी और बायीं तरफ से दूसरी पंक्ति में बैठे अमित शाह संघ की उस बैठक में शिरकत कर रहे हैं जहां हर शख्स संघ का महज एक स्वयंसेवक हैं। इस बैठक में स्वयंसेवकों की राजनीतिक, सामाजिक हैसियत से नेम प्लेट और कुर्सियों की कतार तय नहीं होती है। लिहाजा अमित शाह को एक कोने में बैठना पड़ा।
अमित शाह जब वृन्दावन में संघ की बैठक में शिरकत करने पहुंचे तो उनके पास कैबिनेट में एक्सटेंशन के लिए मंत्रियों का नाम तय करने की अहम जिम्मेदारी थी। लेकिन बावजूद इसके अमित शाह इस मीटिंग में अपनी हाजिरी लगाने पहुंचे। ये छोटा सा वाकया पीएम मोदी और अमित शाह के शक्तिशाली नेतृत्व के बावजूद हमें संघ की ताकत का आगाह कराता है। संघ समय समय पर बीजेपी समेत अपने कई संबंद्ध संस्थाओं से बैठक करता रहता है। ताकि दोनों पक्षों के बीच विचार विनिमय होता रहे और संशय के बादल भी छंटते रहे।
इस बैठक में पाकिस्तान और चीन को आर्थिक रूप से कमजोर करने पर चर्चा हुई। समन्वय बैठक में संघ ने जीएसटी और नोटबंदी पर सरकार का समर्थन किया। हालांकि, संघ ने माना कि जीएसटी से छोटे व्यापारियों को नुकसान हुआ है। इसके अलावा समन्वय बैठक में 2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर भी चर्चा हुई। सूत्रों ने बातया कि राट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक के पहले दिन शुक्रवार को अमित शाह ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच केशवधाम में करीब आधे घंटे तक गहन मंत्रणा हुई।
सूत्रों के मुताबिक संघ को लगता है कि सरकार रोजगार पैदा करने में नाकाम रही है। आरएसएस इसको लेकर बैठक में पहुचे अमित शाह को लगातार चेतावनी दे रही थी जिसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बैठक से दिल्ली लौट आये! कुछ पदाधिकारियों की माने तो संघ सबसे ज्यादा नरेन्द्र मोदी से नाराज है! नाम ना लेने की शर्त पर सूत्र ने बताया कि नरेन्द्र मोदी को लेकर अमित शाह को चुनौती भी दी गई और बोला गया कि उनके पास नरेन्द्र मोदी के अलावा भी विकल्प है!
कश्मीर-चीन के साथ डिप्लोमेटिक पर दी शाबाशी
हालांकि मोदी सरकार को कश्मीर और चीन के साथ डिप्लोमेटिक स्तर पर मिली जीत पर संघ ने शाबाशी दी है। इन दोनों मुद्दों पर शुक्रवार को चर्चा हुई थी। इसके साथ ही संघ ने यह भी साफ किया है कि वह कई अहम मंत्रालयों के कामकाज से भी खुश नहीं है।
हालांकि मोदी सरकार को कश्मीर और चीन के साथ डिप्लोमेटिक स्तर पर मिली जीत पर संघ ने शाबाशी दी है। इन दोनों मुद्दों पर शुक्रवार को चर्चा हुई थी। इसके साथ ही संघ ने यह भी साफ किया है कि वह कई अहम मंत्रालयों के कामकाज से भी खुश नहीं है।
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