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यदि नाथूराम गोडसे से पहले पैदा होती तो मैं करती गांधीजी की हत्या--'हिंदू कोर्ट' की पहली स्वयंभू जज

Puja Shakun Pandey
पूजा शकुन पांडे
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में गठित की गई हिंदू कोर्ट की पहली जज पूजा शकुन पांडे ने एक विवादास्पद बयान दिया है। पूजा ने कहा है कि यदि मैं नाथूराम गोडसे से पहले पैदा हुईं होती तो मैं ही महात्मा गांधी की हत्या कर देती। अपनी बात को दोहराते हुए पूजा ने कहा कि देश को बांटने और भारत माता के विभाजन के कारण गांधी जी को मारा जाना बेहद जरूरी था।
इसी साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हिंदू महासभा द्वारा पहली हिंदू न्यायपीठ की स्थापना की गयी और पूजा शकुन पांडे को इसका जज बनाया गया है। शुरुआत में ये हिंदू अदालतें अलीगढ़, मेरठ, हाथरस, फिरोजाबाद और आगरा में स्थापित की जाएंगी। हिंदू महासभा का दावा है कि इनका गठन शरिया अदालतों की तर्ज पर किया जाएगा।
इस वीडियो को भी देखिए:
 https://www.facebook.com/ghargharmodi2019/videos/471171550052169/


हिंदू न्यायपीठ केवल हिंदुओं से संबंधित मामलों की ही सुनवाई करेंगी। इन कथित अदालतों में संपत्ति, घरेलू, मकान और विवाह संबंधी मामलों का निस्तांतरण किया जाएगा। इस न्यायपीठ के गठन के बाद इलाहाबाद हाइकोर्ट ने भी उत्तर प्रदेश सरकार से जानकारी मांगी है। इस मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होनी है।
वास्तव में महात्मा गाँधी का गुणगान नेताओं की तुष्टिकरण नीति को प्रमाणित करता है। सारा दोष ब्रिटिश सरकार पर नहीं डाला जा सकता। हँसी आती है, उन शिक्षित पर, जो कहते हैं, उस वक़्त क्या हुआ, कैसे हुआ और किसने किया, उस वक़्त हम दुनियाँ में नहीं थे। ऐसी ही सोंच और मानसिकता के कारण, कांग्रेस और वामपंथियों ने हमज़ुल्फ़ बन भारत के वास्तविक इतिहास को ही धूमिल करने में सफल हुए थे। ऐसी प्रवित्ति वालों की ऑंखें और दिमाग तब भी नहीं खुली, जब उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग के निदेशक(सेवा निर्वित) डॉ के.के.मोहम्मद ने तमिल भाषा में लिखित अपनी पुस्तक में अयोध्या में रामजन्मभूमि मन्दिर में अवरोध उत्पन्न करने वालों को बेनकाब किया है। डॉ मोहम्मद ने स्पष्ट लिखा है कि खुदाई में मन्दिर के बहुत प्रमाण मिले थे, लेकिन वामपंथी इतिहासकारों ने कोर्ट में केवल एक ही खम्बा दिखाया। अयोध्या में राममन्दिर और हिन्दुओं पर कुठाराघात तो अभी कुछ वर्ष पूर्व इन शिक्षितों के जीवनकाल में हुआ है, किसी की निकली आवाज़? यदि आम आदमी ने कोर्ट को गुमराह किया होता, और कोर्ट के समक्ष सच्चाई आने पर उस पर कोर्ट दोषी को सजा देती या नहीं? 
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ठीक इसी तरह महात्मा गाँधी के समस्त दोषो को दरकिनार कर, तुष्टिकरण की राजनीती का नंगा नाच खेला जा रहा है। सरकारें बदलती रहेंगी, लेकिन तुष्टिकरण नीति नहीं। गांधीभक्त राष्ट्र को जवाब दें:--
1. क्या भगत सिंह और उनके साथियों पर कोई चार्ज तय हुए थे?
2. जब भगत सिंह और उनके साथियों को 24 मार्च को फांसी तय हुई थी, फिर किसके कहने पर और क्यों       एक दिन पहले 23 मार्च की शाम को क्यों फांसी दी गयी?
3. जब क्रान्तिकारी जतिन दास जयपुर में ब्रिटिश पुलिस के हाथों शहीद हुए थे, तब महात्मा गाँधी भी जयपुर में ही विराजमान थे, क्या महात्मा गाँधी ने क्रांतिकारी शहीद जतिन दास को श्रद्धांजलि दी थी, यदि नहीं तो क्यों? क्या जतिन को मरने का शौक था?
4. जब शहीद ऊधम सिंह ने ब्रिटेन जाकर जनरल डायर की हत्या कर जलियांवाला बाग़ में हुए नरसंहार का बदले लेने पर महात्मा गाँधी के ब्रिटिश सरकार को क्या शब्द थे? 
क्या प्रो नन्दकिशोर निगम,
अपने घर-परिवार 

पर बोझा थे?
5. आखिर किस कारण से नेताजी सुभाषचन्द्र बोस और आर्य समाज नेता स्वामी श्रद्धानन्द को गाँधी से दूर होना पड़ा था?
6. क्या भारत को आज़ादी चर्खा कातने और सफाई अभियान से मिली थी?
7. नेता जी बोस के विरुद्ध ब्रिटिश सरकार से क्या गुप्त समझौता किया गया था और उस पर गाँधी ने किस हैसियत से उस पर हस्ताक्षर किये थे?
8. भारतीयों ने अपने देश को स्वतन्त्र करवाने के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए थे, फिर भारत को गणराज्य क्यों कहा जाता है? क्या महात्मा गाँधी और तत्कालीन नेताओं को नहीं मालूम था कि "एक स्वतन्त्र और गणराज्य देश में कितना अन्तर है?"
9. गाँधी जी कहते थे, पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा, फिर क्यों भारत के टुकड़े होने दिए?
10.जब मंत्रिमण्डल में पाकिस्तान को पैसा न देने का निर्णय हो गया था, महात्मा गाँधी ने क्यों पैसे दिलवाए?
11. पाकिस्तान से आ रहे हिन्दुओं का महात्मा गाँधी क्यों विरोध कर रहे थे? आदि आदि 
12. चलो माना, गोडसे ने महात्मा गाँधी को गलत मारा, नहीं मारना चाहिए था, फिर ऐसे कौन से कारण थे, कि माइक के माध्यम से नाथूराम गोडसे के कोर्ट में पढ़कर दिए 150 बयानों को सार्वजनिक नहीं होने दिया?
13. उन 150 बयानों में ऐसा कौन-सा जादू था कि जस्टिस खोसला को कहना पड़ा कि "यदि कोर्ट में और कोर्ट से बाहर मौजूद लोगो को जज बना दिया जाए, तो सब कहेंगे "नाथूराम गोडसे बेकसूर है।" 
14. एक अतिमहत्वपूर्ण प्रश्न, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी भी दुर्घटना में होती है, तो लाश का पोस्ट-मार्टम होता है, क्या गाँधी का हुआ था?
15. 1947 में हुए दंगे कोई नहीं भूलता, 1984 के सिख विरोधी दंगे नहीं भूलते, लेकिन गाँधी वध उपरान्त चितपावन ब्राह्मणों के हुए भयानक नरसंहार क्यों भूल गए? आज की युवा पीढ़ी को तो इस भयंकर नरसंहार का लेशमात्र भी ज्ञान नहीं होगा। 
16.मातृभूमि की रक्षा के लिए महात्मा गाँधी से कहीं अधिक योगदान नाथूराम गोडसे का है। गोडसे ने भारत को पुनः विभाजित होने से बचाया है। यदि 30 जनवरी को गाँधी का वध नहीं होता, निस्संदेह आने वाले दो-तीन महीनों में भारत के एक बहुत भाग को भारत से अलग करने की नींव रख दी होती, क्योकि जिन्ना ने पाकिस्तान से ईस्ट पाकिस्तान, वर्तमान बांग्लादेश, जाने के लिए वाया दिल्ली रास्ता मांगने की शर्त रखी थी, महात्मा गाँधी अगर जीवित होते, जिन्ना की इस बात को पूरा करने के लिए धरना, प्रदर्शन के माध्यम से भारत सरकार को जिन्ना की बात मनवाने के बाध्य कर दिया होता। 
सम्भव है, कोई महात्मा गाँधी भक्त इन प्रश्नों का उत्तर न दे पाए, क्योंकि गाँधी का विरोध करने से उनकी रोजी-रोटी खतरे में पड़ जाएगी। आखिर तुष्टिकरण का मूलमन्त्र देने वाले तो वही थे। सरकारें आएँगी-जाएँगी, लेकिन कुर्सी की खातिर गाँधी का गुणगान बराबर होता रहेगा, और जनता मूर्ख बनती रहेगी। क्यों नहीं, जनता को बताया जाता कि पंडित चंद्रशेखर आज़ाद क्या यमराज से मिलने गए थे, "वो कौन-सा नेता था जिससे मिलकर बाहर आने पर पुलिस ने उन्हें घेर कर मार दिया?" शायद इन सभी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए लोहे,सोने, चाँदी, ताम्बा और जस्ता आदि से बनी छाती चाहिए। कोई नेता, चाहे किसी भी पार्टी से हो, किसी में साहस नहीं गाँधी के विरुद्ध खुलकर बोलने का।  
लेकिन इन प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए नाथूराम गोडसे के कोर्ट में दिए, उन 150 बयानों और पुस्तक "गाँधी को त्यागो" का अध्ययन करना होगा। गोडसे ने किसी भी बयान में अपना बचाव नहीं किया, विपरीत इसके गाँधी वध को स्वीकार करते, अपने हर बयान में कारण बताया है। गाँधी की हिन्दू और भारत विरोधी नीतियों को उजागर किया है।      
   

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