आर.बी.एल.निगम,वरिष्ठ पत्रकार
जब से केन्द्र में मोदी सरकार सत्ता में आयी है, एक के बाद एक बैंक घोटाले सामने आ रहे हैं। हैरानी इस बात की होती है, बैंकों में इतने घोटाले हो रहे थे, जनता को पागल बनाकर हमारे निर्वाचित नेता सदन में क्या शोर-शराबा करने, अपनी तिजोरियाँ भर 56 भोग का सेवन कर राजशाही ज़िन्दगी का आनन्द लेने जाते हैं? क्या घोटाले उनके इशारे पर हो रहे थे? यदि नहीं, क्यों नहीं सरकार या रिज़र्व बैंक से इस पर अंकुश लगाने और धन वसूली के लिए दबाव बनाया गया? अपने 6 दशक से अधिक जीवन में जनसेवा को व्यापारिक रूप लेते नहीं देखा। नितरोज होते घोटाले इसी व्यापारिक होती जनसेवा ही का परिणाम है। क्योकि अपने दम पर कोई भी एक पैसे तक का घोटाला नहीं कर सकता, बशर्ते राजनीतिक संरक्षण न हो। दूसरी हैरानी की बात यह है कि कोई बदकिस्मत नेता ही लपेटे में आता है, अन्यथा सब कोर्ट से बरी हो जाते हैं, जैसाकि 2g स्कैम में हुआ। नेताओं का दिमाग राष्ट्र निर्माण में कम, छद्दम धर्म-निरपेक्षता के भक्त बन समाज में नफरत फ़ैलाने में अधिक लगता है, जैसाकि निम्न लेख प्रमाणित कर रहे हैं:--
केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने बैंक घोटाले के एक अन्य मामले में शुक्रवार (23 मार्च) को आईडीबीआई के महाप्रबंधक सहित 31 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. आईडीबीआई बैंक द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद महाप्रबंधक बट्टू रामा राव, पूर्व मुख्य महाप्रबंधक आर. दामोदरन, 21 एग्रेगेटर समूहों और बैंक कर्मियों पर फर्जी दस्तावेजों से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) तथा मछली पालन ऋण के तहत 445.32 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप है. बैंक ने पिछले साल 14 दिसंबर को मामला दर्ज करते हुए कहा था कि उसने राव को बर्खास्त कर दिया है.
बैंक ने आरोप लगाया कि आईडीबीआई की हैदराबाद के बशीराबाद शाखा में कार्यरत राव तथा चेन्नई शाखा में दामोदरन तथा बैंक कर्मियों की मिलीभगत से 21 एग्रेगेटर समूहों के लगभग 220 कर्जदारों ने केसीसी तथा मछली पालन पर उपलब्ध ऋण व अन्य ऋण सुविधाओं के तहत आईडीबीआई की विभिन्न शाखाओं से जारी करा लिया था. यह ऋण साल 2009-08, 2010-11 और 2011-12 के दौरान जारी किए गए.
बैंक के अनुसार 21 दलों द्वारा फर्जी दस्तावेजों तथा दिखाई गई सम्पत्ति से अधिक के मान पर कुल 192.98 करोड़ रुपए का ऋण लिया गया. बैंक ने अलग-अलग ऋण को विभिन्न तारीखों पर डूबा हुआ कर्ज (एनपीए) घोषित कर दिया. बैंक की शिकायत के अनुसार 30 सितंबर, 2017 तक 220 कर्जदारों पर कुल कर्ज 445.32 करोड़ रुपए था.
प्राथमिकी में दर्ज अन्य व्यक्तियों में आदिलक्ष्मी समूह के एम.एल. राव, एस. सुधाकर समूह के समयमंथूला सुधाकर, एन.वी. सुब्बा राजू समूह से नदीमपल्ली वेंकट, सुब्बा राजू, के.एस.वी. प्रसाद राजू, नदीमपल्ली रामा राजू, टी.सी. वेंकटेश्वर राव, पी.एस. चौधरी और बी.सी. रेड्डी व अन्य लोग हैं. सीबीआई ने बैंक समिति के सात सदस्यों पर भी आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक कृत्य करने का मामला दर्ज किया है.
यूनियन बैंक में भी घोटाला
अब यूनियन बैंक (Union Bank) में 313 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। सीबीआई ने इस मामले में मामला दर्ज किया है। CBI ने धोखाधड़ी के लिए हैदराबाद की टोटेम इंफ्रास्ट्रक्चर (Totem Infrastructure) और इसके प्रवर्तकों के खिलाफ मामला दर्ज किया। खबर के मुताबिक UBI की इंडस्ट्रियल ब्रांच ने कहा कि कंपनी ने उसके साथ 303 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है। इस कंपनी को 8 बैंकों ने मिलकर लोन दिया था। ये अकाउंट 30 जून 2012 को NPA बन गया था। टोटेम इंफ्रास्ट्रक्चर रोड कंस्ट्रक्शन का काम करती है। ऐसा आरोप है कि कंपनी ने लोन की रकम का दुरूउपयोग किया। बैंक के मुताबिक घोटाले के आरोपी फरार हैं।
हाल ही दक्षिण भारत में भी 824 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था। ये घोटाला चेन्नई की कंपनी कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लि. (KGPL) पर करने का आरोप लगा है। इस लोन घोटाले में CBI ने मामला दर्ज किया है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की 14 बैंकों ने इस कंपनी को लोन दिया था। मामले में सीबीआई ने कई स्थानों पर छापेमारी की। इसके नुकसान की भरपाई के लिए सिक्योरिटी सिर्फ 156.65 करोड़ रुपए है।
जब से केन्द्र में मोदी सरकार सत्ता में आयी है, एक के बाद एक बैंक घोटाले सामने आ रहे हैं। हैरानी इस बात की होती है, बैंकों में इतने घोटाले हो रहे थे, जनता को पागल बनाकर हमारे निर्वाचित नेता सदन में क्या शोर-शराबा करने, अपनी तिजोरियाँ भर 56 भोग का सेवन कर राजशाही ज़िन्दगी का आनन्द लेने जाते हैं? क्या घोटाले उनके इशारे पर हो रहे थे? यदि नहीं, क्यों नहीं सरकार या रिज़र्व बैंक से इस पर अंकुश लगाने और धन वसूली के लिए दबाव बनाया गया? अपने 6 दशक से अधिक जीवन में जनसेवा को व्यापारिक रूप लेते नहीं देखा। नितरोज होते घोटाले इसी व्यापारिक होती जनसेवा ही का परिणाम है। क्योकि अपने दम पर कोई भी एक पैसे तक का घोटाला नहीं कर सकता, बशर्ते राजनीतिक संरक्षण न हो। दूसरी हैरानी की बात यह है कि कोई बदकिस्मत नेता ही लपेटे में आता है, अन्यथा सब कोर्ट से बरी हो जाते हैं, जैसाकि 2g स्कैम में हुआ। नेताओं का दिमाग राष्ट्र निर्माण में कम, छद्दम धर्म-निरपेक्षता के भक्त बन समाज में नफरत फ़ैलाने में अधिक लगता है, जैसाकि निम्न लेख प्रमाणित कर रहे हैं:--
केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने बैंक घोटाले के एक अन्य मामले में शुक्रवार (23 मार्च) को आईडीबीआई के महाप्रबंधक सहित 31 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. आईडीबीआई बैंक द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद महाप्रबंधक बट्टू रामा राव, पूर्व मुख्य महाप्रबंधक आर. दामोदरन, 21 एग्रेगेटर समूहों और बैंक कर्मियों पर फर्जी दस्तावेजों से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) तथा मछली पालन ऋण के तहत 445.32 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप है. बैंक ने पिछले साल 14 दिसंबर को मामला दर्ज करते हुए कहा था कि उसने राव को बर्खास्त कर दिया है.
बैंक ने आरोप लगाया कि आईडीबीआई की हैदराबाद के बशीराबाद शाखा में कार्यरत राव तथा चेन्नई शाखा में दामोदरन तथा बैंक कर्मियों की मिलीभगत से 21 एग्रेगेटर समूहों के लगभग 220 कर्जदारों ने केसीसी तथा मछली पालन पर उपलब्ध ऋण व अन्य ऋण सुविधाओं के तहत आईडीबीआई की विभिन्न शाखाओं से जारी करा लिया था. यह ऋण साल 2009-08, 2010-11 और 2011-12 के दौरान जारी किए गए.
बैंक के अनुसार 21 दलों द्वारा फर्जी दस्तावेजों तथा दिखाई गई सम्पत्ति से अधिक के मान पर कुल 192.98 करोड़ रुपए का ऋण लिया गया. बैंक ने अलग-अलग ऋण को विभिन्न तारीखों पर डूबा हुआ कर्ज (एनपीए) घोषित कर दिया. बैंक की शिकायत के अनुसार 30 सितंबर, 2017 तक 220 कर्जदारों पर कुल कर्ज 445.32 करोड़ रुपए था.
प्राथमिकी में दर्ज अन्य व्यक्तियों में आदिलक्ष्मी समूह के एम.एल. राव, एस. सुधाकर समूह के समयमंथूला सुधाकर, एन.वी. सुब्बा राजू समूह से नदीमपल्ली वेंकट, सुब्बा राजू, के.एस.वी. प्रसाद राजू, नदीमपल्ली रामा राजू, टी.सी. वेंकटेश्वर राव, पी.एस. चौधरी और बी.सी. रेड्डी व अन्य लोग हैं. सीबीआई ने बैंक समिति के सात सदस्यों पर भी आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक कृत्य करने का मामला दर्ज किया है.
यूनियन बैंक में भी घोटाला
अब यूनियन बैंक (Union Bank) में 313 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। सीबीआई ने इस मामले में मामला दर्ज किया है। CBI ने धोखाधड़ी के लिए हैदराबाद की टोटेम इंफ्रास्ट्रक्चर (Totem Infrastructure) और इसके प्रवर्तकों के खिलाफ मामला दर्ज किया। खबर के मुताबिक UBI की इंडस्ट्रियल ब्रांच ने कहा कि कंपनी ने उसके साथ 303 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है। इस कंपनी को 8 बैंकों ने मिलकर लोन दिया था। ये अकाउंट 30 जून 2012 को NPA बन गया था। टोटेम इंफ्रास्ट्रक्चर रोड कंस्ट्रक्शन का काम करती है। ऐसा आरोप है कि कंपनी ने लोन की रकम का दुरूउपयोग किया। बैंक के मुताबिक घोटाले के आरोपी फरार हैं।
हाल ही दक्षिण भारत में भी 824 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था। ये घोटाला चेन्नई की कंपनी कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लि. (KGPL) पर करने का आरोप लगा है। इस लोन घोटाले में CBI ने मामला दर्ज किया है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की 14 बैंकों ने इस कंपनी को लोन दिया था। मामले में सीबीआई ने कई स्थानों पर छापेमारी की। इसके नुकसान की भरपाई के लिए सिक्योरिटी सिर्फ 156.65 करोड़ रुपए है।
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