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किसने कहा चारु निगम कायस्थ है?

यूपी का सीएम बनने के बाद से फुल एक्शन मोड में चल रहे योगी आदित्यनाथ लगातार प्रदेश में कानून के राज का ढिंढोरा पीटते रहे  हैं। लेकिन उनके अपने लोग ही उनकी साख पर बट्टा लगाने का काम कर रहे हैं। लगता है इन विधायक महोदय को सपा और बसपा से ट्रेनिंग मिली हुई है। इनको शायद यह नहीं मालूम कि यूपी में किसी अखिलेश या मायावती का नहीं बल्कि एक योगी का है। 
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के विधानसभा क्षेत्र में पुलिस अधिकारी के बदतमीजी का वीडियो वायरल हो रहा है। ताजा मामला योगी के गृहनगर गोरखपुर का है जहां नगर विधायक राधा मोहन अग्रवाल ने कायस्थ समाज से महिला आईपीएस चारू निगम को ऐसी फटकार लगाई कि उनकी आंखों से आंसू निकल आए। महिला आईपीएस चारु निगम से बदसलूकी करने वाले बीजेपी के नेता डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल हैं। राधा मोहन ने उन्हें ऐसी फटकार लगाई कि वे लोगों के सामने ही भावुक होकर रो पड़ीं। इस पर उनका विरोध किया जा रहा है, लेकिन राधा मोहन ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है।
मीडिया में आयी जानकारी के मुताबिक चिलुआताल थाना क्षेत्र में शराब की बिक्री के विरोध में ग्रामीण महिलाएं विरोध-प्रदर्शन कर रही थीं। इसको लेकर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच विवाद हुआ। इसकी खबर पाकर बीजेपी विधायक भी मौके पर पहुंचे। घटनास्थल पर एसपी सिटी और एसडीएम की मौजूदगी में विधायक ने महिला आईपीएस को कथित तौर पर जमकर फटकार लगायी जिससे परेशान चारु की आंखों से आंसू निकल पड़े। वहीं, बीजेपी विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल का आरोप है कि आईपीएस ने कच्ची शराब के विरोध में प्रदर्शन करने वाली महिलाओं पर लाठीचार्ज कराया। उनमें एक गर्भवती महिला और बच्चों को भी चोटे आई हैं। बता दें कि वर्तमान में चारु सीओ गोरखनाथ के पद पर तैनात हैं और एंटी रोमियो स्कवायड की प्रभारी भी हैं। चारु 2014 बैच की आईपीएस हैं। ये आईआईटी से बीटेक हैं और मूल रुप से आगरा की निवासी हैं।
2 दिन से सुर्खियों में रही चारु निगम के समर्थन में यूँ तो कायस्थ ही नहीं सवर्ण समाज उमड़ पड़ा, लेकिन बीच में कुछ ऐसे सवाल भी उठे की क्या चारु निगम कायस्थ है ? जिसके बाद कायस्थ समाज में हडकंप मच गया I कायस्थ समाज की अस्मिता की लड़ाई लड़ने वाले लोगो के मुह अचानक बंद हो गए और सब शांत हो गए है I
कायस्थ खबर को जब इस बात की जानकारी हुई तो उसने उन  समाज सेवियों से बात करनी शुरू की, जहाँ से चारु निगम के लिए आवाज़ उठनी शुरू हुई थी लेकिन सबने एक ही बात कही की चूँकि उनके नाम के आगे निगम लिखा हुआ है इसलिए हम यही सोच रहे है की वो कायस्थ है हालांकि इसके अलावा आप पहली बार में किसी के बारे में कुछ कह भी नहीं सकते है I
लेकिन थोड़े से खोजबीन के बाद कायस्थ खबर को चारु निगम के बारे में जो जानकारी मिली उसमे पता चला की चारु निगम कायस्थ नहीं है और वो SC वर्ग से आती है I
यदि निम्न जानकारी सत्य है कि यह अनुसूचित जाति से है तो क्या मुख्यमंत्री योगी अपनी वास्तविक जाति को छुपा कर सवर्ण जाति वर्ग का प्रयोग कर क्यों भ्रमित कर रही चारु के विरुद्ध कार्यवाही करेंगे? निगम होने से कायस्थ समाज जो रोष उपजा है, उसका कौन ज़िम्मेदार है? जबकि चारु के विवरण में "निगम" एवं "SC" लिखा हुआ है। क्या कोई निगम कायस्थ अनुसूचित जाति में आता है? क्या यह सरकारी धांधली नहीं?
पिताश्री एम.बी.एल.निगम 
एक बार इसी ब्लॉग पर एक व्यक्तिगत अनुभव अपने आदरणीय पिताश्री एम.बी.एल.निगम का प्रकाशित किया था। एक अनुसूचित सज्जन आर.के.पुरम, नई दिल्ली स्थित रक्षा मंत्रालय में कार्यरत थे। चारु की भाँति उन सज्जन ने भी अपने विभाग में सबको भ्रमित कर रखा था। अनुसूचित होने के कारण पदोन्नति सवर्ण जाति से पूर्व हो गयी। कायस्थ कभी कोटे में आ ही नहीं सकता। जिस सवर्ण की पदोन्नति होनी थी, उसने तो रक्षा मंत्रालय तक को हिला दिया था। विभागीय झगड़ा इतना बढ़ गया जिस पर न्यायलय में ही जाकर विराम लगा, जब अदालत ने मौहल्ले गवाही मांगी। जो मेरे पिताश्री ने दी थी। इत्तेफाक की बात थी के उस सज्जन के एक फूफा जीवित थे और जूते बनाते थे। पूरी दिल्ली में उनके मुकाबले कोई जूता बनाने वाला नहीं था और उस सज्जन के पिता के हाथ की नागरियाँ भी बहुत मशहूर थी। लेकिन कोर्ट ने उस अनुसूचित जाति द्वारा सवर्ण जाति के नाम से भ्रमित करने के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की। यदि किसी सवर्ण जाति ने इस तरह अनुसूचित जाति का प्रयोग किया होता तो क्या उस स्थिति में भी कोर्ट मौन रहेगी?  कायस्थ समाज को ऐसे भ्रमितों को बेनकाब करने के लिए ऐसे ठोस कदम उठाने होंगे  कि राज्य से लेकर केन्द्र सरकार को कानून बनाने के लिए बाध्य करें।  
हालांकि कायस्थ समाज विधायक द्वारा एक महिला आईपीएस के साथ किये गए दुर्वयवहार पर अभी उनके साथ है I

कायस्थ समाज किसी भी अनुसूचित श्रेणी में नहीं आता। इतिहास में जाने पर मालूम होता है की एक बार तत्कालीन प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू ने कायस्थ को वोट बैंक बनाने के चक्कर में OBC कोटे में डालने का प्रयास किया कर ही थे कि तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने नेहरू जी के जाल में फंस रहे कायस्थ सांसदों के साथ-साथ नेहरू जी को भी कायस्थ समाज के विरुद्ध ऐसा घिनौना काम करने के लिए कड़े शब्दों में सतर्क किया था। तब से आज तक किसी ने ऐसा करने का सोंचा तक नहीं। 
कायस्थ समाज ने दी राधा मोहन अग्रवाल पर तीखी प्रतिक्रया :
कायस्थ समाज ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रया दी है , कायस्थ वृन्द के राष्ट्रीय संयोजक डा अरविन्द श्रीवास्तव ने इसके लिए कायस्थों से एक होने की अपील की है वहीं कायस्थ चिन्तक mbb सिन्हा ने मुख्यमंत्री योगी जी को ट्वीट करके राधा मोहन पर एक्शन लेने की बात कही है I वहीं कायस्थ नेता डा नवनीत श्रीवास्तव ने इसे रामराज्य में फ़िल्म जंगलराज्य जबरदस्त हिट कहा है
Alok Jauhari ·
Beware bjp member.
LikeReply12 mins
Ashish Srivastava ·
Works at Study (chess)
Agrwal.ko.utha.ker.kan.ke.niche.bjao
LikeReply32 mins
Nikhil Srivastava ·
Kayastha samaj ko kamjor na samjo bhai
LikeReply57 mins
Prakash Sinha ·
Same for such type of M.L.A. In
Democracy
LikeReply1 hr
Prem Narayan Shrivastava ·
Related M.L.A. Mr. Agrawal must be punished and such type matter must be drawn in the attention of C.M. Yogi ji for taking action.
LikeReply1 hr
Naveen Srivastav ·
Esko unki Saja Milani chahiye
LikeReply1 hr
Himanshu Kumar Shrivastav ·
Y gavar hi, inko kya malom ki,,, I p s,,,,, kse bni,
LikeReply2 hrs
Raju Kulshrestha ·
Works at Indian Tourism
Its misuse of power.
LikeReply3 hrs
Wrong
LikeReply5 hrs

गोरखपुर की महिला आईपीएस चारू निगम ने भाजपा विधायक द्रारा कही बातो के बाद सपोर्ट के लिए फेसबुक के माध्यम से थैंक्स बोला है। चारू निगम ने फेसबुक पर लिखा है कि, 
"मेरे आँसुओं को मेरी कमज़ोरी न समझना,
कठोरता से नहीं कोमलता से अश्क झलक गये। 
महिला अधिकारी हूँ तुम्हारा गुरूर न देख पायेगा, 
सच्चाई में है ज़ोर इतना अपना रंग दिखलाएगा।
इसी के साथ उन्होने लिखा है कि मेरी ट्रेनिंग ने मुझे कमजोर पड़ना नही सिखाया है।  उन्होने लिखा है कि मुझे उम्मीद नहीं थी कि एसपी सिटी गणेश साहस भाजपा विधायक की तर्कहीन बातो को अस्वीकार कर देंगे और मेरी चोट के बारे में बात करेंगे। सर आने से पहले, मैं वहा पुलिस में सीनियरस्ट अधिकारी थी, लेकिन जब सर आ गये तो मैं उनके पीछे खड़ी हो गयी और इमोशनल हो गयी। इसी के साथ उन्होने गोरखपुर मीडिया का शुक्रिया अदा किया है। उन्होने इसके लिए लिखा है कि "गोरखपुर मीडिया ने इस पूरे मामले को जिस तरह से उठाया वो उनकी सकारात्मकता को दिखाता है। मैं आभारी हूं। मेरा मानना है कि अच्छा, अच्छा ही होता है और इसलिए मुझे मीडिया का समर्थन मिला है। कृपया शांत रहिए! मैं ठीक हूं और थोड़ा सा हर्ट हुई हूं, चिंता करने वाली कोई बात नहीं है।"
सवाल यह उठता है कि जब सरकार शराब की दुकान खोलने का लाइसेंस देती है तो शराब की दुकान खोलने के लिए स्थान विशेष भी तय कर दे। क्यों इस तरह की स्थिति खुद निर्मित करती है कि हिंसक प्रदर्शन की जरूरत ही पड़े। उक्त घटना में आईपीएस अफसर चारु निगम सिर्फ अपनी ड्यूटी निभा रही थी। जब भीड़ हिंसक हुई तो बल प्रयोग व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए कानूनन बनता है। वही किया चारु निगम ने फिर विधायक की यह मवाली हरकत समझ से परे है। जिन गर्भवती महिलाओं की पिटाई का आरोप लगा यह विधायक चारु निगम को फटकार रहा था वह महिलाएं गर्भवती होने के बावजूद पत्थरबाजी कर रही थीं और उन प्रदर्शनकारियों की भीड़ में शामिल थीं यह कहाँ से न्यायोचित है। लोकल विधायकी की आड़ में सड़क छाप मवालियों जैसी यह हरकत न सिर्फ निंदनीय बल्कि विधायक को अपने इस कृत्य के लिए माफी भी मांगनी चाहिए।
तेज तर्रार अफसरों में गिनी जाती हैं आईपीएस चारु निगम 
आईपीएस चारु निगम उत्तर प्रदेश के आगरा जिले की रहने वाली है और आईआईटी से बीटेक किया है । वर्ष 2014 की यूपी कैडर की आईपीएस है चारु निगम । अपनी पहली पोस्टिंग झांसी में इन्होंने वहाँ के खनन माफियाओं के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्यवाई की थी । जिसकी वजह से इन्हें लेडी सिंघम का नाम दिया गया था इस समय 29 वर्षीय आईपीएस चारु निगम इस समय गोरखपुर जिले में गोरखनाथ एएसपी के पद पर तैनात है।
राष्ट्रव्यापी जनता पार्टी भाजपा विधायक की इस नीच हरकत की निंदा करती है, और उक्त विधायक से आईपीएस चारु निगम से सार्वजानिक माफ़ी की मांग करती है : मनोज श्रीवास्तव
राजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव ने कायस्थवाणी को भेजे अपने ऑडियो सन्देश में भाजपा विधायक की इस नीच हरकत की कड़ी निंदा की है और कहा कि एक आईपीएस अधिकारी वह भी महिला के साथ इस तरीके का व्यवहार कहीं से भी उचित नहीं कहा जा सकता। प्रसाशनिक व्यवस्था संभालना अधिकार का कर्तब्य होता है। चारु निगम सिर्फ अपनी ड्यूटी कर रही थीं और विधायक ने सरकारी कार्य में न सिर्फ बाधा पहुंचाई बल्कि एक आईपीएस अधिकारी के साथ दुर्व्यहार भी किया है। ऐसा व्यक्ति सदन के लिए ठीक नहीं है। जिसपर न सिर्फ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए बल्कि इसे उक्त महिला अधिकारी से सार्वजानिक माफ़ी भी मांगनी चाहिए।

Comments

Praveer Singh said…
इतना फालतू टाइम है लोगों के पास कि लोगों को उनके sirname के लिए भी ठेकेदारों से अनुमति लेनी पड़ेगी।
Anonymous said…
We believe in customer's satisfaction, and our priority is to rely on customer's issues and to resolve as soon as possible. Dell Printer Customer Support

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