इस घटना पर चेतन भगत ने अपनी तीखी प्रतिक्किया देते हुए ट्वीट किया। चेतन भगत ने अपने ट्वीट में लिखा- क्या बीफ के नाम पर किसी की भी जान ले लेने वाले खुद की भी जान लेंगे, क्योंकि वो भी तो गाय के चमड़े के बने जूते पहनते हैं। या ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि गाय की खाल उधेड़ना तो ठीक है लेकिन उसका मांस खाना गलत।
झारखंड की इस घटना से पूरे देश में आक्रोश का माहौल है। विरोधी पार्टियां पीएम मोदी पर हमला करते हुए कह रही हैं कि इस तरह से कानून हाथ में लेने वाले गोरक्षकों को सरकार और संघ का समर्थन प्राप्त है इसीलिए वो पीएम के भाषण के बाद भी ऐसा करने से बाज नहीं आ रहे। विरोधी दलों का ये भी कहना है कि इस तरह की ज्यादातर घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में ही हो रही हैं।
छद्दमवाद के विरुद्ध कब प्रदर्शन निकलेगा?
गया(बिहार) में भीड़ द्वारा लोगों की हत्या के विरोध में चल रहा नॉट इन माई नेम अभियान के तहत शुक्रवार को गया शहर के गांधी मैदान से रैली निकाली गयी.शहर के विभिन्न समाज एवं संगठनों के द्वारा निकली गयी इस रैली में हज़ारो की संख्या मे शहरवासी शामिल हुए और विरोध जताया।
| छद्दमों का प्रदर्शन |
गया(बिहार) में भीड़ द्वारा लोगों की हत्या के विरोध में चल रहा नॉट इन माई नेम अभियान के तहत शुक्रवार को गया शहर के गांधी मैदान से रैली निकाली गयी.शहर के विभिन्न समाज एवं संगठनों के द्वारा निकली गयी इस रैली में हज़ारो की संख्या मे शहरवासी शामिल हुए और विरोध जताया।
रैली में शामिल लोगों ने भीड़ के द्वारा हत्या की बढ़ती प्रवृत्ति को देश के लिए खतरनाक बताया।
बच्चे हों या बुर्जुग हर कोई यह कहता सुना गया कि देश के सांम्प्रदायिक सौहाद्र के माहौल को बिगाड़ने कि कोशिश हो रही है। कुछ लोग यह कहते भी मिले कि हिन्दू हो या मुस्लमान, सभी है एक समान.बंद करो भीड़ के द्वारा हत्या बंद करो भीड़ के द्वारा हत्या, ये किसका लहू है, कौन मरा है, बोल के आज़ाद है तू जैसे स्लोगन लिखी तख्तियां लहराते लोग इन घटनाओं के लेकर गुस्से में दिखे । गाँधी मैदान से निकली यह रैली शहर के काशीनाथ चौक, सिविल लाइन्स, कचहरी रोड होते हुए अंबेदकर पार्क पहुंची. यहाँ लोगों ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन डीएम कार्यालय को दिया.इस रैली में शामिल लोग नारा दे रहे थे, संविधान बचाओ देश बचाओ. बता दें कि नॉट इन माई नेम अभियान सोशल नेटवर्किंग साइट्स से शुरू हुआ था. इसके बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न समाज एवं संगठनों के द्वारा रैली निकाल कर विरोध जताया गया है।
अवैध बूचड़खाने बन्द करवाने के लिए प्रदर्शन कब?
अवैध बूचड़खाने बन्द करवाने के लिए प्रदर्शन कब?
पिछली सरकारों के कार्यकाल में न कितने अवैध बूचड़खाने खुल चुके है, क्या कोई उन्हें बन्द करवाने के लिए ट्वीट, धरना या प्रदर्शन करने का साहस करेगा या फिर सूरदास बन चूड़ियाँ पहनकर अपने-अपने घरों में छुप कर बैठे रहेंगे? जिस दिन अवैध बूचड़खानों पर पाबन्दी लग जाएगी, इस तरह की हरकते स्वतः बंद हो जाएँगी।
हिन्दुओं पर होते हमलों पर क्यों नहीं होते प्रदर्शन?
जब विकास पुरी, दिल्ली में डॉ नारंग की हत्या की गयी थी, उस समय इन सब की मानवता कहाँ रंगरेलियाँ मना रही थी? जब बंगाल में हिन्दुओं पर हमले होते है, तब क्यों नहीं इन छद्दमों का खून खोलता? जब कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को प्रताड़ित कर भगाया जा रहा था, तब क्यों सूरदास बन गए थे? क्या हिन्दू का खून खून नहीं क्या पानी है?
Lakhvinder Sareen added 3 photos and a video —
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वैसे मोदी जी बहुत दुख के साथ जिंदगी में पहली बार लिख रहा हूँ के आपको गौरक्षक तो गुंडे नजर आते है, पर पश्चिम बंगाल में इस महिला को जान से मार देने वाले, केरल में रोजाना संघ के और दूसरे हिन्दू संघठनो के लोगो को मारने वाले क्या नजर आते है??
आपने कभी भी इन हत्याओं के खिलाफ एक शब्द नही बोला जबकि आप खुद संघ से हो.!!
ऐसा क्यों??
कल से जबसे आपने दूसरी बार गौरक्षकों को टारगेट किया है मेरा दिल सच मे आपसे टूट चुका है और मैं खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा हूँ के क्या आप वही मोदी है जिसके लिए हमने अपनी जिंदगी के तीन कीमती साल दिए?
सिर्फ इसी उम्मीद में के हिन्दुओ की जय जय कार होगी.!!
दुखद है मोदी जी बहुत दुखद.!!
आपने कभी भी इन हत्याओं के खिलाफ एक शब्द नही बोला जबकि आप खुद संघ से हो.!!
ऐसा क्यों??
कल से जबसे आपने दूसरी बार गौरक्षकों को टारगेट किया है मेरा दिल सच मे आपसे टूट चुका है और मैं खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा हूँ के क्या आप वही मोदी है जिसके लिए हमने अपनी जिंदगी के तीन कीमती साल दिए?
सिर्फ इसी उम्मीद में के हिन्दुओ की जय जय कार होगी.!!
दुखद है मोदी जी बहुत दुखद.!!
आपका सरीन
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प्रस्तुत है परफॉर्म इंडिया द्वारा प्रकाशित छद्दमों से प्रश्न करता लेख मुसलमान मरे तो खतरे में मानवता, हिंदुओं की हत्या पर क्यों चुप रहता है ‘सेक्युलर’ जमात ?
तथाकथित सेक्युलरों को ये तो सोचना ही पडेगा कि आखिर सदियों पुरानी भारतीय सभ्यता आज भी इसलिए जीवित है कि, सहिष्णुता इसका स्वभाव ही नहीं, सांस भी है ! . . . यह अलग बात है कि इस सहिष्णुता की सांस की कीमत भी देश चुकाता आ रहा है !
वर्ष २०१५ में केंद्र की मोदी सरकार के विरोध में लेखकों के एक वर्ग ने पुरस्कार वापस करने का स्वांग रचा तो मीडिया का एक हिस्सा भी उसके सुर में सुर मिलाता रहा। इस सुर से जो शब्द निकला, प्रचलित हुआ, वो था ‘असहिष्णुता’ ! २०१७ में भी एक बार फिर तथाकथित सेक्युलर बुद्धिजीवियों ने एक शब्द के इर्द-गिर्द नया स्वांग रचा है। ये शब्द है – हत्या, यानि भीडद्वारा पीट-पीट कर हत्या कर देना। परंतु तथाकथित सेक्युलरों की ये जमात धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हुए अब ‘गुंडागीरी’ पर उतर आयी है। अब ये #NotInMyName नाम से अभियान चला रहे हैं। मुसलमानों की हत्या तो इन्हें दिखती है, परंतु हिन्दूओं के देश में ही हिन्दूओं पर मुसलमानोंद्वारा की जा रही हत्या इन्हें नहीं दिख रही है, या यूं कहिये कि इन्होंने आंखें बंद कर रखीं हैं !
हम मानते हैं कि, हत्या चाहे हिन्दुओं की हो या मुसलमानों की, हत्या को अंजाम तक पहुंचानेवाले दोनों अपराधि हैं, परंतु उनका अपराध भी कम नहीं है, जो क्राइम की घटनाओं के बहाने देश को बदनाम करने में लगे हैं। आइये हम उन घटनाओं को दिखाने का प्रयास करते हैं जिसमें हिन्दुओं के साथ हत्या की घटना हुई, परंतु इन्हें नहीं दिखा . . .
पश्चिम बंगाल में तीन हिन्दूओं की हत्या
३ मई, २०१५ जिहादियों ने पश्चिम बंगाल के जुरानपुर में एक हिन्दू परिवार के तीन लोगों की हत्या कर दी। तृणमूल कांग्रेस पार्टी के विधायक मो. नसरुद्दीन अहमद पर हत्यारों को शह देने के आरोप लगे। परंतु सेक्युलर ममता बनर्जी की सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। यहां तक की राष्ट्रीय मीडिया ने तो इस खबर को लिया ही नहीं।
महाराष्ट्र के पंढरपुर में हत्या
महाराष्ट्र के पंढरपुर में एक १७ वर्ष के हिन्दू लडके सावन राठौड को केवल हिन्दू होने के कारण सरेआम जला दिया गया। मामले में फातिम नगर के इब्राहिम मेहबूब शेख, इमरान तांबोली और झुबेर तांबोली पर आरोप लगा, परंतु इस पर सेक्युलर जमात ने चुप्पी साध ली। शायद उन्हें ये सामान्य अपराध लगा। परंतु इसकी हकीकत एक मिनट और १९ सेकेंड के वीडियो से खुल गई जो मृत्यु से पहले सावन राठौड ने पुलिस को बताई थी।
एक मिनट और १९ सेकेंड के वीडियो में सावन कहता है, “मैं पंढरपुर में अपने परिवार के साथ काम कर रहा था। एक दिन जब मैं रिसाव (leak) ठीक कर रहा था, तीन लोगों ने आपत्ति जताई और मुझसे मेरा नाम पूछा। मैंने कहा सावन राठौड, उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं हिन्दू हूं ? मैंने कहा हां। फिर उन्होंने मुझे आग लगा दी !” वीडियो रिकॉर्डिंग करनेवाला व्यक्ति, सावन से पूछता है अगर उसे लगता है कि, उसे जला दिया गया था क्योंकि वह एक हिन्दू है। तो सावन ने सहमति में सिर हिला दी और उसके बाद उसकी मृत्यु हो गई। परंतु तथाकथित सेक्युलर जमात को इसमें हत्या नहीं दिखी !
बर्दवान में हिन्दू महिला की हत्या
पश्चिम बंगाल के बर्दमान में एक हिन्दू महिला को मुसलमानों ने पीट-पीट कर केवल इसलिए मार डाला कि उसे बच्चा चोर समझ लिया गया था। स्थानीय लोगों ने इस बात की तस्दीक भी कि उसे केवल इसलिए मार डाला गया कि वो हिन्दू थी। परंतु यहां भी किसी को हत्या नहीं दिखी !
तमिलनाडु में सरेआम हत्या
तमिलनाडु के कोयंबटूर में १८ मार्च, २०१७ को एक मुसलमान एच फारुक को केवल इसलिए मार दिया गया कि उसने अपने धर्म (इस्लाम) के बारे में एक तर्कसंगत विचार रखा था। परंतु उसके ये विचार उनके साथियों को नागवार लगा और Ansath नाम के मुस्लिम युवक के नेतृत्व में एक भीड ने फारुक को मार डाला। परंतु असहिष्णुता का राग अलापनेवाले ये झंडाबरदारों ने एक शब्द तक नहीं कहा। आखिर क्यों ?
देहली में हिन्दू डेंटिस्ट की हत्या
२४ मार्च, २०१६ को देहली के विकासपुरी में एक डेंटिस्ट डॉ. पंकज नारंग को १५ मुसलमानों की भीड ने पीट-पीटकर मार डाला, इनमें से चार नाबालिग थे। परंतु इरफान हबीब और मधु चड्ढा जैसे लोगों को ये केवल एक अपराध ही लगा। इसमें इन्हें कोई भी सांप्रदायिक एंगल नहीं दिखा। ये हत्या को महज एक अपराध ठहराने में लग गए !
बर्दवान में इंद्रजीत की हत्या
नवंबर, २०१६ को पश्चिम बंगाल के बर्दमान जिले में इंद्रजीत दत्ता को मुसलमानों की भीड ने केवल इसलिये मार डाला कि उसने मोहर्रम का चंदा देने से मना कर दिया था !
२४ परगना में आयटीआय स्टूडेंट की हत्या
११ मई, २०१६ को पश्चिम बंगाल के दक्षिण २४ परगना जिले में एक हिन्दू आयटीआय स्टूडेंड कौशिक पुरोहित को भैंस चोरी का आरोप लगाकर मुसलमानों की भीड ने मार डाला। इस भीड की अगुवाई टीएमसी नेता तपस मलिक कर रहे थे। परंतु इस हत्या पर न तो तथाकथि सेक्युलर बोले और न ही असहिष्णुता के पैरोकार !
उल्लास नगर में हिन्दू दलित बच्चों का उत्पीडन
२१ मई २०१७, को महाराष्ट्र के उल्हास नगर में कुछ मुसलमानों ने आठ वर्ष के दो दलित बच्चों की चकली मांगने पर पिटाई कर दी। इतना ही नहीं इसके बाल काट दिए गये और चप्पलों की माला पहना कर सडकों पर घुमाया। आरोपी महमूद इरफान और सलीम था, हालांकि इसमें कई और भी शामिल था। परंतु तथाकथित सेकुलरों की जमात को ये भी धर्मनिरपेक्ष कार्रवाई लगी !
पश्चिम बंगाल में नादिया जिले के शांतिपुर में ४५ वर्ष के गरीब मछुआरे को मुसलमानों की भीड ने मार डाला। मारनेवाले सभी १५ आरोपी मुसलमान थे। परंतु इस मामले को भी पश्चिम बंगाल पुलिस ने लीपापोती करते हुए महज तीन लोगों को ही गिरफ्तार किया !

जिहाद के नाम पर हिन्दू लडकियों का रेप
पश्चिम बंगाल में जिहाद मुसलमानों ने ईसाई के नामों को अपना लिया है। चर्च की सहायता से ईसाई होम चलाया जा रहे हैं और गरीब हिन्दू लडकियों को अपना शिकार बना रहे हैं। बीते दिनों खुलासा हुआ कि नूर इस्लाम और साइमन इस्लाम नाम का एक व्यक्ति नकली पादरी बनकर हुगली में ‘भस्त्रारा क्रिश्चियन होम’ चला रहा था और योजनाबद्ध तरीके से हिन्दू लडकियों को अपने जाल में फंसा रहा था। सैकडों हिन्दू लडकियों को अपना शिकार बना चुका साइमन इस्लाम पर सेक्युलर जमात चुप क्यों ?
आजम खान की क्यों नहीं काटते जुबान ?
बुलंदशहर में एक टैक्सी चालक परिवार के साथ जब मुसलमानों ने सामूहिक बलात्कार किया तो आजम खान ने इसे राजनैतिक साजिश बता दिया। क्योंकि यहां पीडित हिन्दू थे। उस वक्त की अखिलेश यादव की सरकार भी इसी दिशा में सोचती रही और असहिष्णुता के पैरोकारों ने चुप्पी लगा ली थी !
आगरा में हिन्दू नेता की हत्या पर कोई बवाल नहीं !
आगरा में एक हिन्दू दलित नेता अरुण कुमार की हत्या शाहरुख, राजा, इम्तियाज, अबीद और दिलशाद नाम के मुसलमानों ने की। परंतु इस पर कोई बवाल नहीं मचा। उनके परिजनों की बात पर गौर करिए “हम अपने काम की बात करते हुए मंदिर से घर जा रहे थे, तभी इन लोगों ने मेरे भाई का मजाक उडाते हुए गाली देना शुरू कर दिया। इससे पहले कि हम प्रतिक्रिया दे सकें, उन्होंने हमारे ऊपर थप्पड चला दिया और शाहरुख ने अरुण को सिर में गोली मार दी, जबकि उनके साथियों ने मुझे मारना शुरू कर दिया !” अकारण हुई इस हत्या पर कोई मानवाधिकार का पैरोकार आगे नहीं आया !
हिन्दू कहकर हाल में हुई हत्याएं और हमले
- १६ फरवरी २०१६ : आरएसएस और भाजपा कार्यकर्ता पीवी सुजीत का केरल में कन्नूर में उनके घर में हत्या।
- १२ फरवरी २०१६ : भोजपुर में भाजपा बिहार के उपराष्ट्रपति विशेश्वर ओझा की हत्या।
- ९ अक्टूबर २०१५ : गोकशी का विरोध करने पर कर्नाटक के मूडबिद्री में प्रशांत पुजारी की हत्या।
- जून २०१४ : यूपी में १० दिनों के भीतर ३ भाजपा नेताओं (विजय पंडित, ओमवीर सिंह फौजी, राकेश रस्तोगी) की हत्या।
- जुलाई २०१४ : सीपीएम कैडरद्वारा त्रिपुरा में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला किया गया।
- २० जुलाई २०१३ : भाजपा के राज्य महासचिव के अकाउंटेंट वी रमेश की सलेम में हत्या।
५ अक्टूबर २०१५, को भाजपा नेता और एक पूर्व सरपंच, कपूरचंद ठाकरे को मुसलमानों ने गोली मारकर हत्या कर दी। कार से मोटरसाइकिल टच हो जाने के बाद झगडा बढ़ा और मुसलमानों ने पहले सामूहिक रूप से ठाकरे की पिटाई की और बाद में गोली मारकर हत्या कर दी।
रामपुर में हिन्दू किशोर की हत्या
रामपुर में खेत में गाय चराने की मामूली घटना पर मुसलमानों ने मिलकर १५ वर्ष के बच्चे की गोली मारकर हत्या कर दी, घर में आग लगा दी। केवल इसलिए कि एक हिन्दू ने मुसलमान के चारागाह में गाय चराई थी। इस घटना पर भी कोई सेक्युलर पैरोकार आगे नहीं आया, क्योंकि यहां भी एक हिन्दू मारा गया था।
कन्नौज में हिन्दू युवक की हत्या
२४ अक्टूबर २०१५ को यूपी कन्नौज में मुसलमानों ने दुर्गा पूजा के जुलूस के ही रोक दिया। मुसलमानों ने हिन्दू युवक को सरेआम मार डाला। परंतु कोई सेकुलर नुमाइंदा वहां नहीं पहुंचा।
बहरहाल, तथाकथित सेक्युलरों को ये तो सोचना ही पडेगा कि आखिर सदियों पुरानी भारतीय सभ्यता आज भी इसलिए जीवित है कि सहिष्णुता इसका स्वभाव ही नहीं, सांस भी है। हिन्दू संस्कृति की छांव में बौद्ध, जैन, सिख तो यहीं जन्मे और बढ़े भी। इसके साथ-साथ अरब से आए इस्लाम जैसे धर्म को भी यहां बढ़ावा मिला। यह अलग बात है कि इस सहिष्णुता की सांस की कीमत भी देश चुकाता आ रहा है !










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