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जब संविधान समान अधिकार की बात करता है, फिर आरक्षण के नाम पर भेदभाव क्यों?

इस तरह की समाज-विरोधी ज़हर उगलने वाले
नेता कहलवाने योग्य हैं?
आज फिर आरक्षण विषय पर विवाद खड़ा करने का प्रयास हुआ है संघ ने हमेशा यह प्रयास किया हैं कि संविधान प्रदत्त आरक्षण जारी रहना चाहिए। संविधान में एसटी एससी ओबीसी के रिजर्वेशन प्रावधान है। इन सभी वर्गों को आरक्षण का पूरा पूरा लाभ मिले इसके लिए संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने 1991 में प्रस्ताव पास किया था।
प्रस्ताव में स्पष्ट कहा था कि एसटी, एससी और ओबीसी को आरक्षण के प्रावधान का पूरा लाभ मिले इसके प्रयास होते रहना चाहिए। संघ के पदाधिकारी के नाते मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि विवाद अनावश्यक पैदा करने का प्रयास किया गया है जब तक देश में जाति और जन्म आधारित असमानता रहेगी तब तक आरक्षण की सुविधा रहनी चाहिए। यह वाक्य मैंने लिटरेचर फेस्टिवल में भी कहा था और यही संघ का पक्का स्टैंड है। इस विषय में विवाद उत्पन्न करने का प्रयास हुआ है। इसलिए विषय को एक बार फिर बताना पड़ रहा है। डॉक्टर वैद्य ने भी इसी विषय को कहा था। संघ को लेकर कंट्रोवर्सी उत्पन्न करने का प्रयास नहीं करें।इससे सामाजिक दृष्टि से तनाव पैदा करने की स्थिति बनती है।
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इन नेताओं से जनता पूछे : जाति के नाम पर राजनीति शुरू करने पर क्या बैंक बैलेंस था और आज कितना है?
कितना भला किया अपनी जाति का? जितनी तेजी से इन नेताओं की तिजोरियाँ भरी है, क्या जाति का उद्धार हुआ? 
आरक्षण को अपना हथियार बनाने वाले वोट एवं कुर्सी के भूखे नेता, राष्ट्र को बताएं कि  ज़बरदस्ती आरक्षण का डोल पीटना राष्ट्र की लिये कितना घातक है? जितना स्वांग आज खेला जा रहा है, नेता-समाज बताए कि जनता को क्या सन्देश दे रहे हैं? अगर संविधान आरक्षण की बात करता है तो "समान अधिकार की भी बात करता है", फिर यह दोहरा मापदंड क्यों? क्या यह दोहरा मापदंड समाज को नहीं बाँट रहा? यानि गुड़ खाओ लेकिन गुलगुलों से परहेज। क्या इसी को समाज सेवा कहते हैं? आखिर कब तक इस दोगली नीति से जनता को गुमराह किया जाता रहेगा? 
https://www.facebook.com/100002692034205/videos/940291439403915/
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दौलत की पुजारिन दलित की बेटी !

आरक्षण को बढ़ावा देने वाले यह भी बताएँ कि "जब आरक्षण का दुरूपयोग होते देख डॉ आंबेडकर ने अपनी मांग को वापस लेते हुए, तुरन्त समाप्त करने को कहा था, फिर भी इसको चालू रखना क्या वोट-बैंक राजनीति नहीं?" 
यदि आरक्षण का विरोध हो रहा है तो क्या गलत है?क्या सवर्ण बच्चों के मानवाधिकार नहीं हैं? कुछ ही लोग कितना लाभ लेना चाहते हैं? आरक्षण लागू करने वाला एकमात्र राष्ट्र भारत है ,जिसकी प्रतिभाएं विदेश पलायन कर रही हैं ।
मोदी सरकार द्धारा सवर्ण जाति विरोधी निर्णय 
Image may contain: 4 people, people sittingदो दिन पहले ही केंद्र सरकार ने एक और शर्मनाक फैसला लिया है कि ST SC OBC के लोग जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करना चाहते है उनका पूरा खर्चा केंन्द्र सरकार उठाएगी । इसका मतलब यह है कि सामान्य जाति के लोग करोड़पति है , और जाति के लोग बेहद गरीब । मुझे विश्वास ही नही हो रहा है कि हम एक ऐसे देश में रह रहे है जहां अमीरी और गरीबी का पता जाती देखकर होता है। क्या सामान्य जाति के लोग वोट नही देते है जो इनके साथ भेदभाव होता है। सरकार को पता होना चाहिए कि शोषण जाति का नही गरीब का होता है। सरकारी नौकरी में आरक्षण तमिलनाडु जैसे राज्यो में 64% तक पहुँच गया है । और मुझे उम्मीद है कुछ वर्षो में स्थिति हर राज्य ऐसी हो जायेगी जब सामान्य जाति के लोगो को सरकारी नौकरी से वंचित कर दिया जायेगा। अम्बडेकर साहब का गुणगान करने वालो को जरा ये सोचना चाहिए कि वे विना किसी आरक्षण के इतने महान व्यक्ति बने। उन्होंने तो इस आरक्षण को केवल 10 वर्षो के लिए ही लागू किया था परन्तु इन राजनीतिक पार्टियो ने अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए इसे अब भी लागू कर रखा हुआ है। शर्म आनी चाहिये ऐसे नेताओ को खासकर उन सामान्य जाति के नेताओ को जो सब जानते हुए भी जातिगत आरक्षण  का समर्थन करते है। जाति प्रमाँण पत्र के सामने प्रतिभाए दम तोड़ रही है। एक तो सरकारी नौकरी की तयारी  के लिये खर्चा और उसके वाद नौकरी में 50 % आरक्षण , उसके वाद नौकरी में प्रमोशन में भी आरक्षण । ये कहाँ का न्याय है? क्या हम लोग इस देश के नागरिक नही है ?? मै पूछना चाहता हू कि 600 करोड की सम्पति वाली मायाबती और करोड़पति लालू यादव जेसे लोगो को आरछण का लाभ मिल रहा है और गरीब सामान्य जाति के लोगो को आरक्षण का लाभ नही ??? ऐसा क्यों ??  मेरा मत है कि आरक्षण का लाभ दिया जाये परन्तु  गरीबी देखकर न कि जाति देखकर। में सरकारो से अपील करता हूँ कि ऐसा भेदभाव अब बहुत कर लिया । कुछ तो रहम करो।
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गर नेता समाज को इसी दोगली नीति पर ही चलकर जनता को गुमराह करना है, वोट-बैंक एवं कुर्सी के भूखे नेताओं को यह भी समझ लेना चाहिए कि जिस दिन सवर्ण जाति ने अपनी आवाज़ बुलन्द कर दी, सड़क से लेकर संसद और संसद से लेकर राष्ट्रपति भवन तक की दीवारें इस तरह हिल जाएंगी, और उनमे इतनी दरारें पड़ जाएँगी जिन्हें भरना आसान नहीं होगा। और इस हुँकार में आरक्षित जातियों का भी भरपूर सहयोग होगा, क्योंकि यह जातियाँ भी भलीभांति जानती हैं, की आरक्षण के नाम पर ये नेता केवल अपना ही भला कर रहे हैं, आरक्षित जातियों का नहीं। 
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जिसका प्रमाण देखने के लिए कहीं दूर जाने की जरुरत नहीं, प्रमाण दुनियाँ के सम्मुख है। आज जातियों के आधार पर कितनी पार्टियाँ भारत में हैं, किसका उद्धार हुआ? केवल आकाओं और इनके समर्थकों का। बाकि इनकी जाति वाले अगर प्रगति कर रहे हैं,तो केवल अपने परिश्रम से, इन नेताओं का लेशमात्र भी सहयोग नहीं। कोई दलित की बेटी बन अपना और अपने परिवार का कल्याण करने में व्यस्त है तो कोई चारा घोटाला कर अपनी भावी पीढ़ियों के लिए तिजोरियाँ भरने में।  फिर ज़हर उगलते हैं, अगर आरक्षण ख़त्म किया तो "देश में ये हो जायेगा या वो जायेगा", अब इन नेताओं से पूछो "तुम लोगों ने जनता को जाति या धर्म के नाम पर बाँटने के सिवा और क्या काम किया है।" कोई हिन्दू की बात बोले इन्हें साम्प्रदायिकता नज़र आती है, हिन्दू-विरोधी जो चाहे बोल दें, उसमे इनको समाजवाद और धर्म-निरपेक्षता ही दिखती है। जो दर्शाती है, इन नेताओं की गिरी हुई मानसिकता।   
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य के आरक्षण पर बयान से विवाद खड़ा हो गया है। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शुक्रवार को वैद्य ने कहा कि देश में आरक्षण व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए। 
No automatic alt text available.वैद्य ने कहा कि सबको समान अवसर और शिक्षा के अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण व्यवस्था को खत्म करना होगा क्योंकि इससे अलगाववाद को बढ़ावा मिला है।
कुछ आर्थिक आरक्षण के बारे में भी तो कहिये! क्या व्यापम घोटाला, आर्थिक आरक्षण का ही एक घिनौना रूप नहीं है, जहाँ धनपशुओं के भ्रष्टाचार ने नालायक लोगों को प्रतिभावान लोगों की जगह पर बिठा दिया है।क्या लाखों, करोणों रुपयों की केपिटेशन फ़ीस के दम पर अयोग्य लेकिन धनवान छात्र योग्य किंतु गरीब छात्रों का स्थान हड़प लेते हैं?सिर्फ जातीय आरक्षण से ही आपकी चिड़ क्यों है?
अवलोकन करें:-


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पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले आरएसएस के तरफ से आए इस बयान का विरोध होने लगा है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि भाजपा, आरएसएस और अकाली दलित विरोधी हैं। इनके नापाक इरादों को कभी सफल नहीं होने देंगे।
जब लालू यादव को संघ की शरण में जाना पड़ा था  
वहीं बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर कहा कि आरक्षण संविधान प्रदत्त अधिकार है। इसे कोई छिन नहीं सकता। उन्होंने कहा कि आरएसएस के लोग आरक्षण पर फिर से बयान दे रहे हैं, बिहार में उन्हें इसका नुकसान हुआ, अब यूपी में भी ये हारेंगे।
No automatic alt text available.लालू यादव जी आप भाजपा से चाहे जितना अधिक राजनीतिक कुश्ती खेलिये हम चूप रहेंगे लेकिन जब आप संघ पर अनाप-शनाप कुछ बकें तो फिर इतिहास के पन्ने खोलकर आपकी औकात भी बतानी पड़ेगी। 
आपकी औकात यह है कि कभी रिक्शा चालक थें तब 1974 में पटना विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में आपनें समाजवादी युवजन सभा से अध्यक्ष का पद का चुनाव लडने को ठानी। उस समय दो ही छात्रसंघ मजबुत स्थिति में थे, पहला विद्यार्थी परिषद दुसरा कम्युनिस्टो का संगठन । आप यह बात खुद जानते थे कि हमारी पार्टी का हश्र  क्या होगा तब आप संघ के वरिष्ठ नेता नाना जी देशमुख के पास गयें । तब ऋषि जैसे दयालु नाना जी ने आपको कहा कि ठीक है, विद्यार्थी परिषद और समाजवादी युवजन सभा गठबंधन कर छात्रसंघ का चुनाव लडेगी लेकिन मजबुत विद्यार्थी परिषद यह दोस्ती करने को राजी नही हुई तो फिर आप दौडे-दौडे गोविंदाचार्य जी और नाना जी के पास गयें थे। उसके बाद इन दोनों ने विद्यार्थी परिषद के संयोजक को डांटा जिसके वजह से दोनो मे गठबंधन हुआ अध्यक्ष का पद समाजवादी यूवजन को बाकी के सभी पद पर परिषद चुनाव लडेगी यह समझौता हुआ।चुनाव में सभी सीटों पर गठबंधन की जीत हुई। आप,सुशील मोदी और रविशंकर प्रसाद सभी जीत गयें । तो यह संघ की कृपा से आपकी पहली पारी थी।..... फिर 1990 का विधानसभा चुनाव लाख हांथ पैर मारने के बावजुद भी आपकी पार्टी जनता दल को 122 सीट ही मिला था सरकार बनाने के लिए 41 सीट की और जरूरत थी क्योंकि उस समय बिहार विधानसभा में 324 सीटे हुआ करती थी। उस चुनाव मे भाजपा के 39 विधायक और तीन बागी विधायक जीते थे। जनता दल आपको मुख्यमंत्री बनाना नही चाहती था लेकिन आपने यह कहा कि यदि हम मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनेंगे तो भाजपा से हमें समर्थन मिल जाएगा तब जनता दल ने इस बात पर हामी भर दी।आपनें जार्ज फर्नांडीस को लालकृष्ण आडवाणी जी के पास भेजा लेकिन आडवानी जी ने समर्थन देने से साफ इंकार कर दिया फिर रात को ही आप संघ के शरण मे गये।संघ के कई नेताओं को आपने मनाया तब संघ ने आपको आशीर्वाद दिया और आप भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। ....
अब जिस संघ ने आपको छात्रसंघ का अध्यक्ष और मुख्यमंत्री बनाया उस संघ को गाली तो मत दीजिये, वर्ना आप आज भी पटना के सडको पर रिक्शा चला रहे होते ।
हमारे देश में 131 लोकसभा सीट तथा 1225 विधान सभा सीट आरक्षित है। 

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To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)

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