बाबा राम रहीम इंसा का काला सच लोगों के सामने है, जिसकी सज़ा भी उसे मिल चुकी है। मगर उसके अनुयायियों ने उसकी सज़ा के ऐलान के बाद जो दंगा फासद किया, उसके लिए पूरी मीडिया और मीडिया के प्रभाव में ही सोशल मीडिया भी बीजेपी सरकार को लगातार कोस रह है। मगर एक बात जिसे मीडिया भी नहीं दिखा रहा है, उसे जानना सबके लिए बेहद जरूरी है।
खबर अनुसार 2009 में बाबा के समर्थन से सरकार बनाने वाली कांग्रेस अगर 2010 में ही आर्मी की एक छोटी सी बात मान लेती तो आज पंजाब, हरियाणा समेत पूरे NCR को ना जलना पड़ता। शायद कांग्रेस और मीडिया का यही झोल हर मामले में रहता है। कांग्रेस के काले दाग मीडिया हमेशा छिपाने की कोशिश करती है।
बाबा की सजा के बाद हाल ही में हरियाणा समेत कई राज्यों हुए दंगों के बाद एक सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों को उसके सिरसा स्थित मुख्यालय में हथियारों की ट्रेनिंग दी गई थी? ये सवाल इसलिए भी बड़ा है क्योंकि आर्मी इंटेलिजेंस ने दिसंबर 2010 में इसकी आशंका जताई थी। उस दौरान आर्मी इंटेलिजेंस ने कहा था कि ट्रेनिंग के लिए पूर्व सैनिकों का इस्तेमाल हो सकता है। इसे देखते हुए सभी सैनिकों को अडवाइजरी जारी की गई थी कि वे डेरा से दूर रहें।
हालांकि डेरा की तलाशी में पुलिस को अभी तक इसके सबूत नहीं मिले हैं कि वहां हथियारों को जमा किया गया था या अनुयायियों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी। मगर पंचकूला हिंसा के बाद डेरा समर्थकों को हथियारों के साथ पकड़ा गया था जिनमें राइफल और पिस्टल शामिल थे।
आपको जानकर हैरानी होगी कि हथियारों की ट्रेनिंग का मुद्दा 2014 के आखिर में भी सामने आया था जब एक अन्य विवादित बाबा रामपाल ने कोर्ट की अवमानना के मामले में हिसार में अपने डेरा में पुलिस को अपनी गिरफ्तारी से रोकने की कोशिश की थी। उस दौरान हुए संघर्ष में 6 लोग मारे गए थे।
बाबा रामपाल के विषय में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने रामपाल के सतलोक आश्रम के भीतर हथियारों की ट्रेनिंग की रिपोर्ट्स का स्वतः संज्ञान लिया था और 4 दिसंबर 2014 को हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया था। उस केस में एमिकस क्यूरी रहे ऐडवोकेट अनुपम गुप्ता ने तब सेना के अडवाइजरी को कोर्ट में पेश किया था।
मगर उस समय में हरियाणा की कांग्रेस सरकार ने डेरा को क्लीन चीट देते हुए 2015 में कोर्ट में कहा था कि जांच में हथियारों की ट्रेनिंग या हथियारों को जमा रखने की बात सामने नहीं आई थी। इस बारे में हरियाणा के ऐडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा है कि सेना की अडवाइजरी पुरानी थी। मगर पिछली सरकार ने डेरा में कुछ नहीं पाया था।’
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