गिरफ्तार किए गए आरोपी |
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार को लगाते हुए कहा कि, 'असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, अगर असहमति की इजाजत नहीं होगी तो प्रेशर कूकर फट जाएगा।'
Supreme Court observes, 'dissent is the safety valve of democracy. If dissent is not allowed then the pressure cooker may burst'. #BhimaKoregaon
सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को गिरफ्तारी के खिलाफ दायर पर याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 6 सितम्बर को होगी।
It's not right to demoralise police. #BhimaKoregaonViolence was serious blow to our nation&consitution. Plot of igniting caste tensions is out in open now, & police are taking action. Courts are there & if they think they're innocent, then they can seek bail:Hansraj Ahir,MoS Home
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रोना विल्सन के लैपटॉप से एक पत्र प्राप्त हुआ था जिसमें प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की बात लिखी हुई थी। |
पत्र जिससे खुला पीएम मोदी की हत्या की साजिश का राज
प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की साजिश का मामला इस समय एक गंभीर मुद्दा बन गया है। इसके साथ ही पुलिस ने जिन लोगों को इस संबंध में गिरफ्तार किया है उनकी गिरफ्तारी को लेकर भी राजनीति शुरु हो गई है। आपको बता दें कि यह मामला उस समय प्रकाश में आया था जब गिरफ्तार लोगों में शामिल रोना विल्सन के लैपटॉप से एक पत्र प्राप्त हुआ था जिसमें प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की बात लिखी हुई थी।
कॉमरेड प्रकाश को संबोधित इस पत्र में लिखा गया है कि हिंदू फासीवाद को परास्त करना हमारी पार्टी का सबसे प्रमुख एजेंडा और सबसे बड़ी चिंता है। भूमिगत संगठनों और खुले तौर पर सक्रिय संगठनों के कई नेताओं ने इस मसले को काफी मजबूती से उठाया है। हम देश भर के समान विचारधारा वाले संगठनों, राजनीतिक दलों और अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधियों के साथ अपने संबंधों को मजबूती देने के लिए काम कर रहे हैं।
मोदी की कामयाबी से परेशान
इसमें आगे लिखा गया है कि मोदी के नेतृत्व में हिंदू फासीवादी सत्ता आदिवासियों की जिंदगी तबाह करने पर आमादा है। बिहार और बंगाल में हारने के बावजूद मोदी ने देश के 15 से ज्यादा राज्यों में अपनी सरकार बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है। अगर भाजपा के जीतने की यही रफ्तार कायम रही तो हमारी पार्टी के लिए सभी मोर्चों पर मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
मोदी पर राजीव स्टाइल में हमला
इस पत्र में कॉमरेड किशन का जिक्र करते हुए कहा गया है कि उन्होंने कई अन्य नेताओं के साथ मिलकर मोदी राज को खत्म करने के लिए ठोस प्रस्ताव तैयार किया है। हमलोग मोदी को खत्म करने के लिए राजीव गांधी स्टाइल के हमले के बारे में सोच रहे हैं। बता दें कि कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मई, 1991 में तमिलनाडु में आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी।
इस पत्र में यह स्वीकार किया गया है कि मोदी को खत्म करने की यह साजिश नाकाम भी हो सकती है और यह हमारे लिए आत्मघाती साबित हो सकती है लेकिन इसके बावजूद पार्टी पोलित ब्यूरो को इस प्रस्ताव पर विचार करना चाहिए। मोदी के रोड शो को निशाना बनाना एक कारगर रणनीति हो सकती है। हम यकीन करते हैं कि पार्टी के अस्तित्व को बचाने के लिए कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार रहना चाहिए।
पार्टी विरोधी कॉमरेड का भी जिक्र
इस साजिश का जिक्र करने से पहले पत्र में तमाम और बातें भी लिखी गई हैं। मसलन, इसमें एम4 पिस्टल और उसकी चार लाख गोलियां खरीदने के लिए आठ करोड़ रुपये का फंड जुटाए जाने का भी उल्लेख है। पत्र में प्रशांत नामक एक कॉमरेड के पार्टी के खिलाफ जाने का भी जिक्र करते हुए लिखा गया है कि इस अहंकारी कॉमरेड के स्वार्थी एजेंडे के कारण पार्टी को और राजनीति कैदियों को बहुत नुकसान हुआ है।
साईंबाबा को छुड़ाने की कोशिश
पत्र में दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में गिरफ्तार जीएन साईंबाबा एवं अन्य राजनीतिक कैदियों को जेल से छुड़ाने की कोशिशों का भी उल्लेख किया गया है। इसमें विस्तार से बताया गया है कि कैसे जनता के बीच इस मामले को लेकर जाना है और जनमत को अपने पक्ष में खड़ा करना है।
---------------------------------------------भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही पुणे पुलिस ने अगस्त 28 की सुबह मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद औऱ रांची में एक साथ छपेमारी कर घन्टो तलाशी ली थी औऱ फिर 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। पुणे पुलिस के मुताबिक सभी पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन से लिंक होने का आरोप है। जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे सरकार के विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने की दमनकारी कार्रवाई बता रहे हैं। रांची से फादर स्टेन स्वामी , हैदराबाद से वामपंथी विचारक और कवि वरवरा राव,फरीदाबाद से सुधा भारद्धाज और दिल्ली से सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलाख की भी गिरफ्तारी भी हुई है।
वामपंथी कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी
अगस्त 28 को कई राज्यों में छापे के दौरान पांच वामपंथी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी इसलिए संभव हो पाई क्योंकि माओवादियों के दो गोपनीय पत्र पुलिस के हाथ पहले ही लग गए थे। इन पत्रों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और गृह मंत्री राजनाथ सिंह की हत्या की योजना का जिक्र था। इन पत्रों के जरिए ही मंगलवार को पकड़े गए वामपंथियों के माओवादियों के साथ रिश्ते उजागर हुए।
नक्सली नेताओं को भेजे थे पत्र
अधिकारियों का कहना है कि माओवादियों के जो दो पत्र पुलिस के हाथ लगे थे, वे दरअसल शीर्ष नक्सली नेताओं को भेजे गए थे। इनमें से 2016 के एक पत्र के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह की हत्या करने को लेकर शीर्ष नक्सलियों के बीच चर्चा हुई थी, जबकि 2017 के दूसरे पत्र में राजीव गांधी हत्याकांड की तर्ज पर ही मोदी को मारने की योजना का जिक्र था।
इसमें कहा गया था कि राजीव गांधी की जिस तरह से हत्या की गई थी, उसी तरह से मोदी की भी उनके किसी रोड शो के दौरान हत्या कर दी जाएगी। इस पत्र में राजग सरकार को खत्म करने के बारे में कुछ शीर्ष माओवादी कॉमरेडों के ठोस सुझावों का भी जिक्र किया गया था। इसी पत्र में अमेरिकन एम-4 राइफल और गोला-बारूद खरीदने के लिए करोड़ों रुपये जुटाने के तौरतरीकों की भी चर्चा की गई थी।
कामरेड प्रकाश को भेजा
अधिकारियों के मुताबिक, माओवादियों द्वारा आपस में भेजा गया दूसरा पत्र किसी कामरेड प्रकाश को संबोधित था। इस पत्र को दिल्ली स्थित वामपंथी कार्यकर्ता रोना विल्सन के आवास से 6 जून को बरामद किया गया था। जबकि एक अधिकारी का कहना है कि पीएम मोदी, शाह और राजनाथ की हत्या की योजना वाले पत्रों को दरअसल अप्रैल में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में चलाए गए एक नक्सल विरोधी अभियान के दौरान ही बरामद किया गया था। उक्त अभियान में 39 माओवादी मारे गए थे।
कार्रवाई की चहुंओर निंदा
"इस देश में सिर्फ एक सामाजिक संगठन की जगह है और उसका नाम है आरएसएस। सभी एनजीओ को बंद कर दीजिए। सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल भेज दीजिए और जो शिकायत करे उसे गोली मार दीजिए। नए इंडिया में आपका स्वागत है।"-राहुल गांधी, अध्यक्ष कांग्रेस
"यह काफी डराने वाला है। सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देना चाहिए ताकि आजाद आवाजों पर अत्याचार और उत्पीड़न को रोका जा सके। अगर आज महात्मा गांधी जिंदा होते तो वे कोर्ट में सुधा भारद्वाज के समर्थन में पैरवी करते।"-रामचंद्र गुहा, इतिहासकार
"ये गिरफ्तारियां उस सरकार के बारे में खतरनाक संकेत देती हैं, जिसे अपना जनादेश खोने का डर है। बेतुके आरोप लगाकर वकील, कवि, लेखक, दलित अधिकार कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। हमें साफ- साफ बताइए कि भारत किधर जा रहा है।"-अरुंधती राय, सामाजिक कार्यकर्ता
"फासीवादी फन अब खुलकर सामने आ गए हैं। यह आपातकाल की स्पष्ट घोषणा है। वे अधिकारों के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ बोलने वाले किसी भी शख्स केपीछे पड़ जा रहे हैं। वे किसी भी असहमति के खिलाफ हैं। "-प्रशांत भूषण, वरिष्ठ वकील
"यह लोकतांत्रिक अधिकारों पर खुल्लमखुल्ला हमला है। सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।"-प्रकाश करात, माकपा नेता
गिरफ्तार हुए 5 कथित माओवादी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश के आरोप में जिन पांच कथित माओवादियों को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया या नजरबंद किया, वो अपने अपने क्षेत्र की दिग्गज हस्तियां है। कोई आईआईटी से ग्रेजुएट है, अमेरिकी नागरिकता छोड़ चुका है, तो कोई सरकारी नौकरी छोड़कर कवि बन गया। तो कोई शिक्षक की नौकरी छोड़कर ट्रेड यूनियन नेता बन गया। कोई जाना माना अर्थशास्त्री है तो कोई ऐसा कवि जिसकी रचनाओं का अनुवाद 20 भाषाओं में हो चका है।57 साल की सुधा भारद्वाज ट्रेड यूनियन नेता, मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील हैं। उनका जन्म अमेरिका में हुआ था और वो 11 साल की उम्र में भारत आ गईं। जब वो 18 साल की थीं, तो उन्होंने अमेरिका की नागरिकता छोड़ दी. वो जाने माने शिक्षाविद् और अर्थशास्त्री रंगनाथ भारद्वाज और कृष्णा भारद्वाज की बेटी हैं। उनकी मां ने एमटीआई ने अर्थशास्त्र में पीएचडी की। उन्होंने अपने जीवन के पिछले 30 वर्षों का ज्यादातर समय छत्तीसगढ़ में बिताया है। 2017 में वो दिल्ली आ गईं और इस समय नेशनल लॉ यूनीवर्सिटी में पढ़ा रही हैं। वो पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की महासचिव हैं।
भारद्वाज ने आईआईटी कानपुर से गणित में ग्रेजुएशन किया है। बाद में वो अध्यापन छोड़कर मजदूर संगठन छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गईं। वो भिलाई स्टील प्लांट के मजदूर संघ के साथ भी जुड़ी रही हैं।उन्होंने बेहतर मजदूरी और सुरक्षित कार्यदशाओं के लिए संघर्ष किया। उन्होंने 2000 में कानून की पढ़ाई पूरी की और तब से वो मानवाधिकार और श्रम कानून के कई मुकदमें लड़ चुकी हैं। वो बस्तर सॉलिडेरिटी नेटवर्क और जगदलपुर लीगल एड ग्रुप से भी जुड़ी रही हैं।
तेलंगाना में वारंगल के रहने वाले 78 वर्षीय वरवर राव जानेमाने क्रांतिकारी कवि, आलोचक और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हैं। उन्हें कथित तौर पर माओवादियों से सहानुभूति रखने वाला माना जाता है। वह माओवादियों तक संदेशवाहक की भूमिका निभा चुके हैं. जब संयुक्त आंध्र प्रदेश में विद्रोह अपने चरम पर था, तब उन्होंने संघर्ष विराम के लिए वार्ता की है।
वो क्रांतिकारी लेखक संघ के संस्थापक हैं, जो क्रांति की कविताएं और साहित्य प्रकाशित करता है। उनके 15 कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनका 20 भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है। वो भारत सरकार के प्रचार विभाग डीएवीपी में प्रकाशन सहायक के रूप में काम भी कर चुके हैं।
मई 1974 में आंध्र प्रदेश सरकार ने उनके और 40 अन्य क्रांतिकारी लेखकों के खिलाफ विद्रोह को भड़काने वाला साहित्य लिखने का केस दर्ज किया। इसे सिकंदराबाद साजिश के नाम से जाना जाता है. बाद में ट्रायल कोर्ट ने राव और उनके साथियों को रिहा कर दिया।
गौतम नवलाखा
ग्वालियर में जन्मे नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले गौतम नवलाखा पीपुल्स यूनियन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) के सक्रिय सदस्य हैं।उन्होंने मुंबई से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की है और पिछले एक साल से 'न्यूजक्लिक' नाम से एक डिजिटल न्यूजपोर्टल चला रहे हैं। 65 वर्षीय नवलाखा ऐकडेमिक जर्नल बिजनेस एंड पॉलिटिकल वीकली के साथ 30 साल से अधिक समय तक जुड़े रहे। उन्होंने 'डेज एंड नाइट्स इन दि हार्टलैंड ऑफ रिबेलियन' के नाम से एक किताब भी लिखी है। वो कश्मीर में मानवाधिकार के मसले पर काफी सक्रिय रहे हैं।
वरनन गोंजाल्विस
उन्हें पहली बार 2007 में प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 60 वर्षीय गोंजाल्विस एक कैथोलिक ईसाई परिवार में जन्मे और उनका बचपन दक्षिण मुंबई की निम्न-मध्यमवर्गीय चाल में बीता।उन्हें सिटी कॉलेज में अर्थशास्त्र पढ़ाने की नौकरी मिल गई, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने वो नौकरी छोड़ दी और विदर्भ में मजदूरों के अधिकारों के लिए काम करने लगे।
अरुण परेरा
48 वर्षीय अरुण परेरा मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज के पूर्व छात्र हैं. 2007 से ही लगातार जेल के अंदर-बाहर हो रहे हैं। करीब पांच साल जेल में रहने के बाद 2014 में उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।इसके बाद उन्होंने जेल के अपने अनुभवों पर 'कलर्स ऑफ केज' नाम से एक किताब लिखी। 2015 से वो मुंबई में एक वकील के तौर पर प्रैक्टिस कर रहे हैं।
हाल में उन्होंने एक वेब पोर्टल पर अपने जेल अनुभवों के बारे में एक लेख लिखा था, जिसमें बता कि जेल में रोशनी और खुली हवा नसीब नहीं होती। इस लेख को आधार बनाकर लंदन में विजय माल्या ने भारत प्रत्यर्पण का विरोध किया।
देश में आतंकी और नक्सली घटनाओं को बढ़ाने के लिए नक्सली अब जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से गठजोड़ करने की कोशिश कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, नक्सल समर्थित समूह इसकी साजिश रच रहे हैं। ये समूह कश्मीर में अपने नेटवर्क को मजबूत कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नक्सल समर्थित समूहों के 15 सदस्यों ने इस साल मई में कश्मीर के कई इलाकों का दौरा किया है। इनमें अनंतनाग, बरामूला, बडगाम, कुपवाड़ा और शोपियां जैसे संवेदनशील इलाके शामिल हैं। नक्सल समर्थित समूहों ने आतंकियों के उन मामलों की रिपोर्ट बनाई है, जिनके मामले कई साल से लंबित हैं।
देश के प्रधानमन्त्री की साज़िश रचने वालों के पक्ष में कोर्ट में खड़े होने वाले, आखिर राष्ट्र ही नहीं विश्व को क्या सन्देश देना चाहते हैं? क्या देश इन विघटनकारियों के साथ खड़ा होगा? देशप्रेमियों--वह चाहे किसी भी पार्टी, धर्म से सम्बन्धित हों-- को एकजुट होकर इनका बहिष्कार करना चाहिए। यह प्रश्न भाजपा विरोध का नहीं, बल्कि देश के स्वाभिमान का है। पार्टी विरोध से देश का स्वाभिमान अधिक ऊँचा है।
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