गुजरात में राज्यसभा के तीन सीटों पर अगस्त 8 को चुनाव होना है जिसमें दो पर भाजपा का जीतना तो तय है लेकिन एक सीट जो कांग्रेस के खाते की थी उस पर भाजपा ने ऐसा चक्रव्युह रच दिया है कि सोनिया गांधी के रणनीतिकार अहमद पटेल को दिन में तारे दिखने लगे है। भाजपा ने अहमद पटेल को हराने के लिए जो एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है उसके पीछे एक नही अनेक कारण है।
पहला यह कि बहुत लोगों को यह पता नही होगा कि कांग्रेस में सोनिया और राहुल के बाद अहमद पटेल का ही सिक्का चलता है। सोनिया गांधी अहमद पटेल से बिना सलाह लिए कोई काम नही करती है। कांग्रेस के पार्टी फंड में धन जुटाने से लेकर रणनीति बनाने का काम अकेले यही अहमद सम्भालता हैं। सिर्फ कांग्रेस पार्टी में ही नही मनमोहन सरकार में भी इनका सिक्का जमकर चलता था जिसका खुलासा कुछ दिन पहले मनमोहन सिंह के सलाहकार संजय बारू ने भी अपनी एक किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनीस्टर ' में किया था।
यह ऐसे तो यह ईमानदार और सादगी पसंद नेता हैं लेकिन इनका चरित्र हिंदू विरोधी रहा है। गोधरा कांड के आरोपियों को इन्होने बचाने के लिए अपनी जी-जान लगा दी। मनमोहन सरकार बनने के ठीक दो महीने बाद जुलाई 2004 में एक जांच कमेटी बनाई गयी। उस बेनर्जी समिति से जांच गठित करवा कर काल्पनिक रिपोर्ट दिलवाया गया कि गोधरा कांड साजिश नही ब्लकि एक दुर्घटना मात्र था जो आग लगायी नही गयी बल्कि अंदर से ही किसी के गलती के कारण लग गई थी। यह अलग बात है इस काल्पनीक रिपोर्ट को न तो न्यायालय ने स्वीकार किया और न ही भारत की जनता ने। लेकिन यह काल्पनिक रिपोर्ट आने से पहले पूर्व के ही जांच रिपोर्ट पर कारवाई हो रही थी।
अहमद पटेल के ही इशारे पर कांग्रेस सरकार द्वारा नरेन्द्र मोदी को बुरी तरह से परेशान किया गया। किंतु तमाम चक्रव्युह रचने के बाद भी जब मोदी इसको नाकाम बनाते गयें तो अहमद पटेल ने मोदी के सबसे निकट सहयोगी और विश्वस्त गृहमंत्री अमित शाह को फंसा कर गंदी राजनीति खेली। इस अहमद पटेल ने अमित शाह को पुलिस एनकाउंटर के मामले में सलाखों के पीछे भिजवाया था।
जिस देश में निर्दोष व्यक्तियों के एनकाउंटर में दरोगा भी जेल नहीं जा पाता है उसी देश में लश्कर तोएबा के आतंकवादियों के एनकाउंटर में गुजरात के गृह मंत्री अमित शाह को जेल भेजा गया था।
अभी हाल ही गुजरात के सीआईडी ने अपने जांच में पाया है मोदी सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने के लिए अहमद पटेल ने ही दलित संबधी उना कांड की साजिश रची थी इस कांड के साजिशकर्ता वंशभाई भीमभाई है जो अहमद पटेल के विश्वस्त सिपाही हैं।
यही सब कारण है कि अहमद पटेल को हराने के लिए अमित शाह जी-जान की कोशिश कर रहे है। कहते हैं न कि समय बहुत बलवान होता है और समय जब आज पलटा तो अहमद पटेल आज सड़क पर हैं अमीत शाह आज एकक्षत्र शहशांह हैं जिनके साथ कभी गंदी राजनीति खेलकर लश्कर तोएबा के एक आतंकवादी के इंकाउटर पर अहमद पटेल ने जेल भिजवाया था।
बहुत कम लोग यह जानते हैं कि साम्प्रदायिक हिंसा निवारण बिल और सच्चर कमेटी रिपोर्ट लागु कर बहुसंख्यक हिंदूओ को आर्थिक और कानूनी रूप से सड़क पर लाने का सोंची-समझी साजिश इसी अहमद पटेल की थी।
यदि किसी कारणवश यह कानून कांग्रेस में विराजमान और कांग्रेस के समर्थक पाखंडी हिन्दुओं द्वारा पारित हो गया होता, हिन्दू अपने ही देश में अपनी ही सरकार द्वारा एक गुलाम बन गया होता। और यह पाखंडी हिन्दू ही शेष हिन्दुओं की लाशों पर बैठकर मालपुए खा रहे होते। अब प्रश्न यह है कि "क्या शांतिप्रिय और देशप्रेमी हिन्दू केवल अहमद पटेल को हराने नहीं बल्कि कांग्रेस को नेस्ताबूत करने में सक्षम होंगे?"
इन समस्त बातों का अवलोकन करने पर मष्तिक में प्रश्न होता है कि जिस कांग्रेस की ऐसी मानसिकता हो तो आजकल mob lynching, पुरस्कार वापसी, गौ-मांस, गौ-हत्या, बीफ पार्टी यह सब क्या देश का माहौल बिगाड़ने के लिए कांग्रेस और अहमद पटेल के इशारे पर हो रहा है? आखिर बेगुनाहो की लाशों पर मालपुए खाना और अपनी तिजोरियां भरना साम्प्रदायिकता का स्पष्ट प्रमाण है। क्योकि जिस पार्टी का सुप्रीमो ही अहमद के कहने पर चले, वह स्वयं क्या निर्णय लेने में सक्षम होगा? जो यह भी सिद्ध करता है कि भारत में जयचंदों की भरमार है। जब इतिहास गवाह है कि जयचंदों के ही कारण देश में मुग़ल राज की स्थापना होने से हिन्दू और भारतीय संस्कृति कितनी संकट में आ गयी थी। जिसे ब्रिटिश राज्य आने से काफी राहत मिली थी।
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