अगर देखा जाए तो धर्मेंद्र द्वारा किए गए कार्य उतने नहीं सराहे गए जितना उनके पुत्र सनी देओल ने किया। सनी देओल एक ऐसे किरदार को निभाते चले आए हैं जिसमें देश भक्ति अक्सर देखने को मिलता है। यानि की फिल्में ऐसी फिल्म जिसमें उन्होंने देशभक्ति का रोल करके लोगों का दिल जीत लिया। सनी देओल यूं ही नहीं लोगों के दिलों पर राज करते हैं बुलंद आवाज और उनका किरदार देखने लायक होता था।उन्होंने कई देशभक्ति फिल्मों में एक देशभक्त की अच्छी भूमिका निभाई जैसे गदर, मां तुझे सलाम, बॉर्डर ऐसी तमाम फिल्मों में उन्होंने देश को सबसे बड़ा बताकर बहुत नाम कमाया इन्होंने फिलहाल कुछ दिनों से फिल्में काम नहीं कर रहे है।
लेकिन उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में उन लोगों से कुछ सवाल पूछा जो देशद्रोही है और हिंदू धर्म के खिलाफ आवाज उठाते हैं और गाय मांस खाने का पैरवी करते हैं। सनी देओल ने 2 सवाल पूछा पहला सवाल यह था कि यदि बोलने की स्वतंत्रता है तो भारत माता की जय क्यों नहीं? दूसरा सवाल यदि आपको गाय का मांस खाने की आजादी है तो सूअर का मांस खाने की आजादी क्यों नहीं। दोस्तों ये दो सवाल ऐसे हैं जो उन देशद्रोहियों को एक सबक सिखा सकते हैं जो गाय के मांस को प्रोटीन समझते हैं।
और बंदे मातरम और भारत माता की जय कहने पर एतराज जताते है। सनी की बातों में दम है क्योकि कभी आतंकवाद मुर्दाबाद या छद्दम धर्म-निरपेक्षता मुर्दाबाद के नारे नहीं लगते, क्यों? ऐसे लोगों से हम देश के पक्ष में कोई भी कार्य किया जाएगा। ऐसा उम्मीद नहीं कर सकते क्योंकि जब यह किसी धर्म का सम्मान नहीं कर सकते और भारत मां की जय नहीं बोल सकते हैं तो मौके पर हमें धोखा ही दे सकते है। इसलिए उनके ऊपर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और उनको ऐसी सजा देनी चाहिए ताकि आगे से लोग ऐसा ना कर सके जो खुलेआम देश को गाली दे रहा है उनको तो खुलेआम मौत की सजा भी होनी चाहिए हो सकता है।
मेरी बातों से नाराज हो लेकिन मैं इसकी परवाह नहीं करता जो सच है उसको कहता हूं आने वाले समय में हिंदुत्व के खिलाफ कोई साजिश करे ऐसा हम लोगों को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। क्योंकि अभी इसी तरह हिंदू सही सूट बनता रहा है तो उसको इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा इसमें हिंदुओं को जागना होगा और जमकर के मुकाबला करना होगा। हो सकता है इसमें कुछ लोगों की जान चली जाए। लेकिन धर्म के लिए लड़ना कोई बुरी बात नहीं हो सकती हम हमेशा अपने देश के सम्मान करते हैं और करते रहेंगे और जो नहीं करते हैं उनके लिए सिर्फ सजा ए मौत होनी चाहिए।
हिन्दू ही गद्दार हो गया है, जय चंद भी हिन्दुओं में ही मिलेंगे। हिन्दु में साहस नही की मुसलमान को गाली दे, हिन्दु गद्दार के चलते ही देश गुलाम हुआ था और फिर गुलाम बनाना चाहता है सब गुन्डा को पैसे चाहिए, और पैसे के लिए हिन्दु कुछ भी कर सकता है।
किसी भी हिन्दू -- आम नागरिक से लेकर किसी भी उच्च स्तर के नेता -- में इतना पूछने का साहस नहीं कि साप्ताहिक अवकाश पर बूचड़खाने बंद होने वाले दिन बाजार में इतना गोश्त कहाँ से आता है? क्या बाजार में यह गोश्त अवैध बूचड़खानों से आता है? या फिर देश में सरकार नाम की कोई चीज़ नहीं? और अगर सरकार है भी तो वह संविधान के अनुसार नहीं वरन धर्म के अनुसार चलती है। कभी किसी चैनल ने इस मुद्दे पर चौपालें बैठाने का साहस नहीं किया, और शायद कर भी न पाएँ। क्योकि भारत में कदम-कदम पर छद्दमवाद की बेल ही नहीं घने जंगल है यदि नहीं तो फिर अवकाश के दिन बाजार में गोश्त कहाँ से आता है? इतना ही नहीं, आज मुस्लिम क्षेत्रों में खुली मीट -- चाहे बकरे का हो या किसी अन्य जानवर का -- के कितने दुकानदारों के पास लाइसेंस है? है कोई निरीक्षण करने वाला? फिर भी आरोप की मुसलमानो पर ज़ुल्म हो रहे हैं !
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