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राज्यमन्त्री से प्रधानमन्त्री तक सबको लाल बहादुर शास्त्री बनना होगा

Image result for narendra modiसर्जिकल स्ट्राइक को लेकर पक्ष और विपक्ष में जमकर राजनीति हो रही है। एक तरफ जहां केजरीवाल और चितंबरम के खिलाफ याचिका दायर की गई है तो वही दूसरी तरफ रक्षामंत्री ने अक्टूबर 6  को उत्तर प्रदेश के आगरा में अपने मन की बात भी कह दी।  रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि किसी को सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग शंका व्यक्त कर रहे हैं। ऐसे लोग देश के साथ वफादार नहीं हो सकते हैं।
                                                   साभार
पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर में सेना की सर्जिकल स्‍ट्राइक पर अक्टूबर 5 को आगरा में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर का सम्‍मान किया गया। इस मौके पर मंच से भाजपा नेताओं ने ऐलान किया कि ऑपरेशन में "सिर्फ 38 नहीं, करीब 200 आतंकी और पाकिस्‍तानी मारे गए।" पर्रिकर ने कहा कि वे अपने कार्यालय के सम्‍मान से बंधे हैं, मगर ”आप लोग जो भी हमारे लोगों ने बोला, वो मैंने बोला ऐसा ही मानें।” राजकीय इंटर कॉलेज मैदान पर अपने भाषण में पर्रिकर ने कहा कि यह दुनिया की सबसे बेहतरीन सर्जिकल स्‍ट्राइक में से एक थी। उन्‍होंने ऑपरेशन के सबूत मांगने वालों पर भी निशाना साधा। उन्‍होंने कहा, ”मैं अपने जवानों से सिर्फ दुश्‍मन को मारने के लिए ही नहीं, उन्‍हें तबाह करने को कहता हूं।” रक्षा मंत्री ने कहा, ”बहुत से लोग देश के प्रति वफादार नहीं हैं और उन्‍होंने सेना की आलोचना की है, मगर हमें उन्‍हें कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है।” पर्रिकर ने कहा कि हमने 100 फीसदी सफल सर्जिकल स्‍ट्राइक किया है। हमारे देश के पास ऐसा करने का दिल और जज्‍बा दोनों है। कुछ पूर्व सैनिकों ने मुझे लिखा है कि वे जरूरत पड़ने पर बॉर्डर पर लड़ने को तैयार हैं। मैं उन्‍हें सलाम करता हूं।”
भाजपा नेताओं ने पाकिस्‍तान को धमकी देते हुए नारे भी लगाए- ”कश्‍मीर तुझे हम क्‍या देंगे, लाहौर कराची ले लेंगे।” पर्रिकर ने कहा कि ”मैं अपने देश के लोगों से अपील करता हूं कि वे चैन से सो सकते हैं। हमारा देश सुरक्षित है।” इससे पहले स्‍वागत करते हुए यूपी बीजेपी चीफ केशव प्रसाद मौर्य ने पर्रिकर को ‘सीधा आदमी’ बताया था। पर्रिकर ने कहा कि जब देश की सुरक्षा की बात आएगी तो वे ‘टेढ़े’ भी बन सकते हैं।
Image result for lal bahadur shastriटाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, मनोहर पर्रिकर ने कहा कि पूरी दुनिया में सर्जिकल स्ट्राइक्स जितने परफेक्शन के साथ नहीं हुए उतने परफेक्शन से भारत ने किया है। उन्होंने आगे कहा कि भारत के अंदर कुछ लोग सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर सवाल उठा रहे हैं जो कि ठीक नहीं है। इसमें सेना का कोई भी जवान शहीद नहीं हुआ है. हमें अपनी सेना पर गर्व है। पीओके के लोग जो कह रहे हैं वह काफी है। भारत सरकार को कोई वीडियो सबूत जारी करने की आवश्यकता नहीं है। 
 वैसे, अक्टूबर 5 को ही कैबिनेट बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों को सैन्य कार्रवाई के बारे में 'बढ़-चढ़कर' तथा बिना अधिकृत किए बोलने के विरुद्ध चेताया था। सर्जिकल स्ट्राइक से राजनैतिक फायदा उठाने के विपक्षियों के आरोपों को खारिज करते हुए मनोहर पर्रिकर ने कहा कि इस तरह का जो भी कार्यक्रम उन्होंने देखा है, वह उनके सम्मान के लिए आयोजित नहीं किया गया, बल्कि सेना तथा प्रधानमंत्री के नेतृत्व' की खातिर किया गया।
भारतीय सेना ने 28-29 सितंबर को पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाले कश्‍मीर में एलओसी के करीब स्थित आतंकियों के लॉन्‍च पैड्स पर सर्जिकल स्‍ट्राइक की थी। इसकी जानकारी डायरेक्‍टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशनंस रणबीर सिंह ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में देश को दी थी। हालांकि  पाकिस्‍तान किसी भी तरह की सर्जिकल स्ट्राइक से इनकार कर रहा है। पिछले दिनों पाकिस्‍तान ने विमान के जरिए अंतर्राष्‍ट्रीय मीडिया को एलओसी पर इकट्ठा किया और उन्‍हें इस बात के ‘सबूत’ दिखाए कि कोई सर्जिकल स्‍ट्राइक नहीं हुई।
जब विपक्ष ने DGMO को ही झूठा बता दिया
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भारत में दुश्मन पर की जा रही कार्यवाही पर जिस तरह नेता बयानबाज़ी कर रहे बहुत ही शर्म की बात है। अमेरिका ने जिस तरह अपने देश पर हुए एक ही आतंकवादी हमला होने पर जो कार्यवाही की, वहाँ बोला कोई। रूस जिस तरह विश्व से आतंकवाद समाप्त करने के लिए आतंकवादी ठिकानों पर बमों की वर्षा कर रहा है, कोई विपक्ष बोल रहा है। फ्राँस और चीन ने जिस तरह बुर्का, रोज़े, और अन्य इस्लामिक मान्यताओं पर प्रतिबन्ध लगा रहे हैं, कोई बोल रहा है क्या? विदेशों में सरकारी खर्चे पर क्या करने जाते हो? केवल मौज़-मस्ती करने ? वहीँ की धरती पर जहाज से बाहर आते ही वहां के कायदे-कानून को एक ग़ुलाम की भाँति क्यों अपनाते हो? भारत की तरह वहाँ बोल कर दिखाओ, देखो फिर अपनी दुर्दशा।   
भारत में गृह-युद्ध ?
आज जिस तरह की भाषाशैली का प्रयोग समस्त विपक्ष कर रहा है, उनके बोलों में और पाकिस्तान के बोलों में कोई अंतर नहीं दिखता। अक्टूबर 6 को दो न्यूज़ चैंनलों पर परिचर्चा देख सिर शर्म से झुक गया जब विपक्ष ने DGMO को ही  झूठा बता दिया। जो नेता अपनी फौज पर ऊँगली उठा दे, वह नेता या उस नेता की पार्टी जनता या देश का क्या भला करेंगे, कल्पना करना भी व्यर्थ है। एक पाकिस्तान को  विश्व नक़्शे में देखता है, लेकिन दूसरी ओर  भारत कदम-कदम पर पाकिस्तान दिख रहा  है। सर्जिकल स्ट्राइक पर पाकिस्तान में हाहाकार मचा हुआ है, और भारतीय विपक्ष पाकिस्तान के आंसू पोछते हुए  भारतीय फौज पर निशाना साध रहे हैं। 
यह भी सम्भव है कि पाकिस्तान अपना विनाश होते देख, भारत को ही गृह-युद्ध की आग में धकेल दे। इस आग से प्रत्येक भारतवासी को सजग रहने की आवश्यकता है। इस सन्देह को अन्यथा में न लें। सरकार को किसी साम्प्रदायिक भावना अथवा द्देष भावना को त्याग राष्ट्रहित में इसका मनन करना होगा। भारत में रहने  वाला प्रत्येक नागरिक भारतवासी है, फिर भी क्यों सन्देह उत्पन्न हुआ? कारण है। पाकिस्तान की स्थापना एक मुस्लिम राज के नाम हुई है। पाकिस्तान एक इस्लामिक देश कहलाता है। अगर पाकिस्तान ने अपने अस्तित्व को बचाने आवाज़ दी "एक इस्लामिक देश खतरे में है, दुनियां भर के मुसलमानो एक होकर इस इस्लामिक देश को बचाओ।" डूबता क्या न करता। उस स्थिति में ये सर्जिकल स्ट्राइक के विरुद्ध आवाज़ बुलंद करने वाले चाहे किसी भी पार्टी से संबंधित हो, किसका साथ देंगे : भारत का या पाकिस्तान का ? भगवान करे ऐसी स्थिति नहीं आने पाए। फिर भी सतर्कता जरुरी है। किसी पर शंका करने का उद्देश्य  नहीं। यदि किसी की भावना को दुःख पहुँच रहा हो, सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगता हूँ। लेकिन निम्न तथ्य विचारणीय है।  
काश! ताशकंत से तत्कालीन प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री जीवित आ गए होते।
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कौन है वह व्यक्ति जिसने इस भारत के गौरव को मौत की नींद सुला दिया? 
काश! ताशकंत से तत्कालीन प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री जीवित आ गए होते। जिस तरह आज ये विपक्षी बोल रहे हैं, वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी तो अब तक कोई कार्यवाही नहीं कर पाए, काश शास्त्रीजी होते, अब तक ऐसे नेताओं पर कार्यवाही हो गयी होती। ऐसे मुद्दों पर मोदी कुछ ठीले हैं। सेवानिर्वित होने उपरान्त एक हिंदी पाक्षिक को सम्पादित करते मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर लिखा था "लाल बहादुर शास्त्री के बाद भारत को सख्त प्रशासक मिला....." , वैसे दोनों की कार्यशैली में उन्नीस-बीस का अन्तर है, ज्यादा नहीं। भारत में पाकिस्तानी हितैषी 1947 के पूर्व से है। और 1965 में हुई इंडो-पाक युद्ध में, शास्त्रीजी दो मोर्चों पर लड़ रहे थे, एक दुश्मन से और दूसरे देश में रह रहे पाकिस्तान समर्थकों से। मजे की बात यह है कि दोनों को ही धूल चटा रहे थे। 
स्वतन्त्र पत्रकारिता करते शीर्षक "राजनीति में अभिनेताओं का दखल" लेख में उस लड़ाई का वर्णन करते एक फ़िल्म अभिनेता का उल्लेख किया था।  एजेंसी से प्रेषित होने के कारण खूब प्रकाशित हुआ था। जिसे अपनी पुस्तक "भारतीय फिल्मोद्योग -- एक विवेचन" में सम्मिलित करने से पूर्व कई प्रकाशकों से उस लेख को सम्मिलित करने की गहन चर्चा करने पर निष्कर्ष निकला कि "लेख के अंत में लिख देना बहुचर्चित प्रकाशित लेख; क्योंकि पुस्तक में आकर कोई भी तथ्य एक प्रमाण बन जाता है, जिसे कोई भी लेखक या पत्रकार अपनी मर्जी से जब भी चाहे प्रयोग कर सकता है। यदि किसी भी छद्दम धर्म-निरपेक्ष या शान्ति-प्रिय  ने कोर्ट केस किया,उस समय कोर्ट आपकी इस दलील को नहीं मानेगी कि यह प्रकाशित लेख है। "  आशा थी किसी सम्माननीय से इस पुस्तक का विमोचन करवा अपने माता-पिता के नाम को एक नया आयाम दूँ। लेकिन केवल पुस्तक में उस अभिनेता का उल्लेख अवरोध उत्पन्न कर गया। जब दक्षिण के डॉ राजकुमार को दादासाहब फाल्के पुरस्कार की घोषणा होने के बावजूद पुरस्कार अलंकृत करने के मात्र एक/दो दिन पूर्व अचानक उस विवादित अभिनेता का नाम घोषित होने कुछ हिन्दी और अंग्रेजी दैनिकों ने उन्ही जासूसी कांड को प्रकशित किया था, जिसका मैंने अपने लेख में उल्लेख किया था।
उस '65 की इंडो-पाक युद्ध में शास्त्रीजी ने न जाने कितने सम्मानित लोगों को जासूसी कांड में नापा था, शायद यही लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मृत्यु का राज था। उसके बाद किसी भी शासक ने शास्त्रीजी द्धारा युद्ध के दौरान नापे गए जासूसों पर कोई कार्यवाही नहीं की, विपरीत इसके उन्हें सम्मानजनक जीवन प्रदान किया। और यदि शास्त्रीजी ताशकंत से जीवित आ गए होते,  इन पाकिस्तान-परस्तों का क्या हाल होता, भगवान ही जानता है।
छद्दम धर्म-निरपेक्षता और मुस्लिम तुष्टिकरण
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दोनों ही रहस्यमय मृत्यु के शिकार 
पंडित चंद्रशेखर आज़ाद की मृत्यु, शहीद भगत सिंह एवं साथियों को फाँसी, शास्त्रीजी की मृत्यु और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवित होते मृतक घोषित करना आदि इतना रहस्यमय है, जिसकी आज तक किसी ने जाँच करवाने का साहस नहीं किया। क्योंकि छद्दम धर्म-निरपेक्षता और मुस्लिम तुष्टिकरण देश पर हावी रहा और ये मण्डली(छद्दम धर्म-निरपेक्षता और मुस्लिम तुष्टिकरणकरने वाले नेतागण) देश को भ्रमित करती रही। क्यों नहीं शास्त्रीजी का शव भारत आने पर पोस्ट-मॉर्टम करवाया गया ? भारत के स्वाभिमान की बात थी। किसने तत्कालीन सरकार को तथ्य सामने न  लाने के लिए पोस्ट-मॉर्टम करने से रोका था? क्यों शास्त्रीजी के  शव पास जाने से उनके परिवार को रोका जा रहा था?
सर्जिकल स्ट्राइक के प्रमाण मांगने वालों की जाँच हो 
Image result for dgmo of indian armyये जितने भी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने वालों की जाँच-पड़ताल करने पर कहीं न कहीं दुश्मन से जुड़े तार मिल जायेंगे। सरकार को चाहिए देशहित एवं सुरक्षा की दृष्टि से पाकिस्तान पर कार्यवाही करने के साथ-साथ गम्भीरता से इनके सम्बन्धों के तारों को खोज कर  कार्यवाही करने पर, बिना किसी युद्ध के पाकिस्तान से आधी से कहीं अधिक लड़ाई भारत जीत लेगा। इन लोगों पर सरकार को नकेल डालनी पड़ेगी। नकेल डालने के लिए तीनों आर्मी प्रमुख, रक्षा मन्त्री,गृह मन्त्री, और प्रधानमन्त्री के अलावा समस्त देशप्रेमी नेता समाज को एकजुट होकर कार्यवाही करनी होगी। अगर इन नेताओं पर नकेल डाल दी, आम जनता में पाकिस्तान समर्थक स्वतः ही शान्त हो जाएंगे। ये लोग इन्ही नेताओं के दम पर पाकिस्तान समर्थक बनते हैं।
पाकिस्तान समर्थकों का एक और किस्सा    
दिल्ली में जब जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के उद्घाटन के सुअवसर पर भारत-पाकिस्तान के बीच डे-नाइट क्रिकेट मैच आयोजित किया गया था। टेलीविज़न तो उस समय थे नहीं, लोग रेडियो पर ही कमेंट्री सुना करते थे। दिल्ली की जामा मस्जिद क्षेत्र जो आज भी लगभग सारी रात चलता रहता है। हर गली-कूचे में लोग  अपने-अपने घरों के रेडियो  चौक पर लाकर कमेंट्री का आनंद ले रहे थे। उसी भाँति मटिया महल और जामा मस्जिद चौक पर लोग क्रिकेट का आनंद ले रहे थे, भारत हार के कगार पर था,लेकिन मदन लाल और बृजेश पटेल के चौके-छक्कों ने पाकिस्तान के हलक में से जीत निकाल भारत को दे दी। किसी को आशा भी नहीं थी कि मदन लाल भी पटेल की भाँति चौके-छक्कों की बारिश कर सकते हैं। मैच समाप्ति उपरान्त गली में एक ने सभी को चाय के लिए बाजार चलने के लिए निमन्त्रित किया। मौहल्ले के लगभग 10/12 लड़के जैसे ही गली से बाहर निकले, नज़ारा देखने योग्य था। रोड लाइट के अलावा कोई नहीं दिखा। मटिया महल बाजार में  कश्मीर और सलीम टी स्टाल के अलावा जामा मस्जिद के चारों तरफ उस समय घोके होते थे, वहीँ दो/तीन घोके चाय और सिगरेट के भी थे। सब बन्द। एक दुकान नहीं खुली मिली,एकदम सन्नाटा था, जो दर्शाता है कि भारत में पाकिस्तान समर्थकों का कितना जमघट है। इसी क्षेत्र में '65 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पता नहीं कितने ट्रान्समीटर पकडे गए थे। यह वह कटुसत्य है, मेरी आयु के जितने भी पुरानी दिल्ली के लोग हैं, अपने दिमाग पर थोड़ा सा भी जोर देने पर मेरी बातों का समर्थन करेंगे। प्रधानमन्त्री, रक्षामन्त्री,गृहमन्त्री और मेरी आयु में मात्र 4/5 वर्ष की छोटाई/बड़ाई होगी। Image result for dgmo of indian army
इन्ही तथ्यों के आधार पर ही सबूत मांगने वालों पर सख्त कार्यवाही करने को कहा जा रहा है। पाकिस्तान जो कुछ भी कर रहा है, इन्ही अपने समर्थकों के बलबूते पर कर रहा है। इसीलिए पाकिस्तान पर कार्यवाही करने के साथ-साथ इन पर भी कार्यवाही समय का तकाज़ा है। भारत चाहे जितने भी जीभर कर सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान को आतंकवादी हमले करने से रोकने के लिए दबाव बना ले, लेकिन जब तक भारत में पल रहे  पाकिस्तान समर्थकों पर सख्त कार्यवाही नहीं होगी, भारतीय फौज का पाकिस्तान पर हर प्रहार व्यर्थ ही जायेगा। भारत सरकार के हर मंत्री--राज्यमन्त्री से लेकर प्रधानमन्त्री तक-- को लाल बहादुर शास्त्री बनना होगा। पाकिस्तान को धूल चटाने के साथ-साथ भारत में पल रहे छद्दम धर्म-निरपेक्ष एवं पाकिस्तान समर्थकों को भी इनके उचित स्थान पर पहुँचाना होगा। लाल बहादुर शास्त्री के उस अधूरे काम(पाकिस्तान-परस्तों और छद्दम धर्म-निरपेक्षों)  को अन्जाम तक पहुँचाना होगा।            















   



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To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)

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