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हमीद अंसारी की काली फाइलें

बात 1990 के दशक के आखिरी वर्षों का है जब, H. Ansari ईरान मे भारत के Ambassador हुआ करते थे । उस समय तेहरान मे पोस्टेड RAW के जासूस Mr. Kapoor को तेहरान मे किडनेप कर लिया गया । इस young operative को लगातार 3 दिनों तक बुरी तरह टोर्चर किया गया, ड्रग्स के डोज़ दिये गए और आखिर मे उसे तेहरान के सुनसान सड़क पे फेंक दिया गया । पर Ambassador अंसारी ने इस मुद्दे पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया, न ही भारत सरकार को इस बाबत खबर दी ।
इसी दौरान कश्मीर के कुछ Trainee इमाम तेहरान के नजीदक Qom नामक Religious Center मे ट्रेनिंग के लिए इकट्ठा होते थे, जिस पर RAW ने नजर रखा हुआ था, और इसकी पूरी जानकारी दिल्ली हेडक्वार्टर भेजा जा रहा था । M.H Ansari के एक जानकार के माध्यम से RAW जासूस Mr. Mathur ने इस संगठन मे अपने जासूस फिट किए थे ।
इसी बीच अचानक Mr. Mathur का भी तेहरान जासूसों ने किडनेप कर लिया, जिसका पूरा शक अंसारी के मुखबिरी का था । इंडियन इंटेलिजेंस खेमा हरकत मे आया और माथुर की तलाश ईरान मे शुरू हुई, पर Ambassador होते हुए अंसारी न कोई मदद किया और नहीं इस घटना की सूचना भारत सरकार को दी गयी ।
आखिर 2 दिन बाद जब इंटेलिजेंस ऑफिसर के बीबी-बच्चे अंसारी के घर के गेट पर प्रदर्शन करना शुरू किया । पर अंसारी इंटेलिजेंस वालों के परिवार वालों से मिलने से इंकार कर दिया, Mr. Mathur की पत्नी ने अंसारी के केबिन मे घुस उसे बुरी तरह लताड़ा । हताश RAW ने दिल्ली हेडक्वार्टर को इन्फॉर्म किया और तब के PM Atal Bihari Vajpayee जी से बात की । PMO के दखल से कुछ ही घंटे मे ईरानी जासूसों ने Mr. Mathur को आजाद कर दिया ।
Mr. Mathur को थर्ड डिग्री दी गयी थी, पर उन्होने तेहरान मे स्थित किसी जासूस या कोई भी सीक्रेट जानकारी उन्हे नहीं दिया । पर ईरान स्थित दूसरे RAW agents का मनोबल टूट चुका था ....
वो 'अन्सारी' मतलब कल तक के भारत के उपराष्ट्रपति 'मो. हमीद अन्सारी'..

कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति पद से विदा हो गए, यह उनका आखिरी संवैधानिक पद था जिस पर अब तक कोई कांग्रेसी बैठा हुआ था। हामिद अंसारी पर आरोप है कि उन्होंने उपराष्ट्रपति रहते हुए अपने मातहत आने वाले राज्यसभा टीवी में बड़े पैमाने पर घोटालों को होने दिया। न्यूज़लूज़ को मिली खबर के मुताबिक हामिद अंसारी ने राज्यसभा टीवी के नाम पर अपने करीबियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया। राज्यसभा टीवी में यह कथित घोटाला पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार आने के पहले से चल रहा था। नई सरकार को भी इसकी पूरी जानकारी थी लेकिन संवैधानिक पद की गरिमा का मामला देखते हुए सरकार ने कभी भी औपचारिक तौर पर इस मामले में दखल नहीं दिया। क्योंकि तकनीकी तौर पर राज्यसभा से जुड़े सभी वित्तीय अधिकार उपराष्ट्रपति के तहत आते हैं। उसे कोई फैसला लेने के लिए केंद्रीय कैबिनेट पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।

कांग्रेस का आखिरी घोटाला?


वैसे तो सत्ता से बाहर होने के तीन साल बीतने के बाद भी मनमोहन सरकार के दौरान हुए घोटालों का बाहर आना जारी है, लेकिन राज्यसभा टीवी घोटाले को एक तरह से आखिरी घोटाला मान सकते हैं। क्योंकि ये आखिरी संस्था थी जिसमें अब तक कांग्रेस का कब्जा था। 2011 में शुरू हुआ राज्यसभा टीवी चैनल शुरुआत से ही घोटालों का अड्डा रहा। हामिद अंसारी ने अपने करीबी अफसर गुरदीप सप्पल को इसका सीईओ बनाया। चैनल के कामकाज की जानकारी रखने वाले एक सूत्र का दावा है कि “गुरदीप सप्पल ने चैनल में योग्यता के बजाय कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को भर्ती किया। भर्ती के लिए इंटरव्यू तो आयोजित किए गए, लेकिन उनमें आए योग्य और पेशेवर उम्मीदवारों को अपमानित करके भगा दिया जाता था। जिन कांग्रेसी और कम्युनिस्टों को भर्ती किया गया उन्हें तनख्वाह के तौर पर मोटा पैकेज दिया गया। इनमें से ज्यादातर लोग अयोग्य और नौकरी से निकाले गए लोग थे। जबकि इतनी रकम बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों को भी नहीं मिलती।”

क्या है राज्यसभा टीवी घोटाला?

राज्यसभा टीवी का पहला काम है राज्यसभा की कार्यवाही का प्रसारण करना। इसके अलावा वो संसदीय कार्य से जुड़े कार्यक्रम और अन्य समसामयिक कार्यक्रम भी दिखा सकता है। लेकिन इस पर लाखों रुपये का बजट खर्च करके ऐसे कार्यक्रम दिखाए जाते रहे जिनका संसदीय लोकतंत्र से कोई लेना-देना नहीं था। चैनल पर कई कांग्रेसी पत्रकारों को बतौर एक्सपर्ट बुलाकर उन्हें हर महीने मोटी पेमेंट की गई। इसके अलावा कांग्रेस के कई वफादार पत्रकारों को गेस्ट एंकर की तरह रखा गया। इन्हें छोटे से कार्यक्रम के बदले हर महीने लाखों रुपये बतौर फीस दी जाती रही। इन संपादकों में द वायर के एमके वेणु, कैच के भारत भूषण, इंडियास्पेंड.कॉम के गोविंदराज इथिराज और उर्मिलेश जैसे नाम थे। ये सभी कांग्रेस के तनखैया पत्रकार माने जाते रहे हैं। इन सब फिजूलखर्ची के कारण राज्यसभा टीवी का बजट लोकसभा टीवी के मुकाबले कई गुना ज्यादा था।

जनता के पैसे से फिल्म बनवाई!

कार्यकाल के आखिरी वक्त में सीईओ गुरदीप सप्पल ने रागदेश नाम से एक फिल्म बनवाई। बताते हैं कि इस फिल्म में राज्यसभा टीवी के बजट से 14 करोड़ रुपये दिए गए। जबकि फिल्म की प्रोडक्शन क्वालिटी को देखकर नहीं लगता कि इस पर 4-5 करोड़ से अधिक खर्च आया होगा। फिल्म के प्रोमोशन पर 8 करोड़ रुपये का बजट दिया गया। जबकि इस पर ज्यादा से ज्यादा 2 करोड़ का खर्च बताया जा रहा है। जिस समय संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है उस वक्त सीईओ सप्पल राज्यसभा टीवी की पूरी टीम को लेकर फिल्म का प्रोमोशन करने के लिए मुंबई चले गए। इनमें एडमिन हेड चेतन दत्ता, हिंदी टीम के प्रमुख राजेश बादल, इंग्लिश टीम के हेड अनिल नायर, टेक्निकल हेड विनोद कौल, आउटपुट हेड अमृता राय (दिग्विजय की पत्नी), इनपुट हेड संजय कुमार समेत एडिटोरियल टीम के कम से कम 20 सदस्य शामिल थे। फिल्म के प्रोमोशन के नाम पर इन सभी ने करीब एक महीने तक पूरे देश में सैर-सपाटा किया। राज्यसभा टीवी के इस घोटाले पर न्यूज़लूज पर हम पिछले कुछ समय से रिपोर्ट्स पोस्ट कर रहे हैं।
इस फिल्म में दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता राय ने भी एक्टिंग की है।
राज्यसभा टीवी घोटाले से जुड़ी कई और जानकारियां अभी सामने आनी बाकी हैं। चैनल को चलाने में आर्थिक हिसाब-किताब, भर्तियों में घोटाला, तनख्वाह और प्रोफेशनल फीस बांटने में भेदभाव जैसी बातों की पूरी जांच की जरूरत है। ताकि यह पता चल सके कि एक कांग्रेसी की अगुवाई वाली आखिरी संस्था में किस बड़े पैमाने पर जनता की गाढ़ी कमाई को लूटा गया है।

राष्ट्रपति से ज्यादा उपराष्ट्रपति का बजट!

उपराष्ट्रपति भले ही राष्ट्रपति के नीचे का पद है, लेकिन उनका बजट राष्ट्रपति से कहीं अधिक होता है। अगर इस साल के बजट को देखें तो राष्ट्रपति के लिए जहां 66 करोड़ रुपए आवंटित किए गए, वहीं उपराष्ट्रपति के लिए 377.21 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया। यानी करीब-करीब छह गुने से भी ज्यादा। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है। उसका अपना सचिवालय होता है, जिसमें 1500 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी होते हैं। इसके अलावा राज्यसभा टीवी का मुखिया भी उपराष्ट्रपति ही होता है।
राज्य सभा में कानून की बजाए बनती फिल्में 
बीते तीन साल में देश ने देखा है कि कैसे राज्यसभा में तमाम बिल आकर अटकते रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी जीत गई, लेकिन राज्यसभा में कांग्रेस का बहुमत बना रहा। हालांकि धीरे-धीरे उसके सदस्य अब रिटायर हो रहे हैं और अगले कुछ महीनों में यहां बीजेपी का बहुमत हो जाएगा। राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है और नए उपराष्ट्रपति जल्द पद संभाल लेंगे। लेकिन आरोप है कि जाते-जाते हामिद अंसारी ने राज्यसभा की कार्यवाही का प्रसारण करने वाले राज्यसभा टीवी को अपनी निजी दुकान बना डाला। आज राज्यसभा टीवी जनता के टैक्स के पैसे को उड़ाने का बड़ा जरिया बन चुका है। यहां एंकर और गेस्ट एंकर के नाम पर कांग्रेस के तनखैया पत्रकारों पर लाखों-करोड़ों रुपये लुटाए जा चुके हैं। यहां तक कि राज्य सभा टीवी अब फिल्मों की फंडिंग भी कर रहा है। इसकी फिल्म ‘रागदेश’ जल्द ही रिलीज होने वाली है।

फिल्म के नाम पर घोटाला?

राज्यसभा टीवी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक चैनल के फंड से एक बड़ी रकम फिल्म निर्देशक तिग्मांशु धूलिया को दे दी गई। हमें ये रकम 60 से 70 करोड़ रुपये के बीच होने की जानकारी दी गई है। अगर ये दावा सही है तो खुद ही समझा जा सकता है कि फिल्म के नाम पर कैसी बंदरबांट हुई होगी। क्योंकि फिल्म की प्रोडक्शन क्वालिटी बेहद घटिया है। इसमें लीड रोल में ज्यादातर छोटे-मोटे कलाकार ही हैं। फिल्म के प्रमोशन पर भी कोई खास जोर नहीं दिया गया। तिग्मांशु धूलिया अच्छे फिल्म डायरेक्टर हैं, लेकिन उनको ये फिल्म बनाने का ठेका किस आधार पर दिया गया, यह भी किसी को नहीं पता। फिल्म का ट्रेलर भी संसद भवन के अंदर लॉन्च किया गया। इस इवेंट को राज्य सभा टीवी ने लाइव दिखाया। सवाल ये है कि राज्यसभा टीवी क्या इसी काम के लिए बनाया गया था? जनता के टैक्स की कमाई किसी प्राइवेट व्यक्ति को फिल्म बनाने के लिए कैसे दी जा सकती है?

कांग्रेसी लूट का आखिरी अड्डा!

दरअसल राज्य सभा टीवी देश में 2004 से 2014 तक हुई कांग्रेसी लूट की एक और निशानी है। 2014 में कांग्रेस के हाथ से भले ही सत्ता चली गई, लेकिन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के जरिए राज्यसभा पर उसका कब्जा बरकरार रहा। राज्यसभा टीवी में कांग्रेस के जिन सिफारिशी पत्रकारों को कई-कई लाख के पैकेज पर नौकरियां दी गई थीं वो भी पूरी तरह से सुरक्षित रहीं। राज्य सभा के ही खर्चे पर इनमें से कुछ कांग्रेसी पत्रकारों ने देश-विदेश की सैर भी की। इतना ही नहीं राज्यसभा ने कई ऐसे पत्रकारों के स्पेशल प्रोग्राम भी चलाए जो कांग्रेस, नक्सलियों और यहां तक कि जिहादी गुटों के लिए प्रोपोगेंडा करने के लिए बदनाम रहे हैं। ऐसे कुछ पत्रकार हैं- सिद्धार्थ वरदराजन, एमके वेणु (द वायर के संपादक), भारत भूषण (संपादक, कैच न्यूज), गोविंदराज इथिराज (पूर्व प्रधान संपादक, ब्लूमबर्ग टीवी इंडिया, अब इंडिया स्पेंड.कॉम और फैक्टचेकर.इन चलाते हैं) और उर्मिलेश। ये सभी राज्यसभा टीवी पर सरकार विरोधी प्रोपेगैंडा चलाते रहे हैं। बदले में लाखों रुपये की फीस इनके बैंक खातों में पहुंचती रही।

हामिद अंसारी ने दी खुली छूट!

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति होने के नाते हामिद अंसारी वहां की सारी गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार माने जाएंगे। आरोप लगता है कि उन्होंने ही अपनी पसंद के आधार पर एक खास विचारधारा के लोगों को राज्यसभा टीवी में नौकरियों पर रखा। प्रोग्राम और फिल्म बनाने में जो आर्थिक गड़बड़ियां हुईं उनमें भी कहीं न कहीं हामिद अंसारी की भूमिका शक के दायरे में है। दरअसल उन्होंने इस चैनल में गुरदीप सिंह सप्पल नाम के अपने विश्वासपात्र को सीईओ और एडिटर इन चीफ बनाया था। सप्पल को ही सारी धांधलियों का जिम्मेदार माना जाता है। सबसे खास बात ये है कि राज्यसभा टीवी का सारा खर्च केंद्र सरकार उठाती है, लेकिन एक संवैधानिक संस्था के सम्मान की खातिर सरकार ने कभी हामिद अंसारी के फैसलों पर सवाल नहीं उठाया।
क्या हमीद अंसारी निम्न बिंदुओं पर प्रकाश डालना पसंद करेंगे ---
(1)अगर भारत में मुस्लिम असुरक्षित हैं तो किस राष्ट्र में सुरक्षित हैं -- अफगानिस्तान , पाकिस्तान , बांग्लादेश , ईरान , ईराक़ या अन्य कोई....
(2)अगर असुरक्षित है , तो आप ने अपने पद पर रहते हुए अपना कर्त्तव्य निर्वहन क्यों नहीं किया ?
(3)अगर आप लाचार थे , तो , फिर पद का मोह क्यों रखा ?
(4)क्या आपको कश्मीरी पंडितों का कश्मीर से पलायन कभी याद आया ? नहीं ना . वे भी भारत में ही अपने घर से बेघर कर दिए गए , लेकिन हिन्दुओं , ईसाईयों , सिक्खों , जैनियों , पारसियों के कारण नहीं .
(5)दिल्ली में सरदारों का क़त्ल ए आम हुआ था , उन्हें न्याय भी नहीं मिला , लेकिन कभी यह नहीं कहा कि वे भारत में असुरक्षित हैं . क्या आपको उनसे शिक्षा नहीं लेनी चाहिए .
(6)आप, कलाम साहब, फखरुद्दीन अली अहमद जी, बरकतुल्लाह खान जी, हिदायतुल्लाह जी आदि इसी भारत में बड़े पदों पर आसीन रहे हैं , पाकिस्तान में उच्च पदासीन हिन्दुओं के नाम गिना पाएंगे ?
आपकी सोच और वक्तव्य भर्त्सना लायक भी नहीं लगते।
देखिये मुसलमानों के हमदर्द की वास्तविकता 
10 सालों तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे, सारे सुख भोगे, विदेश यात्राएं की बड़े बड़े होटल में सुख भोगा, सुविधाएं ली, मोटी तनख्वाह, सुरक्षा, बंगला लिया, पर जाते-जाते अपना असली रंग इन्होने दिखा ही दियाl जाने से पहले राज्य सभा में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा, ‘देश में असहिष्णुता बहुत बढ़ गई है जिससे मुसलमान डर गए हैं, वे सुरक्षित नहींl’
मुस्लिमों की इतनी चिंता दिखाने वाले हामिद अंसारी को 10 साल तक मुसलमान कितनी बार याद आये ये हम आपको आज बताते हैंl कुछ ट्वीट्स ने इनकी असलियत आज सामने ला दी हैl आप भी नज़र डालें-
यहाँ ये ट्विटर यूज़र कह रहा है, ’10 साल मज़े करने के बाद आज रोना बंद करोl हामिद अंसारी ने मुसलमानों को इगनोर किया है और मेरे पास इसका सबूत भी हैl ये अपनी गंदी राजनीति बंद करोl’

दूसरे ट्वीट में कहा गया- ‘ मैं पिछले साल 24 अगस्त 2016 को हामिद अंसारी के यहाँ गया था और उनसे 8 साल की कैंसर से पीड़ित मुस्लिम लड़की से एक बार मिल लेने की विनती की थी’ट्विटर यूज़र आगे बताता है- ‘वो एक गरीब मुस्लिम लड़की है जो बहादुरी के साथ कैंसर से जंग लड़ रही हैl मैंने उनसे विनती की कि देश के उपराष्ट्रपति होने के नाते उसे हंसने का एक मौके दें क्योंकि उसने…’ट्विटर यूज़र आगे बताता है- ‘क्योंकि उसने आज तक अपना जन्मदिन तक नहीं मनाया है, लेकिन उन्होंने उससे मिलने से साफ़ इनकार कर दिया, और ये बात बहुत दिल तोड़ने वाली थीl मुझे लगा…’
ट्विटर यूज़र आगे बताता है- ‘मुझे लगा उनकी पत्नी भी पेज 3 पर सोशल वर्कर के तौर पर जानी जाती हैं तो मैंने सोचा था कि दोनों मेरी इस रिक्वेस्ट को मानेंगे पर मेरे पास कभी…’
ट्विटर यूज़र आगे बताता है- ‘मेरे पास बार-बार रिक्वेस्ट करने पर भी कभी उनका जवाब नहीं आयाl तो अंसारी साहब ये झूठा रोना बंद करें और ये गंदी राजनीति भी बंद करेंl’
ट्विटर यूज़र आगे बताता है- ‘भारत की जनता की भावनाओं से आपको कोई मतलब नहीं, तो आपको 10 साल मज़े करने के बाद यूं रोने-धोने का भी हक़ नहीं हैl शर्म कीजिये!’
ये सारी बातें साफ़ दर्शाती हैं कि सिर्फ सुर्खियाँ बटोरने और सबके सामने अच्छा दिखने के लिए ही अंसारी रोने-धोने का नाटक कर रहे हैंl सच तो ये है कि 10 साल इन्होने पूरी ऐश की हैl न इन्हें मुस्लिम से मतलब न सिख, ईसाई सेl इन्हें भारत के लोगों की भावनाओं से भी कोई मतलब नहीं!

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To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)

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