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सबसे बायीं तस्वीर में आरोपी नवीन दलाल कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ है। बीच की तस्वीर कांग्रेस की रैली के पोस्टर की है, इसमें भी नवीन दलाल की फोटो है। दायीं तस्वीर देशद्रोह के आरोपी उमर खालिद की है। |
साजिश के पीछे कांग्रेस का हाथ
पकड़े गए दोनों आरोपियों का प्रोफाइल देखें तो सारा खेल खुद समझ में आ जाता है। पुलिस ने नवीन दलाल को मुख्य आरोपी माना है, जो कि कांग्रेस का कार्यकर्ता है। 12 अगस्त को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की जनक्रांति यात्रा में भी वो शामिल था। उस प्रोग्राम के पोस्टरों में उसकी फोटो भी थी। इसके अलावा कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ भी उसकी तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। नवीन दलाल को 2014 में दिल्ली के बीजेपी दफ्तर में गाय का कटा सिर लेकर घुसने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। नवीन दलाल से शुरुआती पूछताछ में वो जिस तरह से जांच को भटकाने की कोशिश कर रहा है उससे भी शक पुख्ता हो रहा है। नवीन दलाल ने कहा है कि उसने गोली नहीं चलाई थी और न ही उसका मकसद उमर को जान से मारने का था। नवीन ने पुलिस से कहा कि वो तो केवल प्रोग्राम में हंगामा मचाकर पब्लिसिटी पाना चाहता था। लेकिन इत्तेफाक से उमर खालिद प्रोग्राम के बाहर मिल गया था। नवीन के मुताबिक, उसने उमर पर गोली नहीं चलाई गई थी। भागते वक्त उसकी पिस्तौल जेब से निकलकर गिर गई थी।
हमला नहीं, सिर्फ हमले का नाटक
जब्त की गई पिस्तौल की बैलेस्टिक रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है, जिससे पता लग सके कि गोली चली थी या नहीं।लेकिन जिस तरह के विरोधाभासी बयान पुलिस के आगे दर्ज कराए गए हैं उससे पता चलता है कि वास्तव में कोई हमला हुआ ही नहीं। उमर खालिद के साथियों ने बयान दिया था कि गोली चलाई गई। लेकिन हमलावरों का कहना है कि उन्होंने पिस्तौल निकाली तक नहीं थी। कई चश्मदीद यह भी पता चुके हैं कि घटना के समय उमर खालिद वहां पर मौजूद भी नहीं था। पुलिस को अब तक मिले सुराग भी यही इशारा कर रहे हैं कि कुछ धक्कामुक्की जरूर हुई होगी, लेकिन सनसनी फैलाने के मकसद से उसे जानलेवा हमले और गोलीबारी का रूप दे दिया गया। इस तथाकथित हमले का एक और मजेदार पहलू यह है कि कुछ पत्रकारों को इसकी जानकारी पहले से थी। कांग्रेस की प्रोपोगेंडा वेबसाइट द क्विंट ने हमले के कुछ मिनट के अंदर ही पूरी विस्तृत रिपोर्ट पब्लिश कर दी थी। इसके अलावा बाकी चैनलों ने भी इसे जमकर तूल दिया। हमारी जानकारी के मुताबिक ऐसा करने के निर्देश उन्हें कांग्रेस पार्टी के एक बहुत बड़े नेता की तरफ से मिले थे। यह नेता सोनिया गांधी का सबसे करीबी माना जाता है।
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