आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
राजनीति में कई फैसले ऐसे होते हैं जिनका मतलब समझना बहुत मुश्किल होता है। समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल को बीजेपी में शामिल किए जाने का फैसला भी ऐसा ही है। बीजेपी समर्थक इस कदम से बहुत दुखी और नाराज हैं। उन्हें लग रहा है कि हिंदू देवी-देवताओं के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने वाला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमले करने वाला कोई व्यक्ति भाजपा में कैसे आ सकता है। लेकिन इस कदम के पीछे एक सोची-समझी रणनीति है। इस महीने राज्यसभा के चुनाव होने वाले हैं और नरेश अग्रवाल की बगावत से समाजवादी पार्टी, बीएसपी और कांग्रेस का चुनावी समीकरण चौपट हो गया है। अगले लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में हो रहे इसी गठजोड़ को ध्वस्त करने की नीयत से बीजेपी ने नरेश अग्रवाल के नाम पर बदनामी मोल ली है।
राजनीति में कई फैसले ऐसे होते हैं जिनका मतलब समझना बहुत मुश्किल होता है। समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल को बीजेपी में शामिल किए जाने का फैसला भी ऐसा ही है। बीजेपी समर्थक इस कदम से बहुत दुखी और नाराज हैं। उन्हें लग रहा है कि हिंदू देवी-देवताओं के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने वाला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमले करने वाला कोई व्यक्ति भाजपा में कैसे आ सकता है। लेकिन इस कदम के पीछे एक सोची-समझी रणनीति है। इस महीने राज्यसभा के चुनाव होने वाले हैं और नरेश अग्रवाल की बगावत से समाजवादी पार्टी, बीएसपी और कांग्रेस का चुनावी समीकरण चौपट हो गया है। अगले लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में हो रहे इसी गठजोड़ को ध्वस्त करने की नीयत से बीजेपी ने नरेश अग्रवाल के नाम पर बदनामी मोल ली है।
क्या है बीजेपी की रणनीति?
दरअसल राज्यसभा के चुनावों के लिए आखिरी मिनटों में बीजेपी ने एक अतिरिक्त उम्मीदवार अनिल अग्रवाल को मैदान में उतार दिया। यूपी से ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस आपस में मिलकर बीएसपी नेता मायावती को राज्यसभा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी के बदले बीएसपी ने लोकसभा उपचुनावों में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन किया था। नरेश अग्रवाल के साथ हरदोई से उनके विधायक बेटे नितिन अग्रवाल भी बीजेपी में शामिल हो गए। इससे बीएसपी उम्मीदवार को राज्यसभा पहुंचाने के लिए जरूरी एक और वोट कम हो गया। यह रणनीति इसी बात से साफ हो जाती है कि बीजेपी की सदस्यता लेने के फौरन बाद नरेश अग्रवाल ने कहा कि मेरा बेटा राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार को वोट देगा। नरेश अग्रवाल अभी राज्यसभा के सदस्य हैं और उनका कार्यकाल 2 अप्रैल को खत्म हो रहा है।
राज्यसभा चुनाव का समीकरण
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की कुल 10 सीटें खाली हुई हैं। जिनके लिए 23 मार्च को फैसला होना है। अभी बीजेपी के पास 8 सदस्यों को राज्यसभा पहुंचाने के लिए जरूरी बहुमत है। जबकि उसने एक नौवां अतिरिक्त उम्मीदवार भी मैदान में उतार रखा है। इससे बीएसपी के उम्मीदवार के लिए राज्यसभा की राह मुश्किल हो गई है। अभी बीएसपी को उम्मीद थी कि उसका उम्मीदवार सपा और कांग्रेस की मदद से राज्यसभा पहुंच जाएगा। यूपी विधानसभा में अभी बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की कुल सीटों की संख्या 324 है। अपने 8 उम्मीदवारों को चुनने के बाद उन्हें 9वां उम्मीदवार चुनने के लिए 37 वोटों की जरूरत होगी, लेकिन उनके पास 28 वोट ही बचे होंगे।
अवलोकन करें:--
जहां तक समाजवादी पार्टी की बात है उसके कुल 47 विधायक हैं जो जया बच्चन को राज्यसभा पहुंचाने के लिए काफी हैं। लेकिन बीएसपी के उम्मीदवार को राज्यसभा पहुंचाने के लिए अब उनके सिर्फ 9 वोट बाकी बचेंगे। इतने वोट से बीएसपी के उम्मीदवार को जिताना नामुमकिन है। कांग्रेस ने अपने 7 का समर्थन बीएसपी को देने का एलान पहले ही कर रखा है। जबकि बीएसपी के पास 19 विधायक हैं। यानी कुल 35। ये संख्या पहले से ही कम थी। अब नरेश अग्रवाल के बेटे के खिसकने से बीएसपी के लिए राह मुश्किल हो गई है। जबकि बीजेपी निर्दलीयों की मदद से एक और सीट जीतने की उम्मीद कर रही है।
बीजेपी क्यों चाहती है चुनाव जीतना?
कई लोग कह रहे हैं कि राज्यसभा की एक सीट पर बीएसपी का रास्ता रोककर बीजेपी को क्या मिल जाएगा? इसका जवाब बहुत आसान है। पीएम मोदी की सरकार के कार्यकाल के पहले चार साल राज्यसभा में उसका बहुमत नहीं रहा। इसके कारण बीजेपी के एजेंडे के कई जरूरी काम अटके पड़े हैं। 2 अप्रैल के बाद बीजेपी का राज्यसभा में दबदबा जरूर हो जाएगा, लेकिन बिल पास कराने के लिए कुछ बाहरी सांसदों का जुगाड़ अब भी करना पड़ेगा। इसीलिए बीजेपी चाहती है कि कुछ और सीटें जीत ली जाएं। इससे 2019 के चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी, बीएसपी और कांग्रेस के गठबंधन को जोरदार झटका भी लगेगा।
नरेश अग्रवाल का क्या होगा?
हमारे सूत्रोंं के मुताबिक अगले कुछ दिनों में बीजेपी नरेश अग्रवाल से छुट्टी पा लेगी। नरेश अग्रवाल का स्वार्थ्य यह है कि वो बगावत करके समाजवादी पार्टी में अपने अपमान का बदला ले लेंगे। साथ ही उनके बेटे नितिन अग्रवाल का सियासी करियर बीजेपी में रहकर सुधर जाएगा।
भाजपा की डुबकी में नरेश अग्रवाल हुए पवित्र
राज्यसभा में कभी राम और विष्णु को लेकर विवादित बोल बोलने वाले नरेश अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. नरेश अग्रवाल के समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद सोशल मीडिया में कई तरह की बातें हो रही है. भारतीय जनता पार्टी को लोग घेर रहे हैं और कहा जा रहा है कि भाजपा की डुबकी में नरेश अग्रवाल अब पवित्र हो गए.
सोशल मीडिया में जमकर साधा जा रहा निशाना
नरेश अग्रवाल के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होते ही सोशल मीडिया में जमकर निशाना साधा जा रहा है. कई लोग इसे भाजपा का दोहरा स्टैंड बता रहे हैं तो कुछ लोग चटखारे भी ले रहे हैं. कई लोग तो यह भी कहते सुना जा रहे हैं अब दाऊद इब्राहिम और आजम खां की भाजपा में इंट्री ही बाकी है. नरेश अग्रवाल को भारतीय जनता पार्टी में शामिल करने को लेकर सोशल मीडिया में जबरदस्त बवाल मचा हुआ है. सोशल मीडिया पर लोग पूछते नजर आ रहे हैं कि नरेश अग्रवाल के बाद हाफिज सईद, दाऊद इब्राहिम को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाना चाहिए. बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी रूपक रंजन ने लगातार फेसबुक पर डाला. एक पोस्ट में उन्होंने लिखा नरेश अग्रवाल को क्या हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम को भी बीजेपी में शामिल कर दो तो वोट भाजपा को ही देंगे. वहीं दूसरे पोस्ट में कुछ शायराना अंदाज में उन्होंने लिखा यूं नफरत भरी निगाहों से ना देख हमें कल भाजपा में जाकर हम भी देशभक्त कहलाएंगे. कई लोग राज्यसभा में उनके विवादित बोल का भी हवाला देकर कह रहे हैं कि यदि कमल कीचड़ में खिलता है तो इसका मतलब यह नहीं कि राजनीति के सारे कीचड़ भारतीय जनता पार्टी में ही आ जाएं. वहीं कुछ लोगों ने यह भी लिखा है अमित शाह जी जरा संभल कर कहीं ऐसा ना हो कि सबको पवित्र करने के चक्कर में 2019 में जनता आपकी पार्टी को ही न साफ कर दे. राजीव सिंह ने फेसबुक पर पोस्ट किया कि सुनने में आ रहा है कि नरेश अग्रवाल ने भी गंगा में डुबकी लगाकर अपने पाप धो लिए और अब देव लोक में पार्टी होगी. धर्मवीर सिंह ने इसी अंदाज में पोस्ट किया कि जब नरेश अग्रवाल भाजपा में शामिल हो सकते हैं तो ओवेसी क्यों नहीं. अभिशंकर सिंह ने फेसबुक पर लिखा– नरेश चाचा को तो ले लिए अब दाऊद भाई जान को भी ले ले. बीजेपी सबको पवित्र कर देगी.
राज्यसभा में कभी राम और विष्णु को लेकर विवादित बोल बोलने वाले नरेश अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. नरेश अग्रवाल के समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद सोशल मीडिया में कई तरह की बातें हो रही है. भारतीय जनता पार्टी को लोग घेर रहे हैं और कहा जा रहा है कि भाजपा की डुबकी में नरेश अग्रवाल अब पवित्र हो गए.
सोशल मीडिया में जमकर साधा जा रहा निशाना
नरेश अग्रवाल के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होते ही सोशल मीडिया में जमकर निशाना साधा जा रहा है. कई लोग इसे भाजपा का दोहरा स्टैंड बता रहे हैं तो कुछ लोग चटखारे भी ले रहे हैं. कई लोग तो यह भी कहते सुना जा रहे हैं अब दाऊद इब्राहिम और आजम खां की भाजपा में इंट्री ही बाकी है. नरेश अग्रवाल को भारतीय जनता पार्टी में शामिल करने को लेकर सोशल मीडिया में जबरदस्त बवाल मचा हुआ है. सोशल मीडिया पर लोग पूछते नजर आ रहे हैं कि नरेश अग्रवाल के बाद हाफिज सईद, दाऊद इब्राहिम को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाना चाहिए. बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी रूपक रंजन ने लगातार फेसबुक पर डाला. एक पोस्ट में उन्होंने लिखा नरेश अग्रवाल को क्या हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम को भी बीजेपी में शामिल कर दो तो वोट भाजपा को ही देंगे. वहीं दूसरे पोस्ट में कुछ शायराना अंदाज में उन्होंने लिखा यूं नफरत भरी निगाहों से ना देख हमें कल भाजपा में जाकर हम भी देशभक्त कहलाएंगे. कई लोग राज्यसभा में उनके विवादित बोल का भी हवाला देकर कह रहे हैं कि यदि कमल कीचड़ में खिलता है तो इसका मतलब यह नहीं कि राजनीति के सारे कीचड़ भारतीय जनता पार्टी में ही आ जाएं. वहीं कुछ लोगों ने यह भी लिखा है अमित शाह जी जरा संभल कर कहीं ऐसा ना हो कि सबको पवित्र करने के चक्कर में 2019 में जनता आपकी पार्टी को ही न साफ कर दे. राजीव सिंह ने फेसबुक पर पोस्ट किया कि सुनने में आ रहा है कि नरेश अग्रवाल ने भी गंगा में डुबकी लगाकर अपने पाप धो लिए और अब देव लोक में पार्टी होगी. धर्मवीर सिंह ने इसी अंदाज में पोस्ट किया कि जब नरेश अग्रवाल भाजपा में शामिल हो सकते हैं तो ओवेसी क्यों नहीं. अभिशंकर सिंह ने फेसबुक पर लिखा– नरेश चाचा को तो ले लिए अब दाऊद भाई जान को भी ले ले. बीजेपी सबको पवित्र कर देगी.
जया बच्चन बयान : विवाद बढ़ने पर नरेश अग्रवाल ने दी सफाई, बोले-भावनाएं आहत हुई हैं तो खेद है
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व नेता नरेश अग्रवाल ने जया बच्चन पर दिए अपने बयान पर सफाई दी है। अग्रवाल ने मंगलवार को कहा कि उनकी मंशा अपने बयान से किसी को चोट पहुंचाने की नहीं थी। मीडिया ने उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया, फिर भी उनके बयान से यदि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो उन्हें इस बात के लिए अफसोस है। सपा के पूर्व नेता ने कहा कि वह अपने शब्दों को वापस लेते हैं। बता दें कि भाजपा में शामिल होते ही नरेश अग्रवाल ने बयान दिया कि सपा में उनकी हैसियत की तुलना डांस करने वाली और फिल्मों में काम करने वाली से की गई। उनका इशारा अभिनेत्री जया बच्चन की तरफ था।
सपा ने इस बार जया बच्चन को राज्यसभा भेज रही है। यूपी में एसपी के 47 विधायक हैं और वह केवल एक उम्मीदवार को राज्यसभा में भेजने की स्थिति में है। इससे खफा होकर नरेश अग्रवाल ने सपा छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। मीडिया पर अपने शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाते हुए अग्रवाल ने कहा, 'मेरी मंशा किसी को आहत करने की नहीं ती। मैंने कुछ और कहा था लेकिन मीडिया ने उसे अलग रूप में पेश कर दिया। मैं यही कह सकता हूं कि मेरी इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था।'
सपा के पूर्व नेता ने कहा, 'फिर भी मुझे अपनी कही गई बात पर अफसोस है। यदि मेरे शब्दों से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो मैं अपने शब्दों को वापस लेता हूं।'
बीजेपी का दामन थामते हुए अग्रवाल ने कहा था, 'फिल्म में काम करने वाली से मेरी हैसियत कर दी गई, उनके नाम पर हमारा टिकट काटा गया। मैंने इसको भी बहुत उचित नहीं समझा। मैं कोई शर्त पर नहीं आया। मैंने राज्यसभा के टिकट की मांग नहीं की है।' उनके इस बयान पर बीजेपी की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर कहा, श्री नरेश अग्रवाल ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन किया है उनका स्वागत है। हालांकि जया बच्चन जी के बारे में उनके बयान अनुचित और अस्वीकार्य हैं।
गौरतलब है कि नरेश अग्रवाल ने अपने 30 साल के राजनीतिक करियर में बार-बार पार्टी बदली है। इससे पहले वह जगदम्बिका पाल, राजीव शुक्ला और श्याम सुंदर शर्मा के साथ अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस में थे जिसने वर्ष 1997 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के साथ गठबंधन किया था। अग्रवाल अक्सर अपने बयानों के लिए मीडिया के चहते बने रहे हैं। नरेश अग्रवाल चाहे राज्यसभा में हों या सदन से बाहर वो मोदी सरकार पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। उन्होंने पीएम मोदी पर भी कई बार हमले किए। हाल ही में एक सभा में नरेश अग्रवाल ने पीएम मोदी को लेकर जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल किया, इस पर सभा में हंगामा मच गया।

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