इसे भारतवासियों का दुर्भाग्य कहा जाए या तुष्टिकरण के आगे नतमस्तक होती नीति? यहाँ अयोध्या में पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म होने का प्रमाण माँगा जाता है और कुर्सी के भूखे नेता ऐसे लोगों का समर्थन करते हैं। रामसेतु को ध्वस्त करने हेतू उल्टे-सीधे बयान दिए जाते हैं। चंद वोटों की खातिर हिन्दू नेता अपने ही धर्म को विवादित बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। जबकि किसी भी अन्य धर्म के मानने वालों ने अपने धर्म को विवादित नहीं होने दिया।
विश्व मानता है कि हिन्दू धर्म एवं संस्कृति ही अति प्राचीन हैं, लेकिन हमारा नेता-समाज इस बात को क्यों नहीं मानता? विदेशी शोधों ने बताया कि ताजमहल मुग़ल काल से पूर्व का है,परन्तु वोट-बैंक के आगे नतमस्तक नेता मानते ही नहीं। जिस देश में अपने ही इतिहास को जब विवादित बनाया जायेगा, ऐसी स्थिति में ऐसे नेताओं से देश के प्रति प्रेम अथवा भक्ति कहाँ से आएगी?
रामायण और महाभारत की कथाओँ को मिथ कहने वाले लोगों को अब अपने शब्द वापस लेने होंगे। क्यों कि अमेरिकी वैज्ञानिकों ने उस स्थान को खोज निकाला का है जिसका उल्लेख रामायण में पाताल लोक के रूप में है। कहा जाता है कि हनुमानजी ने यहीं से भगवान राम व लक्ष्मण को पातालपुरी के राजा अहिरावण के चंगुल से मुक्त कराया था।
अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा – “मिथ नहीं सत्य हैं राम-रावण और हनुमान”
ये स्थान मध्य अमेरिकी महाद्वीप में पूर्वोत्तर होंडुरास के जंगलों के नीचे दफन है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने लाइडर तकनीकी से इस स्थान का 3-डी नक्शा तैयार किया है, जिसमें जमीन की गहराइयों में गदा जैसा हथियार लिये वानर देवता की मूर्ति होने की पुष्टि हुई है।

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