पार्टी नेताओं को दिया आदेश
कर्नाटक चुनाव में पार्टी के लिए यह मुद्दा कितना अहम है इसका अंदाजा इसी से लगता है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को कर्नाटक में थे, लेकिन वहीं से उन्होंने पार्टी के सीनियर नेताओं से दलितों से जुड़े इस फैसले पर सरकार का कड़ा विरोध करने को कहा।
राहुल के आदेश पर कांग्रेस नेता अहमद पटेल, आनंद शर्मा, कुमारी शैलजा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक साथ मीडिया के सामने आकर इस बात के लिए सरकार को घेरा।
सुरजेवाला ने कहा कि इस फैसले के बाद अनुसूचित जाति, जनजाति उत्पीड़न निरोधक कानून ही पूरी तरह खत्म हो गया है। भाजपा और आरएसएस का दलित विरोधी चेहरा भी सामने आ गया है।
ट्वीट से शुरुआत
दलित और आदिवासियों पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए एससी-एसटी एक्ट एक महत्वपूर्ण जरिया है। सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार इसका बचाव करने में नाकाम रही है। प्रधानमंत्री को दलित विरोधी मानसिकता वाले संघ और भाजपा के पक्ष में अपने कर्तव्य नहीं छोड़ना चाहिए।
राहुल गांधी का ट्वीट
अवलोकन करें:--
| कर्नाटक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिंगायत समुदाय को हिंदू धर्म से अलग धर्म का दर्जा देकर कांग्रेस प्रभावशाली लिंगायत समुदाय को अपने पाले में बनाए रखने का दांव चल चुकी है। |
कर्नाटक में जातिगत समीकरण देखें तो यहां के 4 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं में 9 फीसदी लिंगायत, 8 फीसदी वोक्कालिगा और 24 फीसदी दलित हैं। वहीं मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 12.5 फीसदी है।
यह होगी रणनीति...
एक तरफ मंदिर दर्शन अभियान जारी रख राहुल गांधी सवर्ण हिंदुओं की सहानुभूति बनाए रखेंगे तो दूसरी तरफ पार्टी दलित उत्पीड़न कानून पर जोर-शोर से हल्ला बोलेगी।
राहुल बताएंगे कि किस तरह उनके पिता राजीव गांधी ने 1989 में यह कानून बनाकर दलितों को जातिवाद के दंश से बचने का अचूक हथियार दिया था। अब खुद को गरीब का बेटा बताने वाले नरेंद्र मोदी आरएसएस के इशारे पर दलितों को मिले कानूनी हक छीन रहे हैं।

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