सूत्रों का कहना है कि "भारत बन्द" पूर्णरूप से असफल होने से समस्त गैर-भाजपा पार्टियाँ वास्तव में बौखला गयीं है। और उस बौखलाहट में मर्यादाओं को ताक पर रख सेना पर ही प्रश्नचिन्ह लगाने आरम्भ कर दिए। जो इनके देशप्रेम पर ही प्रश्नचिन्ह लगा देता है। एक ज़िम्मेदार प्रशासक होने के नाते ममता का कर्तव्य था, गृह मंत्री या रक्षामंत्री से सम्पर्क कर जानकारी लेना, न की ट्विटर लिखना। जो अत्याधिक गम्भीर विषय है। रक्षामन्त्री ने भी इसका सटीक उत्तर दिया "political frustration" .
दूसरे, यह कि ममता और इनकी सहयोगी पार्टियों को डर है कि "कहीं केन्द्र बांग्लादेशियों को बंगाल से निकाल इनके वोटबैंक को खाली तो नहीं कर रही।" जो सुविधाएँ भारतीयों को मिलनी चाहिएँ उन्हें 2 करोड़ बांग्लादेशी, जो गैर-क़ानूनी रूप से भारत में रह रहे हैं, अंकुश लगा रहे हैं। क्योंकि इसी अवैध रूप से रह रहे वोटबैंक के ही कारण छद्दम धर्म-निरपेक्ष सत्ता सँभालते हैं। और देश को भ्रमित करते है।
दिसम्बर 1,शाम को पश्चिम बंगाल के राज्य सचिवालय नबन्ना भवन के पास स्थित टोल प्लाजा पर सेना के जवान तैनात कर दिए गए थे। उस पर ममता बनर्जी ने सवाल खड़े किए थे। ममता ने कहा था कि सरकार उन्हें घेरने के लिए वह सब कर रही है। एक ट्वीट में उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या सेना तख्तापलट की कोशिश कर रही है? ममता ने ट्वीट करके यह भी बताया था कि जबतक सेना नहीं हटाई जाएगी तबतक वह सचिवालय के बाहर नहीं जाएंगी। हालांकि, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने सफाई देते हुए कहा था कि ये एक रूटीन अभ्यास था और राज्य प्रशासन को इसके बारे में पहले से सूचित किया गया था।
ममता बनर्जी के लिए लोगों ने कैसे-कैसे ट्वीट किए देखिए –
वीडियो: बंगाल में सेना की मौजूदगी पर ममता बनर्जी और सरकार में ठनी, देखिये कैसे बदला घटनाक्रम







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