आज(जुलाई 19) राज्य सभा में सपा सांसद नरेश अग्रवाल और कांग्रेसी सांसद आनंद शर्मा ने सांसदों के वेतन का मुद्दा उठाया, उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में सिर्फ भारत के सांसदों को सबसे अधिक बदनाम किया जाता है, लोग हमारे बारे में कहते हैं कि ये लोग तो अपनी सैलरी खुद ही बढ़ा लेते हैं लेकिन हमें हमारे सेक्रेटरी से भी कम सैलरी मिलती है.
नरेश अग्रवाल ने कहा कि एक सांसद होकर भी मैं सैलरी बढाने का मुद्दा उठा रहा हूँ तो ऐसा लग रहा है कि मैं भीख मांग रहा हूँ, ऐसा क्यों है, सरकार का इस विषय पर क्या कहना है, मुझे आज ही सरकार से जवाब चाहिए वरना मैं वेल में बैठ जाऊँगा. नरेश अग्रवाल ने कहा कि इस विषय में केंद्र सरकार ने योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में एक कमेटी बिठाई थी जिन्होंने रिपोर्ट भी सौंपी थी लेकिन आज तक उस रिपोर्ट को अमल में नहीं लाया गया.
इस मुद्दे पर बोलते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि हमारी सैलरी कम से कम हमारे सचिवों से अधिक तो होनी ही चाहिए, हमें जितनी सैलरी मिलती है उतना तो हमारे घरों में आने वाले मेहमानों के चायपानी पर खर्च हो जाता है, हम घर चलाने का खर्च कहाँ से निकालें. लोग हमें बदनाम भी करते हैं, लोग कहते हैं कि हमें तो हर चीज फ्री है लेकिन हम अपना घर का खर्च कैसे चलायें, चाय पानी का खर्चा कहाँ से निकालें. शर्मा ने कहा कि हमारी सैलरी बढ़ाई जानी चाहिए और दुनिया के बड़े बड़े लोकतंत्र में सांसदों को जितनी सैलरी मिलती है हमें भी उतनी सैलरी मिलनी चाहिए.
इन सांसदों की माँग सुन हँसी आती है कि क्या ये सांसद जनसेवक हैं? जिन्हे मुफ्त में इतनी सुविधाएँ मिल रही हों, संसद कैंटीन में इतना सस्ता खाना मिलता हो, और न जाने क्या अन्य सुविधाएँ मिलती हैं, जिसका हिसाब नहीं। शहंशाही ज़िन्दगी जीने वाले अगर इस तरह गुहार लगा रहे हैं, फिर तो आम आदमी कैसे गुजारा करता होगा, जिसे टेलीफोन से लेकर बिजली और पानी का हर महीने भुगतान करना होता है। इस तरह की बेसिर पैर की माँग करने वाले बताएँ, जिस बंगले में रहते है उसका मासिक किराया कितना है और कितनी जगह है? बेशर्मी की भी हद होती है, इन बेशर्मों को इतना भी ज्ञान नहीं चुनावों में जिन झोंपड़ियों में वोट मांगने जाते हो, उसका किराया भी इनके बंगलों से सौ गुना ज्यादा होता है। फिर भी सुरक्षित नहीं। इनके बंगलों पर सरकारी खर्चे पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं।
उन्होंने कहा कि एक गरीब अगर सांसद बन जाता है तो इतने कम पैसों में उसके घर का खर्च कैसे चलेगा, क्या अमीरों को ही सांसद बनना चाहिए, क्या धन्ना सेठों को ही सांसद बनना चाहिए, जिसके पास पैसा नहीं है उसका इतने कम पैसों में खर्च कैसे चलेगा.
संसद के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन राज्यसभा की कार्यवाही सांसदों की तनख्वाह पर चर्चा के साथ शुरू हुई। समाजवादी पार्टी सांसद नरेश अग्रवाल ने सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही सांसदों के कम वेतन की ओर उपसभापति का ध्यान आकर्षित कराना चाहा। नरेश अग्रवाल ने कहा सदन का ध्यान सांसदों की वेतन विसंगतियों की ओर आकर्षित करते हुए कहा कि हमारी सैलरी हमारे सचिव से भी नीचे है। नरेश अग्रवाल ने कहा कि मीडिया में ये प्रचारित किया जाता है कि देश के सांसद सब कुछ मुफ्त का खा रहे हैं। मुफ्त में घुम रहे हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि हमारी सैलरी हमारे सचिव से भी कम है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कुछ लोग 50 हजार रुपये में अपना घर चला लेते हो लेकिन क्या एक सांसद के लिए ये संभव है? इस दौरान जब उप सभापति ने उन्हें अपना पक्ष रखने के बाद बैठने के लिए कहा तो नरेश अग्रवाल नाराज हो गये। उन्होंने बिफरते हुए कह, ‘श्रीमान ये तो ऐसा लग रहा है जैसे हम भीख मांग रहे हैं, लेकिन हमें भीख नहीं चाहिए, अगर आपको मना करना है तो साफ मना कर दीजिए, या सरकार मना कर दे, लेकिन ऐसा नहीं लगना चाहिए सांसद भीख मांग रहे हैं।’ नरेश अग्रवाल उप सभापति पीजे कुरियन के मना करने के बावजूद बार-बार इस मुद्दे पर सरकार से जवाब की मांग करते रहे। हालांकि उपसभापति मुस्कुरा उन्हें सुनते भी रहे।
आनंद शर्मा ने कहा कि सैलरी और भत्ता के लिए देश को कोई मैकेनिज्म बनाना चाहिए या फिर इसे पे कमीशन से जोड़ दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो रवायत दुनिया के दूसरे प्रजातंत्र में है उसे ही भारत को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सांसद को दिल्ली में घर चलाना पड़ता है, इसके अलावा अपने संसदीय क्षेत्र में भी गृहस्थी चलानी पड़ती है। आनंद शर्मा और नरेश अग्रवाल के इस बयान पर संसद में किसी भी सांसद ने हंगामा नहीं किया।
संसद के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन राज्यसभा की कार्यवाही सांसदों की तनख्वाह पर चर्चा के साथ शुरू हुई। समाजवादी पार्टी सांसद नरेश अग्रवाल ने सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही सांसदों के कम वेतन की ओर उपसभापति का ध्यान आकर्षित कराना चाहा। नरेश अग्रवाल ने कहा सदन का ध्यान सांसदों की वेतन विसंगतियों की ओर आकर्षित करते हुए कहा कि हमारी सैलरी हमारे सचिव से भी नीचे है। नरेश अग्रवाल ने कहा कि मीडिया में ये प्रचारित किया जाता है कि देश के सांसद सब कुछ मुफ्त का खा रहे हैं। मुफ्त में घुम रहे हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि हमारी सैलरी हमारे सचिव से भी कम है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कुछ लोग 50 हजार रुपये में अपना घर चला लेते हो लेकिन क्या एक सांसद के लिए ये संभव है? इस दौरान जब उप सभापति ने उन्हें अपना पक्ष रखने के बाद बैठने के लिए कहा तो नरेश अग्रवाल नाराज हो गये। उन्होंने बिफरते हुए कह, ‘श्रीमान ये तो ऐसा लग रहा है जैसे हम भीख मांग रहे हैं, लेकिन हमें भीख नहीं चाहिए, अगर आपको मना करना है तो साफ मना कर दीजिए, या सरकार मना कर दे, लेकिन ऐसा नहीं लगना चाहिए सांसद भीख मांग रहे हैं।’ नरेश अग्रवाल उप सभापति पीजे कुरियन के मना करने के बावजूद बार-बार इस मुद्दे पर सरकार से जवाब की मांग करते रहे। हालांकि उपसभापति मुस्कुरा उन्हें सुनते भी रहे।
आनंद शर्मा ने कहा कि सैलरी और भत्ता के लिए देश को कोई मैकेनिज्म बनाना चाहिए या फिर इसे पे कमीशन से जोड़ दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो रवायत दुनिया के दूसरे प्रजातंत्र में है उसे ही भारत को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सांसद को दिल्ली में घर चलाना पड़ता है, इसके अलावा अपने संसदीय क्षेत्र में भी गृहस्थी चलानी पड़ती है। आनंद शर्मा और नरेश अग्रवाल के इस बयान पर संसद में किसी भी सांसद ने हंगामा नहीं किया।
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