
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस वर्जस्व समाप्त होने बाद समाजवादी और बहुजन पार्टियों की तूती बोल रही थी। लेकिन समाजवादी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने पुत्रमोह के चक्कर में अपने पैरों पर कुल्हाड़ी दे मारी। और इस परिपेक्ष में लगभग 4 दशक पूर्व चर्चित कव्वाल हबीब पेंटर की गायी कव्वाली "जब खून ही दुश्मन बने, फिर दोष किसे दीजियेगा..." शत-प्रतिशत चरितार्थ हो रही है। बेटे अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह को ऐसा धोबी पट दिया, सभी सियासतदार अचम्भित हो गए। सियासत में एक यही परिवार सबसे बड़ा था। नेहरू-गाँधी, बादल, चौटाला, राजनाथ सिंह, लालू और सिन्धिया आदि परिवारों पर तो सभी बोलते थे, लेकिन परिवार के विरुद्ध किसी की आवाज़ नहीं निकलती थी, समय ने ऐसा पलटा दिया कि आज यादव परिवार बिखर जाने पर गीतकार और गायक प्रदीप रचित "टूट गयी है माला, मोती बिखर चले..." भी इसी यादव परिवार पर शत-प्रतिशत सटीक बैठ रहा है।
समाजवादी पार्टी (सपा) से नाता तोड़कर अपनी अलग पार्टी समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का गठन करने वाले मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल सिंह यादव अपनी इस नई राजनीतिक शुरुआत को लेकर काफी आशान्वित हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में शिवपाल ने बताया है कि आखिरकार सपा से अलग होकर उन्होंने अपनी पार्टी क्यों बनाई। शिवपाल ने इस इंटरव्यू में अपनी भविष्य की योजनाओं और उन पर उठ रहे सवालों के बेबाकी से जवाब दिए।
इंटरव्यू में शिवपाल ने बताया कि समाजवादी पार्टी में उन्हें लगातार अपमानित किया जा रहा था। उन्होंने कहा, 'मेरी कोई गलती नहीं थी फिर भी मुझे पार्टी में हाशिए पर ढकेल दिया गया। सपा में बीतों दिनों जो घटनाएं और आंतरिक कलह हुए हैं उसके बारे में उत्तर प्रदेश के लोग अच्छी तरह जानते हैं। पार्टी को खड़ा करने के लिए जिन लोगों ने अपना बलिदान दिया और संघर्ष किया उन्हें किनारे किया जा रहा है। जबकि साजिशकर्ता और कम प्रभाव वाले नेता पार्टी पर हुकूमत कर रहे हैं।'
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अखिलेश बागी हो गया--मुलायम सिंह की पत्नी साधना(गुप्ता) यादव
मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना ने लगभग दो वर्ष पूर्व कहा था कि नेताजी ने मुझे तो राजनीति में नहीं आने दिया मगर मै चाहती हूं कि मेरा बेटा प्रतीक यादव राजनीति में जरूर आएं। इसके आगे उन्होंने यह भी कहा कि मैंने हमेशा ही पर्दे के पीछे से पार्टी के लिए नेताजी के साथ काम किया हैं। लेकिन मैं अब राजनीति में नहीं आना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा राजनीति में जरूर आएं।
साधना ने मुलायम सिंह के बारे में कहा कि किसी को भी मुलायम सिंह यादव के खिलाफ कुछ भी नही कहना चाहिए, क्योंकि उन्होंने ने ही पार्टी की स्थापना कि थी और उन्होंने पार्टी को एक पौधे के रूप में सींच कर इतना बडा किया। शिवपाल की कोई गलती नहीं थी, शिवपाल ने पार्टी और यादव के लिए बहुत कुछ किया हैं। पता नहीं आखिर अखिलेश कैसे बागी हो गया। अखिलेश यादव तो मेरा और मुलायम सिंह का बहुत सम्मान करते थे। इसके साथ ही मैं यह भी चाहती हूं कि मेरा बेटा प्रतीक यादव पार्टी में आएं।
जबकि अपनी माता की इच्छा के विरुद्ध प्रतीक यादव का कहना है कि मैं राजनीति में नहीं आना चाहता हूं और मैं अपने बिजनेस से बहुत ज्यादा खुश हूं। प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव ने लखनऊ कैंट विधानसभा से चुनाव लड़ा। पिछले दिनों जो उनके परिवार में झगडा हुआ उसके लिए अपर्णा ने कहा कि परिवार में जो कुछ भी हुआ वो सब गलत था। इसके लिए मुझ पर आरोप लगाना गलत है।
अपर्णा ने कहा कि मैं चाहती हूं कि हमारी पार्टी जीतें और अखिलेश वापस से मुख्यमंत्री बनें।
अस्पताल के वार्ड में हुई थी मुलाकात
मुलायम सिंह का दूसरा प्यार साधना गुप्ता यूपी की राजनीति में एक चर्चित चेहरा है। साधना गुप्ता एक अस्पताल में नर्स थी और मुलायम से उनकी मोहब्बत भी अस्पताल के एक जनरल वार्ड से ही शुरू हुई थी। पहली पत्नी मालती यादव के निधन के बाद मुलायम और साधना के बीच प्यार की यह कश्ती 20 वर्षों तक गोते खाती रही। इसके बाद अमर सिंह ने प्यार के इस छिपे रिश्ते को कबूल करने के लिए मुलायम सिंह को समझाया। तब कहीं जाकर समाजवादी नेता ने 20 साल की इस मोहब्बत को पत्नी का दर्जा दिया।
साधना ने ऐसे जीता मुलायम का दिल
अखिलेश यादव की सौतेली मां साधना गुप्ता और मुलायम सिंह यादव की मोहब्बत एक अस्पताल के जनरल वार्ड से शुरू हुई थी। मुलायम की मां मूर्ती देवी अक्सर बीमार रहती थीं। साधना गुप्ता ने लखनऊ के एक नर्सिंग होम और इसके बाद में सैफई मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मूर्ति देवी की देखभाल की थी। एक बार मेडिकल कॉलेज में एक नर्स मूर्ति देवी को गलत इंजेक्शन लगाने जा रही थी। उस समय वहां मौजूद साधना ने नर्स को रोक दिया था। उस वक्त साधना की वजह से मुलायम की मां मूर्ति देवी की जान बची गई थी। इस बात से मुलायम काफी प्रभावित हुए थे। यही से दोनों एक-दूसरे के नजदीक आए थे। एक सियासी दिग्गज और एक नर्स के बीच मोहब्बत की कहानी में तमाम हिचकोले भी आए, लेकिन प्रेम की अमरबेल परवान चढ़ती गई।
प्रतीक के पिता नहीं हैं मुलायम सिंह
साधना गुप्ता की पहली शादी 4 जुलाई 1986 में फर्रुखाबाद के चंद्रप्रकाश गुप्ता से हुई थी। शादी के बाद 7 जुलाई 1987 में प्रतीक यादव का जन्म हुआ। प्रतीक के जन्म के दो साल बाद साधना और चंद्रप्रकाश अलग हो गए थे। इसके बाद साधना गुप्ता सपा के तत्कालीन सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आईं। बता दें कि 1994 में प्रतीक यादव के स्कूल फॉर्म में पिता के नाम पर एमएस यादव और पते की जगह मुलायम सिंह यादव के ऑफिस का एड्रेस दिया हुआ था। यह भी कहा जाता है कि साल 2000 में प्रतीक के अभिभावक के रूप में मुलायम का नाम दर्ज हुआ था।
-------------------------------------------------------------शिवपाल से यह पूछने पर कि उन्होंने सपा को बनाने में काफी योगदान दिया है। उन्होंने कहा, 'मैंने पार्टी के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया लेकिन नई पीढ़ी इसकी परवाह नहीं करती। नई पीढ़ी को नहीं पता है कि वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी को कैसे खड़ा किया और कैसे उसे एक मजबूत राजनीतिक ताकत बनाया।'
यह पूछने पर कि उनकी भविष्य की योजना क्या है, इस पर शिवपाल ने कहा, 'मैंने 31 अगस्त से मुजफ्फरनगर से अपना अभियान शुरू करने का फैसला किया है। मैं लोगों के पास जाऊंगा और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट करूंगा। मैंने छोटे राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे हमारे साथ आएं और एक मजबूत राजनीतिक मोर्चा खड़ा करें।'
शिवपाल से यह पूछने पर कि क्या उनका संगठन 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ेगा? इसके जवाब उन्होंने 'हां' में दिया। शिवपाल ने कहा कि उनकी पार्टी सभी छोटी पार्टियों के साथ मिलकर सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस सवाल पर कि क्या सपा मुखिया उनके इस मोर्चे का साथ देंगे। शिवपाल ने कहा कि उन्हें मुलायम सिंह का आशीर्वाद प्राप्त है।
शिवपाल ने बताया कि सपा में जो कुछ चल रहा है उससे पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव भी दुखी हैं। हाल के दिनों में मुलायम ने कहा कि पार्टी में उन्हें आदर और सम्मान नहीं मिल रहा है। बागी नेता ने आगे कहा कि यह समाजवादी पार्टी पर निर्भर करता है कि वह उनके खिलाफ क्या करेगी लेकिन वह सपा में नजरंदाज किए गए नेताओं को अपने साथ लाने की कोशिश करेंगे।
यह पूछने पर कि ऐसी चर्चा है कि आप भाजपा की कठपुतली हैं जो चुनावों में एसपी-बीएसपी गठबंधन को कमजोर करेंगे। शिवपाल ने कहा, 'यह तो समय ही बताएगा।' इस सवाल पर कि कुछ समय से अखिलेश यादव पर लगातार हमला कर रहे सपा के पूर्व नेता अमर सिंह आपके साथ आएंगे? शिवपाल ने कहा, 'अब माफ कर दीजिए।'
सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में महागठबंधन से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए भाजपा शिवपाल यादव को मोहरा बनाकर महागठबंधन में दरार डालने का प्रयास कर रही है।
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