आर.बी.एल.निगम, फिल्म समीक्षक
बहुत पुरानी कहावत है कि फिल्में समाज का दर्पण होती है। जिसे हम मनोरंजन मान सिनेमा हॉल में जाकर खूब आनंदित होते है।
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केश्टो मुख़र्जी असली ज़िन्दगी में कभी शराब नहीं छुई, लेकिन शराबी की एक्टिंग का जवाब नहीं ! |
शराब को लेकर अनेक फिल्मों का निर्माण हुआ है, लेकिन फिल्मों में जो शराब परोसी जाती है, वह मात्र जूस होता है। लेकिन शायद अभिनेता-निर्माता-निर्देशक गुरुदत्त द्वारा निर्मित "साहब,बीबी और गुलाम" ही एक ऐसी फिल्म थी, जिसमे ट्रेजेडी क्वीन और अभिनय की महारथी मीना कुमारी ने फिल्म में "ना जाओ सइयां छुड़ाकर बहियाँ, कसम तुम्हारी मैं तो पड़ूँगी ..." का फिल्मांकन शराब पीकर ही किया था। क्योकि यह गीत इनकी वास्तविक ज़िंदगी को दर्शा रहा था।
परन्तु फिल्म जगत में शायद एक ऐसा अनोखा कलाकार हुआ, जिसने लगभग हर फिल्म में शराबी की जो एक्टिंग का जवाब नहीं, जबकि फिल्में तो दूर कभी वास्तविक ज़िंदगी में शराब को चखा तक नहीं।
राजकुमार ने कभी किसी की जेब से शराब नहीं पी। फिल्म हो या कोई समारोह, जहाँ भी जाते अपनी शराब साथ लेकर जाते थे। "जॉनी हम अपना शौक साथ लेकर चलते हैं। किसी की जेब नहीं तलाशते।"
राजकुमार ने कभी किसी की जेब से शराब नहीं पी। फिल्म हो या कोई समारोह, जहाँ भी जाते अपनी शराब साथ लेकर जाते थे। "जॉनी हम अपना शौक साथ लेकर चलते हैं। किसी की जेब नहीं तलाशते।"
कुन्दन लाल सहगल |
'मेरे मरने पर मेरी शव यात्रा में इस गाने को बजाना।' --के.एल.सहगल
जबकि फिल्मों के मशहूर कुन्दन लाल सहगल ऐसे गायक-अभिनेता थे, जिनसे फिल्म में पार्श्व गायन या अभिनय के "हाँ" कहलवाने के लिए शराब की पेटी लेकर जाते थे। कुछ दशक पूर्व, जब टीवी का दौर नहीं था, लोग रेडियो पर गाने सुन आनंदित होते थे। उन दिनों विविध भारती पर शाम 7 बजे फौजियों के लिए कोई न कोई फिल्म हस्ती "जयमाला" कार्यक्रम प्रस्तुत करती थी। एक प्रोग्राम को संगीतकार नौशाद साहब प्रस्तुत करते समय तीन महान गायकों--मुकेश, मौ रफ़ी और कुन्दन लाल सहगल-- की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि "सहगल साहब और और जीते, लेकिन उनकी शराब की आदत को हमारे ही फिल्म वालों ने शराब पिला-पिलाकर मार डाला। फिल्म "शाहजहां" में "जब दिल ही टूट गया, हम जीकर क्या करेंगे..." गीत को दो बार गवाया, एक बिना शराब के और दूसरा शराब पिलाकर। उसके बाद जब उनको दोनों गाने सुनवाए गए, उनको भी बिना शराब पिए गीत में इतना आनन्द आया कि उनको पता ही नहीं चला कि गाना ख़त्म हो गया है। मैंने उनको कहा कि 'आप बिना शराब पिए गायन करोगे तो और भी ऊंचाइयों पर जाओगे', सहगल साहब ने कहा 'नौशाद साहब काश यह नसीयत पहले दी होती, अब तो बहुत देर हो चुकी है।' और यह अमर गीत उनके जीवन का आखिरी गीत था। अपनी वसीयत में लिखा था कि 'मेरे मरने पर मेरी शव यात्रा में इस गाने को बजाना।' "
वीडियो में देखिए नौशाद साहब की ज़ुबानी
https://youtu.be/jQh2LBkhrkU
आज बदलते परिवेश में सबकुछ बदल गया है। आज बिना अंगूर की बेटी के बिना कोई कार्यक्रम तक नहीं होता। घर में खाने को न हो, लेकिन सुबह होते ही पहुँच जाते हैं, दारू की दुकान पर। और सरकार से गरीब होने का स्वाँग रच माया की आस लगाए रहते हैं। चुनाव में बिना बिना नोट और दारू लिए बिना वोट देने नहीं जाते। पिया हुआ इंसान झूठ नहीं बोलता, चूहा शेर हो जाता है, पत्नी से डरने वाला पति गब्बर सिंह हो जाता है फ्ला फ्ला कहावते तो आपने खूब सुनी होगी लेकिन क्या वाकई में ऐसा ही होता है।
अवलोकन करिए:--
साथ ही जब आम इंसान पीकर बहक जाते है तो क्या बॉलीवुड स्टार्स भी खो बैठते है सुधबुध? मीडिया में वायरल कुछ तस्वीरें तो ये ही जाहिर करती है इन्ही में से एक है ये तस्वीर, जिस में सलमान और उनके तीन भाई अपने दोस्तों के साथ शर्टलैस हो गए है।
अवलोकन करिए:--
साथ ही जब आम इंसान पीकर बहक जाते है तो क्या बॉलीवुड स्टार्स भी खो बैठते है सुधबुध? मीडिया में वायरल कुछ तस्वीरें तो ये ही जाहिर करती है इन्ही में से एक है ये तस्वीर, जिस में सलमान और उनके तीन भाई अपने दोस्तों के साथ शर्टलैस हो गए है।



हालाँकि ये सेल्फी थोड़ी कूल है लेकिन नशे में धुत्त है सभी ये झलक रहा है उनकी आँखों से, देखें।
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