इन मुस्लिम महिलाओं की मांग है कि तलाक़ के मामले में सरकार दख़ल ना दे। महिलाओं ने इस संबंध में एक मांगपत्र ज़िलाधिकारी को भी सौंपा है।
गुजरात के सूरत शहर में अक्टूबर 21 को हज़ारों की तादाद में मुस्लिम महिलाएं सड़कों पर उतरीं। उनके हाथ में बैनर थे, जिस पर लिखा था ‘ शरियत क़ानून को सरकार बदलने की कोशिश न करे’
https://www.facebook.com/100008695501142/videos/1623986691234499/
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रैली में शामिल शहनाज़ पटेल ने बीबीसी से कहा, “हम भारत सरकार को बताना चाहते हैं कि तलाक़ के मामले में शरियत क़ानून ही श्रेष्ठ है। भारत के संविधान से भी यह मामला ऊपर है।”
पटेल ने बताया, “हम भारत के संविधान को सलाम करते है, लेकिन जब बात शरियत की आती है, तो हमें क़ुरान का बताया रास्ता ही उत्तम मालूम होता है. इस स्थिति में भारत सरकार कॉमन सिविल कोड के सहारे इस्लाम में हस्तक्षेप करना छोड़ दे।”
अब प्रश्न यह उठता है कि "जब शरीयत भारतीय संविधान से ऊपर है, तो अदालतों में लम्बित समस्त मुस्लिम मुकदमों का निपटारा शरीयत के अनुसार क्यों नहीं करवाया जाता? तब क्यों अदालतों के दरवाज़े खटखटाए जाते हैं? ये मुस्लिम समाज आखिर कब तक दोनों हाथों में लड्डू लेकर ब्लैकमेल करता रहेगा? चोरी, डकैती, बलात्कार, अपहरण, ज़मीन-जायदाद, बैंकों आदि से ब्याज एवं तलाक आदि के निपटारे कोर्ट की बजाय शरीयत से क्यों नहीं निपटाए जाते?"
केंद्र सरकार ने समानता एवं धर्मनिरपेक्षता के आधार पर इन प्रथाओं की समीक्षा की हिमायत की थी। सरकार के रूख को दोहराते हुए नायडू ने अक्टूबर 22 को कहा, "एक साथ तीन तलाक संविधान, कानून, लोकतंत्र के सिद्धांतों और सभ्यता के खिलाफ है। इस तरह के विचार पैदा हो रहे हैं। इस विषय पर बहस हो रही है। पहले ही बहुत अधिक समय बीत चुका है। ऐसे में समय आ गया है जब देश को आगे बढ़कर भेदभाव खत्म करने और लैंगिक न्याय और समानता लाने के लिए एक साथ तीन तलाक को समाप्त कर देना चाहिए। हम लोगों को इसे खत्म करना चाहिए।"
समानता की मांग
उन्होंने कहा, यहां तक कि मुस्लिम महिलाएं भी समानता की मांग कर रही हैं। किसी तरह का लैंगिक भेदभाव नहीं होना चाहिए। लैंगिक न्याय होना चाहिए और संविधान के समक्ष सभी बराबर हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट अभी इस मुददे की छानबीन कर रहा है। ऐसे में कोई भी जा सकता और अपनी चिंता को रख सकता है। समान नागरिक संहिता के मुददे पर उन्होंने कहा, सरकार पारदर्शी तरीके से सबकुछ करेगी। वह इस मुददे पर संसद को विश्वास में लेगी। कुछ वर्ग दुष्प्रचार कर रहे हैं कि सरकार पिछले दरवाजे से समान नागरिक संहिता को लागू करने का प्रयास कर रही है।
अगर शरीयत के कानून को मानना है तो मुसलमान चोर के हाथ भी काटेंगे
केंद्रीय सूक्ष्म लघु उद्योग राज्य मंत्री गिरिराज सिंह ने तीन तलाक मामले में कहा है कि यदि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड शरीयत का कानून मानने की बात करते हैं तो चोर मुसलमान के हाथ भी काटे जाने चाहिए। कभी भारत का कानून कभी शरीयत का कानून नहीं चलेगा। एक तय करना पड़ेगा।
देवबंद के हिदू समागम में भाग लेने जा रहे गिरिराज सिंह ने यहां पत्रकारों से कहा कि अल्पसंख्यक के विषय पर चर्चा की जरूरत है। बिहार के नवादा से सांसद गिरिराज सिंह ने कहा कि वर्तमान में सिख और जैन ही अल्पसंख्यक हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने कहा कि हिदुओं की तेजी से घट रही संख्या चिताजनक है। जहां भी हिदुओं की संख्या गांव या ब्लॉक स्तर पर घटी है, वहां पर सामाजिक समरसता टूटी है। उप्र में कैराना जैसी स्थिति देश के कई जिलों में हो गई है। बिहार के किशनगंज में लोग भय के वातावरण में जी रहे हैं।
तीन तलाक के मसले पर गिरिराज ने कहा कि महिलाओं के हित में इस कानून में बदलाव जरूरी है। मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड अगर शरीयत को मानता है तो चोरी करने वाले के हाथ भी कटवाए। दोहरा मापदंड नहीं चलेगा। पाकिस्तान कलाकारों के भारत में काम करने पर कहा कि भारत का खाना और पाकिस्तान का बजाना ये तो अब नहीं चलने वाला।

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