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सीएम अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री धरने पर |
अफसरों की हड़ताल को लेकर उपराज्यपाल सचिवालय में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का धरना लगातार 7 दिन से जारी है। आम आदमी पार्टी ने प्रधानमंत्री आवास के घेराव के लिए जून 17 की शाम मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन से मार्च शुरू किया, लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को संसद मार्ग से आगे नहीं बढ़ने दिया। पुलिस के मुताबिक, आप ने प्रदर्शन के लिए इजाजत ही नहीं ली है। हालांकि, इसके चलते 5 मेट्रो स्टेशन बंद करने पड़े। केजरीवाल ने ट्वीट कर नरेंद्र मोदी को तानाशाह बताया है। वहीं, आईएएस अफसर हड़ताल पर होने की बात से इनकार कर रहे हैं।

आप के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता ने कहा, "दिल्ली की लोकतांत्रिक सरकार को काम नहीं करने दिया जा रहा। कांग्रेस भाजपा की बी टीम बन गई। हम उपराज्यपाल, दिल्ली पुलिस और पीएमओ को भरोसा दिलाते हैं कि प्रदर्शन के दौरान कोई हिंसा नहीं होगी।"
11 जून से केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और गोपाल राय एलजी अनिल बैजल के दफ्तर में धरना दे रहे हैं।
5 मेट्रो स्टेशन करने पड़े बंद
ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर, अजय चौधरी ने कहा कि आप के मार्च को संसद मार्ग से आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा। कानून व्यवस्था बनाए रखने और किसी तरह की हिंसा न हो, इसके लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। डीएसपी मधुर वर्मा ने कहा कि आप के प्रदर्शन को देखते हुए ऐहतियातन केंद्रीय सचिवालय, उद्योग भवन, पटेल चौक, जनपथ स्टेशन और लोक कल्याण मार्ग मेट्रो स्टेशन पर आवाजाही बंद की गई।
दिल्ली की जंग पर अफसरों ने दी सफाई
आईएएस एसोसिएशन की प्रवक्ता मनीषा सक्सेना ने कहा, ''दिल्ली में अफसरों की कोई हड़ताल नहीं है। हम पूरी निष्पक्षता के साथ काम कर रहे हैं। नौकरी ज्वाइन करते वक्त कभी सोचा नहीं था कि अपनी बात रखने के लिए हमें इस तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ेगी। अफसरों को दिल्ली की राजनीति से कोई लेनादेना नहीं है।''
अवलोकन करें:--
मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार को कोसा
नीति आयोग की बैठक में पहुंचे 4 मुख्यमंत्रियों ममता बनर्जी, एचडी कुमारस्वामी, पिनराई विजयन और चंद्रबाबू नायडू ने नरेंद्र मोदी से इस विवाद को सुलझाने की अपील की। इन्होंने जून 16 रात आरोप लगाया कि उन्हें उपराज्यपाल की ओर से मुलाकात का वक्त नहीं मिला।
साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ममता बनर्जी ने कहा, "दिल्ली में संवैधानिक संकट पैदा हो गया है और जनता परेशान है। एक मुख्यमंत्री कई दिनों से धरने पर बैठा है, तो समझ सकते हैं कि देश का भविष्य क्या होगा।" चंद्रबाबू नायडू, पिनरई विजयन और कुमार स्वामी ने कहा कि केंद्र को विपक्ष पार्टियों की सरकारों के कामकाज में दखल नहीं देना चाहिए। यह दिल्ली ही नहीं देश के लिए खतरा है।
अपराधी भी खुद और जज भी खुद
प्रश्न यह है कि "क्या इन मुख्यमन्त्रियों में से किसी भी मुख्यमंत्री ने केजरीवाल से यह कहने या पूछने का साहस किया, कि देर रात दिल्ली के मुख्य सचिव को बुलाना और फिर मार-पिटाई करना कौन-सी नैतिकता है? क्यों अनैतिक काम करके जनता को गुमराह किया जा रहा है?" यानि अपराधी भी खुद और जज भी खुद। दूसरे, शायद ये सभी मुख्यमन्त्री केजरीवाल पार्टी द्वारा प्रधानमन्त्री आवास पर प्रदर्शन करने की योजना से अज्ञान है। सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि उपराज्यपाल के बाद अगला निशाना प्रधानमंत्री आवास/कार्यालय है। ताकि जनता में मुख्य सचिव की पिटाई का मामला धूमिल हो सके।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उपराज्यपाल पीएमओ के आदेश पर चल रहे हैं। यही वजह कि वह इन चार मुख्यमंत्रियों को मुझसे मिलने नहीं दे रहे। केंद्र सरकार इनका अपमान कर रही है। मनीष सिसोदिया ने इसे दिल्ली में अघोषित राष्ट्रपति शासन जैसा बताया।
दिल्ली सरकार की उपराज्यपाल से तीन मांगें
पहली-दिल्ली सरकार में कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों की हड़ताल खत्म कराई जाए।
दूसरी-काम रोकने वाले आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
तीसरी- राशन की दरवाजे पर आपूर्ति की योजना को मंजूर की जाए।
जो सरकार मुख्य सचिव को अपमानित कर सकती है, वह इससे और अधिक कौन-सा अनैतिक काम करने में क्या संकोच करेगी?
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