ओम नम: शिवाय। केरल के कासरगोड जिले की 23 साल की अथिरा जब पत्रकारों से मुखातिब हुई तो उसके मुंह से पहला वाक्य यहीं निकला। अथिरा उस युवती की कहानी है जो इसी साल जुलाई में हिन्दू धर्म को छोड़कर इस्लाम कबूल कर ली थी। जुलाई में अथिरा जब मीडिया को संबोधित कर रही थी तो वो हिजाब में थी, तब उसने कहा था, ‘मैं अपनी इच्छा से इस्लाम कबूल कर रही हूं।’ अथिरा ने तब दुनिया के सामने अपने आपको आएशा नाम से परिचित करवाया था।
इस बात से कोई सरोकार नहीं कि कोई, कौन और कब अपना धर्म-परिवर्तन कर ले। लेकिन इतना जरूर है कि जो अपने जन्म-धर्म का नहीं हुआ किसी और का क्या होगा? परन्तु एक बात आज तक समझ नहीं आयी कि इस्लाम कबूल करने वाली लड़की अथवा महिला का नाम आएशा ही क्यों रखा जाता है? कुछ अपवाद हो सकते हैं, पर अधिकतर केसों में ऐसा ही होता है।
गुरुवार 21 सितंबर को कोच्चि में आएशा ने फिर से प्रेस कॉन्फ्रेंस की। लेकिन इस बार उसकी शख्सियत बदली बदली हुई थी। इस बार आएशा की हिजाब गायब थी, उसके मस्तक पर तिलक लगा हुआ था उसने एक बिंदी लगा रखी थी। आएशा एक बार फिर से हिन्दू बन गई थी और उसने अपना पुराना नाम अथिरा अपना लिया। द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक अथिरा ने कहा कि उसके दोस्तों ने उसे बहका दिया था, मिसगाइड कर दिया था।
जुलाई में केरल के कासरगोड की रहने वाली एक 23 साल की लड़की ने अपना धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम धर्म अपना लिया था। दो महीने बाद वह फिर से वापस हिंदू धर्म में लौट आई है। धर्म परिवर्तन करने वाली लड़की आथिरा ने घर छोड़ने के बाद इस्लाम को अपना लिया था।अब यह लड़की वापस हिंदू धर्म में लौट आई है। अथिरा ने बताया कि उनसे सभी दोस्त मुस्लिम थे। जो उसे हिंदू धर्म के खिलाफ भड़काते थे। वह उसे हिंदू धर्म की खामियां गिनाते और जाति-पात का हवाला देते हुए भेदभाव की बातें कहते थे। उन्होंने बताया कि इस्लाम सबके लिए एक ही अल्लाह है। अथीरा ने कहा, वह किताबें पढ़कर दिग्भ्रमित हो गई थी।
इस बात से कोई सरोकार नहीं कि कोई, कौन और कब अपना धर्म-परिवर्तन कर ले। लेकिन इतना जरूर है कि जो अपने जन्म-धर्म का नहीं हुआ किसी और का क्या होगा? परन्तु एक बात आज तक समझ नहीं आयी कि इस्लाम कबूल करने वाली लड़की अथवा महिला का नाम आएशा ही क्यों रखा जाता है? कुछ अपवाद हो सकते हैं, पर अधिकतर केसों में ऐसा ही होता है।
गुरुवार 21 सितंबर को कोच्चि में आएशा ने फिर से प्रेस कॉन्फ्रेंस की। लेकिन इस बार उसकी शख्सियत बदली बदली हुई थी। इस बार आएशा की हिजाब गायब थी, उसके मस्तक पर तिलक लगा हुआ था उसने एक बिंदी लगा रखी थी। आएशा एक बार फिर से हिन्दू बन गई थी और उसने अपना पुराना नाम अथिरा अपना लिया। द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक अथिरा ने कहा कि उसके दोस्तों ने उसे बहका दिया था, मिसगाइड कर दिया था।
अथिरा ने पत्रकारों को बताया कि उसके मुस्लिम दोस्तों ने उसके सामने इस्लाम का संसार रचा उसे बहकावे में आ गई। अथिरा ने कहा कि उसके दोस्त कहा करते थे कि, एक पत्थर और एक मूर्ति की पूजा करना बेवकूफी है। अथिरा ने बताया कि उसके दोस्त कहते थे कि हिन्दुत्व में कई देवता है, लेकिन इस्लाम में एकमात्र सुप्रीम शख्सियत है। अथिरा कहती है कि धीरे-धीरे उसके दिमाग में हिन्दुत्व के प्रति शक भर गया। अथिरा बताती है कि जब वो इन चीजों के बारे में सोचती तो उसे लगता कि उसके मुस्लिम दोस्त सही कह रहे थे। जल्द ही अथिरा के दोस्त उन्हें इस्लाम के बारे में किताबें देने लगे। अथिरा ने कहा कि उनमें से एक किताब जहन्नुम के बारे में थी। अथिरा इस किताब को पढ़कर बेचैन हो गई, उसे लगने लगा कि अगर वो इस्लाम कबूल नहीं करती है तो उसे भी इस जहन्नुम से गुजरना पड़ेगा। अथिरा बताती है कि उसे भारत से फरार इस्लामी उपदेशक जाकिर नाईक के वीडियो देखने को दिये गये। अथिरा बताती हैं, ‘मुझे यकीन हो गया कि इस्लाम एक बेहतर धर्म है, मैंने आंख मूंद कर यकीन कर लिया कि मेरा धर्म खराब है।’
अथिरा भ्रमित बातों में आकर यह भूल गयी कि हिन्दू धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। और जिसे समाप्त करने में न जाने कितने आए, कितने गए, लेकिन हिन्दू धर्म को समाप्त करने के चक्कर में स्वयं ही समाप्त होते गए। दूसरी बात यह कि आखिर इस्लाम अपनाने पर उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि वापस हिन्दू में आना पड़ा? हिन्दू धर्म के जिस जहन्नुम से डर इस्लाम कबूला आखिर अब किस कारण उसी जहन्नुम में वापस आ गयी, दाल में कुछ काला नहीं, बल्कि सारी दाल ही काली लग रही है। लगता है, हिन्दुत्व से ज्यादा भयानक जहन्नुम तो नहीं दिखा? अब इसकी वास्तविकता कितने दिनों में बाहर आएगी,यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है।
अथिरा भ्रमित बातों में आकर यह भूल गयी कि हिन्दू धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। और जिसे समाप्त करने में न जाने कितने आए, कितने गए, लेकिन हिन्दू धर्म को समाप्त करने के चक्कर में स्वयं ही समाप्त होते गए। दूसरी बात यह कि आखिर इस्लाम अपनाने पर उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि वापस हिन्दू में आना पड़ा? हिन्दू धर्म के जिस जहन्नुम से डर इस्लाम कबूला आखिर अब किस कारण उसी जहन्नुम में वापस आ गयी, दाल में कुछ काला नहीं, बल्कि सारी दाल ही काली लग रही है। लगता है, हिन्दुत्व से ज्यादा भयानक जहन्नुम तो नहीं दिखा? अब इसकी वास्तविकता कितने दिनों में बाहर आएगी,यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है।
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