जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने आर्मी चीफ बिपिन रावत के बयान का हवाला देते हुए कहा है कि जम्मू कश्मीर में आतंकी अपने हक के लिए लड़ रहे है वो आतंकी विधायक या सांसद बनने के लिए नहीं बल्कि अपने हक़ के लिए कुर्बानी दे रहे हैं इसलिए वो बंदूक से नहीं डरते हैं।
श्रीनगर में एक सभा में अब्दुल्ला ने कहा, ''कश्मीर में सक्रिय आतंकी विधायक या सांसद बनने के लिए नहीं बल्कि अपने हक़ के लिए कुर्बानी दे रहे हैं। ये ज़मीन हमारी है हम इसके मालिक हैं. जान सब को प्यारी है लेकिन इन युवाओं को अल्लाह पर यकीन है, ज़िन्दगी और मौत अल्लाह के हाथ में है. वे उसकी राह में ही चले हैं और इस वतन की आज़ादी के लिए जान दे रहे हैं, इस बात को न भारत समझता है और न पाकिस्तान। यह लड़ाई 1931 से जारी है। अब नई पीढ़ी आई है जिनको मौत का डर नहीं है और वह इस मुल्क की आज़ादी के लिए मैदान में हैं इसीलिए उनको गोली और बन्दूक की धमकी से कुछ असर नहीं पड़ता।आर्मी चीफ रावत को जवाब
फारुक अब्दुल्ला ने आर्मी चीफ बिपिन रावत के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि कश्मीर का नौजवान बंदूक से नहीं डरता। कश्मीर की नई पीढ़ी को बंदूक से डर नहीं लगता है। कश्मीर के युवाओं को बंदूक से डर नहीं लगता। युवाओं पर बंदूक और धमकी का असर नहीं होता। हमारे नौजवान जम्मू-कश्मीर की आजादी चाहते हैं। इसलिए वो अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमारे बच्चे अपने हक की लिए कुर्बानी दे रहे हैं। उन्होंने कहा
बुलेट का जवाब बुलेट नहीं हो सकता। बुलेट का जवाब धैर्य, प्रेम और संवाद से दिया जा सकता है। हम आशा करते हैं कि भारत और पाकिस्तान वार्ता की मेज पर आएंगे और वार्ता का नया चरण बहाल होगा ताकि कश्मीर की समस्या का समाधान हो सके।’
युवाओं के आतंकवाद से जु़ड़ने के विषय में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमें आतंकवादियों की संवेदना को ध्यान में रखना होगा. उनके हथियार उठाने की क्या वजह है. युवाओं को हथियार उठाने के लिए कौन सी बात मजबूर कर रही है, उसकी जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच आयोग गठित किया जाना चाहिए.’
गौर हो कि जम्मू-कश्मीर में सैन्य कार्यवाई के दौरान बाधा पहुंचाने वाले स्थानीय लोगों को लेकर सेना ने कड़ा रुख अख्तियार किया था। पिछले दिनों आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने हिदायत दी थी कि सैन्य ऑपरेशन के दौरान जवानों पर पथराव करने वाले लोगों को आतंकवादियों का सहयोगी माना जाएगा और उनसे सख्ती से निबटा जाएगा। जनरल रावत ने कहा था कि जो लोग ISIS और पाकिस्तान के झंडे दिखाकर आतंकवाद की मदद करना चाहते हैं उनको देश विरोधी माना जाएगा और बख्शा नहीं जाएगा।

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