क्या मुस्लिम राष्ट्रीय मंच राष्ट्र को बताएगा कि कितने प्रतिशत पार्टी सदस्य विवादित माँस का सेवन नहीं करते? इस मंच का मुस्लिम समाज पर कितना प्रभाव है? आखिर कब तक राष्ट्र को भ्रमित किया जाता रहेगा? भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ और संघ के इस मंच का चुनावों में जो भूमिका होती है निम्न लेख में उल्लेख किया गया है:--
गैर-मुस्लिम समझेगा की मुस्लिम मानसिकता में बदलाव आ रहा है, मुस्लिम समाज का एक वर्ग मुख्य धारा से जुड़ रहा है, लेकिन कट्टरपंथी अवरोध उत्पन्न कर माहौल ख़राब करने में प्रयत्नशील है। यह समस्त मुस्लिम समाज का कर्तव्य है कि इस मंच की गतिविधियों को जगजाहिर करें। क्योंकि इन अवसरवादियों के कारण समस्त मुस्लिम समुदाय शंका के दायरे में आ रहा है। दूसरी तरफ, समस्त गैर-मुस्लिम समाजों को एकजुट होकर भाजपा और संघ से पूछना चाहिए कि जो समुदाय भाजपा को वोट दे नहीं सकता, उसी समुदाय को हिन्दू बहुल क्षेत्रों से टिकट देकर और हिन्दुओं के वोटों से उनको जितवाकर क्यों जनता को भ्रमित किया जा रहा है? क्या इसी तरह होगा "सब का साथ, सब का विकास"?
कहा जाता है कि भाजपा अन्य पार्टियों से अलग है, किसी का तुष्टिकरण नहीं करती, मुस्लिम समाज को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल नहीं करती तो यह सब क्या है? कांग्रेस ने यदि मुस्लिमों को वोट बैंक बनाया तो मुसलमान ने वोट भी दिया, लेकिन आपके यह मंच एवं प्रकोष्ठ भाजपा को वोट तक नहीं देते। पिछले चुनावो को अगर दरकिनार कर दिया जाए और अभी दिल्ली में हुए नगर निगम चुनावों में प्रमाणित भी हो गया कि पांचों मुस्लिम भाजपा उम्मीदवारों की जमानत तक ज़ब्त हो गयी।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का गठन 2002 में RSS के तत्कालीन प्रमुख केएस सुदर्शन के प्रयासों के बाद किया गया था, इसका मकसद मुस्लिम समाज के लोगों तक संघ की पहुंच बनाना है। बता दें कि इस बार 26 या 27 मई से रोजे की शुरुआत होने वाली है। महिराज ध्वज सिंह ने कहा कि इफ़्तार में दूध और दूध से बने सामान पर जोर दिया जाएगा। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुताबिक मुस्लिम विद्वान भी मानते हैं कि गाय का दूध सेहत के लिए फायदेमंद है और दूध से बना घी दवा के जैसा काम करता है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का कहना है कि रमजान के दौरान गाय को बचाने का संदेश देने के लिए विशेष नमाज भी पढ़ा जाएगा।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का गठन 2002 में RSS के तत्कालीन प्रमुख केएस सुदर्शन के प्रयासों के बाद किया गया था, इसका मकसद मुस्लिम समाज के लोगों तक संघ की पहुंच बनाना है। बता दें कि इस बार 26 या 27 मई से रोजे की शुरुआत होने वाली है। महिराज ध्वज सिंह ने कहा कि इफ़्तार में दूध और दूध से बने सामान पर जोर दिया जाएगा। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुताबिक मुस्लिम विद्वान भी मानते हैं कि गाय का दूध सेहत के लिए फायदेमंद है और दूध से बना घी दवा के जैसा काम करता है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का कहना है कि रमजान के दौरान गाय को बचाने का संदेश देने के लिए विशेष नमाज भी पढ़ा जाएगा।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का कहना है कि इस दौरान देश की एकता और अखंडता के लिए भी नमाज पढ़ा जाएगा। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के इस पहल का पसमांदा मुस्लिम समाज के अध्यक्ष वसीम रैनी ने स्वागत किया है। लखनऊ स्थित पसमांदा मुस्लिम समाज के अध्यक्ष का कहना है कि अगर रोजा तोड़ने के लिए दूध से बनी मिठाइयां जैसे की पेड़ा वगैरह का इंतज़ाम किया जाता है तो हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है। उनका मानना है कि आरएसएस की पहल हिन्दू और मुस्लिम समाज के बीच एकता बढ़ाएगी।
मआरएम के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजाल ने कहा कि मुसलमानों पर गौहत्या का आरोप लगाया जाता है इसलिए वो ये संदेश देना चाहते हैं कि मुस्लिम भी गौरक्षा के लिए काम करते हैं। अफजाल ने बताया कि रमजान के दौरान इफ्तार के समय रोजेदारों को उनका संगठन गाय के दूध से बना शरबत पिलाएगा। अफजाल ने बताया कि एमआरएम मुसलमानों को बीफ के नुकसान और गाय के दूध के फायदे भी बताएगा।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने पांच और छह मई को उत्तराखंड के रुड़की के नजदीक एक 13वीं सदी की दरगाह पर दो दिवसीय कार्यक्रम किया। कार्यक्रम में करीब 300 मौलवी आए। कार्यक्रम में मुसलमानों को गाय के फायदे बताने के साथ ही तीन तलाक, राम मंदिर के मुद्दे पर भी चर्चा की गयी। रमजान के दौरान “बीफ नहीं, गाय का दूध” पार्टी करने का फैसला इसी कार्यक्रम में लिया गया। एमआरएम तीन तलाक और राम मंदिर मुद्दे पर भाजपा के रुख से सहमति रखता है। आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार एमआरएम के संरक्षक हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा समर्थित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) रमजान में “नो बीफ, नाउ काऊ मिल्क” (बीफ नहीं, अब गाय का दूध) पार्टी का आयोजन करेगा। इंडिया डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार एमआरएम रमजान के दौरान मुसलमानों से इफ्तार पार्टियों में बीफ न खाने और गाय के दूध के सेवन की अपील करेगा। एमआरएम का दावा है कि वो पूरे देश में करीब 100 गौशालाएं चलाता है।
एमआरएम ने कार्यक्रम में पूरे देश में अल्पसंख्यकों को सरकार द्वारा उनके कल्याण के लिए चलायी जाने वाली योजनाओं से अवगत कराने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करने की भी बात कही गयी है। एमआरएम मुसलमानों को राम मंदिर निर्माण के लिए सहमति देने के लिए तैयार करेगा। इंद्रेश कुमार ने रुड़की के कार्यक्रम से पहले कहा था कि वो मुस्लिम समुदाय से मदरसों में कुरान के साथ-साथ “भारतीय तहजीब” की शिक्षा देने की भी अपील करेंगे।
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