एक कहावत है :
दिल के फफोले जल उठे, सीने की आग से
घर को आग लग गयी, घर के चिराग से।
सियासी हुआ स्वराज अभियान
आम आदमी पार्टी से बगावत कर नई राह पकड़ने वाले अरविंद केजरीवाल के पुराने साथी योगेंद्र यादव ने अब एक नई शुरुआत कर दी है। योगेंद्र यादव के स्वराज अभियान ने अब राजनैतिक पार्टी बनाने का एलान कर दिया है। दो अक्टूबर तक स्वराज अभियान को सियासी दल बनाने की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए बाकायदा छह सदस्यीय एक दल का गठन भी किया है। जिसकी कमान अजीत झा को सौंपी गई है। माना जा रहा है कि अपनी नई पार्टी के जरिए अब योगेंद्र यादव दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीधी और खुली चुनौती देंगे।
स्वराज अभियान के पार्टी के गठन के एलान के साथ ही प्रोफेसर आनंद कुमार को इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया है। कहा जा रहा है कि पार्टी बनने के बाद भी स्वराज अभियान कायम रहेगा। इसके बैनर तले जन आंदोलन चलते रहेंगे। पार्टी बनाने का एलान इसके पहले प्रतिनिधि अधिवेशन में किया गया। अधिवेशन में मौजूद लोगों के बीच बाकायदा इस पर चर्चा हुई। प्रस्ताव पर वोटिंग हुई। जिसके बाद ये फैसला लिया गया। अधिवेशन में मौजूद प्रतिनिधियों में 92.5% फीसदी लोग पार्टी के गठन के पक्ष में थे।
अधिवेशन में कुल 433 वोट पड़े जिसमें 405 लोग प्रस्ताव से सहमत थे। जबकि 26 लोगों ने पार्टी के गठन पर असहमति जताई। दो वोट अमान्य करार दिए गए। इसी वोटिंग के बाद स्वराज अभियान ने अब राजनीति की राह पकड़ ली है। पार्टी गठन के लिए अभियान की ओर से तीन मापदंड तय किए गए हैं। पहला लोकतांत्रिक ढंग से संगठन का निर्माण हो। दूसरा, देश के सामने जो गंभीर मुद्दों हैं उन पर जन आंदोलन चलाया जाए और तीसरा पार्टी के भीतर पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित की जाए।
प्रो. आनंद कुमार को स्वराज अभियान का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। संगठन के उपाध्यक्ष के तौर पर तमिलनाडू से क्रिस्टिना सामी, पश्चिम बंगाल से अविक साहा, आंध्र प्रदेश से पुरुषोत्तम और दिल्ली से पी.एस. शारदा को चुना गया है। फहीम खान को महासचिव और गिरीश नंदगांवकर और राजीव ध्यानी अभियान के नए सचिव चुने गए हैं। अभियान ने खुद को सूचना के अधिकार के दायरे में भी रखा है। अब सबको इंतजार इस बात का है कि योगेंद्र यादव की पार्टी केजरीवाल की पार्टी से कितना अलग होगी। होगी भी या नहीं।
केजरीवाल सरकार द्धारा खोले गए शराब ठेकों का विरोध
आम आदमी पार्टी यानी AAP से ही टूटकर बने स्वराज अभियान ने अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार के खिलाफ सियासी हमले तेज कर दिए हैं। सियासी पार्टी बनने के बाद स्वराज अभियान ने अगस्त 10 को कोटला मुबारकपुर में शराब के ठेके के खिलाफ जनसुनवाई की। इस कार्यक्रम की अगुवाई प्रशांत भूषण कर रहे थे। यहां पर शराब ठेके के खिलाफ काफी लोग स्वराज अभियान के इस कार्यक्रम में पहुंचे और अपनी-अपनी दिक्कतें बताईं।
यहां के लोगों का कहना है था कि हाल ही में खुले शराब के ठेके से यहां के लोगों का जीना दूभर हो गया है। महिलाओं और बच्चों का तो इस रास्ते से निकलना दूभर हो गया है। लोगों का कहना है कि शराब का ठेका ठीक बस स्टॉप के सामने है। यहां से महिलाओं, बच्चों और दूसरे लोगों को बसें पकड़नी होती है। ऑटो करते हैं। लोग रिक्शा करते हैं। लेकिन, सभी का सामना यहां पर नशेडि़यों से होता है। इलाके का माहौल इतना खराब हो गया है कि यहां पर खड़ा होना भी मुश्किल है।
लोगों का कहना है कि पास ही में एक स्कूल भी है। बच्चों को भी शराब के ठेके के पास से ही होकर स्कूल जाना पड़ता है। शराबी यहां पर स्कूली छात्राओं के साथ छेड़खानी करते हैं। नशे की हालत यहां पर आए दिन हंगामे होते हैं। लोग सरेआम गालियां बकते हैं। स्वराज अभियान के नेताओं का कहना है कि आम आदमी पार्टी यानी AAP के नियमों के मुताबिक किसी भी मोहल्ले में शराब का ठेका विधायक की रजामंदी से ही दिया जाता है। वो दावा करते हैं कि हम जनता से पूछकर ही सारे काम करते हैं।
फिर कोटला मुबारकपुर में AAP की सरकार ने कैसे जनता की मर्जी के बिना यहां पर शराब का ठेका खुलवा दिया। स्वराज अभियान ने AAP सरकार पर आरोप लगाया है कि वो दिल्ली में शराब माफियाओं को बढ़ावा दे रही है। अभी हाल ही में स्वराज अभियान ने आरटीआई के हवाले से ये भी बताया था कि केजरीवाल सरकार के राज में शराब के नए लाइसेंस बांटे गए हैं। ये भी कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी की सरकार में शराब से होने वाली कमाई भी दुगनी हो गई है। सरकार से इस ठेके को बंद करने की मांग की गई है।
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