निर्भया कांड का दोषी रिहाई बाद अब इंदौर में चाय-पकौड़े बेच रहा है। आ रही खबरों के मुताबिक उसकी सुरक्षा को देखते हुए यह नहीं बताया कि वह इंदौर में किस जगह है। नाबालिग(अब बालिग) अपने घर पर भी जाने से बच रहा है।
जानकारी के अनुसार निर्भया सामूहिक दुष्कर्म कांड में शामिल नाबालिग को बाल सुधार गृह से रिहाई मिल गई। उसे 3 साल की सजा सुनाई गई थी। लेकिन उसकी सुरक्षा को देखते हुए रिहाई की तारीख से 3 दिन पहले ही सुधार गृह से निकालकर मुखर्जी नगर स्थित NGO के आश्रम में रखा गया।
सजा के दौरान ही वह बालिग हो गया था। इस आश्रम में उसकी 2 महीने तक काउंसलिंग की गई। काउंसलर ने बताया कि इस दौरान वह बेहद शांत और गंभीर रहा। उसे अपने किए पर पछतावा भी था और दुख भी। इस दौरान उसने खाना बनाने का भी प्रशिक्षण लिया। दो महीने बाद उसकी मनोदशा जब सामान्य हुई तो उसे घर जाने दिया गया।
सूत्रों के अनुसार वह दिल्ली से सीधे MP अपने रिश्तेदार के पास चला गया। वहीं पर एक नए नाम के साथ अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू कर अपनी रोजी रोटी चला रहा है। उसकी सुरक्षा को देखते हुए परिजन मध्य प्रदेश जाकर अपने बेटे से मिलते हैं। वहीं पर पास की एक झुग्गी में रहता है। आसपास के लोगों को उसकी पहचान के बारे में कुछ नहीं मालूम।
देश भर में फांसी देने के लिए फंदा सेंट्रल जेल बक्सर से तैयार होकर जाता है। निर्भया के घर से 10 Km दूर सेंट्रल जेल है। फांसी की प्रक्रिया जब भी शुरू होगी, फांसी का फंदा बक्सर से ही बनकर जाएगा क्योंकि ‘मनीला फंदा’ बक्सर स्थित सेंट्रल जेल में ही तैयार होता है।
निर्भय को न्याय नहीं मिला -- सोनू निगम, गायक
बता दें कि निर्भया गैंगरेप केस में कुल 6 आरोपी थे। इनमें से चार आरोपियों मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फांसी की सजा सुनाई। इस केस की सुनवाई के दौरान हीं मामले के पांचवें आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में सुसाइड कर लिया था। जबकि केस के छठे आरोपी को नाबालिग होने की वजह अदालत ने जुवेनाइल एक्ट के तहत मामूली सजा देकर छोड़ दिया था। साल 2012 में 16 दिसंबर की रात को दिल्ली के मुनीरका में 23 साल की छात्रा के साथ हुए इस गैंगरेप के बाद दिल्ली में काफी बवाल मचा था और दिल्ली की सड़कों पर पुलिस प्रशासन के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन किया गया था। बदमाशों ने लड़की के साथ एक बस में गैंगरेप किया, उसके बाद उसे और उसके दोस्त को चलती बस से फेंक दिया था। पीड़िता की 29 दिंसबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मई 5 को फैसला सुनाया। कोर्ट ने चारों दोषियों की अपील खारिज करते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा है, जिसके बाद सोशल मीडिया में लोगो ने अपनी खुशी जाहिर की है, लेकिन कुछ लोगो ने नाबालिग के बच जाने पर अपना गुस्सा भी जाहिर किया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के दोषी अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश की फांसी की सजा कायम रखी है। कोर्ट के फैसले के बाद मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को फांसी दी जाएगी। इन चारों के अलावा दो और दोषी थे। जिसमें से एक (राम सिंह) ने सुसाइड कर लिया था और दूसरा नाबालिग था। जिसको जिवेनाइल एक्ट के तहत छोड़ दिया गया था। हालांकि वह कुछ ही महीनों बाद 18 साल का होने वाला था लेकिन कोर्ट ने मौजूदा कानून के आधार पर उसे नाबालिग मानते हुए सजा देने की बजाए सुधार गृह में भेजने का फैसला सुनाया। इस मामले में दोषी नाबालिग आरोपी अब 22 साल का हो गया है और नाबालिग है। कुछ दिन सुधार गृह में रहने के बाद दिसंबर 2016 में उसे मुक्त कर दिया गया। निर्भया कांड का दोषी फिलहाल एक ढाबे में खाना बनाने का काम करता है। इस फैसले से सोशल मीडिया में लोगो में खुशी है वहीं कुछ लोग इस आरोपी को फांसी दिए जाने की मांग भी कर रहे है। कहा जाता है इसी नाबालिग ने निर्भया के गुप्तांग में लोगो की रॉड डाली थी।
निर्भया के बलात्कारियों को तो सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा दे दी, ये स्वागत योग्य है, पर ऐसा कहना की निर्भया को न्याय मिल गया। ये अपने आप में अन्यायपूर्ण बयान है, और शुद्ध मूर्खता है। क्योंकि जिस मोहम्मद अफरोज ने निर्भया के साथ सबसे ज्यादा हैवानियत की, उसकी अंतड़ियाँ नोच डाली, उसके गुप्तांगों में लोहे की रोड घुसाई, वो आज़ाद घूम रहा है, और आजकल दूसरे नाम के साथ वो किसी कोस्टल राज्य में कुक की नौकरी कर आराम की जिंदगी जी रहा है। मीडिया भले ही बकवास करे की निर्भया को न्याय मिल गया पर ये बिलकुल असत्य है।
देखें त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी
तथागत रॉय ने कहा की मोहम्मद अफरोज निर्भया का बलात्कार करने लायक बड़ा था, उसके गुप्तांगों में रोड डालने लायक बड़ा था, पर जब सजा की बारी आयी तो वही मोहम्मद अफरोज छोटा बन गया, नाबालिग बन गया
और 3 साल बाल सुधार गृह में रहकर वो अब हमेशा के लिए आज़ाद हो गया।
निर्भया को न्याय मिल ही कैसे सकता है जब उसका असल हत्यारा बाहर घूम रहा है।
आज लोगों के मष्तिक में एक प्रश्न घर कर रहा है, जिसका स्पष्टीकरण सुप्रीम कोर्ट और भारत सरकार को करना है :-
यदि नबालिग कोई मुस्लिम न होकर कोई हिन्दू होता तो क्या इसी तरह आज़ाद कर दिया जाता?
आज लोगों के मष्तिक में एक प्रश्न घर कर रहा है, जिसका स्पष्टीकरण सुप्रीम कोर्ट और भारत सरकार को करना है :-
यदि नबालिग कोई मुस्लिम न होकर कोई हिन्दू होता तो क्या इसी तरह आज़ाद कर दिया जाता?
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