ये जिंदगी सुकूँ से गुज़र जाए तो अच्छा । बिगड़ा इन्सान सुधर जाए तो अच्छा ।।
इक प्यार की गंगा को बहाने के वास्ते । तुफान नफरतों का ठहर जाए तो अच्छा ।।
जीस का ज़मीर मर गया वह भी है क्या वशर। बेकार ही जिन्दा है वो मर जाए तो अच्छा ।।
हो जाए न बर्बाद कहीं अपना यह वतन । यह काकुले हालात सँवर जाए तो अच्छा ।।
जीस का ज़मीर मर गया वह भी है क्या वशर। बेकार ही जिन्दा है वो मर जाए तो अच्छा ।।
हो जाए न बर्बाद कहीं अपना यह वतन । यह काकुले हालात सँवर जाए तो अच्छा ।।

दुकानदारों ने आगे बताया कि "नोटबंदी होते ही कश्मीर में पत्थरबाज कहाँ गायब हो गए? इससे बड़ा राष्ट्र को और नोटबंदी के विरोधियों को और क्या प्रमाण मिल सकता है।" शीशगंज के बाहर लगभग बीसियों दुकानदारों ने यह भी स्पष्ट किया "यदि 28 तारीख को बंद दौरान विरोधियों ने गुंडागर्दी नहीं की तो चांदनी चौक रोज़ की तरह खुलेगा।"
एक दुकानकार ने कहा "प्रधानमंत्री को अभी एक और साहसिक काम करना होगा, तभी इसको सर्जिकल स्ट्राइक कहा जा सकेगा। आधार कार्ड पर बदले गए नोट वालों की भी जाँच जरुरी है, लोगों ने कालेधन को सफ़ेद करने में हज़ारों रूपए कमाएं हैं।"
इस पदयात्रा की विशेषता यह थी कि दिल्ली पुलिस मात्र यातायात तक सीमित रही और हर्षवर्धन का कारवाँ नारेबाजी करते जन-जन तक अपना सन्देश पहुंचाते अपनी मंज़िल की ओर प्रस्थान करता रहा।
डॉ हर्ष के शीशगंज में रहते शालीमार पार्षद सुश्री रेखा गुप्ता ने बताया कि "माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार द्वारा काले धन को समाप्त करने के उद्देश्य के लिए 500 और 1000 के नोटों को बंद करने के फैसले के समर्थन में एक विशाल समर्थन रैली निकाली गई है। जिसमें पूरी दिल्ली के भाजपा कार्यकर्ताओं के अलावा आम जनता बढ़चढ़ कर अपना सहयोग प्रदान कर संसद में विरोध कर रहे विपक्ष को करारा जवाब दिया।

सीताराम बाजार से भाजपा नेता सतीश गुप्ता ने बताया कि उनके मंडल ने बैंकों की लाइनों में लगी जनता को चाय एवं पानी आदि की व्यवस्था कर प्रधानमन्त्री के हाथ मजबूत करने में मात्र एक आहुति देने का प्रयास किया। घर-घर जाकर जनता को इससे होने वाले फायदों और देश को लूटने वालों को जगजाहिर कर रहे हैं।प्रधानमंत्री के इस कदम से जाली नोट, आतंकवाद और कालाधन संचय करने वालों पर कुठाराघात हुआ है, जिस कारण देश की अर्थयवस्था चरमरा रही थी।
गौरी शंकर मंदिर से अजमेरी गेट तक चली पदयात्रा में सम्मिलित समस्त महिला-पुरुष नारों-- जो संसद को रोक रहे हैं, कालेधन के रखवाले हैं, मोदी तुम संघर्ष करो, देश तुम्हारे साथ है,भारतमाता की जय, वन्देमातरम आदि -- के माध्यम से मोदी सन्देश जन-जन तक पहुँचा रहे थे।

कतारें थककर भी खामोश हैं ,नजारे बोल रहे हैं।
नदी बहकर भी चुप है मगर किनारे बोल रहे हैं।
ये कैसा जलजला आया है दुनियाँ में इन दिनों ,
झोंपडी मेरी खडी है और महल उनके डोल रहे हैं।
परिंदों को तो रोज कहीं से गिरे हुए दाने जुटाने थे।
पर वे क्यों परेशान हैं जिनके घरों में भरे हुए तहखाने थे ll

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